अपनी जिंदगी में डर के ऊपर विजय कैसे प्राप्त करें? How To Overcome Fear in Life | Hindiaup
F-E-A-R False Emotion Appearing Real -> Fear
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How To Overcome Fear in Life on Hindiaup |
आज इस article –How to overcome fear in life hindi में, हम लोग भय को समझने की कोशिश करने वाले हैं| डर (Fear),भय, पैनिक और घबराहट एक नकारात्मक भावना को, व्यक्त करने वाले शब्द हैं|
डर एक काल्पनिक भावना है, जिसे हम सच मान बैठते हैं| डर अधिकांश अवचेतन मन में काम करता है|
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How To Overcome Fear in Life on Hindiaup |
डर (Fear) का स्वाभाव है, स्वयं का विस्तार करना! हमारी भी स्ट्रेटेजी होनी चाहिए की, हम इसका सामना, इसके ही अंदाज में ही करें, बड़ी समझदारी और शांति के साथ|
आप डर की ओर एक पग बढ़ाओगे, वो अपने एक कदम पीछे की ओर खिंच लेगा|
भय को पास मत आने दो, अगर ये पास आये, तो इस पर आक्रमण कर दो, भय से भागो मत| इसका सामना करो| How to overcome fear in life hindi
How to overcome fear in life Hindi-
हमें ये विश्वास करना चाहिए की, इस दुनिया की कोई भी समस्या कितनी भी बड़ी हो, हमारे साथ मौजूद ईश्वर, के चरणों तक ही पहुँचती है|
संसार में जब हम आते हैं, तो सिर्फ दो तरह का डर लेकर आते हैं, ऊंची आवाज का डर और नीचे गिरने का डर, बाकी सभी प्रकार के डर इस संसार में सिर्फ कल्पना मात्र हैं, जिसे हम लोग, सच मान बैठते हैं|
हार जाने का डर, समय को नष्ट करने जैसा है, जो अपना समय ख़राब करते हैं, उनका जिंदगी भी कष्टमय हो जाती है|
डर ही सबसे बड़ा बाधक है-
हमारी व्यक्तिगत सफलता में, डर ही सबसे मुख्य अवरोध है जिसका निर्माण हम खुद, अपने ब्रेन में, डर की कल्पना करके, इसको जन्म देते हैं|
आज कल के लोगों के भीतर, भांति भांति प्रकार के डर, इंसानी दिमाग द्वारा जन्म ले रहे हैं, कुछ खो जाने का डर, अपमानित होने का भय और पब्लिक स्पीकिंग में, न बोल पाने का डर आदि|
डर के आते ही, सबसे पहले हमारा आत्मसम्मान, हमारे भीतर से बाहर चला जाता है, हमारे दिलो-दिमाग से|
साहस डर की अनुपस्थिति नहीं है !
याद रखें, साहस डर की अनुपस्थिति नहीं है| यह वह गुण है,जो डर के रहते मौजूद रहना चाहिए|
नीचे दी गई कहानी के माध्यम से, आज हम डर को आसान भाषा में समझ सकते हैं कि, डर पर जीत आखिर, कैसे प्राप्त कर सकते हैं हम –
ये महाभारत के काल की बात है| एक बार श्री कृष्ण और बलराम जी, रास्ते से कहीं जा रहे थे, रास्ता काफी लम्बा था| जंगल तक पहुँचते हैं तो, रात हो जाती है|
श्रीकृष्ण को ऐसा कुछ लगा की रात में चलना, सही नहीं है|
उन्होंने बड़े भाई, बलराम जी से कहा की, ” एक काम करते हैं, यहीं रूककर रात बिता लेते हैं फिर सुबह फिर चल पड़ेंगे |”
बड़े भाई बलराम ने कृष्ण से कहा ” इस घने और भयानक जंगल में रात रुकना मुझे ठीक नहीं लगता और अगर रुकना भी है तो, एक काम कर सकते हैं की हम पहरा दें|
लम्बी रात है, निद्रा भी आएगी, तो कुछ समय के लिए एक व्यक्ति सो जायेगा, तब तक दूसरा रखवाली करेगाऔर फिर थोड़े वक़्त बाद, दूसरा सो जायेगा, तो पहला व्यक्ति पहरा देगा|”
श्री कृष्ण ने कहा- ये तो बहुत अच्छी बात है|
सबसे पहले बलराम जी पहरा देते हैं| श्री कृष्ण जी सो रहे थे, अचानक एक दैत्य आता है दैत्य जोर से चिल्लाया, उस आवाज को सुनकर, बलराम जी बड़े डर (Fear) जाते हैं, और जब डरते हैं तो उनका आकार, थोड़ा छोटा हो जाता हैं|
धीरे धीरे अब वो विशाल राक्षस, बलराम की तरफ आगे बढ़ने लगा, वो ज्यों ज्यों आगे आ रहा है, त्यों त्यों और जोर से दहाड़ लगाता है, उसकी चिल्लाहट सुनकर बलराम जी और भयभीत हो जा रहे हैं|
