Mahabharat Story in Hindi: Interesting Untold Story
महाभारत अपने अन्दर इतने ज्ञान और इतने रहस्यों को समेटे हुए है जिसकी थाह पाना नामुमकिन है| इंसान इसके बारे में जितना ज्यादा जानता है उतना ही कम लगता है| इसमें हर एक पात्र की अपनी एक अलग स्टोरी है|
आप सब ने भी धार्मिक ग्रन्थ महाभारत से जुड़ी हुई कई कहानियों के बारे में सुना होगा या पढ़ा होगा लेकिन आज हम महाभारत से जुड़ी जिन कहानियों के बारे में जिक्र करने जा रहें हैं शायद ही आप में से कोई जानता हो|
आज हम इस अपने लेख में महाभारत से जुड़ी हुई 11 ऐसी कहानियाँ बताने जा रहें हैं जिनके बारे में शायद ही जानते होंगे-
महाभारत से जुड़ी पहली कहानी है की जब कौरवों के सेना, पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन, भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें कहने लगा की आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं| भीष्म पितामह को दुर्योधन की यह बात सुनकर काफी गुस्सा आया उन्होंने तुरंत पांच सोने के बाण लिए और कुछ मंत्र पढ़े|
मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा की कल वो इन पांच तीरों से पांडवों को मार देंगे पर दुर्योधन को भीष्म पितामह के ऊपर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा की सुबह इन तीरों को वापस करेगा|
इन तीरों के पीछे की कहानी भी बहुत रोचक है| भगवान् कृष्ण को जब उन तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा, तुम दुर्योधन के पास जाओ और पांचो तीर दुर्योधन से मांग लो| दुर्योधन की जान तुमने एक बार गन्धर्व से बचाई थी इसके बदले उसने कहा था कोई एक चीज जान बचाने के लिए तुम मांग सकते हो| समय आ गया है की तुम अभी वो पांच सोने की तीर उससे मांग लो|
धनुर्धर अर्जुन दुयोधन के पास गए और उन्होंने दुर्योधन से वो पांचो बाण मांगे| क्षत्रिय होने के कारण दुर्योधन ने अपने वचन को पूरा किया और वो पांचो बाण अर्जुन को दे दिया|
दूसरी Mahabharat ki Kahani आती है गुरु द्रोणाचार्य की, गुरु द्रोणाचार्य को इंडिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है यह कहानी भी काफी रोचक है द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अफ्सरा थीं| एक बार महर्षि भारद्वाज सायंकालीन गंगा स्नान के लिए गए तभी उन्हें वहां एक अफ्सरा नहाती हुई दिखाई दी|
उसकी सुन्दरता को देख ऋषि मंत्रमुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि भारद्वाज ने मिट्टी के एक बर्तन में जमा करके अँधेरे में रख दिया इसी सी द्रोणाचार्य का जन्म हुआ|
तीसरी कहानी है, जब पांडवों के पिता पांडु मरने के करीब थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से कहा की बुद्धिमान बनने और ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मस्तिष्क खा जायें केवल सहदेव ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके मस्तिष्क को खा लिया|
पहली बार खाने के बाद सहदेव को दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी मिली, दूसरी बार खाने पर वर्तमान में घट रही चीजों के बारे में जाना और तीसरी बार खाने पर भविष्य में क्या होने वाला है इसकी जानकारी मिली|
चौथी कहानी है दोस्तों, अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम के बेटी थी| बलराम चाहते थे की वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो| वत्सला और अभिमन्यु एक दूसरे से प्यार करते थे| अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कक्ष की मदद की| घटोत्कक्ष ने लक्ष्मण को इतना डराया की उसने कसम खा ली की वो पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा|
पांचवी कहानी आती है अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दे दी थी| बलि देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा थी की वो मरने से पहले शादी कर ले मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था| इस स्थिति में भगवान श्री कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे अंतिम विदाई देते वक़्त रोये भी|
छठवीं कहानी आती है सहदेव से जुड़ी हुई जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर बुद्धिमान बने थे उनमे भविष्य देखने की क्षमता थी इसलिए दुर्योधन उनके पास गया और युद्ध की शुरुवात से पहले ही उनसे सारे, मुहूर्त के बारे में पूछा| सहदेव को ये बात पता थी की दुर्योधन उनका सबसे बड़ा दुश्मन है फिर भी उन्होंने युद्ध शुरू करने का उचित समय बताया|
सातवीं कहानी हैं धृतराष्ट्र का एक बेटा युयुत्सु नाम का भी था| युयुत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था दर्शल धृतराष्ट्र के अनैतिक सम्बन्ध एक दासी के साथ थे जिससे युयुत्सु पैदा हुआ था|
