Real History of National Anthem of India Song Lyrics

National Anthem of India Lyrics का असली इतिहास  

जन गन मन अधिनायक जय हे …. हमारे देश भारत का, राष्ट्रगान National Anthem of India

Jana Gana Mana

Who wrote the national anthem of India lyrics?

Rabindranath Tagore Written Jana Gana mana

Real History of National Anthem of India Song Lyrics
Composer of National Anthem of India Rabindra Nath Tagore

 

इस गीत के बारे में आज, लोगों के मन में कई सवाल हैं जैसे की इस गीत को सबसे पहले किस स्थान पर गाया गया था ?

क्या इस गीत को रबिन्द्रनाथ टैगोर ने, अंग्रेज शासक, जॉर्ज पंचम  के लिए लिखा था और इस गीत को भारत के स्वतंत्र होते ही, तुरंत National Anthem of India फ़ौरन घोषित, क्यों नहीं किया गया ?

तो दोस्तों आज आपके, इन्ही सवालों के जवाब देंगे| 

पर गुजारिश यही है की किसी भी फैसले तक पहुँचने से पहले, आप ये आर्टिकल पूरा पढ़िएगा, और इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी, घटित हुई घटनाएं और दस्तावेजों के हवाले से, आपके सामने बयां करने की कोशिश करेंगे, इसलिए आर्टिकल पूरा पढ़ने के बाद, निष्कर्ष आपको निकालना है-

तो दोस्तों स्वागत है आपका इंडिया के मोस्ट पोपुलर पोर्टल hindiaup पर 

और चलिए जानते हैं, हमारे देश के National Anthem के इतिहास Real History के बारे में 

rabindranath tagore के लिखे हुए jana gana mana पर, विवादों की आवाज, कई बार उठी है और ये आवाज, नई भी नहीं है, बहुत पुरानी हैं| फिलहाल की अगर बात करें तो, सुप्रीमकोर्ट के भूतपूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के भूतपूर्व प्रेसिडेंट मारकंडे काटजू, वर्तमान में विवादों की झलक प्रस्तुत कर रहे थे|

उनके विवाद के बाद, उनके काम को अंजाम दिया न्यूज़, इन्टरनेट और सोशल मीडिया ने, विवादकर्ताओं का मानना है की रबिन्द्रनाथ टैगोर ने जन गन मन, एक ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम की खुशामदी के लिए गाया था|

गीत में प्रयोग हुए शब्दों के मुताबिक, भारत का भाग्य विधाता, अंग्रेज किंग जॉर्ज पंचम को, बताया गया था और उस राजा के लिए, उस गीत में आशीर्वाद मांगने की बात भी, करी गई थी|

पर अब इस बात से ताल्लुक न रखने वाले, दूसरे पक्ष की बात को समझते हैं और बात को समझने के लिए थोड़ा इतिहास के पन्नो को पलटना होग|

Real History of  India National Anthem Song Lyrics

साल 1911 में, 26 दिसम्बर को, कलकत्ता में कांग्रेस का 27वां अधिवेशन शुरू हुआ था तब सभा के आरम्भ में, परम्परा के अनुसार, सरला देवी (रबिन्द्रनाथ टैगोर की भतीजी) ने वंदेमातरम् गीत गाया| उस समय वहाँ तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष पंडित बिशन नारायण धर  जी भी मौजूद थे|

 

बंकिमचन्द्र चटर्जी  ने जब साल 1875 में, यह गीत लिखा था|

Real History of National Anthem of India Song Lyrics
Composer of National Song Vande Matram

 

और तब से ही, किसी समारोह की शुरुवात में, वंदेमातरम् गीत को गाना, पूरे देश की परम्परा बन चुकी थी क्योंकि इस गीत के माध्यम से, हर किसी के दिल में देशभक्ति का जूनून, उभर आता था और चारो तरफ, वंदेमातरम् के नारे गूंजते रहते थे|

26 दिसंबर साल 1911 को तो कुछ खास घटित नहीं हुआ, लेकिन तहलका मचा 27 दिसंबर साल 1911के बाद, जब द मॉर्निंग सॉंग ऑफ़ इंडिया के टाइटल के साथ, रबिन्द्रनाथ टैगोर ने, जन मन गन गीत गाया|

रबिन्द्रनाथ टैगोर के इस गीत के गाने के बाद, ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए, एक दूसरा हिंदी गीत, रामभुज चौधरी द्वारा रचित ‘ बादशाह हमारा ” गाया गया|

