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About Albert Einstein Biography अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय
Einstein_family– अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म, 14 मार्च, साल 1879 जर्मनी के, यहूदी धर्म को मानने वाले परिवार में हुआ था| अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता, Harmann Einstein ( 1847-1902), जर्मनी उद्यमी, एक व्यापारी और एक इलेक्ट्रिकल इंजिनियर भी थे और उनकी माता जी का नाम Pauline Einstein (1858-1920) था|
अल्बर्ट आइंस्टीन, जब पैदा हुए थे तो, उनके भीतर जो अनोखी चीज थी जो उनको अन्य बच्चों से, अलग बनाती थी और वो थी – उनके सिर का, किसी भी, अन्य बच्चों की तुलना में, कहीं अधिक बड़ा होना|
अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने बचपन की शुरुवात में, बोलने में भी, समस्याएं आती थी और तक़रीबन चार साल की उम्र तक, अल्बर्ट आइंस्टीन कुछ भी न बोल सके|(Albert Einstein Biography in Hindi)
मगर एक दिन जब वो माता पिता के साथ, रात्रि के भोजन के लिए बैठे थे, तो उन्होंने अपनी, अब तक चार सालों की चुप्पी को, तोड़ते हुए बोला की, सूप बहुत गरम है|
अपने बेटे को, इस तरह से, एक दम बोल उठने पर, अल्बर्ट आइंस्टीन के माता पिता चौंके भी और अत्यधिक प्रसन्न भी हो गए|
Albert Einstein Biography in Hindi
अल्बर्ट आइंस्टीन अपने बचपन के दिनों में भी, अपने हम उम्र के बच्चों के साथ खेलना, बिल्कुल पसंद नहीं करते थे और बचपन से ही उन्होंने, अपनी एक अलग दुनिया बना रखी थी क्योंकि वो हमेशा प्रकृति और ब्रह्माण्ड के बारे में सोचते रहते थे|
उनके मन ये बात हमेशा कौंधती रहती थी की आखिर ये दुनिया कैसे चलती है?
अल्बर्ट आइंस्टीन के भीतर, विज्ञान के प्रति रूचि तब पैदा हुई थी जब उनकी उम्र, महज 5 वर्ष हुई थी जब उनके पिताजी ने, उनको एक मैग्नेटिक कम्पास लाकर दिया था| जिसे देखकर अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत खुश हुए लेकिन उस कम्पास की सुई को हमेशा, उत्तर दिशा में रहता देख, उनके दिमाग में हमेशा ये सवाल आने लगे की ऐसा कैसे और क्यों होता है ?
Albert Einstein Education
बचपन में उनके, बोलने में कठिनाई होने के कारण, उन्होंने स्कूल जाना, बहुत देर में शुरू किया और स्कूल उन्हें, जेल जैसा प्रतीत होता था क्योंकि उनके अध्यापकों द्वारा जो भी चीज पढ़ाई जाती थी वो उन्हें, आधी अधूरी लगती थी|
उनके अध्यापक किताबों में लिखी हुई चीजों को, समझने से ज्यादा किताबी ज्ञान को याद कर लेना सिखाते थे और इसी वजह से, अल्बर्ट आइंस्टीन अपने अध्यापकों से अजीबोगरीब प्रश्न पूछा करते थे|
और इसी कारण से, उनके स्कूल के अध्यापकों ने, अल्बर्ट आइंस्टीन को मनबुद्धि बालक भी कहना शुरू कर दिया था और बार बार, अपने लिए मंदबुद्धि कहे जाने के कारण उन्हें, यह एहसास होने लगा था की उनकी बुद्धि का विकास, अभी तक नहीं हुआ है|
Albert einstein school life story/ Albert Einstein Biography in Hindi
इसी के चलते अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार, अपने एक टीचर से पूछा की, ” मैं अपनी बुद्धि का विकास कैसे कर सकता हूँ?
