Zerodha Startup Story in Hindi Founder Nithin Kamath Success
आज हम लेकर आयें हैं Zerodha startup Story in Hindi एक विस्तृत केस स्टडी Fintech Company ज़ेरोधा के ऊपर
एक सामान्य परिवार का लड़का, एक समय जिसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे थे| 17 की उम्र से ही कॉल सेण्टर में महीने के आठ हज़ार के लिए, नौकरी करने लगा था|
हम आपको बतायेंगे की कैसे वो भारतीय लड़का बिना किसी टेक्निकल ज्ञान, बिना कोई फंडिंग या फाइनेंसियल सपोर्ट के बिना, सिर्फ 9 साल के भीतर देश की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकिंग फ़र्म कैसे बना दिया ?
और हम इस बात का भी विश्लेषण करेंगे की
आखिर ज़ेरोधा इतना ज्यादा क्योँ सफल हुआ ?
क्या वो इन्नोवेशन कर रहें हैं?क्या है उनका बिज़नेस मॉडल प्लस आगे के उनके प्लान्स क्या हैं ?
तो सब कुछ आपको ज़ेरोधा के बारे में और ज़ेरोधा के Inspirational aur motivational Founder के बारे में पता चलेगा |
आर्टिकल को आखिरी तक पढ़ियेगा इसमें आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा जो Zerodha Startup Founder Nithin Kamath ने अपने बिज़नेस को ग्रो करने में लगाया|
इन सिद्धांतो का इस्तेमाल आप अभी अपने Startup की ग्रोथ के लिए कर सकते हैं|
क्योंकि हममे से बहुत लोग बोलते हैं की यार हममे टेक्निकल नॉलेज नहीं है! हमारे पास फंडिंग नहीं है! हम कैसे अपना Startup शुरू करें ?
तो इस Zerodha Startup nithin kamath story in Hindi से आपको पता चल जायेगा की कैसे अपने रिसोर्सेज को सही से प्रयोग करना है ?
1 – Powerful Insights Analysis
Develop Insights- पहला सबसे बड़ा कारण Zerodha Startup को इतना अधिक सक्सेसफुल बनाने हैं की इसके फाउंडर ने अपने टारगेट मार्केट को काफी अच्छे से समझा था| बहुत ही गहरी रिसर्च की थी उन्होंने, ऐसे इनसाइट्स खोजे थे जो दुर्लभ थे|
वास्तव में नितिन कामथ के अन्दर पैशन था| ऐसा नहीं था की एक दिन बैठे और देखे की सारे दोस्त Startup कर रहें हैं, सब मिलियन और बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटा रहें हैं|
तो कॉफ़ी शॉप में बैठे, सोचा की अमेरिका में ये आईडिया चल रहा है, यूरोप में ये आईडिया चल रहा है, क्यूँ न india में इसी का एक version ले आते हैं| जल्दी से Startup को फंडिंग से ग्रो कर लेंगे| पांच साल में बेच देंगे और बिलियेनर बन जायेंगे| चिल करेंगे, ऐसा कुछ नहीं था |
बहुत उसके पीछे मेहनत लगी है| 9 साल में सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म तो बन गई पर उससे पहले 13 साल की और मेहनत लगी |
उसके बारे में थोड़ा बात करते हैं – Zerodha Founder Nithin Kamath startup Success story in Hindi
नितिन कामथ की सफलता की कहानी
देश की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी zerodha के फाउंडनर नितिन का जन्म 5 अक्टूबर साल 1979 को हुआ था| ये कर्नाटक के शिवमोग्गा में पैदा हुए | इनके पिता जी नाम यू . आर . कामथ और माँ का नाम रेवती है | इनका भाई निखिल कामथ जो की ज़ेरोधा के को फाउंडर भी हैं| साल 2008 में इनका विवाह सीमा पाटिल के साथ हुआ| नितिन और सीमा को एक बेटा भी है|
Zerodha Startup founder के पेरेंट्स के बात करें तो उनका पापा एक बैंकर थे और माँ एक टीचर थीं| तो इस तरह से बिलकुल एक मिडिल क्लास फैमिली से वास्ता था उनका|
जब उन्होंने कॉलेज ज्वाइन किया तो उनके कुछ मारवाड़ी मित्रों ने बोला की तुम ट्रेडिंग करो, ट्रेडिंग से बड़ी आसानी से पैसे कमा सकते हैं|
हर कॉलेज जाने वाले बच्चे को पॉकेट मनी कम पड़ जाती है तो वो तरीके हमेशा ढूंढ ही रहा होता है की पैसे कैसे कमाया जाए ?