और इसके दूसरे ही दिन 28 दिसंबर साल 1911 को, कलकत्ता के ‘ द इंग्लिशमैन ‘ नाम के समाचार पत्र ने छाप दिया की – 27 दिसंबर साल 1911 को, कांग्रेस अधिवेशन की शुरुवात, रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा, राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत में स्वरचित गीत गाकर, की गई|

लेकिन जब बंगाली समाचार पत्र ‘ द बंगाली ‘ ने बिल्कुल, इससे अलग खबर दिया | द बंगाली ने दो गीतों के बीच का भेद साफ़ साफ़ लिखा, उसने लिखा की – कवि बाबू रबिन्द्रनाथ टैगोर ने, कांग्रेस अधिवेशन का प्रारंभ, देशभक्ति गीत को गाकर किया और उसके बाद नामदार किंग के स्वागत में, दूसरा गीत बच्चों के द्वारा गाया गया था|

कटाक्ष की बात तो ये थी दोस्तों की , द इंग्लिश मैन के लिखे गए लेख पर, गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने चुप्पी साध ली थी और इस मौन के कारण ही, सिर्फ बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे देश के सामने, ये सवाल खड़ा हो गया था की टैगोर ने, अपने गीत में, भारत का भाग्य विधाता किसे कहा ? 

क्या टैगोर ने सच में ये गीत, उस जॉर्ज पंचम के लिए रचा होगा?

विवादों के तूफ़ान उठने लगे, और इस दौरान अगर रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपना बयान दे दिया होता तो उसी समय विवाद ख़त्म हो जाता पर रबिन्द्रनाथ टैगोर ने सालों तक अपना मौन नहीं तोड़ा|

ऊपर से ब्रिटिश सरकार ने उन्हें साल 1915 में, नाईट हुड का सम्मान दे डाला और रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों द्वारा दिए गए सम्मान को, ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार भी कर लिया|

अब देशवासियों को रबिन्द्रनाथ टैगोर दुश्मन सरीखे दिखने लगे थे और यहाँ तक की कई लोगों ने उनको गद्दार भी कहना शुरू कर दिया था|

आगे चलकर पूरे 26 साल बाद, साल 1937 में, रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपना मौन तोड़ा और कहा की – मैंने अपने गीत में, भारत भाग्य विधाता शब्द का प्रयोग, न ही जॉर्ज पंचम के लिए किया है और न ही किसी दूसरे ब्रिटिश राजा या रानी के लिए किया है|

 मैंने ये शब्द स्वयं सर्वशक्तिमान भाग्य विधाता, ईश्वर के लिए उपयोग किया है|

अब टैगोर का ये बयान, उस समय कई लोगों के, गले के नीचे नहीं उतर रहा था क्योंकि अब देश की स्थिति, साल 1911 के जैसे नहीं रह गई थी| अब सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गाँधी और सरदार पटेल के साथ गाँव गाँव, कई सारे लोग, स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे|

सुखदेव, भगत सिंह, राजगुरु और आजाद जैसे देश के सच्चे सपूत, देश के लिए शहीद भी हो गए थे| 

भारतीय देशभक्तों के आन्दोलन ने, अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था |

अब इस माहौल में टैगोर का ये बयान, शक पैदा करने वाला था| लोग ये सोचने लगे की आखिर स्पष्टीकरण ही देना था तो साल 1911 में ही दे देते, इतने साल इन्तजार करने की आवश्यकता ही क्या थी ?

अब इन सवालों का जवाब दिए बिना ही रबिन्द्रनाथ टैगोर, 7 अगस्त 1941 के दिन, इस संसार को अलविदा कह गए|

15 अगस्त साल 1947 को देश आजाद हो चुका था लेकिन देश में प्रतीक सदृश, कोई भी National Anthem अभी तक निश्चित नहीं हुआ था|

क्यों नहीं हुआ था ?

