शुभ धनतेरस की कहानी: पौराणिक कथा, महत्व और पूजा विधि

Shubh Dhanteras ki Kahani in Hindi Dhanteras PujaVidhi 

लोग Shubh Dhanteras के दिन व्रत रखते हैं| इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की एक काफी प्राचीन कहानी Shubh Dhanteras ki Kahani  सुनाई जाती है|

कहते हैं इस Shubh Dhanteras ki Kahani को पढ़ने, सुनने मात्र से ही, इसका फल मिलता है|

तो आज लेख में, हम आपको Dhanteras की कथा/कहानी साझा करने जा रहें हैं|dhanteras kyu manaya jata hai? तो पूरा आर्टिकल अवश्य पढ़ें, इसको पढ़ने से आपके ज्ञान में थोड़ा कुछ नया जुड़ जायेगा| आप सभी को dhanteras ki hardik shubhkamnaye.

 Subh Dhanteras ki Kahani

धनतेरस की कहानी

एक अत्यंत प्राचीन घटना है| हुआ कुछ यूं की भगवान विष्णु पृथ्वी लोक पर जाने के लिए तैयारी में थे, की आज धरती लोक पर विचरण करना है, मृत्युलोक में घूमना है|

माँ लक्ष्मी को ज्यों ही पता चला की भगवान विष्णु धरती लोक के लिए प्रस्थान करने वाले है| वो मृत्युलोक में जा रहें हैं- भ्रमण पर|

तो लक्ष्मी जी प्रभु से निवेदन करने लगी की, भगवन! हमें भी आपके साथ पृथ्वी लोक का विचरण करना है| 

भगवान विष्णु ने जवाब दिया- वो तो ठीक है| परन्तु मैं जैसा बोलूं ,आपको वो करना पड़ेगा है| अगर आप मेरी इस बात से सहमत हैं, तो चलिए आप भी साथ में| लक्ष्मी जी ने कहा ठीक है भगवन आप जैसा बोलेंगे मैं वैसा ही करुँगी|

इसके उपरांत माता लक्ष्मी अपने स्वामी हरि विष्णु संग पृथ्वीलोक पर पहुँच गईं| दोनों धरती पर विचरण करने लगे| कुछ देर घूमने टहलने के बाद, भगवान विष्णु एक स्थान पर रूककर माता लक्ष्मी जी से कहते हैं- देवी सुनिए, आप यहीं ठहरिये, मैं कुछ देर में आता हूँ|

और सुनिए, मैं दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हूँ आप भूलकर भी, उस तरफ, देखिएगा नहीं|  और अपनी बात कहकर, विष्णु जी उसी दिशा की तरफ बढ़ चले|  

भगवान विष्णु के जाने के बाद माता लक्ष्मी के मन में कौतुक उत्पन्न हो गया की आखिर क्या रहस्य है? आखिर भगवन दक्षिण दिशा में क्यों गए हैं? और मुझे क्यों मना कर रखा है उस दिशा में देखने के लिए ?

आज्ञा उल्लंघन से भगवान विष्णु हुए नाराज 

जरुर कोई न कोई बात है| जरुर कोई न कोई रहस्य है| अब माता लक्ष्मी के मन में ये विचार चले जा रहे थे, तो कौतुक बढ़ता जा रहा था, की क्या रहस्य है?

तो उनसे रहा नहीं गया और ज्यों ही भगवान रवाना हुए त्यों ही, माता लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ी, चलो देखते हैं क्या बात है ?

वो लोग कुछ ही दूर गए थे की सरसों के खेत दिखाई देने लगे| चारो ओर सरसों के फूल दिख रहे थे| पीले पीले खेत नजर आ रहे थे| अब सरसों की जमी हुई, इस तरह की शोभा को देखकर, फूलों को देखकर, माता लक्ष्मी मुग्ध हो गईं|

और उन्होंने फूलों को तोड़ा और फिर अपना श्रृंगार कर लिया और फिर आगे चलने लगी| 

थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें गन्ने का खेत दिखाई दिया| लक्ष्मी ने गन्ने लिए और रस चूसने लगी| उसी क्षण भगवान विष्णु जी आ गए| उन्होंने देखा की माता लक्ष्मी उनके पीछे पीछे आ रहीं हैं, भगवान विष्णु नाराज हो गए| 

माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु का श्राप 

नाराज होकर उन्होंने श्राप दे दिया की मैंने आपको इधर आने से मना किया था| मगर आप नहीं मानी और इस किसान की चोरी का अपराध भी कर बैठीं| अब आप उस किसान की 12 वर्षों तक सेवा करिए| यही आपके अपराध की सजा है|

