Why India Celebrate Republic Day? History of 26 January
इस आर्टिकल में आज हम आपको बतायेंगे, 26 जनवरी को भारत में, गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?Why india Celebrate Republic Day History of 26 January
इस आर्टिकल में आज हम आपको बतायेंगे, 26 जनवरी को भारत में, गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?Why india Celebrate Republic Day History of 26 January
26 जनवरी को ही भारत में संविधान लागू किया गया था| हैप्पी रिपब्लिक डे सभी को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं|
निर्भय सपूतों की कहानी हैं ये
माँ के बेटों के बलिदान की निशानी हैं ये
यूँ भिड झगड़कर कर इसे बर्बाद ना करना
देश हैं जान से प्यारा
इसको धर्म के नाम पर बाँटने की कोशिश न करना!! हैप्पी रिपब्लिक डे Happy Republic Day
क्या कुछ विशेष महत्वपूर्ण था ये दिन या वो महज एक साधारण दिन था, आईये इतिहास के पन्नो में झाकने की कोशिश करते हैं About India’s Republic Day
India Republic Day History
अंग्रेजो ने साल 1919 में, montague chelmsford Reforms नाम का एक, सुधार बनाया था|
इसी सुधार के रिव्यु के लिए, साइमन कमीशन की नियुक्ति, साल 1927 में की गई थी पर साइमन कमीशन में, कोई भी भारतीय नहीं था और इसी वजह से, सम्पूर्ण देश में, साइमन कमीशन का कड़ा विरोध हुआ|
तो बौखलाकर अंग्रेजो के भारत के सचिव, बरकन हेड ने, भारतवासियों को, स्वयं का संविधान बनाने के लिए चैलेंज कर डाला| इस चैलेंज को भारतवासियों ने, स्वीकार भी कर लिया|
अब संविधान के निर्माण की बारी थी और इसके लिए, उस समय भारत में कार्यरत सभी राजनितिक पार्टियों ने एक साथ मिलकर, एक समिति का गठन किया| और इस समिति में, मुस्लिम लीग से भी एक सदस्य शामिल किया गया और इस समीति का अध्यक्ष, मोती लाल नेहरु को बना दिया गया|
14-15 अगस्त वाली रात को क्या हुआ था ?
इस समिति के सदस्यों में तेज़ बहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरु और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे विद्वान लोग शामिल थे|
इस समिति ने एक रिपोर्ट तैयार किया, जिसे इतिहास में प्रसिद्द नेहरु रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है| अंग्रेजो की सरकार ने, इस रिपोर्ट को ठुकरा दिया और तो और मुस्लिम लीग के, मोहम्मद अली जिन्ना ने भी, अंग्रेजों के बहकावे में आकर, इस रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया|
नेताजी सुभाषचंद्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरु जैसे नेता, कड़े राष्ट्रवाद के समर्थक थे| वे पूर्ण स्वराज्य की मांग, पर अड़े थे दूसरी तरफ सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता डोमिनियन स्टेटस की मांग कर रहे थे|राष्ट्र सभा,अब दो गुटों में विभाजित हो चुकी थी|
महात्मा गाँधी ने की मध्यस्थता
महात्मा गाँधी जी ने इस संकट के दौर में, मध्यस्थता की और फिर ये निश्चित हुआ की सरकार को एक साल का समय दिया जाये|
देखते ही देखते एक साल कब बीत गया, पता ही नहीं चला और फिर भी अंग्रेजो की सरकार ने, नेहरु रिपोर्ट की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और न ही ब्रिटिश सरकार ने इस पर, कोई चर्चा ही की|अगर ब्रिटिश सरकार एक साल के भीतर, नेहरु रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करती तो राष्ट्र सभा अपने मन से, पूर्ण स्वराज्य की मान करेगी|
सरकार के इस रवैये ने, मध्यस्थता करने वाले गुटों को क्रोधित कर दिया और वो भी अब बिना किसी हिचकिचाहट के, पूर्ण स्वराज्य की मांग के पक्ष में आ चुके थे|
साल 1929, राष्ट्रसभा के अधिवेशन का आयोजन, उसी लाहौर शहर में किया गया जहाँ साईमन कमीशन का विरोध करने वाले, लाला लाजपत राय को, अंग्रेजों ने बहुत बुरी तरह से पीटकर मारा था|
जवाहर लाल नेहरु को बिना किसी विरोध के अध्यक्ष बनाया गया| दूसरे समूहों को संतुष्ट करने के लिए सरदार पटेल और चक्रवर्ती राजगोपालचारी को, कार्यकारिणी में लिया गया|
इसी कार्यकारिणी की सहमति के बाद, लाहौर के मैदान में पंडित नेहरु ने, लाला लाजपत रॉय को श्रधांजली दी और फिर घोषित किया – पूर्ण स्वराज्य
About India’s Republic Day
26 जनवरी साल 1930, पूरे देश में एक त्यौहार की तरह मनाया गया| साल 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो भारत के इन नेताओं के पास, स्वतंत्रता दिवस का चुनाव करने का कोई मौका नहीं था|
अंग्रेजों ने देश को अराजकता एवं दंगो में झोंककर भाग चुके थे पर जब संविधान का निर्माण, 26 नवम्बर साल 1949 को पूरा हुआ|
तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और गृहमंत्री सरदार पटेल ने, ज़िम्मेदारी से भारत की कमान थाम लिया और उन्होंने 26 जनवरी 1930 की गरिमा को जानते हुए, हमारा संविधान साल 1950 26 जनवरी से, देश में लागू कर दिया|
और भारतीय झंडे को लहराकर, 26 जनवरी को, गणतंत्र दिवस के रूप घोषित कर दिया|
वैसे तो इसे प्रजातंत्र का दिन या रिपब्लिक डे के नाम से जानते हैं पर जनता के हाथ में शक्ति असलियत में, 26 जनवरी 1950 से ही आई क्योंकि साल 1947 से लेकर 1950 तक भारत की सत्ता, ब्रिटिश संसद से नियंत्रित होती थी|