प्रश्न का जवाब देते हुए उनके टीचर ने, एक लाइन में कहा, अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र है|
भाईयों अपने टीचर द्वारा बोली गई ये बात, अल्बर्ट आइंस्टीन के दिल के भीतर, जा बैठी और उस दिन से उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया की वो, एक दिन सबसे बुद्धिमान, बनकर दिखायेंगे और उसके बाद से, हमेशा आगे बढ़ने की चाहत, उन पर हावी रहने लगी|
अगर पढ़ने में मन नहीं लगता था फिर भी, अल्बर्ट आइंस्टीन किताब हाथ से नहीं छोड़ते थे, वो हमेशा अपने मन को समझाते और फिर से पढ़ने में जुट जाते और कुछ ही समय में, उनके अभ्यास का, सकारात्मक परिणाम, दिखाई देने लगा जिसे देखकर, उन्हें अध्यापकगण भी, उनके इस विकास से दंग रह गए|
और बाद में आगे की पढ़ाई के लिए, अल्बर्ट आइंस्टीन ने गणित जैसे जटिल विषय को चुना लेकिन आर्थिक स्थिति में कमजोरी आने के बाद, उनकी आगे की पढ़ाई में, थोड़ी समस्याएं आईं|
Albert einstein lifestyle
अल्बर्ट आइंस्टीन, शौक और मौज पर, एक पैसा भी, खर्च करना, पसंद नहीं करते थे|
चलिए इस बात को प्रमाणित करता हुआ एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा आपको बताते हैं …
एक दिन की बात है, जब जोरों से घनघोर, बारिश हो रही थी और अल्बर्ट आइंस्टीन, अपनी कैप यानि टोपी को अपने बगल में दबाकर भीगते हुए, अपने घर जा रहे थे| तब ही रास्ते में उन्हें, एक सज्जन व्यक्ति मिले और बोले की भाई, तेज़ बारिश हो रही है और तुम अपनी हैट से अपने सिर को ढंकने के बजाय, अपनी कोट में दबाये चले जा रहे हो| क्या तुम्हारा सर भीग नहीं रहा है ?
भाईयों इस बात का जवाब देते हुए, अल्बर्ट आइंस्टीन ने, उस सज्जन व्यक्ति से कहा, भीग तो रहा है परन्तु थोड़ी देर बाद सूख जायेगा लेकिन हैट गीला हुआ तो बर्बाद हो जायेगा ये और नई कैप खरीदने के पैसे, मेरे पास अभी नहीं हैं और न ही समय है|
दोस्तों अपने कड़े परिश्रम और अथक प्रयासों से, अल्बर्ट आइंस्टीन ने, गणित और भौतिक विज्ञान में, महारथ प्राप्त कर ली थी और भाईयों, शिक्षा को लेकर, उनका विचार था की …
Albert Einstein Quotes on Education
यह किसी चमत्कार से कम नहीं है की शिक्षा के आधुनिक तरीकों ने अभी तक, जांच की पवित्र जिज्ञासा का हर प्रकार से गला घोंट दिया है – अल्बर्ट आइंस्टीन
“शिक्षा वो है जो, जो आपको तब भी याद रहे, जब आप सब कुछ भूल गए हों, जो आपको याद था”- अल्बर्ट आइंस्टीन
आपको बताते चलें की अल्बर्ट आइंस्टीन, समय के साथ साथ, इतने बुद्धिमान हो गए की उन्होंने कई सारी, अद्भुत खोज कर डाली|
Alebrt Einstein famous quote about education
बुद्धि गलत नहीं थी जिसने एजुकेशन की परिभाषा कुछ ऐसी दी – एजुकेशन वो चीज है जो हमेशा बनी रहती है भले ही कोई स्कूल में सीखी हर चीज भूल गया हो – अल्बर्ट आइंस्टीन
मूर्खता और प्रतिभा में सिर्फ इतना फ़र्क होता है की प्रतिभा की अपनी सीमा होती है – अल्बर्ट आइंस्टीन
Albert Einstein Achievements/Albert Einstein Biography in Hindi
आज की दुनिया, उनको थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी ( Theory of reletivity ) यानि सापेक्षता का सिद्धांत और मॉस एनर्जी ( Mass & Energy ) द्रव्यमान और उर्जा समीकरण E=mc^2 के लिए जानती है|
अल्बर्ट आइंस्टीन को, भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में दिए गए, उनके महत्वपूर्ण सिद्धांतों की वजह से, और विशेष रूप से, प्रकाश विधुत उत्सर्जन के आविष्कार के लिए, साल 1921 में, नोबल पुरस्कार के सम्मान से भी, पुरस्कृत किया गया|
ये सम्मान, अल्बर्ट आइंस्टीन को सिर्फ 42 साल की उम्र में ही मिल गया था|
सन 1952 में अमेरिका ने अल्बर्ट आइंस्टीन को इजराइल का राष्ट्रपति बनने की पेशकश की लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनका प्रस्ताव, ये कहकर ठुकरा दिया की, वे राजनीति के लिए नहीं बने हैं|
