Geeta phogat, पहली भारतीय महिला जिसने कुश्ती के खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया| अपने पिता का सपना सच करने वाली गीता, कुश्ती में लड़कों को भी, मात दिया करती हैं| ये बेटी, आज भी अखाड़े में, workout करते देखी जा सकती है|
एक शख्स, Geeta kumari phogat coach, जिसकी पूरी जिंदगी, एक सपने को पूरा करने के लिए समर्पित हो गई| एक दमदार पिता, जिसने अपनी बेटियों को फौलाद बना दिया|
आज हम उन्ही लड़कियों में से एक Geeta fogat dangal girl
के बारे में, बात करने वाले हैं …
रियल लाइफ की दंगल गर्ल, आज भी पहले की तरह ही दिन रात, कठिन परिश्रम करती हैं| कुश्ती का वैसा जी जूनून, आज भी Geeta game पर सवार है|
अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती गेम में, Geeta phogat wrestling की दुनिया का, एक बेहद ही चर्चित नाम बन चुकी है| इनका जीवन भी शुरू में, ताबड़तोड़ कठिनाईयों से, लबालब था पर फिर भी अपने रास्ते, निकाले कैसे जाते हैं जिंदगी की मुश्किलों के बीच से?
एक बेहद ही सटीक उदाहरण है- गीता कुमारी फोगट
आज Phogat Family की ये सबसे बड़ी बेटी, अपने विश्वास, मेहनत और लगन के दम पर, कई बड़े मुकाम प्राप्त कर चुकी है| गीता फोगट आज हजारों बेटियों के लिए प्रेरणा हैं|
Geetha kumari phogat ने, बेटे और बेटियों के बीच के फ़र्क को समाप्त करने के लिए, कुश्ती के खेल को, अपने कैरियर के तौर पर चुना और पहली भारतीय महिला होने का ख़िताब, अपने नाम कर लिया| जब Geeta phogat ने साल 2010 में, कॉमन वेल्थ गेम में, स्वर्ण पदक अपने नाम किया|
पिता से कुश्ती सीखने वाली गीता फोगट, आज एक फ्री स्टाइल भारतीय महिला रेसलर हैं, उनके लाइफ पार्टनर Husband of geeta phogat भी एक चर्चित रेसलर हैं|
गीता कुमारी फोगट के पिता को, अपनी बेटियों को पहलवानी की तरफ लाने और एक अच्छा पहलवान बनाने के लिए, पर्याप्त संघर्ष करने पड़े| आज Phogat Family, इन्ही Phogat sisters की वजह से, अधिक चर्चा में है|
चचेरी बहन – प्रियंका फोगट (वर्ष 2016 एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप रजत पदक विजेता) और विनेश फोगट (एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला कुश्तीबाज)
गीता फोगट की शादी – 20 नवम्बर 2016
कॉलेज – MDU रोहतक, हरियाणा
Geeta Phogat Hight – 5 फीट 3 इंच
Geeta phogat networth – 24 करोड़ से ज्यादा
वजन – 65 किलोग्राम
व्यवसाय- पहलवानी
उपलब्धि – Geeta phogat gold medal राष्ट्रमंडल खेल में, गोल्ड मैडल जीतने वाली, पहली भारतीय महिला
ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली, पहली भारतीय महिला रेसलर बनी|
इनके जीवन पर आधारित फिल्म दंगल, बॉलीवुड की सफलतम फिल्मो में से एक है|
इस फिल्म में उनके बचपन के किरदार में, फातिमा सना शेख ने अभिनय किया और फिल्म में गीता फगोट के युवा किरदार में, जायरा वसीम नजर आईं| इस मूवी में गीता कुमारी फोगट के कोच का किरदार, मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने अदा किया है| इस फिल्म को, भारतीय दर्शकों ने सर आँखों पर बिठाया| इतना ही नहीं इस फिल्म ने, चीन में भी 1200 करोड़ कमा डाले| Geeta phogat wedding में आमिर खान भी हिस्सा बने थे|