तो इस क्यूँ के जवाब के लिए, हमें फिर से थोड़ा फ्लैशबैक में जाना होगा| 

भारतवासियों के रोम रोम में जोश पैदा करने वाला गीत, वंदेमातरम्, बंकिमचन्द्र चटर्जी ने 7 नवम्बर साल 1875 के दिन, ‘ आनंदमठ ‘ नाम के उपन्यास में लिखा और उसके ठीक 36 वर्ष पश्चात, जन गन मन की रचना हुई|

जन मन गन की रचना से पहले, तो वंदेमातरम् गीत National Song, लोगों की जुबान पर चढ़ गया था| वन्देमातरम गीत को, लोगों की अपार लोकप्रियता मिली थी| 

लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग पार्टी को , बंकिमचन्द्र के इस गीत से समस्या थी क्योंकि इस गीत में, भारत माता की वंदना करने की बात, केंद्र बिंदु में थी|

अब देश की आजादी के बाद न ही जिन्ना बचे थे न ही उनकी मुस्लिम लीग पार्टी पर लाखों मुसलमान भारत में बसते थे क्योंकि वो नए देश पाकिस्तान, नहीं जाना चाहते थे, वो यहीं अपने गाँव अपने देश में रहना चाहते थे| वो लोग बेशक ही देशप्रेमी थे|

और वन्देमातरम गीत, पंडित नेहरु को कम पसंद था| उन्हें सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा, अधिक अच्छा लगता था लेकिन इस गीत के रचनाकार, मोहम्मद इकबाल, अलग देश पाकिस्तान की मांग करने वालों में, अव्वल नंबर पर थे|

इसलिए अब National Anthem of India के चयन के लिए, दो ही गीत शेष बचे थे| 

जन गन मन और वन्देमातरम

अब दोस्तों मार्च 8, साल 1948 के दिन जब, गवर्नर्स की मीटिंग हुई तो उस मीटिंग में पंडित नेहरु ने स्पष्ट रूप से ये कहा की,

     वन्देमातरम गीत में अधिकतर लोगों को समझ में न आने वाले, कठिन शब्दों का प्रयोग हुआ है| देश का राष्ट्रगान National Anthem जीवंत और गौरवशाली, होना चाहिए, निर्जन राष्ट्रगान, हमें नहीं चाहिए|

लो कर लो बात मतलब सालों तक, क्रांतिकारियों के रोंगटे खड़े करने वाला, बाबू बंकिमचन्द्र चटर्जी का गीत, अचानक से निर्जन हो गया|

अंत में उस सभा में पंडित नेहरु ने ये कहा की,

विदेशी वन्देमातरम की धुन को, आसानी से समझ नहीं पाएंगे| National Anthem का महत्त्व देश में नहीं, किन्तु विदेश में होना चाहिए|

अब दोस्तों हमें तो ये लगता है की, किसी भी देश के राष्ट्रगान का महत्व, उसके देशवासियों के बीच होता है|

अब आखिर में 24 जनवरी साल 1950 के दिन, बाबू रबिन्द्रनाथ टैगोर के जन मन गन गीत को, राष्ट्रगान National Anthem of India घोषित कर दिया गया| 

और आज भी बहुत सारे लोगों के मन में ये प्रश्न उठता है की टैगोर ने उस गीत में भारत का भाग्य विधाता किसे कहा था और खासकर ये बात वन्देमातरम के समर्थकों को समझ नहीं आई|

लेकिन दोस्तों अब हम अगर अपना निजी राय दें तो हमें किसी गहरे स्पष्टीकरण में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि उस समय रबिन्द्रनाथ टैगोर या बंकिमचन्द्र की जो भी मानसिक परिस्थिति रही हो लेकिन वर्तमान में भारत के वर्तमान नागरिकों के विचार शैली का असली महत्व है|

जन गन मन हम भारतवासियों के लिए सबसे आवश्यक और सम्मानित गीत है| इसका सम्मान हमें हर हाल में बढ़ाना चाहिए|

और हमारा यानि भारत का राष्ट्रीय गीत – वन्देमातरम है और हम इसका भी वंदन करते हैं| सच बताएं तो आज, वन्देमातरम को भी अधिक सत्कार और आदर मिल रहा है|

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने जन मन गन को असली में पांच पदों में लिखा था लेकिन उसके सिर्फ पहले पद को ही, National Anthem of India के रूप में स्वीकार किया गया है|

जिसे गाने का ऑफिसियल समय, 52 सेकंड माना जाता है और 

तो दोस्तों ये था इतिहास हमारे National Anthem यानि National Anthem of India के बारे में|

अगर इस विषय यानि Real History of India National Anthem Song Lyrics पर आपकी भी कोई राय या सुझाव है तो हमें कमेंट में अवश्य बताईये और अगर आपको ये पसंद आया हो तो इसे अधिक से अधिक शेयर भी कर दें, अभी तुरंत!

धन्यवाद आपका क्षण शानदार रहे हर हर महादेव नमो भगवते वासुदेवाय 

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