Motivational Story in Hindi: Starbucks Success is an Inspiration

Starbucks प्रेरणादायक सफलता की  कहानी: An Inspiration in Hindi

दोस्तों ये कहानी है Starbucks की अन्तर्राष्टीय विस्तार के बारे में,

और ये आर्टिकल है एक्सपर्ट्स की सलाह सुनकर उसको इगनोर करके अपने दिल की आवाज सुनने के ऊपर

साल 1996 में Starbuck अमेरिका के बाहर अपना स्टोर खोल रहे थे जापान के टोक्यो में| इसके विस्तार के करने के लिए इन्होने काफी बड़ी कंसल्टिंग कंपनी हो हायर किया था| कंसलटेंट ने काफी टाइम लगाया और बहुत बड़ा बिल बनाया| काफी पन्नो की बुक पब्लिश की और बड़ी ही अच्छी प्रेजेंटेशन दी जिस सबका मतलब यही था की Starbuck को जापान में अपने पैर नहीं फ़ैलाने चाहिए|

क्योंकि ये एक बहुत बड़ी गलती होगी और बिज़नस बुरी तरह से फेल होगा| एक्सपर्ट्स के बड़े अच्छे कारण थे

1- रियल स्टेट काफी महंगे हैं टोक्यो में, इसलिए स्टोर्स का साइज़ काफी छोटा हो जायेगा| Starbuck के जो नार्मल स्टोर्स होते हैं वो काफी बड़े होते हैं इसलिए ये टोक्यो में नहीं चल पाएंगे |

2- Starbuck को नो स्मोकिंग पालिसी थी उस वक़्त, जो अगर जापान में लागू की जाती तो ग्राहक नहीं आएंगे |

3- Starbucks के अमेरिकन स्टोर्स में 80% जो बिज़नस है वो टेक अवे ऑर्डर्स का है यानि लोग कॉफ़ी आर्डर करके साथ में ले जाते हैं |

क्योंकि जापान में चलते फिरते खाने की परम्परा नहीं है, कार में बैठकर लोग नहीं खाते पीते थे इसलिए वो वॉल्यूम of सेल्स नहीं हो पाएंगे जो अमेरिका में हासिल हो रहें हैं |

और जापान में अगस्त बहुत ही बुरा महिना है स्टोर्स लांच करने के लिए क्योंकि अगस्त में यहाँ हुमिदिटी बहुत होती है, ये बिलकुल भी सही समय नहीं कॉफ़ी के लिए|

Starbucks के सीईओ Howard Schultz ने अपने दिल की आवाज सुनी 

Starbucks के सीईओ ( 1986 -2000 & 2008-2017 ) Howard Schultz  जिन्होंने ये सारी चीजें बताईं हैं अपनी किताब Pour Your Heart into It. जिसे हमारा मानना है की हर लीडर को हर इंटरप्रेन्योर को जरूर पढ़नी चाहिए|

उन्होंने बताया है की मैंने कंसलटेंट को उनका बिल दे दिया, उनकी रिपोर्ट पढ़ ली और उनको दफा हो जाने के लिए बोल दिया| और उन्होंने ये निश्चय किया की वो जापान में अपने कॉफ़ी स्टोर्स खोलेंगे और ये खतरा मोल लेंगे |

अन्दर से वो कुछ डरे हुए भी थे, उनको लग रहा था की ओपनिंग पर, जो CNN को कवर करना था, शायद तीन या चार लोग ही पहुंचेंगे | पर उनको अगले दिन ये देखकर बेहद ही ख़ुशी हुई जब सैकड़ों लोगों की लाइन लगी हुई थी वैसे ही जैसे जब Starbuck ने मुंबई में स्टोर्स खोले तब भी बड़ी लाइनें थीं|

