Ankit Bhati & Bhavesh Agrawal: Ola Cabs founder
यदि आपने चाँद को देखा है , तो आपने ईश्वर की सुन्दरता देखी है !
यदि आपने सूर्य को देखा , तो आपने परमेश्वर का बल देखा !
और यदि आपने आईना देखा तो आपने ईश्वर की सबसे सुन्दर संरचना देखी !!
इसलिए स्वयं पर विश्वास रखो |
The Success Story of Ola Company
Ankit Bhati & Bhavesh Agrawal : Ola Cabs founder हम आपको टैक्सी इंडस्ट्रीज को संघटित करने वाले के करने वाले संस्थापक भावेश अग्रवाल Bhavesh Agrawal के बारे में बता रहे हैं | Ola Cabs इन्ही का आईडिया है | भावेश पंजाब प्रान्त के लुधियाना शहर में पैदा हुए , और उन्होंने अपना ग्रेजुएट आई.आई.टी बाम्बे से कंप्यूटर साइंस में , पूरा किया |
भावेश अग्रवाल और अंकित भाटी ने ओला कैब्स ( Ola Cabs ) की शुरुवात ,2010 में OlaCabs.com को बनाकर किया | वैसे तो इस वक़्त कई सारी कैब काम्पनिज़ है लेकिन जो मुख्य रूप से भारत में काम कर रही वो है ओला Ola और उबर Uber .Ola हमारे भारत की ही कम्पनी है , जिसने बहुत ही कम समय में अपने आपको को उबर का बेस्ट प्रतियोगी साबित कर दिया है , तो आज मैं आपको की Ola Cabs शुरू कैसे हुई , कैसे आया इसका आईडिया और कौन ola cabs के मालिक |
उस समय ये सिर्फ एक कल्पना थी , जी हाँ एक कल्पना , जो कंप्यूटर तकनीकि के क्षेत्र में , लोगों को यात्रा (Ride) बेचने की थी |
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Ola Cabs India |
Ankit Bhati: Ola Cabs Co- founder
उस समय ओला कैब्स ( OlaCabs ) के सह – संस्थापक (Founder) अंकित भाटी मुंबई शहर में स्थित आई.आई .टी . के नजदीक एक पुराने घर में रह रहे थे | अपनी वेबसाइट को कोड करने में तल्लीन थे |अंकित खुद बताते हैं की , मैं बहुत जिज्ञासु व्यक्ति हूँ | मेरा सम्बन्ध जोधपुर के एक माध्यम बैकग्राउंड परिवार से है इसलिए उस समय , हमारे लिए कंप्यूटर या लैपटॉप , अमीरों की शान समझा जाता था लेकिन ये गैजेट्स हमेशा से मेरे लिए कौतुहल का विषय रहे |
90 के दशक के अंत में , हमें अपनी पॉकेट मनी बचाकर , साईबर कैफ़े जाना होता था , ताकि वहां जाकर चैट रूम में , इन्टरनेट की दुनिया की खोज करने के लिए , समय बिताया जा सके |
अपने सपनो के साथ , अंकित जब राजस्थान के जोधपुर से निकले , तो बड़े शहरों की कल्पना में , मुंबई उनका पहला पड़ाव बना | आई.आई .टी . बाम्बे में दाखिला लिया , जहाँ उनका अधिकांश समय कंप्यूटर सेंटर में बीता |
दूसरी और ( OlaCabs ) के दूसरे सह संस्थापक भावेश अग्रवाल ने जब पहली बार इस प्रोजेक्ट को अपने पिता जी के सामने सामने रखा तो भावेश के पिता जी ने कहा , तू ट्रेवल एजेंट बनेगा ?
