Osho What is Meditation ? Meditation by Osho

Osho What is Meditation? Meditation by Rajneesh Osho

Osho what is meditation by osho Rajneesh ka pravachan how to meditate: 5 Rules to meditate by Indian Public Speaker

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Osho ka Pravachan 

Osho What is Meditation?
पहला फार्मूला आपको बताता हूँ उस शक्ति को जागृत करने का, जो सबसे समीप और सरल तरीका, मनुष्य के पास उपलब्ध है, वो स्वांस है|
 
सुबह नींद के खुलते ही, जैसे होश आता है बिस्तर पर, गहरी सांस लेना प्रारंभ कर दें, मार्ग पर चलते हों तो गहरी सांस लें, जितनी गहरी हो सके उतनी गहरी लेने का प्रयास करें, परेशान नहीं होना है, गहरी साँस लें, शांतिपूर्वक लें, आनंदित होकर लें, पर लेनी गहरी ही है| 
Osho What is Meditation, Meditation by Osho
Deep Breath meditation by osho

और हर समय ये ख्याल भी रखना होता है जितनी अधिक प्राण वायु आपके भीतर जा सके, आपकी सांस  में, आपके खून में, आपके ह्रदय में जितनी प्राणवायु जा सके और जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकाली जा सके, उतना ही वो ध्यान, जो हम करना चाहते हैं, उसमे आसानी हो जाएगी| 

जितनी ही अधिक प्राणवायु भीतर मौजूद होगी, उतनी ही आपकी शारीरिक अशुद्धि घट जाएगी और बड़े मज़े की बात- शारीरिक अशुद्धि का आधार अगर छूट जाये तो मन को अशुद्ध होने में दिक्कत होने लग जाएगी| जितनी ज्यादा ताज़ी वायु भीतर होगी, उतने आपके मन के दूषित विचार के पनपने की सम्भावना कम हो जाएगी|

तो पहला..

HyperOxigenic प्राणवायु आधिक्य 

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Osho Trics how to meditate

प्राणवायु की अधिकता के बारे में ध्यान रखें, पूरे सात दिन| इसमें विशेषकर दो तीन बातें होती हैं, उनसे घबराएं न!

आप यदि गहरी सांस लेते हैं तो आपकी नींद के घंटे कम हो जायेंगे, उसकी तनिक भी चिंता न करें|

निद्रा कम हो जाएगी, जब भी निद्रा गहरी हो जाएगी, तो जितनी गहरी साँस लेंगे, सांस की गहराई बढ़ने के साथ ही, नींद की गहराई बढ़ती है| 

इसी वजह से तो जो लोग, अधिक परिश्रम करते हैं वो लोग रात में गहरी नींद में जा पाते हैं| इसके विपरीत जो लोग मेहनत नहीं कर पाते, वो रात में गहरी नींद में नहीं सो पाते हैं| 

सांस की गहराई जितनी अधिक होगी भीतर, नींद की गहराई उतनी ही अधिक हो जाएगी परन्तु नींद की अगर गहराई बढ़ती है यानि इंटेंसिटी बढ़ेगी तो Extension कम हो जायेगा, लम्बाई कम हो जाएगी| 

उसकी चिंता आपको बिल्कुल नहीं करनी है, यदि आपकी नींद सात घंटे में पूरी होती है तो चार घंटे में पूरी हो जाएगी, पांच घंटे में पूरी हो जाएगी| 

इसकी कोई फिकर नहीं करनी है लेकिन पांच घंटे में, आप आठ घंटे की बजाय अधिक स्फूर्ति और ज्यादा आनंदित महसूस करेंगे और ज्यादा स्वस्थ सुबह उठेंगे| 

सुबह के वक़्त जब नींद खुल जाए और जल्दी नींद खुल जाए तो और जल्दी नींद खुलने लगेगी| अगर आपने गहरी सांस ली तो जल्दी नींद टूटने लगेगी तो जब नींद टूट जाए, उठ आयें| 

सुबह के उन आनंपूर्ण और मंगलमय पलों को न खोंये| उसका ध्यान के लिए उपयोग करें, पहली बात !

