Kahani Safalta ki Captain Cool Mahendra Singh Dhoni Bio
M S Dhoni Biography Success Story in Hindi, Family, House, Retirement
भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की यहाँ क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर को भगवान का दर्जा दिया जाता है और अगर बात की जाए, इस खेल के कप्तान की तो आप, खुद ही सोच लीजिये की उसके ऊपर, पूरे देश का कितना दबाव होता होगा|
आज हम यहाँ पर जिस शख्स के बारे में बताने जा रहें हैं, उनके निर्णयों की तो, दाज देनी होगी जिन्होंने इतने दबाव के बावजूद भी, अपनी कप्तानी में भारत को, एक दिवसीय अन्तराष्ट्रीय विश्व कप और टी-20 विश्वकप के जीत के साथ ही साथ, बहुत सी ऐसी जीतें दिलाई हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक सपना सा लगने लगा था|कैप्टेन कूल, एम एस धोनी की सफलता की कहानी
जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहें हैं, हमारे कैप्टेन कूल महेंद्र सिंह धोनी की, जिनके नेतृत्व में, भारतीय क्रिकेट टीम, तीनो फोर्मैट्स में, नंबर एक का ताज हासिल कर चुकी है|
कैप्टेन कूल ने क्रिकेट इतिहास में, ऐसे ऐसे रिकार्ड्स बना डाले हैं की, हर भारतीय खिलाड़ी और क्रिकेट को पसंद करने वाला, उन पर गर्व करता है और रहेगा|
यहाँ तक की क्रिकेट के भगवान् कहे जाने वाले, सचिन तेंदुलकर का कहना है की, धोनी, दुनिया के, सबसे बेहतरीन कप्तान हैं| मुझे ख़ुशी है की वो, मेरे खेलते हुए, मेरे कप्तान रह चुकें हैं|
तो आगे बढ़ते दोस्तों, भारतीय क्रिकेट टीम की, नई किस्मत लिखने वाले, कैप्टेन कूल Real Success Story in Hindi
Mahendra Singh Dhoni Father- उनके पिता का नाम पान सिंह और माता का नाम, देवकी है| mahendra singh dhoni caste, राजपूत है|
वैसे तो महेंद्र सिंह धोनी का होम टाउन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में, लावली नाम के एक गाँव में है| लेकिन उनके पिता, पान सिंह की जॉब, MACON कम्पनी में, जूनियर मैनेजमेंट ग्रुप में लग गयी, जिसकी वजह से उन्हें, पूरे परिवार के साथ, रांची में स्थानांतरित होना पड़ा|
Mahendra Singh Dhoni Sister- M S Dhoni के एक बहन हैं जिनका नाम जयंती है और एक भाई भी है जिसका नाम नरेन्द्र है|
धोनी ने अपनी शुरू की पढ़ाई D.A.V जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली रांची से की थी|महेंद्र सिंह धोनी आज भले ही, एक सफल क्रिकेटर के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन बचपन में, उन्हें बैडमिन्टन और फुटबाल का बहुत शौक था और उस समय तक शायद उन्होंने, क्रिकेट के बारे में ज्यादा कुछ सोचा नहीं था|
फुटबाल के बात करें तो, वो महेंद्र सिंह धोनी इस खेल में इतने अच्छे थे की उन्हें छोटी उम्र में ही, डिस्ट्रिक्ट और क्लब लेवल पर Matches खेलना शुरू कर दिया था|
वो अपनी फुटबाल टीम में, टीम के गोल कीपर के तौर पर खेलते थे| उनका गोल कीपर के तौर पर, अच्छे परफोर्मेंस को देखते हुए, उन्हें फुटबाल टीम के कोच ने, क्रिकेट में हाथ आजमाने के लिए भेजा|
हालाँकि महेंद्र सिंह धोनी ने, उससे पहले कभी, क्रिकेट नहीं खेला था फिर भी उन्होंने, अपनी विकेट कीपिंग से सबको, बहुत प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के, रेगुलर विकेट कीपर बन गए|
क्रिकेट क्लब में, अपने बेहद अच्छे प्रदर्शन के बदौलत, उन्हें सन, 1997- 98 में, वीनू मांकड़ ट्राफी अंडर 16वीं चैम्पियन शिप के लिए चुन लिया गया, जहाँ उन्होंने बेहतरीन परफॉर्म किया|