अब बलराम जी जितना डर रहे हैं उनका आकर उतना छोटा होता जा रहा है, और उस राक्षस का आकार और बड़ा होता जा रहा है| जब तीसरी बार उस राक्षस ने चिल्लाया, बलराम जी और छोटे हो गए, और डर के मारे मूर्क्षित होकर धरती पर गिर पड़े|
अब बेहोशी की मुद्रा में जाने से पहले बलराम जी ने जोर आवाज में बोला -” हे कृष्ण “, श्री कृष्ण, बलराम जी की आवाज सुनकर जाग गए, उठकर देखा की बलराम जी मूर्क्षा को प्राप्त हुए हैं|
राक्षस भाग चूका था वहां से अब| श्रीकृष्ण को समझ नहीं आया, उन्हें लगा की शायद, बलराम जी को नींद आ रही होगी, इसलिए बस सोने से पहले मुझे आवाज दे दी और अब सो चुके हैं|
श्री कृष्ण पहरा देने लगे, थोड़ी देर बाद वो राक्षस फिर से आ गया, श्री कृष्ण को देखकर, फिर से एक बार, वह राक्षस जोर से चिल्लाया|
श्री कृष्ण बिल्कुल नहीं घबराये, बल्कि बड़े प्यार से पूंछते हैं, क्यों भाई, क्यों चिल्ला रहे हो| जब डरते नहीं है, श्रीकृष्ण, तो यहाँ पर उनका आकार थोड़ा सा बढ़ जाता है, और उस राक्षस का आकार और थोड़ा कम हो जाता है|
ये देखकर वो दैत्य बड़ा ही क्रोधित हुआ, वो और जोर से चिल्लाने लगा| भगवान ने फिर बड़े ही प्यार से बोला अरे, क्यूँ शोर मचा रहे हो, क्या दिक्कत है तुम्हे?
इस बार श्री कृष्ण पुनः एक बार कुछ और आकार में बड़े हो गए, उस राक्षस का आकार फिर कुछ कम हो गया| धीरे धीरे वो राक्षस पूरी तरह से छोटा हो गया|
श्री कृष्ण ने उसे हथेली पर उठाया और अपनी कमर पर कपड़े के साथ बाँध लिया| सुबह होती है, बलराम जी उठते है और उठते ही उन्होंने श्री कृष्ण से बोला, ” क्या तुम जानते हो? कल रात को यहाँ इस जंगल में, एक बड़ा सा राक्षस आ गया था ”
बड़े भाई की बात सुनकर कृष्ण ने उनसे कहा – बड़ा सा राक्षस, तनिक एक मिनट ठहरना !
वो अपनी कमर में, जिस कपड़े से उस राक्षस बाँध रखे थे, उसमे से उस राक्षस को बाहर निकालते हैं – ” इसी राक्षस की बात कर रहे हो !”
बलराम जी चकित होकर बोले , ” अरे, लेकिन जब इसे, मैंने देखा था तो उस समय ये अत्यंत विशाल था, अभी, ये इतना छोटा कैसे हो गया|”
श्री कृष्ण कहते है –
जब हमारा किसी आफत से सामना होता है, तो मुकाबला करने के बजाय उससे डरकर, उससे दूर भागने का प्रयास करने लगते हैं, तो वो कठिनाई, वो समस्या हमारे सामने और बड़ी सी लगने लगती है, और जब हम उसका सामना, शान्ति और प्यार, समझदारी और धैर्य के साथ करते हैं, तो वो समस्या हमारे आगे बहुत ही छोटी बन जाती है|
उसी प्रकार जैसे बलराम जी उस महाकाय दैत्य को देखकर डर गए , तो वो राक्षस बड़ा हो गया और जब श्री कृष्ण जी उसे देखते हैं , तो बड़ी ही शांति से और समझदारी से प्यार के साथ उसका सामना करते हैं , तो वो राक्षस छोटा हो जाता है |
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है की जब भी हमारी लाइफ में किसी भी तरह की समस्याएं आती हैं, आफत आती हैं, कोई संकट आते हैं, अगर हम उनका सामना, शांति और बड़ी ही समझदारी से करते हैं तो वो दिक्कत या संकट हमारे सामने बहुत छोटी हो जाती हैं और हम उसे नियंत्रित कर सकते हैं|
परन्तु जब हम उस समस्या या संकट का सामना करने के बजाय उससे दूर भागने की कोशिश करने लगते हैं तब वो समस्या हमारे सामने और विशालकाय रूप धारण कर लेती है और फिर हमें अपने वश में कर लेती है|
यदि आपकी हार्दिक इच्छा है की आपकी समस्याएं, आपके ऊपर आये संकट के बादल, आप पर आई हुई आफत, आप पर,अपना नियंत्रण न कर सकें तो आप उनका सामना करें ! शांति से ! समझदारी से !
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