दोस्तों जब बात पानी की बोतल खरीदने की हो तो अधिकतर हमारी जुबान पर जो नाम आता है वो है बिसलेरी | इस बिसलेरी की कहानी बहुत ही विचित्र है | भारत की पहली वाटर बोतल बेचने वाली कम्पनी जिसकी शुरुवात हुई थी पीने का पानी बेचने के लिए लेकिन इस ब्रांड को लोग पहचानने लगे बिसलेरी सोडे के लिए |
पानी बेचने के इरादे से शुरू हुई इस कम्पनी को शुरुवाती दौर में पानी बेचने में इतनी सफलता मिली ही नहीं | और फिर इस कम्पनी को पार्ले कम्पनी ने खरीद लिया बिसलेरी सोडे की पोपुलार्टी की वजह से|
पार्ले कम्पनी सफलता से आज बेच रही है बिसलेरी वाटर |
आखिर बिसलेरी का ये ब्रांड कैसे बन गया भारत के बेस्ट ड्रिंकिंग वाटर ब्रांड | चलिए जानते हैं
बिसलेरी ब्रांड की शुरुवात वास्तव में एक इटालियन बिज़नेस मैन Signor Felice Bisleri द्वारा करी गई थी| ये एक आविष्कारक और केमिस्ट भी थे | बिसलेरी उस समय मलेरिया की दवा बनाने की कम्पनी थी| भारत में भी मलेरिया की दवा बेचने के लिए इस कम्पनी का भारत में भी एक छोटा स्टोर था |
बिसलेरी की कथा की शुरुवात होती है मुंबई से | मुंबई के ठाणे शहर से शुरू हुआ वाटर प्लांट भले ही स्वदेशी हो लेकिन बिसलेरी नाम और कम्पनी पूरी तरह से विदेशी थी | और तो और ये कम्पनी पानी बेचती ही नहीं थी, ये कम्पनी मलेरिया की दवा बेचा करती थी | इसी मलेरिया बेचने वाली कम्पनी के संस्थापक थे फेलिस बिसलेरी |
डाक्टर रोजिज जो Signor Felice Bisleri के अच्छे दोस्त और इनके पारिवारिक डाक्टर भी थे| इनके दोस्त रोजिज डाक्टर भले ही थे पर उनका दिमाग एक बिज़नेसमैन की तरह ही सोचा करता था| डाक्टर साहब के दिमाग में तरह तरह के बिज़नेस करने के लिए विचित्र विचार आया करते थे |
17 सितम्बर साल 1921 को फेलिस बिसलेरी की मृत्यु के बाद बिसलेरी कम्पनी के नए मालिक बन गए डाक्टर रोजिज |
भारत में पारसी परिवार से तालुकात रखने वाले खुसरूसन्तुक के पिता डाक्टर रोजिज के काफी अच्छे दोस्त भी थे| वो एक वकील होने के साथ साथ बिसलेरी कम्पनी के कानूनी सलाहकार भी हुआ करते थे| खुशरू संतूक अपने पिता की तरह बनने की चाहत में गवर्मेंट लॉ कॉलेज से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त कर ली थी |
हिंदुस्तान को आजादी मिले अभी कुछ ही वर्ष बीते थे इसलिए देश में नए नए व्यापार को लेकर डिमांड बढ़ रही थी| इसी बीच डाक्टर रोजिज के दिमाग में नया विचार आया| उन्होंने सोचा की भारत में आने वाले दिनों में पैक्ड पीने का पानी का व्यापार काफी कामयाब हो सकता है |
हालाँकि लोगों को बिलकुल पागलपन वाला काम लग रहा था| इन सबके के बावजूद डाक्टर रोजिज इस बिज़नेस में वो देख रहे थे जो शायद कोई और देख सकने के काबिल नहीं था |
डाक्टर रोजिज हिंदुस्तान में बिज़नेस को लेकर कुछ बड़ा करने की चाहत रखते थे | उन्हें लगता था की उनका बिसलेरी पैक्ड वाटर वाला कांसेप्ट भारत में अच्छा काम कर सकता है |
डाक्टर रोजिज ने खुसरू सन्तु को अपने सील बंद पीने के पानी वाले प्रोजेक्ट के लिए जैसे तैसे करके तैयार कर लिया | और इस तरह खुसरू सन्तुक ने बिसलेरी कम्पनी के साथ साल 1965 में बिसलेरी वाटर का पहला प्लांट मुंबई के ठाणे शहर में शुरू कर दिया|
शुरुवाती दौर में लोगों को ये आईडिया पागलपन ही लगा| सभी सोचते थे की भला 1 रुपये में पानी का बोटल कौन खरीदकर पिएगा ? साल 1965 में एक रुपये भी कम नहीं होता था | उस समय इस आईडिया पर काम करने की वजह से , खुसरू सन्तुक को लोगों ने पागल समझना शुरू कर दिया था|
आम लोगों की नजर से देखा जाए तो उस समय हिंदुस्तान में पानी बेचने का काम किसी पागलपन से कम नहीं था| हाल ही स्वतंत्र हुए इस राष्ट्र की अधिकतर जनता दो वक़्त के खाने के बंदोबस्त में ही लगी थी | ऐसे में उन दिनों पानी को एक रुपये में खरीदकर भला कोई क्यूँ पिएगा ?