तो ये साल 1996 की बात है जब Starbucks को अपना पहला अन्तराष्ट्रीय स्टोर खोलना था| तो इतनी सारी भीड़ अपने पहले स्टोर के पहले दिन देखकर, उनको काफी ख़ुशी हुई | जो पहला कस्टमर था वो एक नवजवान जापानी स्टूडेंट था जो अधिक इंग्लिश नहीं बोलता था | काउंटर पर पहुंचकर बोला – Can i order double tall latte please, ये सुनकर Howard Schultz को बहुत ख़ुशी हुई और उनको अब यकीन हो चुका था की उनका बिज़नस अब बड़ा अन्तर्रष्ट्रीय एक्सपेंशन बन जायेगा|

वो अपने पार्टनर्स से पूछ रहे थे की हमने क्या फिल्म एक्ट्रेस तो नहीं बुला रखें हैं बाहर, लाइन में|

अब उनको प्लान करना था, अन्तर्राष्टीय विस्तार पर बिज़नस कैसे, रफ़्तार से आगे बढेगा|

Howard Schultz ने अपनी बुक में किया ज़िक्र 

अपनी बुक में उन्होंने यही बयान किया है की ये क्षण, एक टर्निंग पोइंट था कम्पनी के विकास के लिए|

हमारा मेसेज आपके लिए ये है, बड़ा स्पष्ट, बड़ा क्लियर है की – जीवन में, अपने बिज़नस में, अपने कैरियर में सबसे बड़ा रिस्क यही होता है की हम कोई भी रिस्क न लें |

देखिये एक्सपर्ट को पैसे मिलते है आपको ऐसे सुझाव देने के लिए जो रिस्की न हों | क्योंकि जहाँ रिस्क है वहाँ फेलियर भी है | अगर एक्सपर्ट ने ऐसे सुझाव दिए जिसमे आप फेल हो जायेंगे तो उसमे उनकी क्रेडिब्लिटी ख़त्म हो जाएगी |

The experts will rarely or never give you risky advice

दोस्तों एक्सपर्ट्स तो एक्सपर्ट्स हैं अतीत के, जो बीत गया उसके| आने वाले कल के एक्सपर्ट्स आप भी हो सकते हैं, अगर काम किया अपने सपने पर |

लीडर्स, इंटरप्रेन्योर, नवयुवा आप आने वाले कल के एक्सपर्ट्स इस लिए हैं क्योंकि आने वाला कल आप बनाने वाले हैं |

साइंस फिक्शन ऑथर Robert A Heinlein ये कहावत अत्यंत प्रेरणादायक है –  Always Listen to the experts.

एक्सपर्ट्स की हमेशा सुने Because tell will tell you that can not be done and why, Then do it. वो आपको हर वो चीज बतायेंगे जो नहीं की जा सकती और उनके कारण भी बतायेंगे और कई बार आपसे ये बताने के पैसे भी लेंगे|

पर ये सुनकर आपको वही करना है जिसपर आपके दिल, दिमाग और आत्मा का विश्वास हो|

वैसे भी किसी शायर ने बखूबी लिखा है – की सीढ़ियाँ उनको हो मुबारक, जिसको छत तक पहुँचना है

वो अपना रास्ता खुद बनाते हैं, जिनको फलक तक पहुँचना है|

अगर आपको भी आसमान छूने की जिद रखे हुए हैं तो एक्सपर्ट्स क्या हैं और उनके सुझाव क्या हैं? सुन लीजिये पर करिए वही जो आपका दिल और दिमाग सही कहे |

Motivational Success Story of world’s Largest Coffee House Company

हे दोस्तों आपने Starbucks का नाम तो सुना ही होगा| आज हम जानेंगे कैसे एक कॉफ़ी बीन्स बेचने वाली कंपनी, कॉफ़ी ड्रिंक बेचने लगी कैसे एक एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ ये बिजनेस 80 से अधिक देशों में फ़ैल चुका है| आज इसके पूरी दुनिया भर में 32,000से अधिक आउटलेट्स हैं कैसे इसकी मार्केट 103 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो चुकी है|