और उसके बाद से ही उन्होंने ट्रेडिंग करना शुरू किया साल 1997 से| धीरे धीरे ट्रेडिंग का ज्ञान अर्जित करते गए अपनी स्किल्स में बढ़ोत्तरी करते गए और पैसे भी कमाने लगे|
पर जब साल 2001 में मार्केट क्रैश हुआ| जितना भी उन्होंने कमाया था, सब कुछ बर्बाद हो गया| एक तरह से वो अब बैंकरैप्ट हो चुके थे|
Zerodha startup story in Hindi
नितिन कामथ ने हार नहीं मानी
पर इसका मतलब ये नहीं की वो हार मान गए क्योंकि पैशन एक ऐसी चीज होती है| आपको पैसे मिले न मिले आप लगातार उसपर काम करते रहते हो | अपनी मेहनत करते रहते हो जब तक आप सफल होते नहीं हो!
सब कुछ बर्बाद होने के बाद Zerodha Startup के founder ने बोला की फिर से पढेंगे फिर से सीखेंगे| फिर से कमबैक करेंगे पर यार अब हम पैसे कहाँ से लाये ट्रेड करने के लिए तो इसीलिए उन्होंने कॉल सेंटर ज्वाइन किया साल 2001 में|
कॉल सेंटर में नौकरी किया
दिन के समय वो ट्रेडिंग करने लगे और रात को कॉल सेंटर में जॉब करने लगे| 8000 रुपये उनकी महीने की सैलरी थी| और इन्ही पैसों से वो ट्रेडिंग करते थे| ऐसे ही ट्रेडिंग और जॉब साथ साथ करते हुए उन्होंने तक़रीबन 2005 तक किया| अब तक अच्छी खासी रकम की बचत उन्होंने कर ली थी और ट्रेडिंग में उनका काम अच्छा चलने लगा था|
फिर हुआ क्या, एक दिन जिम में इनकी मुलाकात एक इंसान से हुई जिससे ट्रेडिंग के बारे बातचीत हुई और फिर नितिन कामथ ने उसको अपना ट्रेडिंग अकाउंट दिखाया|
और Zerodha Startup founder का ट्रेडिंग अकाउंट देखकर वो बंदा हैरान हो गया| उसने बोला की एक काम करो मेरा भी अकाउंट संभाल लो, अपना तो संभाल ही रहे हो| मैं भी कुछ पैसे कमा लूँगा और उसके भी तुम एक्स्ट्रा पैसे ले लेना|
अब Zerodha Startup founder को लगा की ये बहुत सही है| अपने पैशन को भी फॉलो करने का मौका मिलेगा और सीखने का मौका मिलेगा|
और फिर उन्होंने जॉब छोड़ दी और उस बन्दे का भी अकाउंट मैनेज करने लगे| जब एक क्लाइंट हो गया तो ये धीरे धीरे बढ़कर 10 क्लाइंट हो गए|
एक अकाउंट को आसानी से मैनेज किया जा सकता है| अकाउंट में लॉग इन किया और जो स्टॉक आपने अपने लिए ख़रीदे, उनके लिए भी ख़रीदा| दस क्लाइंट मैनेज करना अलग ही सर दर्दी है|
तो इसलिए उन्होंने सोचा की यार ये बहुत मुश्किल काम है और साल 2006 में ओ Reliance Money के सब ब्रोकर बन गए|
अब ये सब ब्रोकर होता क्या है ?
बेसिकली ये एक फ्रैंचाइज़ी टाइप का सिस्टम है जिसमे कई अकाउंट एक ही प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े होते हैं| साल 2006 से 2009 तक उन्होंने Reliance Money में काम किया| उन्होंने लगभग 12 ब्रोकरेज कंपनियों में काम किया|
और साल 2008 में काफी पैसे खुद के लिए भी कमाए| जब मार्केट डाउन फाल हुआ| इस बार उनको पता था की जब मार्केट क्रैश होता है तो कैसे प्रेडिक्ट करते हैं कैसे पैसे कमाते हैं ? तो ठीक ठाक पैसे भी कमायें!
