Why Lohri is Celebrated Happy Lohri Celebration Wishes
एक और बेहतरीन दिन दोस्तों, आज हम आपको Hindiaup में बताने जा रहें है लोहरी की कहानी|
आप सभी को पता है की हर साल 13 जनवरी को लोहरी मनाई जाती है| साल की शुरुवात का ये पहला और महत्वपूर्ण त्यौहार रहता है और इसके बाद मनाई जाती मकर संक्रांति|
तो चलिए हम जानने का प्रयास करते हैं की लोहरी आखिर मनाई क्यों जाती है ?
इसके पीछे दो कारण हैं –
सबसे पहला कारण है एक कहानी
सर्वप्रथम हम शुरू करते हैं पहले कारण यानि कहानी से, दूल्हा भट्टी वाला एक डाकू था और पूरे गाँव में लूट किया करता था| उसी गाँव में दो बहने भी रहा करती थीं – सुन्दरी और मुंदरी
डाकू दूल्हा भट्टी जो था, वो डाकू था पर वो दिल का बहुत अच्छा इंसान था| वो गरीबों की बहुत मदद करता था और असहाय लोगों की मदद के लिए वो हमेशा तैयार रहता था|
उधर सुन्दर मुंदरी के माता पिता इस दुनिया में नहीं थे वो दोनों अपने चाचा के पास रहा करती थीं| पहले तो चाचा ने उन दोनों की देखभाल की और दोनों बहनों से घर का काम भी करवाया करते थे|
लेकिन बाद में जब सुंदरी मुंदरी बड़ी हो गई तो उनके चाचा, उनका विवाह नहीं करवाना चाहते थे क्योंकि चाचा ने उन दोनों बहनों को एक राजा के पास बेचने का फैसला कर लिया था और बदले में उनको रकम भी मिलनी थी|
जब इस बात का पता डाकू दूल्हा भट्टी को चला तो उसने सोचा की इन दोनों बहनों को बचाना चाहिए और वो दोनों बहनों के पास गयाऔर उन्हें उठाकर एक जंगल में ले गया, उनकी शादी करवाने के वास्ते|
वो फटाफट जंगल में गया, वहाँ पर पेड़ों से गिरे पत्ते वगैरह इकट्ठे किये और आग लगाई और दो अच्छे लड़कों से उन लड़कियों की शादी करा दी और डाकू ने उन लड़कियों का कन्यादान भी किया|
डाकू दूल्हा भट्टी शादी तो इतनी धूमधाम से नहीं करवा सका क्योंकि ये सारे काम जल्दी जल्दी में किये गए और उधर राजा की सेना और गाँव वाले भी उसके पीछे पड़े थे की डाकू लड़कियों को उठा ले गया है|
उस समय डाकू के पास ज्यादा कुछ तो था नहीं इसलिए उसने एक एक शेर शक्कर, उनकी झोली में डाला जैसे लड़की का पिता कुछ न कुछ देकर लड़की की विदाई करता है|
इस तरह से दूल्हा भट्टी डाकू ने, उन दोनों लड़कियों की विदाई कर दी|
तब से कहा जाता है वो जो आग जली थी जंगल में, उसकी गर्मी से उनके जीवन में एक नई उमंग नई रौशनी का प्रवेश हुआ था| बहुत ही ठण्ड होती है जनवरी के महीने में, तो ये माना जाता है की जो लोहरी का त्यौहार होता है गर्मी लाता है वातावरण में|
इसके ऊपर लोहरी सांग ” सुन्दर मुंदरी तेरा …’ भी बड़ा प्रचलित है|
लोहरी पर्व मनाये जाने का दूसरा कारण
जनवरी के समय में जो गाँव होते हैं, उधर बहुत ठण्ड होती है और जो फसलें वगैरह होती हैं वो बहुत अच्छी स्थिति में होती हैं| अब क्या होता था पुराने ज़माने में, ठण्ड के समय में सब जल्दी जल्दी अपने घरों में चले जाना, सो जाना |
तो ये माना जाता है की लोहरी के त्यौहार के बाद, ठण्ड भी थोड़ी कम हो जाती है| सारे गाँव वाले एक स्थान पर इकट्ठे होते थे और बीच में लकड़ियाँ इकट्ठी करके आग जलाते थे तो उसी को कहा जाता था लोहरी |
साथ में बैठकर खूब गप्पे वगैरह मारते थे क्योंकि सब फसलें अच्छी तरह से उग गईं , कट गई तो वो लोग भी एन्जॉय करते थे और इसी के बाद ठण्ड थोड़ी थोड़ी कम होने लगती है, ऐसा माना जाता है की अब ठण्ड का जाने का समय आ गया है |
तो इसलिए भी लोहरी का त्यौहार मनाया जाता है| ये अधिकतर पंजाबी लोगों के बहुत ही प्रसिद्द त्यौहार होता है |
इसमें खाने के लिए रेवड़ी, मूंगफली और पॉपकॉर्न आदि चीजों का इस्तेमाल किया जाता जो प्रसाद के रूप में मिलते हैं | लोहरी में एक बड़ी सी आग जलाई जाती है और लोग इसकी परिक्रमा करते हैं और प्रसाद को उस लोहरी यानि अग्नि माता में प्रवाहित कर प्रार्थना करते हैं जो भी मनोकामना होती है |
और ये मान्यता है की जब हम उस लोहरी या अग्नि माता के सामने जो भी प्रार्थना करते हैं, निश्चित रूप से वो जरूर पूर्ण होती है, खैर प्रार्थना तो जो भी आप भगवान के सामने सच्चे मन से करेंगे वो पूरी होती है |
ये जो लोहरी के त्यौहार का सन्दर्भ है आपको जरूर पसंद आया होगा, आया है तो इसे जरुर से जरुर शेयर कीजिये और अपने पूरे परिवार के साथ लोहरी को ख़ुशी और उमंग से मनाईये और आप सबको हमारी तरफ से लोहरी की बहुत बहुत शुभकामनाएं