Geeta Phogat ( Indian Female Wrestler ) सफलता की कहानी
गीता फोगट के जन्म से पहले, भिवानी जिले के बलाली गाँव में, बेटियों के जन्म को, किसी शाप से कम नहीं, आँका जाता था| इस छोटे से गाँव में, बेटियों के जन्म पर, खुशियों की बजाय, दुःख का कहर टूट पड़ता था| इतना ही नहीं, इस गाँव में बेटियों के स्कूल जाने पर भी, पाबन्दी हुआ करती थी|
और ऐसी परिस्थितियों के बीच, 15 दिसंबर साल 1988 को, हमारे देश यानि भारत के हरियाणा के भिवानी शहर के, एक छोटे से गाँव, बलाली में, गीता फोगट, एक महान बेटी का जन्म होता है|
Geeta Phogat का बचपन
आज भी हमारे देश में, बेटों की चाहत रखने वालों की कमी नहीं है| शुरुवात में, कुछ ऐसी ही सोच गीता के माता पिता की भी थी| बेटों की चाहत में फोगट दंपत्ति, चार बेटियों के माता पिता बन गए जिनमे गीता फोगट सबसे बड़ी है लेकिन बाद में Geeta and babita kumari के पिता महावीर सिंह फोगट को, एहसास हुआ की, बेटियाँ भी बेटों से कम नहीं, हुआ करती|
और उन्होंने अपनी बेटियों को, एक ऐसे कठिन मार्ग पर, चलाने का फैसला कर लिया जिसके बारे में सोचना भी, किसी और के लिए, बहुत मुश्किल था| Mahavir Singh Phogat, अपनी बेटी गीता और उसकी बहनों को पहलवान बनाने में जुट गए| गीता फोगट के दादाजी यानि महावीर सिंह फोगट के पिता जी, मान सिंह भी एक पहलवान ही थे|
बताया जाता है की महावीर सिंह फोगट ने अपने बेटियों को इस खेल में महारथ हासिल कराने के लिए, अपनी नौकरी तक छोड़ दिया|
बच्चों का खेल, खेलने की उम्र में, Geeta phogat को, अपने पिता की देख रेख में, बहुत परिश्रम करना पड़ा| Geeta phogat अपनी बहन बबिता फोगट के साथ, रोज सुबह दौड़ने के लिए जाती और जमकर, कसरत किया करतीं, इसके बाद अखाड़े में भी घंटो प्रैक्टिस करना पड़ता था जहाँ Geeta phogat fight करके मात दिया करती थीं लड़कों को भी, पर इन सभी चीजों से अधिक कठिन था वहाँ के समाज की आलोचना झेलना|
महावीर सिंह ने, अपने सभी बेटियों और अपने भाई की दोनों बेटियों, प्रियंका फोगट और विनेश फोगट को भी कुश्ती सिखाई| महावीर सिंह फोगट को भारत सरकार द्वारा, द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सुशोभित किया गया है|
यहाँ सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात है, जिस गाँव में लड़कियों को स्कूल तक जाने तक की मनाही हो और वहाँ पर किसी लड़की को पहलवानी करते देखने पर, क्या प्रतिक्रिया रही होगी वहाँ के लोगों की|
गाँव वालों की आलोचना का सामना करना पड़ा
गीता कुमारी फोगट ने जब अपने गाँव में, कुश्ती सीखना शुरू किया तो पूरे गाँव वालों ने हंगामा कर दिया| हर तरफ से गीता और उनके परिवार की आलोचना अपने चरम पर पहुँच गई लेकिन महावीर सिंह फोगट ने , किसी भी तरह की आलोचना की परवाह न करते हुए, गीता को प्रशिक्षण देने का काम जारी रखे|
Mahaveer singh के बारे में, बलाली गाँव के लोगों ने, यहाँ तक कह डाला की, जरा देखो तो सही, कितना बेशर्म पिता है! अपनी बेटी का विवाह कर उसे ससुराल भेजने के बजाय, पहलवानी करवाने में लगा हुआ है| इस पर महावीर फोगट जी जवाब देते थे और वो जवाब हम लोगों को भी समझ लेना चाहिए –
एकलड़की जब प्रधानमंत्री बन सकती है तो पहलवान, क्यों नहीं ?
