Akbar Birbal Hindi Story – Philosophy of Karma
कर्म का महत्व एवं दर्शन : अकबर बीरबल हिंदी स्टोरी Akbar and Birbal story in Hindi
एक बार बादशाह अकबर और बीरबल ने किसी रास्ते में, एक ब्राह्मण व्यक्ति को, बहुत अधिक दयनीय हालत में, जब भीख मांगते हुए देखा तो बीरबल की तरफ व्यंग्य कसते हुए बोले – ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण! जिन्हें ब्रह्म देवता के तौर में जाना जाता है, ये तो भीख मांग रहें हैं|
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Akbar and Birbal story in Hindi |
बीरबल उस पल तो कुछ नहीं कह सका लेकिन जब बादशाह अकबर अपने महल के लिए प्रस्थान किये तब बीरबल पुनः उस ब्राह्मण के समीप गए और ब्राह्मण से पूछे की वह भिक्षा क्यों माँगता है|
ब्राह्मण ने कहा – मेरे पास पैसा, आभूषण और जमीन कुछ भी नहीं है और मैं अधिक पढ़ा लिखा भी नहीं हूँ इसलिए परिवार के भरण पोषण के लिए, भिक्षाटन मेरी मजबूरी है|
बीरबल ने पूछा – भिक्षा के इस काम में उसे सम्पूर्ण दिन में कितना हासिल हो जाता है?
ब्राह्मण ने उत्तर दिया – चार से पांच अशर्फियाँ
बीरबल ने कहा – आपको यदि कोई काम मिले तो क्या आप भिक्षा मांगना छोड़ देंगे?
ब्राह्मण ने पूछा – मुझे क्या करना होगा?
Akbar Birbal Hindi Story – Philosophy of Karma
बीरबल ने कहा – आपको ब्रह्म मुहूर्त में नहा करके, साफ़ वस्त्र को धारण करने के बाद प्रति रोज 108 माला, गायत्री मंत्र का जप करना होगा|
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Akbar and birbal story in Hindi |
और इसके लिए आपको हर रोज उपहार स्वरुप 10 अशर्फियाँ प्राप्त होंगी|
बीरबल के द्वारा दिया गया प्रस्ताव, उस ब्राह्मण व्यक्ति ने स्वीकार कर लिया| अगले रोज से ब्राह्मण ने भीख माँगना बंद कर दिया और बड़े ही श्रद्धा भाव से गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया और हर रोज संध्याकाल के समय दस अशर्फियाँ उपहार स्वरुप लेकर, अपने घर लौट आता|
ब्राह्मण की सच्ची श्रद्धा और अपने काम में उसकी लगन को देखकर, कुछ ही दिनों के भीतर बीरबल ने, गायत्री मंत्र की संख्या और अशर्फियों की संख्या दोनों में ही वृद्धि कर दिया|
अब तो, गायत्री मंत्र के जाप की शक्ति के असर से उस ब्राह्मण को भूख, प्यास और शरीर से सम्बंधित किसी भी तरह के आफत की थोड़ी भी, चिंता नहीं शेष बची| गायत्री मंत्र के जाप के प्रभाव से, उसके मस्तक पर तेज़ प्रकट हो रहा था|
अब उस ब्राह्मण का आकर्षण तेज़ी से फैलने लगा और लोग भी उससे आकर्षित होने लगे थे अब| ब्राह्मण के दर्शन के उपरांत अब लोग मिठाई, फल, पैसे और कपड़े भी चढ़ाने लगे थे|
अब तो उसे बीरबल से, मिलने होने वाली अशर्फियों की भी जरुरत नहीं रही| यहाँ तक की अब तो ब्राह्मण को, श्रद्धापूर्वक चढ़ाई गई वस्तुओं का भी कोई आकर्षण नहीं रहा|
अब वह ब्राह्मण हमेशा अपने पूरे मन से गायत्री जाप में ही लीन रहने लगा|
ब्राह्मण संत के नित्य गायत्री जप की खबरे चारों ओर फैलने लगी| दूरदराज से श्रद्धालु, ब्राह्मण के दर्शन करने आने लगे| भक्तों ने ब्राह्मण के तपस्थली में मंदिर और आश्रम का निर्माण करवा दिया|
ब्राह्मण की तपस्या की पॉपुलैरिटी की खबर, सम्राट अकबर को भी मिली|
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Akbar birbal Hindi story |
बीरबल के साथ, अकबर उस संत से मिलने पहुँचे Akbar Birbal Hindi Story
सम्राट अकबर ने भी ब्राह्मण के दर्शन के लिए, जाने का निर्णय लिया और महँगे उपहार लेकर, अपने पूरे राजसी ठाटबाट में बीरबल के साथ उस संत से मिलने के लिए चल पड़े|
वहाँ पहुँचने के उपरान्त राजा ने, शाही भेंटे अर्पण कर ब्राह्मण जी को प्रणाम किया|ऐसो तेजोमय संत के दर्शन से हर्षित ह्रदय सहित, बादशाह अकबर बीरबल के साथ बाहर आ गए|
तब बीरबल ने पूछा – क्या आप इस संत को जानते हैं?