आज बिसलेरी की बोतल 20 रुपये में बड़ी आसानी से बिक् रही है| लेकिन उस वक़्त इसी बोटल की एक रुपये कीमत भी काफी अधिक थी | इसी वजह से लोग खुसरू संतुक को पागल घोषित कर चुके थे| लेकिन डाक्टर रोजिज की सोच बहुत आगे तक की थी|
उस समय मुंबई शहर में पीने के पानी की गुणवत्ता जायदा खराब होने के कारण बिसलेरी कम्पनी के डाक्टर रोजिज को लगता था ये काम खूब चलेगा| इस दूषित पानी को गरीब और आम इंसान जैसे तैसे करके हज़म कर लेता था| लेकिन अमीरों को इस पानी को पीने में काफी मुश्किल हो रही थी|
और इसी समय अमीरों के लिए बिसलेरी का स्वच्छ पानी मिलना किसी अमृत से तनिक भी कम नहीं था| यही मुख्य कारण था की बिसलेरी कम्पनी के मुखिया बिसलेरी ड्रिंकिंग वाटर बिज़नेस की कामयाबी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे| लेकिन काम तो अभी बाकी था, इस पानी को अमीरों तक कैसे पहुँचाया जायेगा ? ये बात अब तक निश्चित नहीं हुई थी|
शुरू में बिसलेरी के दो प्रोडक्ट बाज़ार में लांच लिए गए| पहला बिसलेरी वाटर और दूसरा बिसलेरी सोडा| सबसे पहले बिसलेरी बड़े बड़े होटलों और रेस्टोरेंट तक ही सीमित था लेकिन बाद में ये लोकल बाज़ारों तक भी पहुँच गया|
लेकिन बिसलेरी ब्रांड पानी से ज्यादा सोडे के लिए जाना जाने लगा | और अपनी पानी बेचने में बिसलेरी को उतनी कामयाबी हाथ नहीं लगी | कुछ व्यक्तिगत वजहों से खुसरू सन्तु इस कम्पनी को अब आगे चलाना नहीं चाहते थे|
और उसी दौरान दूसरी ओर लिम्का, thumsup और गोल्ड स्पॉट जैसे सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड के साथ बाज़ार में पहले से ही अपना एक खास स्थान रखने वाली पार्ले बाज़ार में अपने नाम से ही सोडा बेचने की तैयारी में लगी हुई थी|
पार्ले कम्पनी के चौहान brothers की खुसरू सन्तु से जान पहचान भी थी और उन्हें पता चला की खुसरू सन्तु बिसलेरी कम्पनी को बेचने का इरादा बना लिए हैं| चौहान भाईयों ने सोचा की पार्ले ब्रांड से सोडा बेचने के बजाय बिसलेरी कम्पनी को खरीदकर बाज़ार में सोडा, बिसलेरी ब्रांड से ही बेचने का फैसला किया|
और सिर्फ चार साल बाद साल 1969 में बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को पार्ले कम्पनी ने मात्र चार लाख रुपये में खरीद लिया| यक़ीनन ये रकम उस समय भी बड़ी थी लेकिन पार्ले कम्पनी के लिए ये रकम बड़ी नहीं थी | इस सौदे के लिए पार्ले को ज्यादा सोचना नहीं पड़ा था |
इसके बाद बिसलेरी कम्पनी अपने 5 स्टोर्स समेत पार्ले की हो गई | ये 1970 का दशक चल रहा था जब रमेश चौहान ने बिसलेरी पैक्ड पानी के दो ब्रांड Bubbly और Stil समेत बिसलेरी सोडे को बाज़ार में उतार दिया |
