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Amit Shah |
अँधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा – भारतीय जनता पार्टी के पहले अधिवेशन में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने यह नारा दिया था, उस समय अमित शाह मात्र सोलह वर्ष के थे और आज अमित शाह भारतीय सियासत के शहंशाह बन गए हैं|
उत्तर दिशा से दक्षिण तक, पूर्व दिशा से पश्चिम तक, हिमालय की घाटी से रेगिस्तान और मैदान तक, अमित शाह राजीनीति में विजय का नाम दूसरा नाम बन गए|
यूँ तो अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर सन 1964 को मुंबई में हुआ और 1982 में पहली बार अपने ही कॉलेज में, उनकी मुलाकात नरेन्द्र भाई मोदी से हुई लेकिन उनकी असली कहानी की शुरुवात होती है राजनीति में आने के बाद, साल 1986 से|
अमित शाह जैसे मुकद्दर को मुट्ठी में करके ही भारतीय राजनीति में उतरे थे| साल 1987 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का उन्हें सदस्य बनाया गया| साल 1991 में गुजरात के गांधीनगर में, लालकृष्ण आडवानी के प्रचार की जिम्मेवारी मिली|
सन 1996 अटल बिहारी बाजपेई के चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला और इन दोनों बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में, अमित शाह सफल रहे|
33 वर्ष की उम्र में पहली बार विधान सभा में प्रवेश
स्टॉक ब्रोकर का काम करते हुए साल 1997 में सरखेज विधान सभा का उपचुनाव जीतकर अमित शाह पहली बार विधायक बने फिर साल 2003 से 2010 तक गुजरात में, गृह मंत्रालय संभालते रहे|
नरेन्द्र मोदी से पहले ही बीजेपी में अमित शाह का प्रवेश हो चुका था और फिर देखते देखते नरेन्द्र भाई मोदी को सत्ता का सिकंदर बना दिया|
माननीय नरेन्द्र मोदी और अमित शाह |
साल 2014 के लोकसभा के चुनाव में अमित शाह के पास थी सबसे बड़ी जिम्मेदारी, उत्तर प्रदेश में फतह हासिल करने की और उत्तर प्रदेश में अमित शाह ने 71 संसदीय सीटें जीतकर, दिल्ली के सिंघासन का दावा आधा पूरा कर दिया|
नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के चंद महीनो में ही अमित शाह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया और बस इसी कदम बीजेपी की तक़दीर ही बदल डाली|
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नारा कांग्रेस मुक्त भारत पूरा सच होने लगा| इसी साल यानि 2014 में अमित शाह की अगुवाई में महाराष्ट्र, झारखण्ड और हरियाणा में बीजेपी ने भयंकर जीत हासिल की तो जम्मू कश्मीर में भी भगवा रंग दिलो दिमाग पर छा गया|
हालाँकि साल 2015 में दिल्ली और बिहार दोनों में हार के बाद अमित शाह के नेतृत्व पर सवाल उठे लेकिन शाह घबराये नहीं| प्रधानमंत्री मोदी का पूरा साथ मिला| अमित शाह ने साल 2015 की हार का जवाब, साल 2016 में असम जीतकर दिया|
साल 2016 में ही पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया| अमित शाह ने अपने संगठन को इतना तैयार कर दिया की साल 2017 से देश में कांग्रेस का सफाया होने लगा|
बीजेपी, देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेशजीत गई| इसके बाद उत्तराखंड, मणिपुर , गोवा, गुजरात, हिमांचल, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय भी मोदी मोदी हो गया|
अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले एन डी ए सिर्फ आठ राज्यों में शासन कर रही थी लेकिन उनके आने के बाद 15 राज्यों में सिर्फ बीजेपी और 21 राज्यों में एन डी ए की सरकार बन गई| देश की तक़रीबन 71 फीसदी जनसँख्या पर भगवा राज हो गया|
अमित शाह वो नाम हो गया जो न कभी हारता न कभी थकता| राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के तीन वर्षो के अन्दर ही देश भर में पांच लाख साठ हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर डाली| 315 आउट स्टेशन टूर कर डाले|
देश के 680 में से 350 जिलों की यात्रा पूरी की| अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी से दस करोड़ कार्यकर्ता जोड़कर, उसे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना डाला| अमित शाह फिलहाल राज्य सभा सांसद और देश के गृहमंत्री हैं Home Minister Of India और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत के सूत्रधार भी|
अमित शाह ने सोशल इंजीनियरिंग के सूत्र को इतने बारीक़ तरीके से साधा की बाकी पार्टियाँ इनके आगे गच्चा खाती चली गईं|
आज अमित शाह जिस मुकाम पर भारतीय जनता पार्टी को पहुँचा चुके हैं उसके उपरांत यही कहना उचित होगा की शाह का काम भी बोलता है और नाम भी, इसलिए जब तक अमित शाह हैं कांग्रेस ही क्या बाकी दलों के लिए भी फतह हासिल करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है|
अमित शाह का कोई तोड़ नहीं न तोड़ने में न जोड़ने में|
कर्मवादी |
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