कैप्टेन कूल धोनी अपने शुरुवाती दिनों में, बेहद ही लम्बे बाल रखे हुए थे क्योंकि उन्हें, बॉलीवुड एक्टर, जॉन अब्राहम बहुत पसंद थे और वो, उनके जैसे ही दिखना चाहते थे|
जॉन की तरह ही mahendra singh dhoni bikes और कार को, तेज़ रफ़्तार से चलाना, पसंद करते है और आज भी, जब भी कभी धोनी को फुर्सत का वक़्त मिल जाता है तो, वो अपनी पसंद की बाईक को चलाने, निकल जाते हैं|
10वें स्टैण्डर्ड की पढ़ाईतक महेंद्र सिंह धोनी ने, बहुत ही साधारण तरीके से क्रिकेट खेला, चूंकि उस वक़्त तक, उन्हें खेलने के साथ ही साथ, अपनी पढ़ाई पर भी, ध्यान देना होता था और फिर 10th के बाद, वो क्रिकेट को ज्यादा समय, देने लगे थे|
इसी बीच, उन्होंने रेलवे में, टी. टी. ई के लिए, एंट्रेंस एग्जाम दिया और वो उसमे, सेलेक्ट हो गए| उसके बाद धोनी साउथ रेलवे के, खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर, 2001 से 2003 तक, एक टीटीई के रूप में नौकरी किया|
एम. एस. के सहयोगी बतातें हैं की, वो एक नेकदिल इंसान हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी, निभाया करते थे|
महेंद्र सिंह धोनी हमेशा, अपनी शरारत भरी हरकतों के लिए, जाने जाते हैं| एक समय की घटना है, जब वो रेलवे के कॉलोनी में रह रहे थे, तभी वो अपने एक दोस्त के साथ मिलकर, खुद को सफ़ेद कम्बल में, पूरी तरह से ढँक लिया और देर रात तक, पूरी कॉलोनी में घूमते रहे|
वहां का सिक्यूरिटी गार्ड और मौजूद कुछ लोगों ने, लम्बे बाल और पूरी तरह से सफ़ेद कपड़े मेंढंके हुए, उनको देखा और फिर सभी डरकर, वहां से भाग खड़े हुए और लोगों को तो, यहाँ तक विश्वास हो गया था की, उनकी कॉलोनी में, कहीं से भूत आ गया है|
उनकी इस हरकत से वहाँ सभी लोग, बहुत भयभीत गए थे और अगले दिन यह, एक चर्चित न्यूज़ बन गई थी|
महेंद्र सिंह धोनी, रेलवे विभाग में नौकरी करने के साथ ही साथ, साल 2000 से लेकर 2003 तक रणजी ट्राफी खेलते रहे|
धीरे धीरे, क्रिकेट की तरफ, उनका पागलपन इतना अधिक बढ़ गया की, उनका मन, अपने काम से हटने लगा और फिर उन्होंने, क्रिकेट में पूरी तरह से, अपना कैरियर बनाने की सोच लिया|
अब कई लोगों के मन में, ये प्रश्न होगा की, वो राष्ट्रीय टीम के लिए कैसे चुने गए! जैसा की सभी को पता है की, भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्डBCCI की अपनी एक टीम होती है, जिसका काम छोटे शहरों से, सबसे अच्छी योग्यता को, ढूंढ निकालने का कार्य करती है और उसी टीम में से प्रकाश पोद्दार की नजर, धोनी के अद्भुत खेल पर पड़ी और उन्होंने धोनी को, राष्ट्रीय टीम में खेलने के लिए, चुन लिया|
प्रकाश पोद्दार, बंगाल टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं| M S Dhoni महेंद्र सिंह धोनी को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली जब 2003 में, उनका चयन, इंडिया A टीम में हो गया और वो त्रिकोणीय सीरीज खेलने के लिए, केन्या गए, जहाँ पाकिस्तान की टीम भी हिस्सा लेने, आई हुई थी|
इस सीरीज में, उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया, जिसमे पकिस्तान के 223 रनों का पीछा करते हुए, उस मैच में उन्होंने, अर्द्धशतक बनाया और भारतीय टीम को मैच जीतने में, मदद की|
अपने परफोर्मेंस को और मजबूत करते हुए धोनी ने, इसी टूर्नामेंट में 120 और 119 रन बनाकर दो शतक पूरे किये| यहाँ पर धोनी ने, कुल सात मैचों में, 362 रन बनाये थे|
तभी धोनी के शानदार प्रदर्शन पर, उस समय के भारतीय कप्तान, सौरव गांगुली का ध्यान गया और साथ ही साथ भारतीय A टीम के कोच, संदीप पाटिल ने विकेट कीपर और बल्लेबाज के तौर पर, भारतीय क्रिकेट में जगह के लिए, धोनी की सिफारिश की|
