Maharana Pratap history in hindi
आज की कहानी- महाराणा प्रताप पर, क्योंकि आज यानि 13 जून को भारत के इस Bharat ka Veer Putra की जयंती maharana pratap jayanti है|
कौन थे, महाराणा प्रताप ?
Maharana Pratap Height in feet-
आज की कहानी- महाराणा प्रताप पर, क्योंकि आज यानि 13 जून को भारत के इस Bharat ka Veer Putra की जयंती maharana pratap jayanti है|
कौन थे, महाराणा प्रताप ?
Maharana Pratap Height in feet-
देखिये अकबर कभी जीता नहीं महाराणा कभी हारे नहीं| कौन थे Bharat ka Veer Putra, Maharana प्रताप ?
जब हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था| 80,000 की तादाद में अकबर की सेना थी जबकि सिर्फ 15,000 की सेना थी महाराणा प्रताप की|
महाराणा बोलते थे, एक आदमी पांच को खत्म करेगा|
ध्यान दीजियेगा अकबर की सेना में दम था| महाराणा के सीने में दम था|
शुरुवात से आते हैं , 9 मई 1540 को इनका जन्म हुआ राजस्थान के कुम्भलगढ़ में | महाराणा उदय सिंह इनके पिता थे और माता जयवंती बाई न केवल इनकी माता बल्कि पहली गुरु भी थीं |
बचपन से इनके अन्दर लीडरशिप के गुण इतने अधिक थे की खेल खेल में ये अन्य बच्चों के लीडर बन जाते थे | उनकी टीम बना देते थे | उनके रोल, उनके गोल निश्चित कर देते थे | बचपन में ही इन्होने अस्त्र शस्त्र और सेना की पूरी ट्रेनिंग ले ली |
सिसोदिया वंश में कई लोग थे – बप्पा रावल, राणा हमीर, राणा सांगा, राणा प्रताप लेकिन महाराणा सिर्फ राणा प्रताप को बोला गया |
महाराणा उदय सिंह की दूसरी भी रानियाँ थी | उनमे से एक थी महारानी धीरबाई | वो चाहती थीं की उनका पुत्र जगमाल राजा बन जाये मेवाड़ का और बाकि रानियाँ चाहतीं थीं की उनके पुत्र राजा बन जाये | ये थी परिवार के भीतर टूट -फूट |
अकबर बहुत बुद्धिमान था और वो जानता था की बड़ा आसान तरीका है | इन राजपूतों को आपस में लड़वा दो, कुछ को अपने साथ ले लो बाकि को ख़त्म करना आसान हो जायेगा | वही हुआ राजपूतों में आपस में लड़ाई हो गई |
जब कभी घर टूटेगा, तब आकर पड़ोसी लूटेगा | यही हुआ , हर बार ऐसा होता आया है | ये पहली बार तो हुआ नहीं |
326 bc के अन्दर जब सिकंदर भारत आया था तो महाराजा आम्बी ने पोरस को धोखा देकर उससे संधि कर ली | पोरस हार गए |
मुहम्मद गौरी कभी पृथ्वीराज चौहान को न हरा पाता| जयचंद उनके साथ मिल गया इसलिए पृथ्वीराज चौहान हार गए | अंग्रेज भी हमारे देश में क्या कर लेते ? वो तो ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होलकर, हैदराबाद के निजाम और पटियाला के राजाओं ने 1857 में धोखा दे दिया इसलिए हमारा देश मात खा गया था |
इसी तरह मुग़ल भी, maharana pratap को कभी हरा नहीं पाते लेकिन अकबर ने इनके परिवार के लोगों को ही अपने साथ मिला लिया | यहाँ पर महाराणा प्रताप अकेले पड़ गए तो इन्होने भीलों की सेना बनाई | वो जो जंगली भील होते हैं उनकी मदद ली , उनको ट्रेन किया , ये कभी हारे नहीं |
मुग़ल आते थे इनके ऊपर आक्रमण करते थे | थोड़े दिनों के लिए maharana pratap इधर उधर निकलकर गायब हो जाते थे | दोबारा नई सेना बनाकर फिर खड़े हो जाते | मुग़ल न तो महाराणा प्रताप को मार पाए , न इन्हें पकड़ पाए | महाराणा प्रताप हर बार खड़े हो जाते थे |
maharana pratap शरीर से इतने ताकतवर, साधे सात फीट की इनकी ऊँचाई , सत्तर किलो का उनका कवच, 10 – 10 किलो के जूते , 10-10 किलो की तलवार maharana pratap talwar weight , 80 किलो का भाला | बहलोल खान को, कैसे काट डाला | कौन था बहलोल खान ?