सत्य और धर्म पर आधारित इस महाभारत के युद्ध में, दक्षिण के उडुपी के राजा ने किसी भी तरफ से लड़ाई में भाग न लेने का फैसला लिया था| उडुपी के राजा न तो पांडवों की तरफ से युद्ध में थे और न ही कौरवों की ओर थे| उडुपी के सम्राट ने भगवान श्री कृष्ण से कहा था की कौरवों और पांडवों की इतनी विशाल सेना को खाने की आवश्यकता होगी और हम दोनों ओर की सेनाओं के लिए भोजन का प्रबंध करेंगे| 18 दिन तक चलने वाले इस महाभारत युद्ध Mahabharat War में कभी भी भोजन कम नहीं पड़ा|
|
Mahabharat War Picture |
दोनों तरफ की सेना ने जब उडुपी के सम्राट से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका पूरा श्रेय भगवान श्री कृष्ण को दिया| राजा ने कहा जब भगवान श्री कृष्ण भोजन किया करते थे तो उनके आहार से उन्हें मालूम हो जाता था की कल की लड़ाई में कितने लोग मरने वाले हैं और फिर भोजन उसी हिसाब से बनाया जाता था|
नौवीं कहानी है जब दुर्योधन कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था उस समय उसने अपनी तीन उँगलियाँ उठा रखी थीं| भगवान श्री कृष्ण उसके पास गए और समझ गए की दुर्योधन कहना चाहता है की अगर वह तीन गलतियाँ, युद्ध में ना करता तो युद्ध जीत लेता मगर भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन को कहा की अगर तुम कुछ भी कर लेते तब भी युद्ध हार जाते| ऐसा सुनने के बाद दुर्योधन ने अपनी ऊँगली नीचे कर ली|
महाभारत की कहानी में दसवीं कहानी है कर्ण और दुर्योधन की मित्रता की कहानी है| कर्ण और दुर्योधन की मित्रता तो काफी पोपुलर है| कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार शतरंज खेल रहे थे, शतरंज के इस खेल में कर्ण विजयी हो रहा था तभी भानुमती ने दुर्योधन को आते हुए देखा और खड़े होने की कोशिश की|
दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था इसलिए जैसे ही भानुमती ने उठने की कोशिश की, कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा, भानुमती के बदले उसकी मोतियों की माला कर्ण के हाथ में आ गई और माला टूट गई, दुर्योधन तब तक कक्ष में आ चुका था| दुर्योधन को देखते ही दुर्योधन की पत्नी, भानुमती और मित्र कर्ण दोनों भयभीत हो गए की दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक न हो जाए मगर दुर्योधन को कर्ण पर बहुत भरोसा था दुर्योधन ने सिर्फ इतना कहा की मोतियों को उठा ले|
और महाभारत से जुड़ी हुई ग्यारहवीं कहानी है दोस्तों कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्द थे| कर्ण जब युद्धक्षेत्र में आखिरी सांस ले रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने उनकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही|
वे एक गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा की तुम्हारे बारे में काफी सुना और तुमसे मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए| कर्ण ने जवाब देते हुए कहा – आप जो भी चाहें, मांग लें| ब्राह्मण से सोना माँगा| कर्ण ने कहा की सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते हैं| ब्राह्मण ने जवाब दिया की मैं इतना कायर नहीं हूँ की तुम्हारे दांत तोडूं|
कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत खुद तोड़ लिए| ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इनकार करते हुए कहा की खून से सना हुआ सोना वह नहीं ग्रहण कर सकता| कर्ण ने इसके उपरांत एक बाण उठाया और ऊपर आकाश की दिशा में चलाया, तुरंत ही वर्षा होने लगी और कर्ण के सोने के दांत धुल गए और इसके बाद कर्ण ने वह स्वर्ण दान किये| स्वर्ण दान लेते ही ब्राह्मण, श्री कृष्ण के रूप में आ गए और उन्होंने कर्ण की दानवीरता और महानता की बहुत प्रशंसा की|
तो यह महाभारत से जुड़ी हुई 11 कहानियाँ जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं|
Mahabaharat Special Issues
————————————————————————————————————————–
दोस्तों यह Mahabharat Story in Hindi : Interesting Untold Story आपको अगर अच्छा लगा तो आप इसे अधिक से अधिक शेयर करें और सब्सक्राइब भी करें ताकि इस तरह के आने वाले Article की जानकारी आपको मेल के माध्यम से तुरंत पहुँच सके| ये Mahabharat Story in Hindi : Interesting Untold Story , हिंदी में Article और लोगों तक पहुँच सके, जानकारी मिल सके और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं, और अगली पोस्ट किस टॉपिक पर चाहते हैं ये भी आप कमेंट कर सकते हैं|
यदि आपके पास
Hindi में कोई
Article है,
Success Story,
Motivational Thought,
Life tips या और कोई जानकारी है और वह आप हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो कृपया अपना कंटेंट अपनी फोटो के साथ हमें मेल करें| हमारी
E-Mail id है – babapvm11@gmail.com
अगर आपका कंटेंट हमारी टीम को पसंद आता है तो उसे हम आपकी फोटो और नाम के साथ अपनी वेबसाइट
www.hindiaup.com पर पब्लिश करेंगे|
धन्यवाद, आशा है की आपका दिन शानदार गुजरेगा!
—————————————————————————————————————————–