ढेर सारी ब्रोकरेज कंपनियों में काम करने के बाद उनको लगा की ब्रोकरेज कंपनियों की स्टैण्डर्ड अभी उतनी अच्छी नहीं हुई है| इसमें बहुत पोटेंशियल है, बहुत सुधार किये जा सकते हैं अभी|
क्योंकि इन्टरनेट तब धीरे धीरे आने लग गया था| और ये सारी ब्रोकरेज कंपनियां पुराने ज़माने के ट्रेडिशनल पैटर्न को फॉलो करती आ रहीं थीं| बहुत लम्बी प्रक्रिया होती थी, बड़ी मेहनत लगती थी| और एक नार्मल इंसान को उस सिस्टम को फॉलो करके ट्रेडिंग करना काफी मुश्किल लगता था|
नितिन कामथ एक ब्लॉग भी चलाते थे ट्रेडिंग से सम्बंधित
तो उन्हें अब मौका दिखाई देने लगा था| इसके साथ ही उन्होंने उस समय ट्रेडिंग से सम्बंधित एक ब्लॉग भी शुरू किया था| उनके ब्लॉग पर काफी अच्छा ट्रैफिक भी आता था| वहाँ से भी उन्होंने फीड बैक लिया और हर जगह से यही फीड बैक मिला की एक अच्छी ब्रोकरेज फ़र्म बननी चाहिए|
और फिर Zerodha founder ने बोला की अब टाइम आ गया है, अपना कुछ करने का ट्रेडिंग इंडस्ट्री को बदलने का|
ये जो सब कुछ आपने जाना, इसमें आपको समझ आ गया होगा की तेरह साल के मेहनत में उन्होंने इतनी मार्केट रिसर्च की| इस इंडस्ट्री के बारे में सब कुछ जाना की क्या कैसे होता है ?
ग्राहकों को किन समस्याओं का सामना झेलना पड़ता है? और भी ढेरों मुश्किलों से अनुभव लिया|
क्योंकि इनका फाउंडेशन इतना मजबूत था इसीलिए वो इतनी जल्दी से ग्रो कर पाए| लोगों को लगता हैं की ये ओवर नाईट success स्टोरी है| इतनी बड़ी सफलता के लिए, 13 साल का एक भयंकर संघर्ष भी तो है| उस पर भी तो गौर करिए|
Zerodha startup story in Hindi
2 – Vision + Focus
दूसरा मुख्य कारण Zerodha Startup को इतना सफल बनाने का ये है – Zerodha Startup founder का विज़न तो बहुत बड़ा था पर शुरुआत में उन्होंने एक या दो चैलेंज पर ही फोकस किया|
सभी फाउंडर्स के साथ एक बड़ी जो समस्या होती है की वो सभी समस्याओं को एक साथ solve करने की कोशिश करते हैं| उनको लगता है यार कोई न कोई कस्टमर मिल ही जायेगा|
ये सामान भी बेच लेंगे, वो सामान भी बेच लेंगे| विज्ञापन भी चला लेंगे| एडवाइजरी भी खोल देंगे, सर्विस बिज़नेस भी खोल देंगे| हर तरह से पैसे कमा लेंगे| और अंत में होता क्या है यूज़ कोई नहीं करता| खुद ही यूज़ करते रह जाते हो, कम्पनी डूब जाती है|
Zerodha का मतलब क्या होता है ?
चलिए अब आपको हम Zerodha का मतलब बताते हैं – Zerodha दो शब्दों से मिलकर बना है – Zero+Rodha
Zero मतलब जीरो और Rodha मतलब – No Barriers
वास्तव में वो सारे बैरियर हटाना चाहते थे निवेश करने के लिए|
Zerodha startup story in Hindi
Zerodha के फाउंडर का विज़न क्या था ?