मार्च 1971 तीन दोस्त जिनके नाम Jerry Baldwin, zev Siegel और Gordon Bowker था| तीनो ने मिलकर कॉफ़ी बीन्स बेचने के लिए, एक दुकान खोली | दरअसल उस समय एक बहुत प्रचलित कॉफ़ी रोअस्टर बिजनेसमैन थे जिनका नाम था अल्फ्रेड पिट जिन्हें वो तीनो दोस्त जानते थे और इन्ही से प्रेरणा लेकर तीनो ने अपना कॉफ़ी बिज़नस स्टार्ट किया और इसका नाम दिया गया – Starbucks Coffee

शुरुवात में Starbucks में कॉफ़ी बीन्स अल्फ्रेड पीट अल्फ्रेड पिट की शॉप से ही आती थी | जैसे जैसे  Starbucks का बिज़नस बढ़ने लगा वो कॉफ़ी बीन्स, वो कॉफ़ी की खेती करने वालों से डायरेक्ट कॉफ़ी बीन्स लेने लगे | और इस कारण उनका मुनाफा भी बढ़ने लगा |

Starbucks ने Howard Schultz को  मार्केट डायरेक्टर बनाया 

अगले 10 सालों में Starbucks अपने उच्च गुणवत्ता के कॉफ़ी बीन्स के कारण काफी बड़ा बिज़नस खड़ा कर चुका था इसीलिए साल 1981 में मार्केट को सँभालने के लिए, मार्केट डायरेक्टर के रूप में Howard Schultz को चुना| और इन्होने ने ही Starbucks को ग्लोबल ब्रांड बना दिया |

Howard Schultz अमेरिका के ब्रूकलिन में साल 1953 में पैदा हुए और इनका बचपन बेहद ही अभाव में व्यतीत हुआ| लेकिन अपनी मेहनत और लगन के दम पर जबर्दस्त सफलता अर्जित करने वाले howard Schultz आज पूरी दुनिया के लिए एक मिशाल हैं|

बात करते हैं होवार्ड की , होवार्ड के पास बिज़नस और मार्केटिंग की अच्छी खासी नॉलेज थी | जिसके कारण Starbucks का कस्टमर बेस बहुत तेज़ी से बढ़ने लगा| इसी बीच होवार्ड को इटली जाने का अवसर प्राप्त हुआ| वहाँ उन्होंने देखा की यहाँ कॉफ़ी पीने के लिए अलग से कॉफ़ी शॉप है | जहाँ लोग कॉफ़ी पीने के अलावा बिज़नस मीटिंग करने, डेटिंग और लोग अपने फ्रेंड्स के साथ, अच्छा समय बिताने के लिए आते हैं |

ये आईडिया होवार्ड को काफी पसंद आया क्योंकि Starbucks  अभी तक सिर्फ कॉफ़ी बीन्स ही सेल करता आ रहा था और कभी कभी अपने ग्राहक कॉफ़ी बीन्स की क्वालिटी check करने के लिए कॉफ़ी बनाकर भी पिलाती थी |

अमेरिका वापस आकर, होवार्ड ने कॉफ़ी शॉप वाला आईडिया, Starbucks के मालिकों को बताया लेकिन उनको ये आईडिया कुछ खास नहीं लगा क्योंकि उनका ये मानना था की कॉफ़ी तो लोग घर पर बनाकर पी सकते हैं तो कॉफ़ी शॉप पर कोई नहीं आएगा |

लेकिन होवार्ड के काफी कहने के बाद, मालिकों ने इस बात की मंजूरी दे दी | इसके बाद Starbucks ने अपना पहला कॉफ़ी कैफे खोला और इससे Starbucks को अच्छा खासा फायदा भी होने लगा | लेकिन होवार्ड को अभी और आगे जाना था |

सपने के लिए अपने starbucks को छोड़ दिया 

उन्होंने और स्टोर्स खोलने का आईडिया अपने मालिकों से बताया, Starbucks के मालिकों ने साफ़ मना कर दिया | इसके लिए होवार्ड ने कम्पनी के मालिकों को बहुत मनाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने | इस बात से नाराज होकर होवार्ड ने Starbucks के MD पद से इस्तीफा दे दिया|