ये बोलकर श्री हरी विष्णु विष्णु, माँ लक्ष्मी को पृथ्वीलोक पर ही छोड़कर, अपने निवास क्षीर सागर पहुँच गए|अब माता लक्ष्मी को भगवान विष्णुजी के शाप की वजह से, किसान के घर में ही रहना पड़ा|

वो किसान बेहद गरीब था| लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा- तुम स्नान करके सबसे पहले मेरी बनाई हुई देवी लक्ष्मी का पूजन करो! फिर रसोई बनाना|

फिर तुम जो मांगोगी वो तुम्हे मिलेगा| किसान की अर्धांगिनी ने माँ लक्ष्मी के कथानुसार, वो सारे काम में लग गई|

माँ लक्ष्मी की किसान पर कृपा 

अब किसान की पत्नी की पूजा के प्रभाव से, लक्ष्मी जी की कृपा से, किसान का घर कुछ ही दिनों में धन, अन्न, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया| और लक्ष्मी से जगमग होने लगा और स्वयं जब लक्ष्मी जी जब उनके घर में रह रहीं थीं तो जगमग तो होना ही था|

तो लक्ष्मी जी ने पूरी तरह से उस किसान को धन दौलत से मालामाल कर डाला|

किसान के बारह वर्ष बड़े ही आनंद से कट गए| और माता लक्ष्मी जी का श्राप भी पूरा हुआ|  तो बारह वर्षों के बाद माता लक्ष्मी जी जाने के लिए तैयार हुई|  भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को लेने के लिए आये तो, किसान ने उन्हें भेजने से इनकार का दिया| 

अब लक्ष्मी जी भी बिना किसान की मर्जी के, वहां से जाने को तैयार नहीं थी| क्योंकि उन्होंने बारह वर्षों तक किसान के यहाँ ही शरण ली थी| तब विष्णु जी ने एक चतुराई की, भगवान विष्णु जिस दिन लक्ष्मी जी को लेने के लिए आये उसी दिन वारुणी पर्व था| 

ShubhDhanteras ki Kahani | dhanteras kyu manate hain in hindi?

भगवान विष्णु ने किसान को वारुणी पर्व का महत्व समझाते हुए कहा की- सुनो, तुम परिवार सहित गंगा में जाकर स्नान करो और इन कोड़ियों को भी जल में छोड़ देना| तो उन्होंने किसान को कुछ कोड़ियां दी| और जब तक तुम नहीं लौटोगे तब तक मैं इनको लेकर नहीं जाऊंगा|

किसान को विष्णु जी पर विश्वास हो गया और जैसा विष्णु जी ने कहा था, उसने वैसा ही करने के लिए, सभी के साथ गंगा नहाने के लिए चल दिया| जैसे ही उसने कोड़ियां गंगा में डाली वैसे ही चार हाथ निकले और वो कोड़ियां उन चार हाथों में चली गई|

फिर किसान को बड़ा ही अचरज हुआ| अरे हमारे घर में जो स्त्री है वो स्वयं कोई देवी है| तब किसान ने गंगा माता से पूछ ही लिया हे माता- चार भुजाएं, ये किसकी हैं ?

गंगा मईया बोली – हे किसान सुन, वो चारो हाथ मेरे ही थे, तूने जो कोड़ियां भेंट की है वो किसकी दी हुईं हैं ? किसान ने कहा मेरे घर पर जो स्त्री रह रही है उसी से ये कोड़ियां मुझे मिली हैं|

किसान के इतना कहने पर माँ गंगा ने कहा- तुम्हारे घर में जो स्त्री रह रही है वो कोई और नहीं बल्कि साक्षात् लक्ष्मी जी हैं और जो पुरुष रूप में हैं वो भगवान विष्णु हैं|

Shubh Dhanteras ki Kahani in Hindi 

तुम माता लक्ष्मी जी को अपने घर से विदा मत करना! नहीं तो तुम्हे फिर से गरीबी का मुंह देखना पड़ जायेगा| गंगा मईया की बात सुनकर किसान घर लौट आया| वहां लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जाने की तैयारी में बैठे हुए थे| 

किसान ने लक्ष्मी जी का आँचल पकड़ा और बोला, हे माता मैं आपको नहीं जाने दूंगा| तब भगवान ने किसान से कहा इन्हें कौन जाने देता है| परन्तु ये तो चंचला है, इनका स्वाभाव चंचल है| लक्ष्मी भला कहीं ठहरती हैं, कहीं नहीं ठहरती हैं|