महान वैज्ञानिक (Scientist) अल्बर्ट आइंस्टीन ने, ये सिद्ध करके दिखाया की, एक कम बुद्धि लड़का भी, अपनी कड़ी मेहनत, लगन और परिश्रम के दम पर, इस संसार में कुछ भी प्राप्त, कर सकता है|
अल्बर्ट आइंस्टीन इतने बुद्धिमान बन गए थे की, वो अपने दिमाग में, पूरी रिसर्च को सोचकर, कम्पलीट प्लान, बना लिया करते थे जोकि उनकी प्रयोगशाला के प्रयोग से भी, अधिक सटीक हुआ करता था|
यही सब कारण है की अल्बर्ट आइंस्टीन, समय के साथ, बुद्धिमत्ता के पर्यायवाची तक बन गए| अल्बर्ट आइंस्टीन इतिहास के सबसे ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति( Genius of History ) कहलाये|
Albert einstein birthday as Geneous day
उनके जन्मदिन 14 मार्च को, आज पूरी दुनिया में जीनियस डे के रूप में मनाया जाता है|
सबसे महत्वपूर्ण बात भाईयों, अल्बर्ट आइंस्टीन का ये मानना था की हर इंसान, जिसने इस धरा पर जन्म लिया है, वो जीनियस है लेकिन अगर आप किसी मछली को, उसके पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करोगे तो वो मछली अपनी पूरी जिंदगी, ये सोचकर जियेगी की आप मूर्ख हो|
Albert Einstein Biography in Hindi
कुछ निजी गतिविधियों के कारण आइंस्टीन को जर्मनी छोड़कर, संयुक्त राज्य अमेरिका में बसना पड़ा| अमेरिका में उन्हें, बड़े बड़े विश्व विद्यालयों ने, अपने यहाँ प्रोफेसर का पद देने के लिए, न्यौता भेजा लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन ने, सिर्फ princeton university को, उसके शांत और प्राकृतिक वातावरण के कारण चुना|
और जब पहली बार अल्बर्ट आइंस्टीन, प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी पहुंचे तो वहाँ के प्रशासनिक अधिकारी ने उनसे कहा, आप अपने प्रयोग के लिए, जरुरी उपकरणों की लिस्ट हमें दे दीजिये जिससे की, आपके प्रयोग के लिए, उन चीजों को, जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जा सके|
दोस्तों इस बात का जवाब देते हुए, इस महान वैज्ञानिक ने बड़ी ही सहजता से कहा, आप मुझे बस एक ब्लैक बोर्ड, कुछ चाक, कागज और पेन्सिल दे दीजिये| ये सुनकर वो अधिकारी आश्चर्य से भर गया और इससे पहले की वो कुछ और कहता अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा, एक बड़ी टोकरी भी मंगा लीजिये, क्योंकि अपना काम करते समय, मैं बहुत सारी गलतियाँ भी करता हूँ|
और छोटी टोकरी बहुत जल्द, रद्दी से भर जाती है| भाई लोगों अल्बर्ट आइंस्टीन, गलतियाँ करने से बिल्कुल नहीं घबराते थे|
Albert Einstein Thoughts
उनका कहना था की, जिस इंसान ने अपनी जिंदगी में कभी कोई गलती नहीं की, उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की|
अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत अलग अलग तरह से अपना प्रयोग किया करते थे| उनका प्रयोग करने का हर तरीका, एक दूसरे बहुत, अलग हुआ करता था क्योंकि वो कहते थे – सबसे बड़ा पागलपन है एक ही काम को, अनेकों बार करना और सदैव अलग परिणाम की उम्मीद करना|अभी तक हमने आपको जो जो बातें बताई उससे पता चलता है की अल्बर्ट आइंस्टीन कितने महान और एक सफल वैज्ञानिक थे|
लेकिन अब हम आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में जो बताने जा रहें हैं उसे सुनकर आप बिल्कुल चौंक पड़ेंगे क्योंकि हमारे Genius Number One की याददाश्त Albert Einstein Iq कुछ विशेष अच्छी नहीं थी|
Albert einstein genius के बारे में कुछ और रोचक किस्से
facts about albert einstein
इतने बुद्धिमान और महान वैज्ञानिक को तारीख और किसी भी तरह के नंबर को याद रखने में, बड़ी कठिनाई हुआ करती थी|
एक बार जब अल्बर्ट आइंस्टीन से, उनके एक सहकर्मी ने, उनसे उनका टेलीफ़ोन नंबर पुछा तो अल्बर्ट आइंस्टीन, पास में ही रखी, एक टेलीफ़ोन डायरेक्टरी में, अपना टेलीफ़ोन नम्बर ढूँढने लगे|
सहकर्मी चौंक गया और बोला , आपको अपना टेलीफ़ोन नम्बर नहीं, याद है?