Geeta phogat को पहलवानी में हाथ आजमाते देख, बलाली गाँव में उनकी छवि, एक बिगड़ी हुई लड़की की, बनने लगी| गाँव वालों ने यहाँ तक की, अपनी बेटियों को गीता फोगट से, मेलजोल बढ़ाने के लिए मना कर दिया|इस तरह गीता फोगट का बचपन, बहुत ही संघर्ष भरा रहा|
वो कहते हैं न, अगर इरादे फौलादी हों और हौसलें बुलंद हों तो इस कायनात की सारी शक्ति भी आपको आगे बढ़ने में अवरोध नहीं पैदा कर सकती |
Geeta phogat और उसके पिता को भी, कोई नहीं रोक सका और आगे चलकर गीता ने भी, अपने खेल यानि कुश्ती में, कीर्तिमान स्थापित किया जोकि आज तक, किसी भी भारतीय महिला के लिए नामुमकिन काम था जबकि पिता को पूरा यकीन था की, उनकी बेटी बनेगी एक दिन सफल पहलवान|
साल 2000 में सिडनी ओलिंपिक में, कर्णम मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में, जब कांस्य पदक जीता तो, मल्लेश्वरी ओलिंपिक में, पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला Indian women wrestler बन गई|
कर्णम मल्लेश्वरी की जीत से महावीर फोगट को मिली प्रेरणा
मल्लेश्वरी की इस जीत का, गीता के पिता महावीर सिंह फोगट पर, गहरा असर हुआ उन्हें लगा की जब कर्णम मल्लेश्वरी, मैडल जीत सकती है तो मेरी बेटी भी मैडल जीत सकती है और इसी घटना के बाद से उन्होंने, अपनी बेटियों को चैंपियन बनाने की ठान ली|
इसके पश्चात, महावीर सिंह फोगट ने गीता और बबिता कुमारी को, स्वर्ण पदक जीतने के दृढ़ इच्छा से, तैयार करने में, पूरे मन से लग गए और उनकी बेटियों ने भी, उनका पूरा साथ दिया| महावीर जी ने कसरत से लेकर, खाने पीने का नियम बना दिया और Geeta phogat और बबिता को पहलवानी के, हर एक गुर से परिचित कराने लगे|
गीता फोगट के पिता, महावीर फोगट, 80 के दशक में एक बेहतरीन कुश्तीबाज हुआ करते थे और अब वो गीता कुमारी के लिए, एक बेहद सख्त कोच भी बन चुके थे| फोगट फैमिली के अधिकतर लोग, कुश्ती पहलवानी करते हैं|
Geeta phogat बताती हैं की, मेरे पापा मेरे से, अक्सर यही कहा करते थे की, जब लड़कों के जैसे, खाती हो पीती हो, तो फिर उनकी तरह, पहलवानी क्यों नहीं, कर सकती हो और इसलिए मुझे भी कभी ऐसा नहीं महसूस हुआ की, मैं पहलवानी नहीं कर सकती|
Geeta phogat का कुश्ती का सफ़र
गाँव के अखाड़े की कुश्ती से आगे बढ़ते हुए, Geeta phogat ने, जिला और राज्य स्तर की, कुश्ती में, सभी को पछाड़ते हुए, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती के लिए, खुद को तैयार करने लगी|
Geeta phogat बताती हैं की उनके पिताजी ने उन्हें एक एहसास कराया है की, मैं लड़कों से कम नहीं हूँ| गाँव वालों को बेटियाँ या उनका पहलवानी करना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन पापा ने, कभी उनकी परवाह नहीं की|
Geeta Phogat Medals
महावीर फोगट की बेहतरीन कोचिंग और गीता की कड़ी मेहनत का ही परिणाम था, जालंधर में
2009 में राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप (Commonwealth Wrestling Championship- 2009) के अपने जालंधर अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू में, गीता ने स्वर्ण पदक जीता और उस दिन से गीता ने कभी, पीछे की तरफ नहीं देखा|
और कुश्ती का अपना सफ़र जारी रखते हुए साल 2010 में दिल्ली के राष्ट्रमंडल गेम में, फ्री स्टाइल महिला कुश्ती के 55 किलो कैटेगरी में, गोल्ड मैडल हासिल किया और ऐसा करने वाली, वो पहली भारतीय महिला Indian Female Wrestler बन गई|