और दूसरी महत्वपूर्ण बात

भोजन जितना कम हो सके और जितना हल्का ले सकें| उतना ही हितकर होगा जितना कम होगा और जितना हल्का होगा| जो जितना कर सके अपनी सुविधा के तहत, वो उतना कम कर दे| जितना कम कर सकेंगे, ध्यान की गति, उतना सुगम और तेज़ हो जाएगी|

क्यों

कुछ गहरी वजहें हैं, हमारे शरीर की कुछ, सुनिश्चित आदतें होती हैं| ध्यान करना हमारे शरीर की आदतों में शुमार नहीं है, ध्यान करना, हमारे शरीर के लिए, पूरा नया काम होता है| शरीर के बंधे हुए association, शरीर की बंधी हुई आदतों को अगर कहीं से तोड़ दिया जाए तो शरीर और मन, नई आदत को पकड़ने में आसानी पायेगा| 

कई बार तो आप हैरान हो जायेंगे की- अगर आप चिंतित होते हैं और अपना सिर खुजाने लगते हैं| अगर आपका दोनों हाँथ बाँध दिया जाये तो आप सिर न खुजला पाएंगे, तो आप चिंतित न हो सकेंगे| अब आप बोल पड़ेंगे की, सिर खुजलाने से चिंता का क्या सम्बन्ध? 

निश्चित आदत हो गयी है, हमारे शरीर की| वो अपनी सम्पूर्ण आदत को, अपने सिस्टम को, पकड़कर पूरा कर लेता है| शरीर की जो सबसे गहरी आदत है, वो भोजन है, सबसे गहरी, क्योंकि उसके बिना तो जीवन नहीं हो सकता है| Deep Most, The Deepest यानि सबसे गहरी , ध्यान रहे सेक्स भी अधिक  गहरी| 

हमारी जिंदगी में जितनी भी गहराईयाँ है, उन सबमे सबसे ज्यादा गहरी आदत, भोजन करने की आदत है, जो पैदा होने के पहले दिन से, शुरू होती है और मरने के आखिरी दिन तक चलती है| 

जिंदगी का अस्तित्व उसी पर खड़ा है, शरीर उस पर खड़ा है और इसलिए यदि आपको अपने शरीर और मन की आदतों को बदलना है तो उसकी गहरी आदत को, एकदम शिथिल कर दें| 

उसके शिथिल होने के पश्चात, शरीर का जो अब तक का बंदोबस्त था, उथल पुथल हो जायेगा और उसकी अस्त व्यस्त हालत में आप, नई दिशा में प्रवेश, करने में आसानी पाएंगे अन्यथा आप आसानी नहीं पाएंगे| 

तो जितना कम बन सके| अगर किसी को उपवास करना है, उपवास कर सकता है| किसी को एक बार भोजन लेना है, एक बार ले सकता है| आपकी मर्जी पर आधारित है, कोई नियम बनाने की आवश्यकता नहीं है| अपनी इच्छा से मौन होकर, जितना कम से कम, न्यूनतम, मिनिमम का ख्याल रखें|दूसरी बात – स्वल्पाहार 

तीसरी बात – एकाग्रता  

दिन के पूरे 24 घंटे में आप, गहरी सांस् लेंगे ही और इसके साथ ही अपनी साँस पर, ध्यान भी रखें तो एकाग्रता स्वतः ही परिणाम दे जाएगी| किसी मार्ग पर चल रहें हैं, साँस ले रहे हैं, आपकी साँस बाहर से भीतर गई, तो ध्यान दें ! 