भारतीय टीम में, उस समय पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर का आप्शन था और ये दोनों ही टेस्ट अंडर-19 के कप्तान भी, रह चुके थे लेकिन तब तक धोनी ने अपने खेल के दम पर एक अद्भुत पहचान, भारत-A टीम में बना ली थी|
इसीलिए उन्हें सन 2004-2005 में, बांग्लादेश दौरे के लिए, OneDay टीम में चुन लिया गया|
महेंद्र सिंह धोनी के, एकदिवसीय कैरियर की शुरुवात, बेहद ही ख़राब रही और वो अपने पहले ही मैच में, दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से, जीरो रन पर आउट हो गए|
बांग्लादेश के खिलाफ, उनका परफोर्मेंस अच्छा न होने के बावजूद भी, वे पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले, एकदिवसीय मैचों के सीरीज के लिए, चुन लिए गए|
अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में, धोनी के बल्ले की गूँज, तब सुनाई दी जब उन्होंने अपने पांचवे मैच में ही, पाकिस्तान के खिलाफ, ताबड़तोड़ शतक ठोककर, भारत को जीत दिला दी|
उस मैच में धोनी ने 123 गेंदे खेलकर, शानदार 148 रन की पारी खेली थी| यह किसी भी भारतीय विकेटकीपर और बैट्समैन के तौर पर हाईएस्ट स्कोर था| उसके बाद भी उन्होंने अपना, शानदार परफोर्मेंस जारी रखा और टीम में अपनी मजबूत जगह बना ली|
सन 2007 में जब राहुल द्रविड़ ने, टेस्ट और एकदिवसीय टीम के कप्तान के पद से इस्तीफा दे दिया और सचिन तेंदुलकर को टीम का कप्तान बनने को, कहा जाने लगा, तो सचिन ने विनम्रता से मना कर दिया और धोनी को कैप्टेन बनाने के लिए कहा, जिससे बोर्ड के मेंबर्स भी सहमत हो गए और धोनी, अन्तराष्ट्रीय टीम के कैप्टेन बन गए|
उसके बाद से, धोनी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ऐसी कप्तानी की 2007 में पहला T-20 वर्ल्ड कप, भारत ने अपने नाम किया और फिर 2011 में, Oneday इंटरनेशनल वर्ल्ड कप भी अपने नाम कर लिया|
भारतीय टीम को एक अच्छे कप्तान के तौर पर, कपिल देव, अजहरुद्दीन और गांगुली के बाद, अगर कोई मिला तो वो हैं – महेंद्र सिंह धोनी|
अगर धोनी की पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो, उन्होंने 4 जुलाई 2010 को, साक्षी से शादी की और छः फ़रवरी 2015 को उनकी एक बेटी हुई, जिसका नाम जीवा रखा|
महेंद्र सिंह धोनी को साल 2008 में, ICC Oneday Player of the Year के सम्मान से सम्मानित किया गया| महेंद्र सिंह धोनी पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें यह सम्मान मिला|
इसके अलावा, कैप्टेन कूल को, राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सुशोभित किया गया है| दोस्तों उनकी कप्तानी में भारत, 28 साल बाद एकदिवसीय विश्वकप क्रिकेट में, दोबारा जीत हासिल की|
दोस्तों 30 दिसंबर 2014 को उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट का फैसला किया था| उसके बाद 4 जनवरी 2017 को, एकदिवसीय और T-20 की कप्तानी भी छोड़ दी लेकिन उन्होंने कहा की, वो टीम में, एक विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर खेलते रहेंगे|
साल 2020 के अगस्त की 15 तारीख को, इस महान खिलाड़ी ने अपने instagram हैंडल से, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से भी सन्यास की घोषणा कर दी|
महेंद्र सिंह धोनी न केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी बल्कि एक बेहतर इंसान भी हैं जो कभी भी, मैच के जीत का श्रेय, खुद को नहीं देते हैं बल्कि पूरी टीम को, इसका श्रेय देते हैं जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी, इनका सम्मान करते हैं|