पहले और अब भी, अगर आप देखोगे की इंडियन इकॉनमी में इंडियन काफी कम इन्वेस्ट करते हैं| आप कोई भी बड़ी इंडियन कंपनी देखोगे उसमे काफी ज्यादा विदेश की कैपिटल निवेश हुई होती हैं| कंपनी इंडियन पर ओनर बाहर के देशों से होते हैं|
ये इसलिए नहीं की इंडियन्स के पास पैसे नहीं है| सामान्य तौर पर इंडियन्स रियल स्टेट या गोल्ड में निवेश करना पसंद करते हैं| इसकी सबसे बड़ी वजह जो है वो है की हमारा सबसे ज्यादा जो पापुलेशन है वो युवा है| 40 साल से कम वालों को ट्रेडिंग करने में कोई रूचि नहीं होती थी| उनको ट्रेडिंग करना काफी मुश्किल काम लगता था|
वो ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म को अच्छी तरह से समझ नहीं पाते थे इसलिए वो ट्रेडिंग करना ही नहीं चाहते थे| जबकि पैसे उनके पास काफी ज्यादा थे पर बैरियर इतने ज्यादा थे, कोम्प्लेक्सिटी इतनी अधिक थी की कोई निवेश करना ही नहीं चाहता था|
तो zerodha के फाउंडर का विज़न था की भारतीय भी भारतीय कंपनियों में निवेश करें ताकि हमारी अर्थ व्यवस्था का विकास हो और हम दुनिया में सुपर पॉवर बन सके| उनका ये विज़न बहुत बड़ा है अभी भी वो अपने विज़न पर काम कर रहें हैं|
पर अपनी शुरुवात में उन्होंने सिर्फ दो जगहों पर फोकस किया| उनका लक्ष्य था की वो पहले Low Cost और Transparency पर काम करेंगे|
नितिन कामथ का Low Cost और Transparency पर शुरुआती फोकस
उस समय होता क्या था की जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते थे कोई ट्रेडिंग से सम्बंधित काम करते थे उसमे एक फीस लगती थी| ये फीस 0.2% से 1% तक हुआ करती थी| अगर आप बहुत शेयर खरीद रहें हैं तो थोड़ा कम परसेंटेज होगा नहीं तो ज्यादा परसेंटेज होगा|
अगर आप एक करोड़ का शेयर खरीद रहे हो तो 1 % भी बहुत बड़ा अमाउंट फीस में चला जाता था|
शुरुवात में ही उन्होंने Future & Option इंडस्ट्रीज में भी फोकस किया जिसमे ये परसेंटेज काफी ज्यादा महत्व रखता था|
यहाँ पर उन्हें लगा की अगर वो इन्टरनेट बेस्ड ब्रोकरेज फ़र्म बनायेंगे तो उसमे उन्हें परसेंटेज में फीस लेने की जरुरत नहीं है| चाहे कोई एक ट्रेड करे या अधिक ट्रेड करे| Cost उनको उतना ही पड़ना है और अगर cost उनको उतना ही पड़ना है क्यों वो ज्यादा फीस लें जो ज्यादा इन्वेस्ट कर रहा है|
उनसे तो हमें कम पैसे लेना चाहिए क्योंकि जो ज्यादा पैसे इन्वेस्ट कर रहा है वो ज्यादा इन्वेस्ट भी तो कर रहा है, पैसे आपके सिस्टम में ला रहा है|
और इस वजह से ज़ेरोधा फाउंडर ने बोला की हम एक साधारण रुल रखेंगे| हम एक फ्लैट फीस रखेंगे| चाहे कोई एक ट्रेड करे या दस हज़ार ट्रेड करे, हमें मतलब नहीं है| हम तो 20 रुपये लेंगे या 0.1% लेंगे! जो भी कम होगा|
ये बहुत क्रांतिकारी कदम हुआ| india में उस समय ये चीज किसी ने सुनी भी नहीं थी जबकि अमेरिका में आ चुकी थी|
ये तो हो गया बहुत बड़ा इनोवेशन|
Zerodha startup story in Hindi
ब्रोकरेज कैलकुलेटर
दूसरा जो इनोवेशन उन्होंने किया वो ये की उन्होंने एक सिंपल सा ब्रोकरेज कैलकुलेटर बना दिया एक्सेल सीट में | इसमें क्या होता है की आप ट्रेड करने से पहले ही शुरुवात में बता देंगे आपका टोटल कॉस्ट क्या होगा ?
ये नहीं की बाद में ये वाला चार्ज लग गया वो वाला चार्ज लग गया | और बाद में आप देख रहे हो की भाई इतना तो प्रॉफिट नहीं हुआ जितना उन्होंने चार्ज लगा दिया |
शुरुआत से ही उन्होंने अपने प्लेटफ़ॉर्म को पूरा ट्रांसपेरेंट रखा| आपको पता चल जायेगा की इतना इन्वेस्ट करोगे और अगर इतना return आयेगा तो कॉस्ट इतना आएगा |
और ये तब कोई भी नहीं करता था जबकि उन्होंने इसे सिंपल एक्सेल सीट की सहायता से कर दिया |
ये दोनों चीजें बहुत ही क्रांतिकारी साबित हुईं उस समय पर| और इसी पर फोकस करके उन्होंने निश्चय किया की अब हम अपना प्रोडक्ट बनायेंगे |
Zerodha startup story in Hindi
Zerodha की शुरुवात कैसे हुई ?
कैसे उन्होंने कंपनी की शुरुवात की ? कैसे उन्होंने बिना पैसे बिना कोई इन्वेस्टमेंट के सिर्फ जुगाड़ से अपनी कम्पनी की शुरुवात करी ?
सभी बोलते हैं हमें इन्वेस्टमेंट चाहिए, हमें टेक्नोलॉजी नहीं आती| ये सारी चीजें आएँगी तभी हम startup खोल पाएंगे|
दोस्तों अगर आपके पास सब कुछ आ ही जायेगा तो आपको मेहनत करने की जरुरत ही क्या है ?
संघर्ष ही क्या है? सब कुछ तो आपको मिल ही गया है|
हमेशा तो परिस्थितियाँ परफेक्ट होती नहीं है| आपको कभी न कभी तो शुरू करना ही पड़ेगा| और मुश्किलें तो सदैव रहेंगी| एक एक करके आपको इन्हें दूर करना है|
अभी तो zerodha अपनी टेक्नोलॉजी के लिए जाना जाता है, एक टेक कम्पनी है जेरोधा| पर क्या आपको पता है की zerodha की जब शुरुवात हुई थी तो उनका टेक्नोलॉजी में इन्वेस्टमेंट सिर्फ 16000 रुपये का था| और एक्सटर्नल निवेश तो बिलकुल भी नहीं था|
जब zerodha के फाउंडर ने अपना पूरा प्लान बना लिया| क्या चीज पर फोकस होगा? क्या टारगेट मार्केट होगी?
Zerodha फाउंडर को निवेश कहीं से नहीं मिला
वो गए कई स्थानों पर फंडिंग उठाने पर उन्हें कहीं से भी फंडिंग नहीं मिली | न उनके कोई बहुत अच्छे कांटेक्ट भी थे | उस समय मार्केट भी काफी गिरा हुआ था| ब्रोकरेज कंपनियों को माना जाता है की बहुत कैपिटल इंटेंसिव इंडस्ट्री है और पैसे कमा नहीं सकते तो किसी ने उनके फण्ड नहीं दिया|
ज़ेरोधा के फाउंडर ने बोला कोई दिक्कत नहीं है जो अपनी पर्सनल बचत है उसी का इस्तेमाल करके मैं अपना startup खोलूँगा|
साल 2009 तक उन्होंने ट्रेडिंग से ठीक ठाक पैसे कमा लिए थे| उनकी बचत में लगभग 1.7 करोड़ रुपये थे|
और उस समय एक हैरान करने वाली घटना घटी| नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने मुफ्त में अपना टेक्नोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म ऑफर करने लगा| जो भी ब्रोकर आयेगा उनके प्लेटफ़ॉर्म पर इसके लिए 1.5% करोड़ रुपये का रिफंडेबल डिपाजिट करना पड़ता था|
zerodha founder को ये मौका काफी पसंद आया की फ्री में टेक्नोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म मिल जायेगा | और लोग बोलते हैं की वो लकी हैं तो भाई उन्होंने तेरह साल उस क्षेत्र में काम करके काफी अनुभव भी तो लिया था| वो लगातार मेहनत कर रहे थे और मेहनत करते करते ही तो वो लकी हुए | अचानक थोड़ी न लकी हुए |
तो उन्होंने वो रिफंडेबल डिपाजिट 1.5 करोड़ रुपये अपनी बचत में से दे दिए | और जो बीस लाख बचे उसमे से दस लाख से computer, डेस्कटॉप जैसे सामान ख़रीदे और बाकी दस लाख ऑफिस इंटीरियर बनवाने में लग गए |
और ज़ेरोधा को शुरू किया मात्र 5 कर्मचारियों के साथ | ये तो हो गई टेक्नोलॉजी की कहानी |
सिर्फ फ्री टेक्नोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म से आप एक ब्रोकरेज फ़र्म नहीं बना सकते एक बैक ऑफिस सॉफ्टवेयर भी चाहिए होता है |
बैक ऑफिस सॉफ्टवेयर उनको कैसे मिला ?
उस समय वो चेन्नई बेस्ड कंपनी के लिए एक बैक ऑफिस सॉफ्टवेयर की बीटा टेस्टिंग कर रहे थे| तो कंपनी ने बोला की अगर तुमने बीटा टेस्टिंग सही से कर ली तो तुम्हारे लिए ये सॉफ्टवेयर हम पहले साल के लिए फ्री कर देंगे | तो उन्होंने बीटा टेस्टिंग सही से की और ये सॉफ्टवेयर उनको फ्री में मिल गया | ऐसे उनका सॉफ्टवेयर वाला फंदा भी क्लियर हो गया |
इस तरह उन्होंने सिर्फ 16000 रुपये इन्वेस्ट किये वो भी अपनी वेबसाइट बनाने में| इतने कम रुपये में उन्होंने अपना Zerodha Startup साल 2010 अगस्त में खोला और पहले साल से ही उन्हें मुनाफा होने लगा|
जितना पैसा वो कमाते थे वापस से उसे अपनी कम्पनी में लगाते थे| धीरे धीरे वो ग्रो करने करने लगे | और आज आपको पता है की उनके द्वारा बनाई गई कम्पनी india की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फ़र्म बन चुकी है| जून 2020 में ज़ेरोधा यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई| ज़ेरोधा पर हर महीने लगभग 2 लाख नए अकाउंट खुल रहें हैं|
मित्रो ये बहाने करना बंद करो की मेरे पास ये नहीं है वो नहीं है| जब तक बहाने करोगे, काम शुरू हो नहीं पायेगा| हमेशा कोई न कोई समस्या सामने रहेगी|
अगला पॉइंट की क्या इनोवेशन लेकर आये ज़ेरोधा के फाउंडर जिसकी वजह से ज़ेरोधा इतना ज्यादा पोपुलर हुआ और निरंतर इतनी तेज़ी से ग्रो कर रहें हैं ?
उनका शुरुवाती फोकस हमने आपको बता ही दिया की वो low cost और ट्रांसपेरेंसी पर था| वो बहुत बड़ी बात थी|
ज़ेरोधा का साधारण इंटरफेस
उसके बाद अगर आप उनका प्लेटफ़ॉर्म देखोगे, KITE प्लेटफ़ॉर्म देखेंगे| उसमे आप देखेंगे की बहुत ही क्लीन इंटरफ़ेस है| बिलकुल आसानी से आप उसमे देखकर समझ सकते हैं की क्या हो रहा है|
सामान्यतः उस समय जो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर होते थे, बहुत ज्यादा काम्प्लेक्स होते थे| कई सारे नंबर कई सारे ग्राफ्स ऊपर नीचे लाल हरा चल रहा होता था| एक साधारण इंसान उसको देखेगा न तो उसका दिमाग हिल जायेगा|
क्योंकि zerodha का फोकस था लोगों पर जिन्होंने पहले कभी इन्वेस्ट नहीं किया था| यूथ पर फोकस था तो ये बहुत महत्वपूर्ण था की एक सिंपल प्लेटफ़ॉर्म बनायें ताकि एक सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके|
और उन्होंने बिलकुल अपनी सोच के मुताबिक सिंपल प्लेटफ़ॉर्म जब बनाया वो यूज़र्स को धीरे धीरे आकर्षित करने लगा| ये सारी चीजें साल 2014-2015 के करीब हो पाया| जब उन्होंने अपनी टेक्निकल टीम बनाई और टेक्नोलॉजी पर बहुत अधिक फोकस किया|
और सिर्फ यही नहीं आप देखेंगे की जब उन्होंने zerodha प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया तब उनके पास फंडिंग तो थी नहीं| आप सोच रहे होंगे की फिर कैसे उन्होंने मार्केटिंग की कैसे उनके पास पहले क्लाइंट आये|
नितिन कामथ ने ज़ेरोधा की शुरुवाती मार्केटिंग कैसे की ?
जैसा की आपको पहले बताया की zerodha के फाउंडर एक ब्लॉग चलाते थे| उनका ब्लॉग ट्रेडिंग कम्युनिटी में काफी ज्यादा पोपुलर था| अपने उसी ब्लॉग पर वो zerodha को प्रमोट करने लगे| आपको बताते चलें की पहले हज़ार क्लाइंट्स वहीँ से आये|
शुरू किया जुकेशन इनिशिएटिव
और वो वहीँ पर रुके नहीं| आज अगर आप देखेंगे की उनका जो एजुकेशन इनिशिएटिव है Varsity, Z-Connect, TradingQ&A investopedia इन्वेस्टमेंट मार्केट में दुनिया भर में दूसरा सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग बन गया|
ये सब इसलिए हुआ की वो फ्री में लगातार एजुकेशन प्रोवाइड कराते आ रहें हैं| आप सभी जानते हैं यूथ आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होता| उनको ट्रेडिंग से रिलेटेड बेसिक जानकारी ही नहीं है|
लोग ही जानकार न होंगे तो आप कितना भी अच्छा सॉफ्टवेयर बना लो वो इस्तेमाल थोड़ी न करेंगे| इसलिए उन्होंने अपना एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म Varsity शुरू किया जिसमे लोग ट्रेडिंग का पूरा बेसिक्स कॉन्सेप्ट्स कैसे ट्रेड करते हैं? सब कुछ सीखते हैं| उसके बाद आप आओ zerodha के प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेडिंग करो फ्री में|
ये उनका एजुकेशन इनिशिएटिव हुआ |
इक्विटी इन्वेस्टिंग को पूरा फ्री कर दिया
इसके बाद भी वो सिर्फ यहीं पर नहीं रुके| उन्होंने साल 2015 के दिसंबर में तो हलचल ही मचा दी थी| जब इक्विटी इन्वेस्टिंग पूरा मुफ्त करा दिया| अब अगर आप कोई भी स्टॉक एक दिन से ज्यादा रखोगे, आपको वो बिलकुल भी चार्ज नहीं करने वाले| और इससे लिटरली वो वायरल हो गए|
उनके कस्टमर अब बहुत तेज़ी से बढ़ने लगे थे| और इसके बाद नोट बंदी हुई देश में| इसकी वजह से लोगों के डॉक्यूमेंट तेज़ी से अपलोड होने लगे| लोग के.वाई. सी. करवाने लगे थे| और इस कारण उनको बहुत आसान हो गया यूज़र्स को ऑन बोर्ड करवाने में|
पहले जिस काम को करवाने में उनको दो तीन सप्ताह लग जाते थे| 25-25 पेज पर sign करके पोस्ट करना पड़ता था ज़ेरोधा को अकाउंट खोलने के लिए| अब वो कुछ ही दिनों में अकाउंट खुलने लगा था|
अगर हम आपको तथ्यों के आधार पर उदाहरण दें तो जब उन्होंने जीरो ब्रोकरेज फीस कर दी इक्विटी इन्वेस्टिंग पर तो इससे पहले इनके पास 70000 क्लाइंट थे| और इस नियम को लगाने के ठीक एक साल बाद वो क्लाइंट्स अब बढ़कर 1.2 मिलियन हो चुके थे| इससे आपको पता लग गया होगा की ज़ेरोधा में ग्रोथ कितनी तेज़ी से हो रही है?
एक बात और नोटबंदी से पहले उनके पास सत्तर हज़ार क्लाइंट थे और डीमोनेटाईजेशन के ठीक एक महीने बाद ज़ेरोधा में सत्तर हज़ार और क्लाइंट ऐड हो चुके थे|
ज़ेरोधा coin की शुरुवात
इसके बाद उन्होंने डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड प्लेटफ़ॉर्म zerodha coin शुरू किया और ये भी उस समय में बहुत रिवोल्यूशनरी साबित हुआ| क्या होता था उस समय जब भी आप म्यूच्यूअल फण्ड खरीदते थे, distributer के थ्रू खरीदते थे जोकि आमतौर पर .5% से 2% तक अपना कमीशन लेता था|
अगर आप लाखों रुपये इन्वेस्ट कर रहें है तो 2% कमीशन एक बहुत बड़ा अमाउंट हो जाता था| ऐसे हालातों में zerodha founder ने सोचा क्योंकि हम तो ऑनलाइन म्यूच्यूअल फण्ड बेच रहें हैं| हमको तो यार ये फीस रखने की जरुरत ही नहीं है और सीधा ही ये फीस हटा दिया| और अब लोग सीधे ही बिलकुल मुफ्त में म्यूच्यूअल फण्ड उनके प्लेटफ़ॉर्म Coin से खरीदने लगे|
अगर आप मुख्य तौर पर देखेंगे तो zerodha एक low cost एयरलाइन की तरह है| ये वही चीजें मुहैया करा रहें हैं जो के एक निवेशक के लिए जरूरी है| इधर उधर की चीजें यहाँ से बिलकुल नहीं चलती जैसे एडवाइजरी हो गया रिलेशनशिप मैनेजमेंट हो गया| ये सारी चीजें दोस्तों वो प्रोवाइड नहीं करते क्योंकि दोस्तों इससे cost बढ़ती है |
जैसे फुल सर्विस एयरलाइन और low cost एयरलाइन में अंतर है| पॉइंट A से पॉइंट B सिर्फ एयरप्लेन में आपको लेकर जायेगा| खाना बढ़िया सीट ये सारी चीजें प्रोवाइड नहीं करेगा|
ठीक यही चीज ज़ेरोधा ने करी|
इनक्यूबेटर फण्ड Rainmatter की शुरुवात
खुद तो वो काफी ज्यादा इनोवेट करी रहें हैं| और आगे उन्होंने अपना इनक्यूबेटर फण्ड Rainmatter भी शुरू किया जिसके तहत वो fintech startup में 1 मिलियन डॉलर यानी की सात करोड़ तक का फण्ड देते हैं| उनको ऑफिस स्पेस देते हैं मेंटर शिप देते हैं प्लस zerodha का डाटाबेस भी आप प्रयोग कर सकते हो| ज़ेरोधा से बड़ा फाइनेंसियल डाटाबेस किसी कंपनी के पास नहीं है|
rainmatter के तहत उन्होंने कई startup में इन्वेस्ट किया हुआ है| कुछ पोपुलर startup जैसे Cred हो गया, smallcase आदि|
इससे क्या हो रहा और नए नए यूज़र्स, zerodha के प्लेटफ़ॉर्म पर आ रहें हैं| इस तरीके से इनका पूरा इकोसिस्टम और ग्रो हो रहा है| इन सारी चीजों की वजह से zerodha अब india का सबसे बड़ा ब्रोकरेज फर्म बन चुका है|
इसके करीब 22 लाख से भी ज्यादा एक्टिव यूज़र्स हैं| और ज़ेरोधा पर प्रतिदिन 3 मिलियन से ज्यादा ट्रेड हो रहें हैं |
zerodha का बिज़नेस मॉडल क्या है ?
जैसा की हमने आपको पहले बताया की जब आप इक्विटी ट्रेडिंग करते हो और इक्विटी को एक दिन से ज्यादा रखते हो तो उसमे वो एक पैसे भी चार्ज नहीं लेते हैं|
वो पैसे कमाते हैं जब वो फीस लेते हैं जब आप future, आप्शन या intraday ट्रेडिंग करते हैं| उसपे भी सिर्फ 20 रुपये / Per transaction
लेते हैं| वो इतने बड़े लेवल पर काम कर रहें हैं| इतने ज्यादा कस्टमर हैं उनके प्लेटफ़ॉर्म पर, तो वो इस तरह से काफी ज्यादा पैसे कमा लेते हैं|
साल 2018 में zerodha का revenue 4.5 बिलियन रुपये था जिसमे उनका प्रॉफिट 2.0 बिलियन रुपये था|
Problems
इसका मतलब ये नहीं की zerodha में सब कुछ बढ़िया चलता है हमेशा| आपने देखा होगा की जब टेक्निकल ग्लिच आया था जिसमे उनका KITE प्लेटफ़ॉर्म 25 मिनट के लिए बंद हो गया था | इससे कस्टमर्स का लाखों का नुकसान हो गया था | कस्टमर्स का कहना है की ये पहले भी दो तीन बार हुआ है| कुछ मिनटों के लिए भी अगर प्लेटफ़ॉर्म बंद हो जाए तो भारी नुकसान होता है | ये बहुत बड़ी समस्या है |
कम्पटीशन
अब कम्पटीशन काफी ज्यादा बढ़ चुका है| Sharekhan, Upstoxये सारे प्लेटफ़ॉर्म भी आ चुके हैं| ये भी low cost , ट्रांसपेरेंसी इस सब पर फोकस करते हैं| और तो और ये बहुत तेज़ी से फंडिंग भी उठा रहें हैं जिसकी वजह से ये बड़ी तेज़ी से ग्रो कर रहें हैं |
नितिन कामथ को कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री की तरफ साल 2014 में उभरते उद्यमी के पुरस्कार से सुशोभित किया गया था |
बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज और Dun & Bradstrret की तरफ से ज़ेरोधा को 2014 में साल की उभरती ब्रोकरेज फर्म के सम्मान से नवाजा गया|
अगले साल यानि 2015 में एक बार फिर ज़ेरोधा BSE और Dun & Bradstrret की तरफ से साल की उभरती ब्रोकरेज फर्म का पुरस्कार प्रदान किया गया |
साल 2016 में इकोनॉमिक्स टाइम्स ने वार्षिक बिज़नेस के आधार नितिन कामथ को 10 भारतीय व्यवसायियों में शुमार किया जो अपने क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रभावशाली रहे |
2016 में ही उन्हें फ़ोर्ब्स इंडिया के 30 अंडर 30 फाइनेंस में उन्हें जगह मिली |
साल 2016 में इकोनॉमिक्स टाइम्स ने ज़ेरोधा को startup ऑफ़ द इयर से सम्मानित किया |
2020 में आई.आई.एफ.एल. Wealth Hurun india 40 में ज़ेरोधा सबसे ऊपर रही|
नितिन कामत जिन्होंने सिर्फ 9 साल के भीतर ही india की सबसे बड़ी ब्रोकरेज कम्पनी बना दी | साल 2001 में वो आठ हज़ार रुपये महिना कमाते थे और आज उनकी नेट्वोर्थ 6600 करोड़ से भी ज्यादा है | 20-21 साल के भीतर अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते उन्होंने ये कारनामा कर दिखाया |
Zerodha की कहानी Zerodha startup story in Hindi अगर आपको प्रेरक लगी हो तो शेयर जरूर करिए ताकि आगे भी कहानी का लक्ष्य पूरा हो सके|