अब वो अपना खुद कॉफ़ी कैफे खोलना चाहते थे लेकिन इस काम के लिए उनके पास धन नहीं था | सौभाग्य सेउन्हें एक इन्वेस्टर मिल गया जो उनके आईडिया पर, पैसा लगाने को तैयार था और होवार्ड ने अपना एक कॉफ़ी कैफ़े खोला जिसका नाम था – Giornale

होवार्ड की उम्मीद के अनुरूप बिज़नस अच्छा खासा चलने लगा और उन्हें अच्छा खासा प्रॉफिट भी हो रहा था|

साल 1984 में, Starbucks ने अल्फ्रेड पिट की कंपनी Peets को खरीद लिया और अपने कॉफ़ी बीन्स बेचने के काम को और बढ़ा लिया | Starbucks वाले अपने कैफ़े की तरफ अधिक ध्यान नहीं दे पा रहे थे जिसके कारण उन्होंने अपना बिज़नस 3.8 मिलियन डॉलर में होवार्ड को बेच दिया |

अपना कॉफ़ी हाउस खोलकर, starbucks को खरीद लिया

होवार्ड के पास इतने पैसे नहीं थे लेकिन कुछ इन्वेस्टर्स की मदद से, उन्होंने Starbucks के साथ ये डील फाइनल कर ली | अब Starbucks के मालिक होवार्ड बन चुके थे और Jerry Baldwin, zev Siegel और Gordon Bowker, अल्फ्रेड पिट की कम्पनी Peets coffee & Tea को चला रहे थे|

जैसा होवार्ड ने सोचा था वैसा ही उन्होंने अपना काम शुरू भी किया| उन्होंने Starbucks के आउटलेट्स, अमेरिका के अलग अलग शहरों में शुरू किये और Starbucks की फ्रैंचाइज़ी भी दी | साल 1992 आते आते तक Starbucks के 140 आउटलेट्स खुल चुके थे लेकिन होवार्ड की उड़ान अभी बाकी थी वो अमेरिका के बाहर भी Starbuks को फैलाना चाहते थे |

और उनकी इसी बड़ी सोच के कारण आज Starbucks 80 से अधिक देशों में अपनी कॉफ़ी लोगों को पिला रहा है | मार्च 2021 पूरी दुनिया में अपने 32,000 से भी ज्यादा आउटलेट्स खोल चुका है | जिसमे से तक़रीबन 15,000 आउटलेट्स सिर्फ अमेरिका में है |

Starbucks भारत कैसे आया ?

भारत एक बहुत बड़ी मार्केट है तो हर कम्पनी यहाँ आना चाहती है | लेकिन यहाँ टिक पाना हर किसी के बस की बात नहीं है | इसलिए Starbucks को यहाँ अपनी महँगी कॉफ़ी बेचने के लिए एक पार्टनर की जरुरत थी | सबसे बड़ी बात, टाटा ग्रुप उनकी पहली चॉइस थी |

टाटा और Starbucks की इस पार्टनरशिप को नाम दिया गया – tata Starbucks pvt. ltd.

टाटा ग्रुप के साथ मिलकर Starbucks ने अक्टूबर 2012 में, मुंबई में अपना पहला आउटलेट खोला| अपनी गुणवत्ता और टाटा ग्रुप के साथ के कारण अगले चार सालों में, भारत में Starbucks ने 84 आउटलेट खोल डाले | जोकि Starbucks के इतिहास में सबसे तेज़ ग्रोथ थी | भारत में Starbucks और टाटा ग्रुप की 50-50 पार्टनरशिप है |

आज Starbucks कॉफ़ी के साथ साथ और भी हजारों प्रोडक्ट के साथ अपने स्टोर्स चला रहा है| आज Starbucks की मार्केट कैपिटल 103 B डॉलर को भी पर कर चुकी है |

Starbucks की सफलता का एक राज ये भी की यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को पार्टनर कहकर बुलाया जाता है जिससे वो अपने आपको कम्पनी का एक वैल्युएबल भाग समझते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं |

आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

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