भाई दूज मनाने के पीछे क्या कहानी है?

Bhai Dooj ki Kahani, Yam aur Yamuna Story in Hindi

दिवाली के पांच दिनों में से एक है| Bhai Dooj ki kahani- ये त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है|

इस दिन बहने रोली और अक्षत से, अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाती है| और उनके उज्जवल भविष्य और लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है| और जो भाई इस दिन स्नेहपूर्वक अपनी बहन के घर जाकर भोजन करता है| उसका आतिथ्य स्वीकार करता है, उसे लम्बी आयु का वरदान मिलता है|

भाई दूज त्यौहार भाई बहन का त्यौहा Bhai Dooj ki kahani

तो Bhai Dooj  भाई और बहन के प्रेम का त्यौहार है| और इस त्यौहार की शुरुवात, मृत्यु के देवता यमराज और सूर्य पुत्री यमुना से जुड़ा हुआ है|

इस दिन के सम्बन्ध में कई कहानियां प्रचलित हैं जिनमे यमराज और यमुना की कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है| और मुख्य कहानी है इसीलिए इस दिन को यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है|

इस दिन बहने भाई को अपने घर बुलाती हैं रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक करती है| और फिर Bhai Dooj की कहानी सुनने के बाद उनके उज्जवल भविष्य और लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है|

उसके बाद ही भोजन ग्रहण करती है| इस दिन Bhai Dooj की कहानी सुनने का एक बड़ा ही महत्त्व माना गया है|

आज इस लेख में हम आपके साथ Bhai Dooj की कहानी साझा करने जा रहे हैं तो आईये शुरू करते हैं –

यमराज और यमुना की कहानी Yamraj aur Yamuna Story in Hindi

सबसे पहले यमराज और यमुना की कहानी आपको बताते हैं जो की काफी प्राचीन और काफी प्रचलित है तो कहानी प्रकार है| 

भगवान सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा था और संज्ञा से, भगवान सूर्यदेव को दो संतान की प्राप्ति हुई| एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना| संज्ञा सूर्य का तेज़ सहन नहीं कर पाती थी तो एक दिन उसने अपना जैसा प्रतिरूप, अपनी छायामूर्ति का निर्माण किया और छाया को ही अपने दोनों पुत्र और पुत्री को सौंप कर वहां से चली गई|

छाया को यम और यमुना से कोई लगाव नहीं था किन्तु यमुना अपने भाई यम से बड़ा ही स्नेह रखती थी|

अक्सर बहन यमुना अपने भाई यमराज के यहाँ चली जाया करती थी| उनसे उनके सुख दुःख के हालचाल लिया करती थी| और यमुना जब कभी भी, अपने भाई के घर जाती तो यमराज को अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती|

लेकिन यमराज बेहद व्यस्त रहते थे| और वो अपनी व्यस्तता के कारण, वो कभी भी अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उसके घर नहीं जा पाते थे|

 भाई यमराज का बहन यमुना के घर आगमन 

एक दिन की बात है यमराज कुछ फ्री थे तो सोचे चलो, आज बहन के घर चला जाए| और वैसे भी कोई मुझे इच्छा से बुलाता तो है नहीं एक बहन है, जो बार बार मुझे अपने घर आने के लिए कहती है| तो चलो आज बहन के घर ही चलें|

ऐसा सोचकर यमराज अपनी बहन के घर चल दिए| वो दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया का दिन था, तो यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे|

बहन यमुना के घर जाते वक़्त यमराज ने, नर्क में निवास करने वाले सभी जीवों को स्वतंत्र कर दिया| और पहुँच गए यमुना के घर|

जब यमुना ने देखा की उनका भाई यमराज उनके घर आया है तो वो बड़ी ही प्रसन्न हुई| बड़े ही जोर शोर से उन्होंने अपने भाई का आदर सत्कार किया| और विविध प्रकार के भोजन बनाकर उन्हें भोजन कराया| यमराज के मस्तक पर तिलक लगाया|

यमराज बहन के इस सत्कार से बेहद प्रसन्न हुए| और वो जब वहां से चलने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से कहा – तुम कोई भी अपना मनवांछित वरदान मांगो|

यमुना ने कहा भईया, मुझे कुछ नहीं चाहिए बस आप अपना प्यार मेरे पर यूँ ही बनाये रखना| मगर यमराज माने नहीं, उन्होंने कहा की आज वो उसे कुछ देना ही चाहते हैं| 

भाई यमराज ने बहन यमुना को दिया वरदान 

यमराज के बार बार आग्रह करने पर यमुना बोली- हे भईया यदि आप वास्तव में मुझे कोई वर देना ही चाहते हैं| तो मुझे यही वर दीजिये की आज के दिन आप मेरे यहाँ प्रतिवर्ष आया करेंगे| और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे|

bhai dooj photo

और हाँ ठीक इसी प्रकार से जो भी भाई अपनी बहन के यहाँ जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे और इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये उसे कभी भी आपका भय ना रहे| और हाँ इस दिन जो भी मेरे जल में स्नान करे वो कभी यमपुरी नहीं जाए|

यमराज, यमुना से काफी प्रसन्न थे तो इसलिए उन्होंने यमुना की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया| और तभी से भाई बहन का ये त्यौहार मनाया जाने लगा| बहने भाई को आमंत्रित करती है और भाई बहन का आतिथ्य स्वीकार करके बहन के घर जाकर भोजन करते हैं|

वैसे दिवाली के पांचो दिन किसी न किसी रूप से यमराज से जुड़े हैं| और द्वितीया के दिन दिवाली का पांच दिवसीय दीपोत्सव समापन हो जाता है|

निष्कर्ष : Bhai Dooj ki kahani

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