खुसरू सन्तु को मजबूरी में लिए गए अपने इस निर्णय पर हमेशा अफ़सोस ही रहा |लेकिन पार्ले ने जब बिसलेरी ब्रांड को बिसलेरी सोडा बेचने के लिए ख़रीदा तब पानी का कांसेप्ट जिसके लिए बिसलेरी कम्पनी की शुरुवात हुई थी, कहीं ठन्डे बस्ते में रह गया था |
और फिर पार्ले कम्पनी ने थोड़ी सी रिसर्च की और देखा की रेलवे स्टेशन और सार्वजानिक स्थानों पर साफ़ पीने का पानी उपलब्ध न होने के कारण बहुत से लोग प्लेन सोडा खरीदकर पिया करते थे |
और अब पार्ले को लगा की अगर इन लोगों की स्वच्छ पानी पीने की जरुरत को पूरा करने के लिए अगर बिसलेरी वाटर को प्रमोट किया जाये तो यकीनन पानी की भी अच्छी मार्केट बन सकती है |
लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी इसको हर जगह उपलब्ध करवाने की जिसके लिए जरुरत थी बड़े स्केल पर उत्पादन और डिस्ट्रीब्यूशन की |
यदि कोई इंसान साफ़ पानी पीना चाहे तो उसके बिसलेरी वाटर उसके आस पास उपलब्ध हो और ये काम पूरा किया पार्ले ने |
समय के साथ साथ ब्रांड प्रमोशन और पैकिंग आदि में नए नए सुधारों के साथ ये बिसलेरी ब्रांड मजबूत होता चला गया | इतना कुछ करने के बाद बिसलेरी पानी के बाज़ार में बेहतरीन रफ़्तार पकड़ने लगी|
बिसलेरी को सबसे अधिक लाभ हुआ साल 1985 में प्लास्टिक मटेरियल पैकेजिंग के आने से, जिसने बिसलेरी को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया | ये प्लास्टिक मटेरियल मजबूत, हल्का और दोबारा प्रयोग किया जा सकने वाला ऐसा मटेरियल था जिसको कोई भी आकार दिया जा सकता था |
यहीं से बिसलेरी कम्पनी का सबसे बड़ा चैलेंज यानि पैकेजिंग वाली समस्या का भी समाधान हो गया | और यहीं से इसकी कीमतों में भी गिरावट आ गई |
यही कारण है आज बाज़ार में राष्ट्रीय, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पचासों ब्रांड होने के बावजूद बिसलेरी की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत हो गई है |
शुरू में ग्लास बोटल में आने वाली ये पानी की बोतल आज प्लास्टिक के बोटल में आने लगी है | आज पूरे देश में बिसलेरी 5000 ट्रकों से अपने 3500 डिस्ट्रीब्यूटर और साढ़े तीन लाख रिटेल स्टोर तक पहुँच चुकी है| अपने 135 से ज्यादा प्लांट के बलबूते बिसलेरी प्रतिदिन 2 करोड़ लीटर से भी ज्यादा पानी बिक्री करने वाली कम्पनी बन चुकी है |
ये अनुमान है की बिसलेरी की मार्केट वैल्यू साल 2023 तक 60 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी | इस वक़्त बिसलेरी कम्पनी का revenue 2000 करोड़ से अधिक है | और साल 2022 में ये आंकड़ा पांच हज़ार करोड़ तक पहुँचा देने का लक्ष्य बना रखा है |
बिसलेरी ने ही भारत के लोगों को पानी खरीदकर पीने की आदत लगवाई | आज बिसलेरी ने सील्ड वाटर बोटल इंडस्ट्री में अपना दबदबा बना रखा है |
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