Why Makar Sankranti is Celebrated? Celebration Wishes
Happy Makarsankranti 2024 – आज के इस लेख में जानेंगे की मकर संक्रान्ति क्यों, कब और कहाँ पर मनाई जाती है ?
Happy Makarsankranti 2024 – आज के इस लेख में जानेंगे की मकर संक्रान्ति क्यों, कब और कहाँ पर मनाई जाती है ?
जैसा की आप जानते हैं, मकर संक्रान्ति हिन्दू धर्म का मुख्य त्यौहार है| मकर संक्रान्ति सम्पूर्ण भारत में तथा नेपाल में किसी न किसी रूप में 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है|
आज के ही दिन सूर्य कर्क रेखा को छोड़कर, मकर रेखा की तरफ आते हैं या फिर यूँ कहें की सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं इसलिए इस दिन को किसी किसी स्थान पर उत्तरायणी भी कहते हैं|
इस त्यौहार को भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम तथा अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है|
शास्त्रों को अनुसार दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मक का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मक का प्रतीक माना जाता है| इस लिए इस दिन जप, तप, स्नान, दान
तर्पण आदि का विशेष महत्व है|
मकर संक्रान्ति का त्यौहार मनाये जाने का प्रमुख वजह, जैसा की आप सब जानते हैं की भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है| मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में स्थित होता है और भारत से दूर होता है|
इसी कारण यहाँ लम्बी रातें और छोटे दिन होते हैं और यहाँ पर सर्दी का मौसम होता है| जैसा की आप जानते हैं अभी के समय भारत में ठण्ड हो रही है लेकिन अगर अभी आप जायेंगे आस्ट्रिया में, दक्षिण अफ्रीका में तो वहां पर अभी मौसम गर्म है|
मकर संक्रान्ति से सूर्यदेव, उत्तरी गोलार्ध की ओर आना प्रारंभ कर देते हैं इस वजह से इस दिन के उपरांत से, रातें छोटी होनी शुरू हो जाती हैं और दिन लम्बे होने लगते हैं और गर्मी का मौसम शुरू होने लगता है|
जैसा की हमने आपको बताया था की 22 दिसम्बर से ही दिन बड़े होने लगते हैं तो यहाँ भारत में ऐसा माना जाता है की मकर संक्रान्ति के बाद से दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं और गर्मी का मौसम आने लगता है|
क्योंकि हर स्थान के जलवायु की स्थिति अलग अलग होती है| क्रिसमस जो मनाया जाता था पश्चिमी देशों में, भारत में हम कह सकते हैं की इसी पर्व को मनाया जाता मकर संक्रान्ति के तौर पर|
दिन के लम्बे होने से प्रकाश ज्यादा होगा और रात छोटी होने से अँधेरा कम होता है| इसलिए मकर संक्रान्ति त्यौहार पर सूर्य की राशि में प्रवेश, परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है|
प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चैतन्यता और कार्य शक्ति में वृद्धि होती है| दिन जब बड़े होंगे तो लोग अधिक से अधिक काम कर पाएंगे तो इस वजह से यहाँ पर एक सकारात्मकता फैलती है|
इसलिए ऐसा मानकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में लोगों द्वारा विभिन्न तरीकों से सूर्यदेव की उपासना, आराधना तथा पूजा करके, उनकी कृतज्ञता प्रकट की जाती है और इस दिन को हर साल 14 जनवरी को और कहीं कहीं 13 जनवरी को ही मनाई जाती है |
मान्यता ये भी है की इस दिन सूर्यदेव, अपने बेटे शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, मकर राशि यानि शनि देव, ठीक है|
और यही कारण है की इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से हम सभी जानते है| महाभारत काल में भीष्म पितामह ने, अपने शरीर को छोड़ने के लिए मकर संक्रान्ति के दिन को ही, चुना था|
मकर संक्रान्ति के दिन माँ गंगे, भागीरथ के पीछे पीछे चलते हुए, कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई, सागर में जाकर मिल गई थीं इसलिए इस दिन को ऐतिहासिक दिन के रूप में भी देखा जाता है|
नेपाल देश के हर राज्य में अलग अलग नामो से, तरह तरह के रीति रिवाजों द्वारा भक्ति एवं पूरे उत्साह के साथ बहुत ही धूमधाम से यह मकर संक्रान्ति का त्यौहार मनाया जाता है| मकर संक्रान्ति के दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिए, भगवान का धन्यवाद देकर, उनकी अनुकम्पा को सदैव लोगों पर बनाये रखने का आशीर्वाद मांगते हैं|
इसलिए मकर संक्रान्ति के त्यौहार को फसलों एवं किसानों का त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है|
मकर संक्रान्ति को, नेपाल में माघे संक्रान्ति के नाम से भी जानते हैं और नेपाल के थारू समुदाय में, मकर संक्रान्ति को माघी भी कहा जाता है| इस दिन नेपाल सरकार ने सार्वजानिक छुट्टी का प्रावधान भी किया है| थारू समुदाय के लोगों का मकर संक्रान्ति, सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है|
नेपाल के शेष समुदाय के लोग भी तीर्थ स्थानों पर स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं और दान धर्म भी करते हैं|
सबसे पहले हरियाणा और पंजाब में – हरियाणा और पंजाब में इसे लोहरी के नाम से भी जाना जाता है, ये 13 जनवरी को ही मना लिया जाता है और तिल, गुड, चावल, भुने हुए मक्के यहाँ पर खाते हैं, मूंगफली भी खाते हैं और इसके साथ ही साथ वो लोग मक्के की रोटी भी खाते हैं और इस दिन गाना बजाना भी करते हैं|
उत्तर प्रदेश राज्य में मकर संक्रान्ति का त्यौहार, प्रमुख तौर पर, दान का पर्व माना जाता है| इलाहाबाद शहर के गंगा, यमुना और सरस्वती संगम पर इस त्यौहार हर साल, एक महीने के लिए माघ मेला लगता है जोकि माघ मेले के नाम से प्रचलित है|
14 जनवरी से ही इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुवात होती है | 14 दिसम्बर से लेकर 14 जनवरी तक, यह समय खार मास के नाम से जाना जाता है|
इस दिन यहाँ के लोग गंगा स्नान करते हैं, दान धर्म करते हैं, खिचड़ी खाते हैं और पतंगे उड़ाते हैं|
भारत के ही बिहार राज्य में, मकर संक्रान्ति के त्यौहार को, खिचड़ी के नाम से जाना जाता है| यहाँ पर मकर संक्रान्ति के दिन चावल, उड़द, तिल, चूरा, स्वर्ण, कम्बल और वस्त्र आदि का दान करने का अलग ही महत्व है|
इसी तरह महाराष्ट्र, बंगाल, तमिलनाडु, असम और राजस्थान में अलग अलग तरह से मनाया जाता है| ज्यादा जानकारी के लिए आप विकिपीडिया को देख सकते हैं|
अगर आपको इस लेख से कुछ भी सीखने को मिला हो तो जल्दी से जल्दी इसे शेयर कर दीजिये अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के बीच ताकि वो उनको भी ये जानकारी प्राप्त हो सके |
आपका कीमती वक़्त के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |
wishes for makar sankranti – Happy Makar Sankranti 2024, भगवान सूर्य सबके ऊपर कृपा बनाये रखें|
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