चौकन्ने रहें, देखते रहें की श्वांस भीतर  गई| श्वांस बाहर जा रही है तो बाहर गई, भीतर जा रही है तो भीतर गई, ध्यान रखेंगे तो गहरा भी ले पाएंगे, नहीं तो, जैसे ही भूलेंगे वैसे ही आपकी साँस धीमी हो जाएगी और गहरा लेते रहेंगे तो आप ध्यान भी रख पाएंगे क्योंकि गहरा लेने के लिए ध्यान रखना पड़ता है, तो ध्यान को अपनी साँस के साथ, अवश्य जोड़ लें| 

कोई काम करते समय अगर ऐसा लगे की अभी ध्यान श्वांस पर नहीं रखा जा सकता तो जिन कामों को करते वक़्त ऐसा लगे की, अभी ध्यान श्वांस पर नहीं रखा जा सकता तब उन कामों पर एकाग्रता रखें और एकाग्र रहें| खाना खा रहें हैं तो खाना पूरी एकाग्रता से खायें| एक एक कौर,  पूरे ध्यानपूर्वक उठायें| 

अगर आप नहा रहें यानि स्नान कर रहें हैं तो एक-एक, जल की बूँद भी आपकी शरीर पर गिरे तो पूरे ध्यानपूर्वक| किसी मार्ग पर आप चल रहें हैं तो आपके पैर एक-एक करके उठे तो ध्यान पूर्वक| ये सात दिन, आपका चौबीस घंटा, ध्यान में लीन हो जाये| 

अभी तक तो ये सारी बात, ध्यान करने की सिर्फ भूमिका बनाने की बात है| ध्यान तो अभी शेष है इसलिए जो भी करें अधिक ध्यानपूर्वक करें और बहुत एकाग्रचित से करें और अधिकतर तो, श्वांस पर ही एकाग्रता रखें क्योंकि वो पूरे दिन यानि चौबीस घंटे ही चलती रहने वाली चीज है| 

आप न तो 24 घंटे भोजन सकते है, न तो स्नान कर सकते हैं और न ही चल सकते हैं| श्वांस हरदम यानि चौबीस घंटे चलती रहेगी, उस पर चौबीस घंटे ध्यान रखा जा सकता है, उस पर ध्यान रखें| 

भूल जायें संसार में कोई और काम हो रहा है| सिर्फ एक ही काम हो रहा है, साँस अन्दर आ रही है और फिर साँस बाहर निकल रही है| सिर्फ ये श्वांस का बाहर जाना और भीतर आना, आपके लिए माला के मोती बन जाए| इसी सबसे कीमती चीज यानि साँस पर ही, अपने ध्यान को ले जायें|

चौथा सूत्र 

इन्द्रिय उपवास – इसमें तीन बातें आपको करनी होगी| एक तो जो लोग, पूरे दिन मौन रह सकते हैं, वो पूरे दिन के लिए मौन हो जायें| जिनको दिक्कत मालूम पड़े, वो लोग भी टेलीग्राफिक हो जायें| कुछ भी अगर बोलें तो समझ लें की एक-एक अक्षर की वैल्यू चुकानी पड़ रही है तो पूरे दिन दिन में दस बीस शब्द से ज्यादा नहीं, बोलेंगे आप| 
 
अधिक ही आवश्यक मालूम पड़े, जान पर ही आ जाए तो ही बोलें| जो पूरा मौन रख सकते हैं उनके लाभ का तो कोई व्यौरा ही नहीं| पूरा मौन रख सकें तो कोई परेशानी ही नहीं, एक पेपर पेन्सिल रख लें, अधिक आवश्यक हो तो लिख करकर| बता दें कुछ जरुरत आन पड़े तो,पूरे ही मौन हो जायें|
 
आपके मौन धारण करने से, आपकी सारी शक्ति आपके अन्दर, इकट्ठी हो जाएगी जिसे आपको ध्यान में, आगे की तरफ ले जाना है| इंसान की तक़रीबन आधे से ज्यादा शक्ति, उसके शब्द ले जातें हैं| 
 
शब्द को तो बिलकुल त्याग दें, तो ख्याल कर लें जिसकी जितनी सामर्थ्य हो उतने मौन हो जायें और इतना तो ध्यान ही रखें की, आपके वजह से किसी का मौन न टूट जाये| 
 
आपका टूटे, आपकी किस्मत, आप जिम्मेवार! बिना कारण कोई प्रश्न, किसी से न पूछें| किसी वजह के बिना, जिज्ञासायें न करें| व्यर्थ के सवाल न खड़ा करें और किसी को बातचीत में डालने की, आप बिल्कुल भी कोशिश न करें|
 