इनको बड़े बड़े लोग नहीं रोक पाएं हैं| इनको तो मेरा श्राप था और इसीलिए ये बारह वर्षों तक तुम्हारी सेवा कर रहीं थीं|

अब इनका, ये 12 साल का समय बीत चुका है| भगवान विष्णु की ये बात सुनकर किसान हठ करने लगा, नहीं! नहीं! मैं माता लक्ष्मी जी को अपने घर से अब जाने नहीं दूंगा| आप कुछ और यहाँ से ले जाईये प्रभु

किसान की ऐसी बातों पर लक्ष्मी जी बोली- तुम मुझे अपने घर से नहीं जाने देना चाहते हो तो जैसा मैं बोलूंगी तुम्हे वैसा ही करना पड़ेगा |

कल तेरस आने वाला है, मैं कल Dhanteras का उत्सव मनाउंगी| तुम्हे कल तक अपने घर की साफ सफाई, अच्छी तरह से कर लेना होगा| 

 धनतेरस पूजा विधि/Dhanteras Puja Vidhi 

dhanteras ki puja kaise karen- रात्री में घी का एक दीपक जरूर जला कर रखना और सांयकाल मेरा पूजन करना और सुनो एक तांबे के कलश में रुपया भरकर मेरे निमित्त रखना| मैं उस कलश में निवास करुँगी किन्तु पूजा के समय मैं तुम्हे दिखाई नहीं दूँगी| और तुम्हारे इस तरह से पूजा करने पर मैं पूरे वर्ष भर तुम्हारे घर में ही रहूंगी, तुम्हारे घर से नहीं जाउंगी|

अब यदि तुम्हारी इच्छा है की मैं तुम्हारे घर से न जाऊ तो इसी प्रकार हर वर्ष तुम्हे मेरी पूजा करते रहना होगा| ये कहकर वो दीपक के प्रकाश की तरह वो दस दिशाओं में फ़ैल गई और भगवान देखते ही रह गए|

अगले दिन यानि तेरस के दिन किसान माँ लक्ष्मी के कहने के मुताबिक, उनका पूजा अर्चना किया| उसका घर हर तरीके से परिपूर्ण हो गया और अब वो किसान प्रत्येक वर्ष उसी तरह माँ लक्ष्मी की अर्चना करने में लग गया|

तो हे लक्ष्मी माता जिस तरह से आपने किसान का घर धन धान्य से भरा उसी तरह से जो भी व्यक्ति Dhanteras के दिन आपका पूजन करे उसका घर भी धन दौलत, अनाज ऐश्वर्य से, और सौभाग्य से भर दीजियेगा | 

Dhanteras Pooja Vidhi में  यमराज की पूजा का विधान 

बता दें की इस दिन यमराज का भी पूजन करने का विधान है| जहाँ Dhanteras के दिन यमराज के निमित्त एक चार मुखी दीपक का दीप दान किया जाता है| कहते हैं वहां कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है| 

घरों में दीपावली की सजावट भी Dhanteras के दिन से प्रारंभ कर दी जाती है| तो इस दिन घर को स्वच्छ कीजिये| घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाईये संध्या काल के समय| 

Dhanteras के दिन एक चार मुखी दीपक यमराज के नाम का जरूर जलाईये| और कई दीपक जलाकर माता लक्ष्मी का आह्वान करिए| माता लक्ष्मी का स्वागत करिए|

इस दिन नए बर्तन खरीदना बड़ा ही शुभ माना जाता है|

Dhanteras के दिन बर्तन की खरीददारी बेहद ही शुभ 

इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना बेहद ही पुण्यदायक माना गया है| इस दिन हल की जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमे सेमर की साक डालकर लगातार तीन बार अपने शरीर पर फेरना, कुमकुम लगाना भी काफी शुभ माना गया है| कहते हैं इस उपाय से भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं|

जो लोग कार्तिक स्नान करते हैं, कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गोशाला, कुआँ, बावणी, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक उन्हें दीपक जरूर जलाना चाहिए| 

जो लोग नहीं करते हैं वो भी जला सकते हैं, तो इस तरह आप भी Dhanteras के दिन इच्छित, वांछित स्थानों पर दीपक जलाकर माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं|

ये स्वयं माता लक्ष्मी जी का वरदान है, धरतीवासियों के लिए की यदि कोई व्यक्ति Dhanteras के दिन, माता लक्षी जी का आह्वान करता है| उन्हें बुलाता है तो माता लक्ष्मी उनके घर में जरूर आती हैं और उनके घर में ही स्थायी निवास करती हैं,हमेशा के लिए, तो आप भी जरूर कीजिये|

निष्कर्ष Shubh Dhanteras ki Kahani Puja Vidhi

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