Bhavesh Agrawal: founder of ola
2008 में भावेश ने आई.आई.टी. बाम्बे से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की , और फिर दिग्गज कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट की रिसर्च टीम के साथ काम करने लगे, नौकरी के रूप में | भावेश ने माइक्रोसॉफ्ट में सिर्फ दो साल ही काम किया , और उसके बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को छोड़ दिया क्योंकि काफी सोचने समझने के बाद , भावेश का फैसला ये हुआ की , जॉब तो वो कभी भी कर लेगा परन्तु उसने अगर अभी जोखिम नहीं लिया तो वो अपने स्टार्टअप को शुरू करने से ज़िदगी में , वंचित हो जायेगा |
जॉब छोड़कर भावेश ने फिर अपने स्टार्टअप पर काम शुरू कर दिया , और खुद की वेबसाइट olatrip.com का सेट अप किया , इसके लिए उन्होंने बहुत रिसर्च करके , कुछ अच्छे वीकेंड ब्रेक्स और कम अवधि की छुट्टियाँ , अपनी वेबसाइट पर प्रस्तुत किया |
भावेश के पिता जी को उसके बिजनेस करने से कोई परेशानी नहीं थी , बस उन्हें ये चिंता सताए जा रही थी की कहीं इन सबके चक्करों में पड़कर , उनका बेटा ट्रेवल एजेंट न बन जाए |इसलिए उन्होंने अपने बेटे को सलाह दी की , बेटा आपका नौकरी का अनुभव अच्छा है , अभी अगर आप किसी अच्छी जगह से MBA करके , एक बहुत ही बढ़िया ट्रैक रिकॉर्ड बना लेते हो तो बाद में करते रहना ये बिजनेस विजनेस ! तुम्हे अभी आखिर पता ही कितना है |
उनके पिता जी कहीं न कहीं सही भी थे , की आखिर उसे इस इंडस्ट्री का आईडिया ही कितना था | लेकिन इसके बाद भी भावेश की अंतरात्मा ने उसे और एक्स्प्लोर करने को कहा | जब olatrip वेबसाइट पर उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला तो , वो 2010 में हो रहे कॉमन वेल्थ गेम के स्टेडियम के बाहर पहुंचकर , लोगो को हैण्ड बिल बाटने लगा |शायद वहीँ से उसे कुछ क्लाइंट मिल जाए , लेकिन सुबह से शाम हो गई और वो किसी एक इंसान को भी , अपना पैकेज नहीं बेच पाया |
फिर एक दिन क्या हुआ , जब भावेश ने बैंगलोर से बांदीपुर जाने के लिए , कार किराये पर ले रखा था , तो कार वाले ने आधे रास्ते में ही जाकर कार रोक दी , और भावेश से , और पैसे मांगने लगा , जब भावेश ने ड्राईवर को अतिरिक्त पैसे देने से मना कर दिया , तो कार वाले ने भावेश को वहीँ छोड़कर वापस चला गया |
पूरे दिन भावेश यही सोचता रहा , की India में किसी को भी , बिना जान पहचान के , एक बेहतरीन कार सर्विस मिलना , कितना मुश्किल काम हो गया है |
कुछ समय बाद , जब वो किसी क्लाइंट को अपना हॉलिडे पैकेज बेचने में लगा हुआ था ,तो क्लाइंट ने भावेश से तुरंत बोला , नैनीताल जाना है यार , गाडी दिलादे यार ! यह सुनकर उसे एहसास हुआ , की लोगों को कहीं पर भी जाने के लिए , वास्तव में उसकी , या olatrip की जरुरत नहीं है , अगर जरुरत है तो बस , सिर्फ एक गाड़ी की|
Olacabs.com की शुरुवात
इस घटना के बाद , भावेश मुंबई चला गया , और यहाँ उसने , अपने दोस्त अंकित भाटी के साथ मिलकर , एक नई वेबसाइट दुनिया के सामने रखी , Olacabs.com और 2010 में फाइनली , वो , अपनी वेबसाइट की मदद से लोगो को कार किराये पर देने लगा | ऑनलाइन Cabs मुहैया कराने के सात से आठ महीने के भीतर ही बाजारों में ये खबर फ़ैल गई की ओला कैब्स ( OlaCabs ) करके , कोई नई कंपनी बनी है , जो लोगो की रियल Life समस्या का समाधान करने में लगी हुई है |
आज भी भारत देश में , हर इंसान आसानी से कार Efford नहीं पाता और जो कर भी लेता है , उनके लिए कार पार्किंग और तेल की कीमत में बृद्धि ,रोज का संघर्ष बन चुका है |
Ola App की लॉन्चिंग
2012 के मध्य में जब , ओला कैब्स ( OlaCabs ) ने अपना मोबिल एप्स लांच किया , तो लोगो के बीच ओला कैब्स ( OlaCabs ) का नाम फैलते ही , इन्वेस्टर्स को , एक जबर्दस्त मौका दिखाई देने लगा |
Initial Invester of Ola company
Snapdeal के संस्थापक कुनाल बहल , OlaCabs के इन्वेस्टर बने , फिर Shadi.com के Founder अनुपम मित्तल ने भी Ola में निवेश किया और 2012 के अंत तक Ola को , मार्केट में बैठे , बड़े बड़े इन्वेस्टर्स से एक व्यवस्थित तरीके से फंडिंग मिलनी शुरू हो गई |
Ola Cabs India की शुरुवाती समस्यायें
ओला कैब्स ( OlaCabs ) के शुरुवाती दिनों में , भावेश को सही तरह के ड्राईवर और कारों को ढूँढने के लिए , बहुत जगह भटकना पड़ता था | कभी कभी ड्राईवर उपलब्ध न होने पर , वो खुद किसी की कार किराये पर लेकर , पिकअप करने चले जाया करते थे |एक छोटे से कमरे में शुरू किये हुए स्टार्ट अप को , आज पूरे भारत देश में , और विदेशो में भी अब , एक्सीक्यूट करा देना ,अपने आप में ही बहुत चुनौती भरा काम है |
भावेश ने ,अभी तक , इतना सफल होने के बावजूद , खुद के लिए कोई पर्सनल कार भी नहीं रखी हुई है |
वो खुद रोज , एक ग्राहक के रूप में , दिन में चार से पांच बार ओला कैब्स ( OlaCabs ) को यूज़ करते हैं और अपनी राइड का फीडबैक आगे भेज देते हैं |
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