Iron Lady of India Indira Gandhi Biography in Hindi

 Indira Gandhi Iron Lady of India Biography in Hindi

इंदिरा गाँधी की जीवनी

हिंदुस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गाँधी ( Iron Lady Of India ) अब तक उनके सिवाय कोई भी भारतीय महिला, देश की प्रधानमंत्री न बन सकी है|

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मुख्य चेहरा इंदिरा गाँधी जिसने साल 1966 से 1977 और बाद में साल 1980 से 1984 तक राष्ट्र की सेवा करी|

इंदिरा गाँधी भारत की सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री के मामले में, दूसरे स्थान की प्रधानमंत्री हैं | प्रधानमंत्री कार्यालय सँभालने वाली, वो अब तक की पहली महिला रहीं हैं |

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हिन्दुस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, हिन्दुस्तान के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी की पुत्री थीं| इंदिरा गाँधी जी को वर्ष 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बैठा दिया गया |

साल 1964 में इनके पिता की मृत्यु के बाद, इंदिरा गाँधी Iron Lady Of India को लाल बहादुर शास्त्री के कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री बनाया गया|

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात, इंदिरा गाँधी ने चुनाव में मोरारजी देसाई को पराजित करके हिन्दुस्तान की पहली औरत प्रधानमंत्री बन गईं| प्रधानमंत्री होने के साथ साथ इंदिरा गाँधी जी अपनी राजनितिक दूरदर्शिता और बेमिशाल केन्द्रीयकरण के लिए प्रसिद्द हैं| 

इंदिरा गाँधी एक ऐसी महिला जिसने न केवल भारतीय राजनीति बल्कि विश्व राजनीति पर एक गहरी छाप छोड़ी| उनके राजनितिक किस्सों को आज भी इतिहास में देखा सकता है| तो यहाँ आज इस आर्टिकल में हम इंदिरा गाँधी के जीवन यात्रा को समझने की कोशिश करेंगे |

महान पुरुष रतन टाटा का जीवन परिचय

 Indira Gandhi Iron lady of india Biography in Hindi

इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर साल 1917 को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्द नेहरु परिवार में हुआ था| उनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी था| उनके दादा जी मोतीलाल नेहरु थे| इनके पिता और दादा दोनों ही सफल वकील रहे और इन दोनों ने ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमिट योगदान दिया था|

Iron Lady Of India इंदिरा गाँधी की माँ का नाम कमला नेहरु था और उनका परिवार आर्थिक रूप बहुत संपन्न था| इंदिरा गाँधी ने बचपन से ही, अपने घर पर राजनितिक माहौल देखा था| उनके दादा जी और पिता जी हिंदुस्तान के स्वतंत्रता आंदोलनों के मुख्य नेताओं में से एक रहे| ऐसे माहौल का प्रभाव इंदिरा गाँधी पर भी पड़ा| इंदिरा गाँधी बचपन से ही अपने पिता के बेहद ही करीब थीं|

नेहरु जी की छत्रछाया में उनके भीतर शुरू से ही, देशप्रेम और जिम्मेदारी जी भावना विद्यमान थी|

वो बचपन से ही अपने दोस्तों को इकठ्ठा कर, स्पीच देने लगती थीं | उन्होंने बचपन में ही एक वानर सेना भी तैयार की जो विदेशी सामानों को इस्तेमाल करने से रोकती थी | पिता के राजनितिक कामों और माँ के खराब स्वास्थ्य के कारण, इंदिरा गाँधी को शुरुवात में शिक्षा का सही माहौल नहीं मिल पाया| इसलिए इनके पिता ने इनको गुरुदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन के विश्व भारती कॉलेज में पढ़ने के लिए भेज दिया| Iron Lady of India Indira Gandhi Biography in Hindi

और इसके बाद इंदिरा गाँधी ने लन्दन के बैडमिंटन स्कूल और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया | यहाँ पर पढ़ते समय ही वो आजादी की मांग रखने वाली ” india लीग ‘ की मेम्बर भी बन गईं थीं |

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान इनकी मुलाकात फिरोज जहाँगीर से अक्सर हो जाया करती थी जो लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे |

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इंदिरा और फिरोज गाँधी का विवाह

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फिरोज जहाँगीर को इंदिरा इलाहाबाद से ही जानती थीं | हिंदुस्तान की स्वतंत्रता के आन्दोलन में दोनों साथ ही जेल भी गए|

जब वो लन्दन से वापस लौटीं तो लौटते ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं और 16 मार्च सन 1942 को उन्होंने फिरोज जहाँगीर से विवाह कर लिया| जवाहरलाल नेहरु की सहमति नहीं थी इस शादी को, पर महात्मा गाँधी ने हस्तक्षेप करके इन दोनों का विवाह करा दिया|

शादी के दो साल के भीतर ही 20 अगस्त, साल 1944 को राजीव गाँधी का जन्म हुआ और 14 दिसम्बर 1946 को संजय गाँधी का | इंदिरा गाँधी के पारिवारिक माहौल, राजनितिक विचारधारा विरासत में ही मिली थी | और पिता की मदद करते करते उन्हें राजनीति की अच्छी समझ हो गई थी |