ये था अकबर का सबसे बड़ा सेनापति जो हल्दीघाटी haldi ghati ka yudh लड़ने आया था | एक तलवार की काट से इन्होने, बहलोल खान समेत उनके घोड़े को, दो हिस्सों में चीर डाला|
maharana pratap की history में, ये बार बार लड़ाई का कारण समझिये | राजनीति और भौगोलिक दृष्टि से मेवाड़ , अकबर के लिए दिल्ली से बहुत महत्वपूर्ण था| गंगा के रास्ते से ये व्यापार मार्ग को, ये पश्चिमी तट से जोड़ता था | भौगोलिक दृष्टि से अगर कुछ भी आयात करना है, कुछ भी निर्यात करना हो तो अकबर को मेवाड़ करना पड़ता था |
इनके लिए मेवाड़ ऐसी किरकिरी बन गया और मुग़ल मेवाड़ को जीत नहीं पा रहे थे | क्योंकि पूरा भारत तो मान जाता था लेकिन maharana pratap अकड़ के खड़े रहते थे |
वास्तव में अकबर बहुत बड़ा था और महाराणा प्रताप उसके सामने सेना के मामले में बहुत छोटे थे | लेकिन महाराणा प्रताप का वैराग्य बड़ा शक्तिशाली था | बाकी राजाओं की तरह भोग विलास , इंद्री तृप्ति इसमें नहीं लिप्त थे| ये बोले की मैं अपनी सेना के बीच में रहूँगा |
ये भीलों के बीच, जाकर रहने लगे | जंगल में रहते थे| उबली सब्जी एवं कच्चा खाना पत्तल पर खाना, जमीन पर सोना, कोई बिस्तर न होना | सर पे छाता नहीं, पैरों में जूता नहीं | आम जीवन जीना उन भीलों के साथ और इसी वजह से सारे भील तन मन धन से उनसे जुड़ गए |
भील कहते थे की अगर आप कहें तो गर्दन कटवा देंगे | अकबर इसलिए घबराता था | अकबर ने कई बार, कई लोगों को भेजा| इन्होने टोडरमल को भेजा, राजा मान सिंह को भेजा | अकबर ने और कई हिन्दू राजाओं को भेजा की तुम जाकर राणा को समझाओ | जलाल खान, कोरची, भगवान दास सब आये |
वास्तव में आठ बार, प्रस्ताव आया राणा के पास | अकबर ने एक प्रस्ताव तो महाराणा प्रताप को क्या दिया की आधा भारत तुम्हारे नाम कर देंगे, बस मेवाड़ हमारे लिए छोड़ दो | हमारा आधिपत्य स्वीकार कर लो | महाराणा प्रताप क्या जवाब देते वो तो महाराणा प्रताप हैं |
अब्राहम लिंकन की माँ ने उनको एक बार कहा , बेटा तुम हिंदुस्तान जा रहे हो | अब्राहम ने कहा माँ , मैं हिंदुस्तान जा रहा हूँ | उनकी माँ ने कहा मेरे लिए वहाँ से कुछ लेते आना | अब्राहम लिंकन ने कहा , माँ तुम क्या चाहती हो | माँ ने कहा बेटा मैं चाहती हूँ की हल्दीघाटी से थोड़ी मिटटी लेकर आना | मैं महाराणा को आज भी पूज्यनीय इसलिए मानती हूँ की वो राणा ने आधे देश के बदले, अपना छोटा सा राज्य मेवाड़, अकबर को देने के लिए तैयार नहीं हुए| अकबर बोलते थे की, आधा देश तुझे दे दूंगा, अगर तू केवल मेवाड़ मेरे लिए छोड़ दे |
मेवाड़ अकबर के लिए इतना महत्वपूर्ण लेकिन महाराणा प्रताप तो महाराणा प्रताप |
हल्दी घाटी का युद्ध 1576 का, इतनी छोटी सेना होने के बावजूद, महाराणा प्रताप इस युद्ध को कैसी चालाकी से लदे | देखिये अरावली की जो सीमा थी उसमे घाटियों और पहाड़ियों की बहुत जानकारी थी इनको | ये वही पैदा हुए , वहीँ घूमे | छापामार युद्ध, द्विकंटक निति ! सैनिकों को बोले की पहाड़ियों के ऊपर से और घाटियों के नीचे से पूरी तरह कवर करो | और इन्होने अफगानी राजाओं को अपने साथ लिया | हाकिम खान जो उस समय अकबर के खिलाफ था |
बहुत छोटी सेना होने के बावजूद अकबर के छक्के छुड़ा दिए | अकबर सामने नहीं आता था इनके | अकबर को डर था इनकी तलवार, height of maharana pratap ज्यादा थी| अकबर की हाइट कम थी- एक बार मारेंगे घोड़े हाथी काट देंगे |
चेतक इनका, इतना शक्तिशाली घोड़ा ,उसके मुंह पर सूंड लगा देते थे | हाथी कंफ्यूज हो जाता था की ये कहीं हाथी तो नहीं है|
ये जो चेतक घोड़ा था , नीले रंग का अफगानी घोड़ा| ये मात्र एक घोड़ा है जिसके ऊपर देश में कयिताएं बन चुकी है | चेतक को अपना पुत्र मानते थे महाराणा प्रताप | उन दिनों, युद्ध के दौरान हाथी के सूंड के आगे तलवारे लगाई जाती थीं | जब राणा प्रताप अपने घोड़े के साथ छलांग लगाई युद्ध में, तो उन तलवारों से चेतक का एक पैर कट गया था |
एक बार युद्ध के समय, महाराणा प्रताप जब अकेले फंसे थे, यही चेतक था जो एक कटी टांग से, इनको भगा कर , 28 फीट का गहरा नाला , पार करके चला गया | अपने राजा को पहले बचाया और उस लम्बी और बेहद ही कठिन छलांग के कारण , अपने प्राण त्याग दिए |
Happy maharana pratap jayanti 13 जून