तो आइंस्टीन ने अपने उस सहयोगी को जवाब देते हुए बोले, मैं ऐसी किसी भी बात को, भला क्यों याद रखूं, जो मुझे पुस्तक में खोजने से, सरलता से प्राप्त हो जाती है|
इस महान वैज्ञानिक को, व्यावहारिक दुनिया की भी, कई सारी बातें, अक्सर भूल जाया करतीं थी|
अल्बर्ट आइंस्टीन भुलक्कड़ किस्म के व्यक्ति थे …
First Incident पहला किस्सा
एक समय की घटना है, जब आइंस्टीन, प्रिन्सटन विश्वविद्यालय में कार्यरत थे और उस दिन यूनिवर्सिटी से, अपने घर आते समय, वो अपने ही घर का पता भूल गए हालाँकि प्रिन्सटन शहर के, अधिकतर लोग, अल्बर्ट आइंस्टीन से परिचित हुआ करते थे परन्तु, जिस टैक्सी में वो यात्रा कर रहे थे, उस टैक्सी का ड्राईवर, उन्हें नहीं पहचानता था|
अल्बर्ट आइंस्टीन ने फिर ड्राईवर से पूछा, क्या तुम्हे अल्बर्ट आइंस्टीन के घर का पता, मालूम है?
ड्राईवर ने जवाब दिया – प्रिन्सटन में भला, कौन ऐसा व्यक्ति जो उनका पता नहीं जानता हो, अगर आप उनसे मुलाकात करना चाहते हैं तो मैं आपको, उनके घर तक पहुंचा सकता हूँ|
तब आइंस्टीन ने ड्राईवर को बताया की, वो स्वयं ही अल्बर्ट आइंस्टीन हैं और अपने घर का पता भूल गए हैं| ये जानकर ड्राईवर ने उनको उनके घर तक पहुंचा दिया और उनके बार बार आग्रह किये जाने पर भी, टैक्सी का भाड़ा नहीं लिया|
Second Incident दूसरा किस्सा
एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन, प्रिन्सटन से कहीं जाने के लिए, रेलगाड़ी की यात्रा कर रहे थे और जब ट्रेन का टीटी, उनका टिकट चेक करने के लिए, उनके पास पहुंचा, तो वो अपना टिकट, टिकट चेकर को दिखाने के लिए, अपनी जेब की छानबीन करने लगे और टिकट न मिलने पर, उन्होंने अपने सूटकेस को भी खोला और उसकी भी जांच की और जब, सूटकेस में भी टिकट नहीं मिला, तो अपने आस पास, वो अपना टिकट खोजने लगे|
ट्रेन का टीटी, अल्बर्ट आइंस्टीन को पहचान रहा था इसलिए उसने कहा, यदि आपका टिकट गुम हो गया है तो, कोई बात नहीं| मुझे पूरा भरोसा है की, टिकट तो आपने जरूर लिया होगा और यह कहते हुए, वो टीटी, दूसरे पैसेंजर के टिकट चेक करने में लग गया|
लेकिन जब उसने देखा की Albert Einstein अभी भी अपनी सीट के नीचे, अपना ट्रेन का टिकट ढूंढ रहे हैं तब टिकट चेकर ने उनसे कहा की , वो टिकट की वजह, परेशानी बिल्कुल मोल न लें| आपसे कोई टिकट, दिखाने को नहीं बोला जायेगा|
टिकट चेक करने वाले की ये बात सुनकर, Albert Einstein बोल पड़े, पर टिकट की बिना, मुझे पता कैसे चलेगा की, मैं जा कहाँ रहा हूँ|
Albert Einstein Death
18 अप्रैल सन 1955, Albert Einstein का आखिरी दिन, इस दुनिया में रहा|अब तक के सबसे महान वैज्ञानिक Albert Einstein ने 76 साल की उम्र में, अमेरिका के न्यूजर्सी शहर से, इस संसार से अलविदा ले लिया|
अपनी पूरी जिंदगी में अल्बर्ट आइंस्टीन, सैकड़ों किताबें और और कई लेख पब्लिश किये| उन्होंने 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र और 150 गैर वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित कर डाले|