सहयोग करें दूसरे लोगों को भी मौन करवाने में, कोई कुछ पूछता भी है तो उसको भी मौन रहने का इशारा करें| उसे भी याद दिलाएं की मौन रहना है| बातचीत छोड़ दें बिलकुल सात दिन, फिर बाद में करिए, पीछे तो की है आपने बहुत, सात दिन बिलकुल छोड़ दीजिये जिससे जितना बन सके| पूरा बन सके बहुत ही हितकर होगा फिर आपको कहने को शेष नहीं रहेगा की, ध्यान होता नहीं है|
 
मैं जो पांच बातें आपसे कहने जा रहा हूँ, आप पूरी कर लेते हैं तो आपको कहने का कोई कारण नहीं आएगा की ध्यान नहीं होता है और आये कारण तो आप जानियेगा, आपके अलावा कोई अन्य जिम्मेवार नहीं होगा, फिर मेरे पास आकर, आप कुछ मत कहना|
 
मौन रखें, न्यूनतम जिनसे न हो सके, कमजोर हैं, संकल्हीन हों, मन दुर्बल हो, बुद्धि कमजोर हो वो थोड़ा थोड़ा बोलकर चलायें| जिनमे थोड़ी भी बुद्धिमत्ता हो, संकल्प हो, शक्ति हो, तनिक भी अपने ऊपर विश्वास हो, वो पूर्णतया मौन धारण कर लें|
 
इन्द्रिय उपवास में पहला मौन, दूसरा पट्टियों से पूरी आंख को बाँध लेना है| आँख ही आपको बाहर ले जाने का द्वार है जितनी ज्यादा देर बाँध रख सके, उतना अच्छा है| 
 
जब भी आप फुर्सत में हैं, अपनी आँखों पर पट्टियों को बंधी रहने दे और इससे दूसरे भी आपको, दिखाई नहीं पड़ेंगे| बातचीत का कोई अवसर भी नहीं आएगा और आपको अँधा मानकर दूसरे भी छोड़ देंगे| उनको समझने दें और जाने दें, आप व्यर्थ उनको परेशान न करें, अंधे बन जायें| 
 
मौन होना आपने तो सुना ही है, मैं (ओशो ) कहता हूँ की आप अंधे भी हो जायें| मौन होना एक तरह की मुक्ति है, अँधा होना और भी गहरी क्योंकि हमारी आँखें ही, हमें 24 घंटे बाहर की दुनिया में दौड़ा रही है| 
 
आँख के बंद होते ही आप पाएंगे की, बाहर जाने का अब उपाय ही न रहा| भीतर चेतना वर्तुलाकार घुमने लगेगी| आँख पर पट्टी बांध ले, चलते वक़्त थोड़ा सा ऊपर सरका लें, नीचे देखें, बस|
 
एक चार फीट आपको दिखाई देता रहे रास्ता, उतना पर्याप्त है| पट्टी को बांधकर ही पूरा वक़्त गुजारें| जो रात उसे बांधकर सो सकें, बांधकर ही सोयें जिनको अड़चन मालूम हो, वो निकाल दें| बांधकर सोयेंगे तो नींद की गहराई पर फ़र्क पड़ेगा|
 
आपकी जो पट्टी होगी, आप शेष समय तो बाँधकर ही रखेंगे और सुबह के समय जब ध्यान होगा तो पट्टी, आपकी आँखों पर बंधी रहेगी, दोपहर के समय पर घंटे भर के मौन में, पट्टी आप खोल सकते हैं और रात के वक़्त के  ध्यान में, आपकी पट्टी खुली रहेगी|
 
इतना अवसर आपकी आँखों के लिए दूंगा और ये मौका भी इस वजह से दूंगा की ये भी आपको, आपके भीतर ले जाने में, मददगार बन सके तभी आपकी आँख को, बाहर देखने का अवसर प्रदान करना है अन्यथा आपको अपनी आँखों को बाँधकर ही रखना है|
 