वर्ष 2011 में लन्दन के मेलबर्न में आयोजित, कॉमन वेल्थ चैंपियनशिप गेम के, 55 किलोग्राम के खेल में, गीता फोगट ने, एक बार फिर से स्वर्ण पदक, प्राप्त किया|
Geeta phogat olympics 2012 – साल 2012 में, अस्ताना में आयोजित, फिला एशियन ओलिंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में, गीता फोगट ने, गोल्ड मैडल जीतकर, इतिहास लिख दिया| इसी साल World Wrestlin Championship के, 55 किलोग्राम वर्ग में, गीता फोगट ने, कांस्य पदक जीत लिया| साल 2012 के भीतर ही गुमी एशियन चैंपियनशिप प्रतियोगिता के, 55 किलोग्राम भार के खेल में,एक और कांस्य पदक जीत लिया|
साल 2013 में कॉमन वेल्थ गेम, जोहान्सबर्ग में आयोजित किया गया जिसमे अपनी पहलवानी दिखाते हुए, गीता फोगट ने 59 किलोग्राम भार वाले गेम में, रजत पदक हासिल किया|
साल 2016 में, गीता फोगट ने, हरियाणा के ही मशहूर कुश्ती खिलाड़ी, पवन कुमार से शादी कर ली और साल 2019 में गीता फोगट, माँ बन गई|
Geeta Phogat की इस जीत का असर Geeta phogat house ससुराल, सोनीपत में है| ससुराल से कुछ दूरी स्थित अखाड़े में, आज भी, दोनों पति पत्नी कठिन मेहनत करते हुए देखे जा सकते हैं|
हरियाणा के बलाली गाँव का होने के बावजूद Geetha phogat ने जो किया वो किसी करिश्मे से कम नहीं| कॉमन वेल्थ गेम में, गोल्ड मैडल जीतकर जब गीता फोगट, पहली बार अपने गाँव पहुंची तो वहीँ वही लोग जो Geeta phogat को ताना मारते नहीं थकते थे वो बैंड बाजा और फूलों का हार लेकर स्वागत कर रहे थे|
अब बलाली के कई गाँव, बदल चुके हैं| जहाँ लोग अब बेटियों से प्यार करने लगे हैं, जहाँ बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाने लगा है और लोग अब, अपनी बेटियों को भी, बेटों के जैसे खेलने कूदने और घूमने की स्वतंत्रता प्रदान करने लगे हैं|
Geeta phogat dsp- अंतर्राष्ट्रीय खेलों में Geeta pogat के प्रदर्शन को देखते हुए हरियाणा पुलिस में डी एस पी (Deputy Superintendent of Police) का पद देकर सम्मानित किया गया|
साल 2019 में Geeta Phogat, अपने पति पवन कुमार के साथ, स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो, नच बलिये के सीजन 9 में, एक कंटेस्टेंट के रूप में नजर आये|
Geeta phogat की Hobbies – गीता फोगट को यात्रा करना और दौड़ना बहुत पसंद है
Geeta phogat family एक मिशाल
दंगल फिल्म में महावीर फोगट का एक डायलाग है –
सिल्वर जीतेगी तो लोग भूल जायेंगे, अगर गोल्ड जीती तो मिशाल बन जावेगी और मिशालें दी जाती हैं बेटा भूली नहीं जाती|
सचमुच Geeta kumari phogat ने पहलवानी में गोल्ड जीतकर, एक मिशाल कायम कर दी| आज पूरे देश को अपनी इस बेटी पर गर्व है|
Conclusion/ निष्कर्ष
महावीर सिंह फोगट और गीता फोगट, babeeta phogat की सफलता की ये कहानी करोड़ो भारतवासियों के लिए विश्वास और प्रेरणा का स्रोत है| इनकी कहानी ये साबित करती है की चाहे कितना भी कठिनाई क्यूं न आये अगर इंसान में मजबूत इच्छा शक्ति है तो वो उसके दम पर, असंभव को संभव बना सकता है|
अगर आपका भी कोई सपना है जो आज असंभव लगता है तो उसे संभव बनाने में जुट जाईये क्योंकि
असंभव कुछ है ही नहीं
Mahavir singh फोगट, आज भी अपनी बेटियों और बच्चों के कोच हैं| सीखने वालों में, उतना ही डर है और महावीर सिंह, उतने ही सख्त और गंभीर हैं|
गीता फोगट की दादी माँ, जो पहले बेटियों को भार समझा करती थीं, उनका वर्तमान में कहना है की – बेटियाँ ऐसी 100 भी हों तो भी कम ही हैं|