Biography of Mahatma Buddha Story Hindi Image Download
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Gautam Buddha Birth Place करीब 2500 साल पहले हिमालयन क्षेत्र के लुम्बिनी के कपिलवस्तु में जो अभी नेपाल के अन्दर है, वहां पर एक बड़े से राजमहल में शुद्धोदन नाम के एक राजा अपनी रानी मायादेवी के साथ रहते थे| एक महान इंसान बनने की निशानी लेकर उन दोनों का एक बेटा पैदा होता है जिनका नाम रखा गया था सिद्धार्थ गौतम|
Biography of Siddhartha Gautam (Mahatma Buddha) महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय
इस बच्चे की शरीर पर उस निशानी को देखते हुए राज्य ज्योतिषी ने गणना किया की ये लड़का बड़ा होकर या तो इस पूरी दुनिया पर राज करेगा या तो एक बहुत बड़ा आध्यात्मिक नेता बनेगा इसलिए क्योंकि उनके पिता चाहते थे की उनका बेटा बड़ा होकर इस पूरे पृथ्वी पर राज करे इसलिए उन्होंने राजकुमार को राजमहल के अन्दर ही पूरी दुनिया से अलग रखकर के ही, उनकी देखभाल करने का निर्णय लिया ताकि बाहर लोगों का दुःख दर्द देखकर, राजकुमार Spritual Leader
बनने का रास्ता न चुन ले|
राजकुमार के पैदा होने के सात दिन बाद ही, उनकी माँ मायादेवी की मौत हो जाती है और इसलिए फिर राजकुमार, रानी मायादेवी की बहन महाप्रजापति के पास बड़े होने लगते हैं|
राजकुमार के लिए राजा शुद्धोदन ने एक खास प्लान बनाया वो चाहते थे की राजकुमार की जिंदगी बिलकुल पूरी तरह से परफेक्ट रहे जिससे फिर कभी भी राजकुमार को दुःख सहना न पड़े इसलिए वो राजकुमार की हर एक ख्वाइश पूरा करने का इंतजाम करते हैं और राजमहल को चारों तरफ से ऊंची दीवार से घेर देते हैं ताकि बाहर की दुनिया के बारे में राजकुमार को कुछ पता न चले|
Mahatma Buddha Story in Hindi
राजा अपने बेटे को हर समय तरह तरह के स्वादिष्ट खाना और तरह तरह के तोहफे देकर खुश रखने की कोशिश करते थे और ताकि राजकुमार का हर एक ख्वाइश तुरंत पूरा हो सके इसलिए उन्होंने राजकुमार के लिए दास दासियों का भी बंदोबस्त किया था|
ऐसे प्लान मुताबिक ये बच्चा मानव जीवन के दुःख दर्द के बारे में अज्ञान रहकर बड़ा होने लगा उनका पूरा बचपन इस तरह गुजर जाता है फिर सोलह साल की उम्र में बहुत ही सुन्दर राज कन्या यशोधरा के साथ उनका शादी होता है इसके कुछ दिन बाद उनका राहुल नाम का एक बेटा जन्म लेता है इस दुनिया की तब सारी खुशी उस राजकुमार के मुट्ठी में था लेकिन इन सब के बावजूद भी राजकुमार खुश नहीं थे बहुत जल्दी राजकुमार के लिए हर चीज मीनिंग लेस बनने लगा था |
उनके पिता उनको चाहे कुछ भी लाकर देदे लेकिन उससे वो खुश नहीं हो पाते थे| राजमहल की ऊंची दीवार के उस पार की दुनिया कैसी है इसे लेकर राजकुमार के मन में उत्सुकता पैदा होने लगी और इसलिए एक रात राजकुमार चुपके से राजमहल से बाहर निकलकर बाहर की दुनिया अपनी आँखों से देखने का निर्णय लेते हैं वो अपने एक दास चन्ना Channaको लेते हैं अपने घोड़े कंठक Kanthaka पर सवार होकर गाँव का नजारा देखने निकल जाते हैं|
सिद्धार्थ गौतम एक बुजुर्ग से मिलकर हुए हैरान
Gautam Buddha Story in Hindi: इसके बाद गाँव पहुंचकर राजकुमार ने जो देखा उससे वो पूरी तरह से चौंक गए उनकी इस यात्रा में उनके साथ सबसे पहले मुलाकात होती है एक बहुत ही बूढ़े इंसान की जो बड़ी मुश्किल से एक लकड़ी के सहारे चल रहे थे|
राजकुमार ने जब चन्ना से पूछा की इस व्यक्ति की ऐसी हालत क्यूँ हैं तो चन्ना ने बताया की जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ने लगती है है सभी इंसान के साथ ऐसा ही होता है| इसके बाद राजकुमार की मुलाकात होती है एक बीमार इंसान से जो दर्द की वजह से बुरी तरीके से तड़प रहा था| पहले की तरह राजकुमार ये देखकर भी हैरान हो गए और चन्ना ने उन्हें बताया की बीमारी और दर्द हर किसी को अपने जीवन में सहना पड़ता है| ये सुनकर राजकुमार का मन और भी ज्यादा चंचल होने लगा ये सोचकर की कोई चाहे जितना गरीब हो या चाहे कोई फिर कितना अमीर ही क्यूँ न हो कोई भी बिमारी के हाथ से बच नहीं पाता|
Mahatma Gautam Buddha Story in Hindi इसके बाद राजकुमार एक शव दिखाई देता जोकि अपनी अंतिम यात्रा पर जा रहा था और पहले की तरह चन्ना राजकुमार को बताते हैं की मौत सबके लिए निश्चित है इसके हाथ से कोई नहीं बच पाता| ये तीन दृश्य देखने के बाद राजकुमार जब मानवजीवन के दुःख और दर्द के बारे में जान पाते हैं तब से राजकुमार का मन और भी ज्यादा चंचल बनने लगता है|
सिद्धार्थ गौतम ने लिया संन्यास का निर्णय Biography Mahatma Buddha Story Hindi
ये तीन नकारात्मक दृश्य देखने के बाद चौथे दृश्य में राजकुमार की मुलाकात होती है एक सन्यासी के साथ जिन्होंने मानव जीवन के दर्द और दुःख की वजह को ढूंढ निकालने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था| ये दृश्य राजकुमार के मन में उम्मीद की किरण जगाती है और इसीलिए वो संन्यास लेने का निर्णय लेते हैं|
राजमहल में लौटने के बाद राजकुमार और भी ज्यादा दुखी महसूस करने लगते हैं उन्होंने जो जो देखा उन दृश्य को कैसे प्रोसेस करना चाहिए ये समझ में न आने के कारण वो हर एक चीज के बारे में शिकायत करने लगते हैं और बिलकुल वो एक आम युवा की तरह वो भी इन सबके लिए अपने पिता को दोषी मानकर उन्होंने बचपन से उनके लिए जो जो किया है उन चीजों के खिलाफ शिकायत करने लगते हैं|
Mahatma Gautam Buddha Story in Hindi राजकुमार को ये लगने लगता है इतना सारा धन दौलत और आराम से भरी जिंदगी गुजरने की वजह से ही आज उनके लिए हर चीज अर्थहीन हो गई है इसलिए 29 साल की उम्र में वो राजमहल छोड़ जाने का फैसला लेते हैं लेकिन राजकुमार भी कुछ हद तक अपने पिता के जैसे थे|
वो भी खास प्लान बनाते हैं वो बस राजमहल छोड़ के चले जायेंगे बस इतना ही नहीं वो अपनी रॉयल्टी अपनी फॅमिली अपनी पोजीशन ये सब छोड़कर सड़क पर धुप मिट्टी में पड़कर अनजान लोगों से खाना भीख मांगकर या फिर उपवास रहकर जितना तकलीफ सहना संभव है वो सब वो खुद अनुभव करके देखेंगे|
राजपाट और परिवार का त्याग Mahatma Gautam Buddha History
अपने प्लान के मुताबिक राजकुमार अगले रात चुपके राजमहल छोड़कर निकल जातें हैं लेकिन इस बार वापस आने के लिए नहीं और जैसे की उन्होंने प्लान किया था बड़ी ही तकलीफ सहकर वो अपनी जिंदगी गुजारने लगते हैं वो बिमारी भूख दर्द अकेलापन ये सब खुद अनुभव करके देखने लगते हैं यहाँ तक किसी दिन सिर्फ एक सिंगल nut खाकर वो अपना दिन गुजारने लगे थे|