एक सप्ताह के सात दिनों में ही, आप चकित रह जायेंगे की आपके मन से कितने तनाव, आपकी आँखों के बंद रहने की वजह से विदा हो जातें हैं और जिसकी आप अभी कल्पना भी नहीं कर सकते| 
 
हमारे मन के अधिकतर तनाव, हमारी आँख से ही  प्रेरित होते हैं और हमारी आँखों का तनाव ही,हमारे मन के स्नायुवों हेतु, तनाव का सबसे बड़ी वजह है| 
 
अगर आँख शांत, शिथिल और रिलैक्स हो जाये तो मस्तिष्क के 99 प्रतिशत रोग विदा हो जातें हैं, तो आपको पूरे ध्यानपूर्वक इसका उपयोग करना है और ऐसा नहीं की इसमें कोई बचाव करें| बचाव करेंगे तो मेरा कोई हर्जा नहीं| बचाव से आपका हर्जा होगा|
 
ध्यान ये रखना है, अधिकतर आपको अंधे के जैसा हो जाना है| आप पूर्ण अंधे हो चुके हैं, आँख है ही नहीं आपके पास, सात दिन के लिए उसे छुट्टी पर भेज दिया है| 


सात दिनों के पश्चात, आप पाएंगे की आपकी आँखें इतनी शीतल हो सकती हैं और आँखों की इन शीतलता के पीछे इतने बड़े आनंद के रस और झरने बह सकते हैं की, ये आपकी कल्पना में, अभी नहीं हो सकता है लेकिन अगर आपने पूरी क्रिया के मध्य में ही, खुद के साथ बेईमानी कर ली तो, मेरा जिम्मा नहीं होगा, वो सब आप पर निर्भर होगा| 
 
यहाँ कोई भी किसी दूसरे के लिए जिम्मेवार नहीं है| आप अपने को धोखा दे सकते हैं, चाहे तो आप, अपने को धोखा देने से बच सकते हैं| 
 
आँख की पट्टी के साथ ही, आपको अपने दोनों कानो में कपास भी लगा लेना है| कान को भी छुट्टी दे देनी है, इन्द्रिय उपवास|
 
उसी पट्टी से, नीचे अपने दोनों कानों को भी बंद करके ऊपर से बाँध देना है तो इसका सबसे बड़ा लाभ होगा दूसरे अन्य कोई लोग, आपके मौन में भी बाधा नहीं दे सकेंगे और देना भी चाहें तो भी नहीं दे पाएंगे| आप भी देना चाहे तो नहीं दे सकेंगे क्योंकि दूसरे को अवसर देने का पाप भी नहीं लेना चाहिए
 
आपके कान खुले हैं तो किसी को बोलने का टेम्पटेशन होता है| कान ही बंद है, वो बोले भी तब भी नहीं सुन सकते, तो टेम्पटेशन नहीं होता तो कान भी बंद रखने हैं| 
 
ये इन्द्रिय उपवास मौन, आँख और कान ये तो पूरे समय| सिर्फ सुबह जब मैं (ओशो ) यहाँ बोलूँगा, तब कान और आँख खुली रखनी है| दोपहर के ध्यान में आपको कान बंद रखना है, आँख खुली रखनी है| रात के ध्यान में आपको आँख खुली रखनी है, कान बंद रखना है|

और पांचवी बात 

ये अंत में पांचवी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात- ध्यान रहे, परमात्मा के दरबार में सिर्फ वो लोग प्रवेश कर पातें हैं जो मगन होकर, नृत्तेय करते हुए प्रवेश करते हैं, जो हँसते हुए प्रवेश करते हैं, जो आनंदित प्रवेश करते हैं| रोते हुए लोगों ने कभी परमात्मा के द्वार पर, अनुमति नहीं पाई है इसलिए उदासी, सात दिनों के लिए छोड़ दें| 
 
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what is meditation Osho?

इसलिए सदैव प्रसन्न रहना सीखिए, हंसिये, नृत्य करिए और हमेशा आह्लादित रहें| चीयरफुलनेस पूरे वक़्त आपके साथ हो, उठते बैठते हर वक़्त एक मदन एक धुन में मस्त रहें| 

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