अकबर ने उत्तर दिया – नहीं, मैं तो आज इनसे पहली बार मिल रहा हूँ|
फिर बीरबल ने कहा – महाराज, आप इस संत से अच्छी तरह से परिचित हैं| यह व्यक्ति, वही भिखारी ब्राह्मण है जिस पर आपने एक दिन तंज कसते हुए कहा था ‘ ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण ! जिन्हें ब्रह्म देवता कहा जाता है?’
आज आप स्वयं उसी ब्राह्मण के पैरों में शीश नवा कर आयें हैं| सम्राट अकबर के आश्चर्य की सीमा नहीं रही और बीरबल से पूछा – ‘ लेकिन यह इतना बड़ा बदलाव कैसे हुआ?’
बीरबल ने कहा – महाराज वह मूल रूप से ब्राह्मण ही है| Philosophy of Karma अपने कर्म को भूलकर, वह अपने धर्म की सच्चाईयों और शक्तियों से अपरिचित था|
जब उस बेचारे से भिखारी ब्राह्मण को अपने सच्चे कर्म का दर्शन Philosophy of Karma हुआ, अपने ब्राह्मण धर्म के एक गायत्री मंत्र के प्रभाव से, एक ब्राह्मण, साक्षात् ‘ ब्रह्म ‘ बना दिया गया और कैसे बादशाह को, अपने चरणों में गिरने के लिए मजबूर कर दिया|
Conclusion/ निष्कर्ष of this Akbar Birbal Hindi Story
यही ब्राह्मण अधीन मंत्रो की अपार महिमा है| यह नियम सभी ब्राह्मणों पर समान रूप से लागू होता है क्योंकि ब्राह्मण तप और आसन से दूरी बनाकर जीवन जी रहें हैं, इसलिए पीड़ित हैं|
वर्तमान की जरुरत है की सभी ब्राह्मण फिर से, अपने कर्म से जुड़ें, अपने संस्कारों को जानने की कोशिश करें और फिर इस पर अमल करना शुरू कर दें|
मूल ब्रह्म रूप में जो विलीन होने की क्षमता रखता है, वही ब्राह्मण है| यदि ब्राह्मण अपने कर्म के मार्ग पर दृढ़ता से चलता है तो देव शक्तियां भी उसके साथ चल पड़ती हैं|
सम्राट अकबर का नाम वीरबल के नाम के बगैर अधूरा सा लगता है|बादशाह अकबर ने वीरबल को अपने नौरत्नो में स्थान दिया था|
वीरबल एक श्रेष्ठ सलाहकार, नीतिवान लेखक, शानदार कवि और उच्च कोटि के मजाकिया व्यक्तित्व के मालिक थे| लोकप्रियता के विषय में, वास्तव में बीरबल की कोई टक्कर नहीं थी|
एक लाजवाब प्रशासक और तलवार विद्या में, उस समय कहीं अधिक, निपुण थे बीरबल| बीरबल का मजाक करने का अंदाज और चतुराई से भरे किस्से, उस वक़्त भारतवर्ष के हर हिस्से में प्रसिद्ध हो चुके थे और सभी उनकी भूरी भूरी प्रशंसा किया करते थे|
उनकी प्रशंसा करने वालों में सम्राट अकबर भी शामिल थे इसलिए सम्राट के अन्य दरबारी, बीरबल से बैर स्वाभाव रखते थे जिसके कारण ये सभी हर वक़्त उनके विरुद्ध कोई न कोई साजिश किया करते थे और बीरबल प्रत्येक बार, उन सभी को अपनी बुद्धि के बल पर मात दे दिया करते थे|
वैसे तो बीरबल इतिहास में बीरबल के नाम से जाने गए लेकिन इनका नाम रियल में महेशदास था| एक गरीब ब्राह्मण परिवार के कुल में इनका जन्म हुआ था|
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महान बुद्धिमान वीरबल की मृत्यु कैसे हुई थी ?
ह्रदय गति रुकने के कारण
लड़ाई के दौरान धोखे से
हृदयगति रुकने से
पानी में डूबकर