Lord Krishna Story Govardhan Puja ki Kahani in Hindi
गोवर्धन पूजा Govardhan Puja की कथा Kahani
Lord Krishna Story Govardhan Puja ki Kahani in Hindi ये द्वापर युग की बात है, श्री कृष्ण अपनी लीलाएं ब्रज में कर रहे थे| एक बार देवराज इंद्र को बहुत घमंड हो गया और इंद्र के घमंड को दूर करने के लिए ही भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने एक लीला रची|
एक दिन की बात है उस वक़्त श्री कृष्ण बाल रूप में थे तो यह लीला उनकी बाल लीलाओं में से एक है सभी व्रजवासी अपने घरों में तरह तरह के भोजन पकवान बना रहे थे, सारे व्रजवासी किसी पूजा की तैयारी में भी जुटे थे|
ऐसे में बालक श्री कृष्ण ने अपनी माता यशोदा से एक सवाल किया – माँ ये सभी ब्रज के वासी किस पूजा की तैयारी में लगे हैं और ये तरह तरह के पकवान भोजन किसके लिए बनाये जा रहें हैं| माता यशोदा बोली हम सभी ब्रजवासी इन्द्र देव की अन्नकूट से पूजा करने की तैयारी कर रहें हैं|
बालक कृष्णा का माँ यशोदा से प्रश्न
अब बालक कृष्ण भोले बनते हुए बोले हम सभी इन्द्रदेव की पूजा क्यों करते हैं ?
यशोदा मईया ने उत्तर दिया की देवराज इन्द्र वर्षा के देवता हैं और उन्ही की कृपा से हर वर्ष ब्रज में अच्छी बारिश होती है, सभी ब्रजवासी को पानी मिलता है और उसी बारिश के पानी से हमारी फसलें अच्छी तरह उगती हैं, हम सभी की गायों को चारा मिलता है तो हम सभी उनका धन्यवाद प्रकट करने के लिए हम सभी उनकी अन्नकूट से पूजा करते हैं|
बालक कृष्ण एक बार फिर भोले बनकर बोले की हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर जाकर घास खाती हैं तो फिर क्यों न हम सारे ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करे|
इन्द्र न तो कभी दिखाई देते हैं और न ही कभी आते हैं, गोवर्धन तो दिखाई भी देता है| अब यहीं से भगवान श्री कृष्ण की लीला शुरू हो गई| उन्होंने अपने बाबा को समझाया, व्रजवासियों को समझाया की हमें इन्द्र की नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए| Krishna Lord Story Govardhan Puja ki Kahani in Hindi
भगवान श्री कृष्ण ने कराया गोवर्धन पूजा Govardhan Puja की शुरुवात का आरम्भ
अब सभी ब्रजवासी को बालक कन्हैय्या की बात पसंद आ गई और इस बार सभी व्रजवासियों ने फैसला लिया की इस बार इन्द्रदेव की पूजा नहीं की जाएगी बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा सारे ब्रजवासीकरेंगे और सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की|
ये देखकर इन्द्रदेव बेहद नाराज हो गए, क्रोध से भर गए| वो खुद को अपमानित महसूस करने लगे| अत्यंत क्रोधित होकर देवराज इन्द्र ने भयंकर मूशलाधार बारिश शुरू कर दी, कुछ ही समय में वर्षा ने विकराल रूप धारण कर लिया और चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा|
बारिश के देवता इन्द्रदेव अपने पानी से पूरी मथुरा को ही पानी में डुबा देने की कोशिश में लगे हुए थे और इस प्रकार वो अपनी पूजा ना करने का बदला ब्रजवासियों से लेना चाहते थे|
अब ब्रज के लोगों को लगा की हम सभी से गलती हो गई है, हम सभी ब्रजवासियों ने भी कहाँ इस छोटे से बालक की बात को मान लिया है तो सभी ब्रजवासियों ने बालक कृष्ण को भला बुरा कहना शुरू कर दिया और फिर एक चमत्कार हुआ|
बालरूप कान्हा ने अपनी बांसुरी अपनी कमर में बाँधी और अपनी सबसे छोटी कनिष्ठा ऊँगली पर, पूरे गोवर्धन पर्वत को एक बार ने किसी छाते की भांति उठा लिया|
Story of Krishna Lord हिंदी में गोवर्धन पूजा की कहानी
अब वर्षा के जल की एक बूँद भी मथुरा में नहीं गिर रही थी| सभी लोग अपनी गायों और बछड़ो को लेकर गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए और इस प्रकार से बालक कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों की रक्षा की, लेकिन इन्द्रदेव भी कहाँ मानने वाले थे|
बालक कृष्ण की यह लीला देखकर, इन्द्रदेव और भी ज्यादा क्रोध के अधीन हो गए और उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी और एक तेज़ मूशलाधार बारिश शुरू कर दी, चारो ओर समुद्र सा बनने लगा|
तब बालक श्री कृष्ण की आज्ञा से शेषनाग मेड़ बनके बिछ गया और मेड़ बनकर भीषण बारिश के पानी को गोवर्धन पर्वत की तरफ आने से रोक लिया|
दूसरी तरफ इन्द्रदेव गुस्से से भरकर अनवरत सात दिनों तक भयंकर मूशलाधार वर्षा करते रहे परन्तु गोवर्धन पर्वत और उसके नीचे शरण लिए हुए सभी व्रजवासी पूरी तरह से सुरक्षित थे|
देवराज इन्द्र के पास जितना भी जल था, जितना भी पानी का स्टॉक था, वो पूरा ख़त्म हो गया लेकिन वो किसी भी ब्रजवास का बाल भी बांका नहीं कर पाए और अंत में उनका घमंड चूर चूर हो गया|
Govardhan Puja ki Kahani in Hindi /Lord Krishna Story
अब तक इन्द्रदेव समझ चुके थे की कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं है तब देवराज इन्द्र सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी के पास गए, उन्हें सारी बात बताई फिर सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी ने इस रहस्य से पर्दा उठाया की बालक कृष्ण तो स्वयं भगवान विष्णु का अवतार हैं| रहस्य जानकार देवराज इन्द्र काफी लज्जित हुए कृष्ण के पास आये और उनसे माफ़ी मांगने लगे|
सभी मथुरावासी इस अनोखे दृश्य के साक्षी थे और इस पौराणिक घटना के बाद सभी मथुरा के वासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और वो दिवाली के बाद अगला दिन ही था और उस दिन से आज तक दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान है|
इस दिन गाय को बैल को स्नान कराया जाता है, रंग लगाया जाता है, सजाया जाता है, उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है| गाय बैलों को गुण और चावल खिलाया जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है|Krishna Lord Story
Conclusion / निष्कर्ष Govardhan Puja ki Kahani in Hindi
गोवर्धन पूजा का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है, इस पूजा को सभी हिन्दू बन्धु बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं, ये पूजा बताती है की हमारी जिंदगी प्रकृति के बिना कुछ भी नहीं है|
और इस पूजा में हम प्रकृति के सभी रूप पेड़-पौधे, फूल, हवा, पहाड़,पर्वत पठार, सूर्य सभी प्राकृतिक चीजों का धन्यवाद् प्रकट करते हैं, सभी के प्रति हम अपना धन्यवाद देते हैं और उनकी पूजा करते हैं|
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