Swami Vivekananda Hindi Quotes Motivational Thoughts Lines
हजारों ठोकरें मिलने के पश्चात् ही एक खूबसूरत चरित्र निर्मित होता है|
हजारों ठोकरें मिलने के पश्चात् ही एक खूबसूरत चरित्र निर्मित होता है|
अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करो| अपने सम्पूर्ण शरीर को उस लक्ष्य प्राप्ति में लगा दो और अन्य विचारों को अपने जीवन से निकाल दो| सफलता की ये ही कुंजी है |
अगर आपके जीवन के मार्ग में कोई कठिनाईयां नहीं हैं तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं की आप गलत मार्ग पर चल रहें हैं|
जीवन में रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है खुद को बनाना पड़ता है| सभी को अपने बनाये गए रास्ते के अनुरूप ही मंजिल मिलती है |
इस ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां हमारी है| वो हम ही हैं जो अपनी अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं की कितना अन्धकार है |
एक नायक बनो और हमेशा बोलो – मुझे कोई डर नहीं है |
सत्य को कई तरीकों से बताया जा सकता है फिर हर एक सत्य ही होगा |
जीते बस वही हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं |
हम भले ही पुराने सड़े घाव को स्वर्ण से ढंककर रखने की चेष्टा करें| एक दिन ऐसा आएगा जब वह स्वर्ण वस्त्र खिसक जायेगा और वह घाव अत्यधिक वीभत्स रूप में आँखों के सामने प्रकट हो जायेगा |
संभव की सीमा जानने का सिर्फ एक ही रास्ता है असंभव से आगे निकल जाना |
जीवन में अधिक रिश्ते नाते होना आवश्यक नहीं पर जो रिश्ते हैं उनमे जीवन होना अत्यंत आवश्यक है |
जितना वृहद् संघर्ष होगा, जीत उतनी ही वृहद् होगी |
24 घंटे में एक बार स्वयं से वार्तालाप अवश्य करें अन्यथा आप एक शानदार व्यक्तित्व से मिलने का अवसर खो देंगे |
असमानता, आकांक्षा तथा अज्ञानता ये तीनों बंधन की मूर्तियाँ हैं |
जितना कोई भीड़ एक शताब्दी में करती है उनसे ज्यादा कुछ ईमानदार, सच्चे और उर्जावान पुरुष तथा महिलाएं एक वर्ष में कर सकते हैं |
संसार वाले मजाक बनाये या तिरस्कार करें| इनसभी बातों की परवाह किये बिना मानव को अपने कर्तव्य में तल्लीन रहना चाहिए |
जिस प्रकार विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न जल धाराएं अपना सम्पूर्ण जल समुद्र में मिला देती हैं| उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना गया मार्ग वो चाहे अच्छा हो या बुरा, भगवान तक ही जाता है |
उठ जाओं मेरे बच्चों और इस भ्रान्ति को मिटा दो की तुम निर्बल हो| तुम एक अजर अमर आत्मा हो ! एक स्वतंत्र जीव हो धन्य हो सनातन हो ! तुम तत्व नहीं हो न ही तुम शरीर हो| तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्त्व के सेवक नहीं हो !
किसी की निंदा बिलकुल न करें | अगर आप सहायता का हाथ बढ़ा सकते हैं तो जरूर बढ़ाएं| अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपना हाथ जोड़िये| अपने भाईयों को आशीर्वाद दीजिये और उनको उनके मार्ग पर जाने दीजिये |
आत्मा के लिए कुछ असंभव है| ऐसा सोचना ही सबसे बड़ा विधर्म है| यदि कुछ पाप है तो वो यही है ; ये कहना की तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं |
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे तो इसका कुछ मूल्य है| अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितनी जल्दी छुटकारा मिल जाए उतना बेहतर है |
हम अपने विचारों की प्रतिमूर्ति हैं| इसलिए इस बात का बेहद ख्याल रखिये की आप क्या सोचते हैं? शब्द जोर से बोलते हैं, विचार हमेशा से हैं, वे दूर तक सफ़र करते हैं |
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय