Akshaya Tritiya Vrat Katha Pooja Importance in Hindi
अक्षय तृतीया को आका तीज भी कहा जाता है| Akshaya Tritiya Vrat Kathaये शुभ दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को आता है| प्राचीन ग्रंथो के अनुसार, इस दिन किये जाने सभी शुभ कामों का व्यक्ति को अक्षय फल प्राप्त होता है| यही मुख्य वजह है की इस दिन को अक्षय तृतीया के नाम से जानाजाता है|
वास्तव में साल के हर महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया का दिन एक शुभ दिन होता है पर Akshaya Tritiya शुभ मुहूर्तों में स्वयं सिद्ध है|
पुराणों में इस बात का विशेष उल्लेख है की ये दिन पुण्यदायक है| अक्षय तृतीया तिथि पर किये जाने वाले दान पुण्य बहुत ही लाभदायक होते हैं| इस दिन के सम्बन्ध में ऐसी मान्यता है की जो कोई भी पुण्य काम व्यक्ति इस दिन करता है उसके फल अक्षय होते हैं| इस दिन किये जाने वाले कामों का लाभ कई जन्मों तक प्राप्त होता रहता है|
ये भी मान्यता है की इस तिथि पर बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है| इस दिन सोने के आभूषण, जमीन, वाहन, शादी या गृह प्रवेश आदि काम बेहिचक किये जा सकते हैं| नए कपड़े धारण करने, नए संस्थान का उद्घाटन करने के लिए भी ये उत्तम दिन है|
क्यों मनाई जाती अक्षय तीज या अक्षय तृतीया ? Akshaya Tritiya Vrat Katha
– इस दिन के बारे कई कथाएँ प्रचलित हैं| इन्ही कथाओं में से एक कथा एक प्राचीन समय के एक वैश्य के बारे में हैं| इस कथा के अनुसार बहुत समय पहले धर्मदास नामक एक वैश्य था| वो एक सदाचरण वाला व्यक्ति था| देवताओं और ब्राह्मणों के लिए उसके मन में बहुत श्रद्धा हुआ करती थी|
इस दिन के व्रत की महत्ता को जानने के बाद, उसने इस दिन के आ जाने पर गंगा नदी में स्नान किया| और पूरे विधि विधान से देवी देवताओं की पूजा की| व्रत वाले दिन ही सोना, कपड़े और खाने की चीजों का दान भी किया| बूढ़ा और कई बिमारियों से परेशान होने के बाद भी उसने व्रत किया| उसने पूरे धर्म कर्म से इस दिन दान पुण्य भी कर डाला|
आगे चलकर अपने दूसरे जन्म में यही वैश्य कुशावती राज्य का राजा बन गया| मान्यता है की उसका राजा बनना, पिछले जन्म में Akshaya Tritiya तिथि पर उसके द्वारा किये गए व्रत, पूजा और दान पुण्य का ही फल था|
वो इतना प्रतापी राजा बन चुका था की अक्षय तृतीया के दिन त्रिदेव भी उसके पास पहुँच गए थे| इसी दिन त्रिदेव ब्राह्मण का रूप बनाकर इस राजा के महायज्ञ में शामिल होने आये थे| अपनी प्रभुभक्ति और निष्ठा का उसे कभी अहंकार नहीं हुआ|
इतना वैभवशाली शासक होने के बाद भी ये राजा कभी भी धर्म के रास्ते से विचलित नहीं हुआ| ये भी मान्यता है की यही राजा आगे चलकर राजा चंद्रगुप्त के रूप में भी जन्म लिया था|
अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम का जन्म
भविष्य पुराण और स्कन्द पुराण में लिखा है की वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था| जी हाँ इसी शुभ दिन को भगवान् विष्णु के अवतार परशुराम रेणुका के गर्भ से पैदा हुए थे|
ऐसा माना जाता है की कर्म से क्षत्रिय और जन्म से ब्राह्मण भृगु वंश में परशुराम जी का जन्म हुआ था| एक कथा में वर्णित परशुराम की माँ और ऋषि विश्वामित्र की माँ को पूजा के बाद, प्रसाद देते समय ऋषि ने दोनों के प्रसाद को बदल दिया था| और उसी प्रसाद के प्रभाव की वजह से परशुराम जी ब्राह्मण जन्म के बाद भी क्षत्रिय आचरण में पारंगत हो गए थे| और क्षत्रिय होने के बाद भी विश्वामित्र जी ब्रह्म ऋषि के नाम से प्रसिद्ध हैं|
दक्षिण भारत बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है परशुराम जन्म दिवस
साऊथ इंडिया में प्रभु श्री परशुराम के जन्म दिन को विशेष महत्व लोग देते हैं| चिपलून और कोंकण में स्थित भगवान परशुराम के मंदिरों में इस दिन को बहुत ही धूम से मनाने के परम्परा चलती आ रही है| इस दिन परशुराम जन्मोत्सव की वजह से भगवान परशुराम की लीलाओं की कथा भी सुनाये जाने का प्रचलन है|
पुराणों में ये भी अंकित है की सीता के स्वयंवर के समय प्रभु परशुराम श्री राम को अपना धनुष बाण समर्पित कर दिया| और सन्यासी का जीवन व्यतीत करने के लिए चले गए थे| उनके हाथ में हमेशा एक फरसा रहता था और इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया|
akshay tritiya pooja vrat ke niyam
इस तिथि को श्री परशुराम की पूजा करने के बाद उन्हें अर्ध्य देने का भी विशेष महत्व माना जाता है| कुंवारी कन्याएं और सौभाग्यवती महिलाओं इस दिन गौरी पूजन करके भीगे चने, फल और मिठाईयां दान करती हैं|
Akshaya Tritiya के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु की शांत चित्त से पूजा करने का विधान है| इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष प्रावधान है| गेंहू का आटा, चने की दाल, जौ और ककड़ी का अर्पण नैवेद्य में किया जाता है| इसके बाद पुष्प, कपड़े, फल और बर्तन आदि का दान ब्राह्मणों को दिया जाता है|
इस दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाना बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है| अक्षय तृतीया को सत्तू जरूर खाना चाहिए | इस दिन नए कपड़े और आभूषण जरूर धारण करना चाहिए| अगर हो सके तो गाय, सोना या जमीन दान अवश्य करना चाहिए|
लक्ष्मी नारायण को इस दिन पूजा सफ़ेद गुलाब, सफ़ेद कमल या फिर पीले गुलाब जरूर अर्पित करने चाहिए| वैसे तो हर महीने की तृतीया तिथि को सफ़ेद फूल से पूजा करना उत्तम माना गया है| मान्यता ये भी है की Akshaya Tritiya के दिन अपने अच्छे व्यवहार से बड़ों का आशीर्वाद लेना अक्षय बन जाता है|
इस दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करना विशेष फलदायी सिद्ध है| इस तिथि को किया गया व्यवहार और अच्छे कर्म अक्षय बने रहते हैं|
Akshaya Tritiya Spiritual Significance
ये दिन बसंत ऋतु की समाप्ति और गर्मियों की शुरुवात का दिन भी माना जाता है| इस तिथि को गर्मी में फायदेमंद अनेक वस्तुओं का दान करना पुण्यदायी माना गया है| जिसमे सत्तू, नमक, चीनी, पानी से भरा घड़ा इमली छाता, पंखा, खरबूजा, साग और खडाऊं आदि हैं| इस दिन व्यक्ति जिस भी चीज का दान करेगा ऐसी मान्यता है की वो सारी चीजें स्वर्ग या फिर अगले जन्म में मिलेंगी|
भविष्य पुराण में बताया गया इस तिथि को सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ हुआ है|
श्री हरी विष्णु के कई अवतार जैसे परशुराम, हयग्रीव और नर नारायण का जन्म भी इसी दिन हुआ था| ब्रह्मा जी के बेटे अक्षय कुमार भी इसी दिन अवतरित हुए थे| इस तिथि को ही बद्रीनाथ जी की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा करी जाती है| और श्री लक्ष्मी नारायण भगवान के दर्शन भी इसी तिथि को प्राप्त होते हैं| इस दिन प्रसिद्द मंदिर बद्रीनाथ जी के दरवाजे भी फिर से खोल दिए जाते हैं|
वृन्दावन के श्री बाँके बिहारी जी के मंदिर में भी सिर्फ इसी तिथि को विग्रह के चरणों के दर्शन प्राप्त होते हैं| वरना पूरे साल तो वो कपड़ो में ही छुपे रहते हैं| महाभारत की लड़ाई की समाप्ति भी इसी तिथि को हुई थी और द्वापर युग का अंत भी इसी तिथि को हुआ था|
इस दिन शुरू किया गया काम और किया गया दान सदैव अक्षय रहता है| अक्षय तृतीया के दिन शुभ काम करने का बहुत महत्व है| इस दिन कम से कम एक निर्धन को अपने घर बुलाकर उसे खाना जरूर खिलाना चाहिए| गृहस्थ लोगों के लिए ये काम करना अत्यंत जरूरी बताया गया है|
ऐसी मान्यता है की ये करने से उनके घर में नित बढ़ोत्तरी होती रहती है| अक्षय तृतीया तिथि पर हमें धार्मिक कामों के लिए अपने द्वारा कमाए गए धन का कुछ हिस्सा दान जरूर करना चाहिए| ऐसा करने से धन संपदा में असीमित बढ़ोत्तरी होती है|
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