वो खुद अपनी मौत को अपनी तरफ बुला रहे थे ऐसे कई साल बीत जातें हैं करीब छः साल ऐसी जिंदगी गुजरने के बाद राजकुमार को तब समझ आता है की ऐसे वो जो ढूंढ रहे हैं वो उन्हें कभी नहीं मिल पायेगा क्योंकि ऐसे रास्ते पर चलकर जिंदगी के बारे में कोई गहरी समझ या फिर कोई रहस्य कुछ भी उनके हाथ नहीं लग रहा था| जिसकी वजह से बहुत ही जल्दी राजकुमार इस निर्णय पर आते हैं की बिलकुल उनके पिता की तरह उनका भी ये प्लान
बिलकुल ही गलत था| Mahatma Gautam Buddha Story in Hindi
इस तरह से अनुभव किये गए दोनों रास्तो के बीच का कोई रास्ता ढूँढने का वो निर्णय लेते हैं और इसलिए फाइनली वो सुजाता नाम की एक गाँव की लड़की के हाथ से दही सेवन करके वो अपना लम्बा उपवास तोड़ देते हैं|
49 दिनों की समाधि आत्म ज्ञान की प्राप्ति
इसके बाद टोटली कन्फ्यूज्ड स्थिति में नहाकर अपने आपको पूरे तरीके से साफ़ करके Mahatma Gautam Buddha एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे जाकर समाधि में बैठ जातें हैं जो पेड़ अभी भारत के बोधगया नाम की जगह पर Bodhi Tree के नाम से प्रसिद्द है|
Mahatma Gautam Buddha फैसला लेते हैं वो तब तक उस पेड़ के नीचे ध्यान में बैठे रहेंगे जब तक उन्हें सच के बारे में पता नहीं चलता और इसके बाद लगातार उनचास दिनों तक राजकुमार वहां पर समाधि में बैठे हुए थे इसी दौरान उन्हें कुछ गहन अनुभव होते हैं|Mahatma Gautam Buddha Story in Hindi
Mahatma Buddha Updesh
जिसमे से एक ये था की Life itself is a form of suffering, जो अमीर लोग होते हैं वो अपनी धन दौलत के लिए Suffer करते हैं जो गरीब लोग होते हैं वो अपनी गरीबी की वजह से Suffer करते हैं| जिन लोगों का परिवार है वो परिवार होने की वजह से Suffer करते हैं जिन लोगों का परिवार नहीं है वो परिवार न होने की वजह से Suffer करते हैं इसका मतलब ये नहीं की हर एक Suffering बराबर है| निश्चित रूप से कुछ Sufferings दूसरी Sufferings से ज्यादा खतरनाक है लेकिन Suffer हर किसी को करना पड़ता है|
उस उनचास दिनों की समाधि के बाद 35 साल की उम्र में Mahatma Gautam Buddha प्रबोधन प्राप्त करने में कामयाब होते हैं और The Buddha के नाम से जाने जाते हैं| बुद्धिज़्म लीजेंड के अनुसार शुरू में बुद्धा अपने राज्य में ख़ुशी ख़ुशी विराज कर रहे थे लेकिन फिर देवताओं के राजा ब्रह्मा के अनुरोध से वो अपना ज्ञान दुनिया के लोगों में बांटने का निर्णय लेते हैं|Mahatma Gautam Buddha Story in Hindi
अगले 45 साल में Mahatma Gautam Buddha अपने शिष्यों को बुद्धिज़्म धर्म के रूप में Sufferings से फ्री होने का रास्ता सिखाने में बिताये थे|
उनका Life of Gautam Buddha जीवनकाल 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक का माना जाता है लेकिन उनके जन्म की निश्चित तिथि को लेकर इतिहासकारों में में मतभेद है|
निष्कर्ष Biography Mahatma Buddha Story Hindi
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