भाईयों आज, हम विज्ञान के जिन अविष्कारों का उपयोग, अपनी दैनिक जिंदगी में कर रहें हैं और इन्टरनेट और सैटेलाइट्स के माध्यम से, जो जानकारियां, हमें प्राप्त हो रहीं हैं, ये आधुनिक अविष्कार भी, अल्बर्ट आइंस्टीन के अविष्कारों को ही, अपना आधार मानते हैं|
Albert Einstein के द्वारा दिए गए अनेकों सिद्धांतों की मदद से ही, वर्तमान में, नित नए प्रयोग, सफल हो पा रहें हैं लेकिन दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टीन को, अपने जीवन में सबसे अधिक दुःख तब हुआ जब उनके वैज्ञानिक अविष्कारों की वजह से, बाद में, परमाणु बम का आविष्कार हुआ जिसके कारण हिरोशिमा और नागासाकी, जैसे शहर पूरी तरह से नेस्तेनाबूत हो गए|
Albert Einstein Brain & Eyes after his Death
अल्बर्ट आइंस्टीन की मौत के बाद, उनके शव परिक्षण के दौरान, एक और वैज्ञानिक ने, अल्बर्ट आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना, अल्बर्ट आइंस्टीन के शरीर से इनका ब्रेन निकाल लिया था और यह अनैतिक काम डाक्टर थॉमस हार्वे ने, उनके दिमाग पर रिसर्च करने के लिए, कर डाला था|
उसके बाद अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग, 20 सालों तक एक शीशे के जार में बंद रहा और सन 1975 में, अल्बर्ट आइंस्टीन के बेटे, हंस अल्बर्ट आइंस्टीन की आज्ञा के बाद, उनके माइंड को 240 हिस्सों में बांटकर, कई वैज्ञानिकों के पास भेजा गया जिसकी जांच करने के बाद, सभी ने पाया की उसमे एक आम इंसान के दिमाग से अधिक, कोशिकाएं मौजूद हैं|
आइंस्टीन की मृत्यु के बाद, उनकी आँखों को भी, निकाल लिया गया था, जोकि आज भी अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में, केस में सुरक्षित बंद है|
अल्बर्ट आइंस्टीन ने दो विवाह किया अपनी जिंदगी में …
इनकी पहली पत्नी, मिलेवा मारिक भी एक वैज्ञानिक थीं भौतिकी के क्षेत्र की, और दोनों ने प्रेम विवाह किया था|
अल्बर्ट को मिलेवा से तीन बच्चे भी हुए| दोनों के शादी से पहले ही एक बेटी हुई, लिएसेर्ल, और सन 1903 में शादी के बाद दो बेटे भी हुए – हंस अल्बर्ट आइंस्टीन और एडुअर्ड आइंस्टीन
पहली पत्नी से तलाक के बाद, अल्बर्ट आइंस्टीन का दूसरा विवाह, उनकी मौसेरी बहन, तलाकशुदा एलसा आइंस्टीन से हुआ| अल्बर्ट आइंस्टीन और एलसा आइंस्टीन से कोई संतान नहीं थी पर एलसा को पहले विवाह से दो संताने थीं| अब आइंस्टीन परिवार में चार बच्चे थे|
साल 1936 को 20 दिसंबर के दिन, बेहद ही दर्दनाक बीमारी के कारण, एलसा की मृत्यु हो गई थी और इस घटना की वजह से अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत रोये थे, वो भी पहली बार|
निष्कर्ष
अल्बर्ट आइंस्टीन की कहानी जानकारी अगर आपको अच्छा लगा हो तो अधिक से लोगों को बीच शेयर जरूर करें | ताकि और लोग भी अल्बर्ट आइंस्टीन की कहानी से प्रेरणा ले सकें और जीवन में प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ें | धन्यवाद सभी पाठकों का तहे दिल से, अपनी राय कमेंट में जरूर लिखें |
Albert Einstein Book-
The world as I See It ( Hard Cover Library Edition )
Einstein: His Life and Universe
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