साल 1955में वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं और फिर धीरे धीरे पार्टी में इंदिरा का कद बढ़ता गया और मात्र 42 साल की उम्र में साल 1955में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बन गईं |

साल 1964 इंदिरा गाँधी के पिता जवाहरलाल नेहरु का निधन हो गया| नेहरु जी के निधन के बाद भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए, लाल बहादुर शास्त्री जी को चुना गया | उसी समय इंदिरा गाँधी चुनाव जीतकर, लाल बहादुर शास्त्री जी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी |

और उस समय किसी महिला का इतना बड़ा मुकाम हासिल करना सरल नहीं था | 11 जनवरी साल 1976 को लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया | और उसके बाद के चुनावों में दो नाम, प्रधानमंत्री पद के प्रस्तावित किये गए|

जिसमे पहला नाम था इंदिरा गाँधी का और दूसरा नाम था पार्टी के वरिष्ठ नेता मोरारजी देसाई का| लेकिन इंदिरा गाँधी भारी मतों से जीतकर 24 जनवरी 1966 को हमारे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गईं|

इंदिरा के कार्यकाल में हिंदुस्तान की उपलब्धियाँ 

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इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, इन्होने कृषि के क्षेत्र में काफी काम किये | इसके लिए इन्होने बहुत सी नई योजनायें बनाई और ढेरों कृषि सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये | इसमें कई तरह की फसलें उगाना और खास सामग्रियों का निर्यात करने जैसे मुख्य उद्देश्य शामिल थे |

उनका लक्ष्य देश में रोजगार सम्बंधित समस्याओं को कम करना और अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बनना था | इन सबसे ही हरित क्रांति की शुरुवात हुई थी | इंदिरा गाँधी ने भारत को आर्थिक और औधोगिक रूप से मजबूत राष्ट्र बनाने की कोशिश की | इसके अलावा उनके कार्यकाल में ही भारत ने विज्ञान और रिसर्च के क्षेत्र में काफी प्रगति की |

एक तरफ भारत साल 1974 में ऑपरेशन Smiling Buddha के जरिये राजस्थान के पोखरण में परमाणु परिक्षण करके अपने आपको परमाणु शक्ति संपन्न देशों के कतार में लाकर खड़ा कर दिया|

वहीँ 1984में भारत के पहले अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से बात करके विश्व समुदाय को अन्तरिक्ष में भारत की सशक्त मौजूदगी का एहसास कराया | इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में ही किसी भारतीय ने पहली बार चाँद तक सफ़र किया जोकि राष्ट्र के लिए काफी गर्व का क्षण था|

इंदिरा गाँधी ने 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण करके न केवल बैंको को लोगों के दरवाजे तक पहुँचाया बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को ऐसी मजबूती मिली जिसका प्रभाव वर्ष 2008की वैश्विक मंदी तक कायम रहा और देश उससे उससे बच पाया | इसके साथ ही इंदिरा गाँधी ने देश और देश वासियों को प्राथमिकता देने की सोच के चलते, महत्वपूर्ण उद्योगों का भी राष्ट्रीयकरण किया पर इंदिरा गाँधी को सबसे अधिक स्मरण किया जाता 1971 की जंग को लेकर|

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इंदिरा गाँधी की शानदार अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ कूटनीतिक ढंग से पेश आकर, उन्होंने भारत में आने वाले बंगलादेशी शरणार्थी की समस्या को समाप्त किया | और साथ ही शांत और रणनीतिक तरीके से पड़ोसी पाकिस्तान के कायराना हमलों से उबरने के लिए भी प्रबंध किया |

साल 1971 में पार्टी और देश में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए, लोकसभा को भंग करके मध्यवर्ती चुनाव की घोषणा कर दी |

इंदिरा गाँधी ‘ गरीबी हटाओ ‘ नारे के साथ चुनाव में उतरी और धीरे धीरे उनके पक्ष में चुनावी माहौल बनने लगा| और कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हो गया | कुल 518 सीटों में से 352 सीटें कांग्रेस को मिली | अब तक केंद्र में इंदिरा गाँधी की स्थिति बेहद ही मजबूत हो चुकी थी |

पाकिस्तान को दिया करारा जवाब 

वे अब स्वतंत्र फैसले लेने के लिए आजाद थी| साल 1971 में ही बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया| इस बार भी पहले की तरह ही पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा |

1971 के चुनाव के बाद इंदिरा गाँधी विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए नए कार्यक्रम लागू करने की कोशिश की पर देश के भीतर समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी | महंगाई के कारण लोग परेशान थे, युद्ध की वजह से देश में आर्थिक समस्याएं बढ़ गई थीं | इसी बीच सूखा और अकाल ने स्थिति को और भी खराब कर दिया था |

उधर अंतर राष्ट्रीय बाज़ार में, पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों से भारत में महंगाई बढ़ती जा रही थी | इस कारण देश में विदेशी मुद्रा भण्डार, पेट्रोलियम आयात करने के कारण तेज़ी से घटता जा रहा था| उस समय कुल मिलकर आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था जिसमे उद्योग धंधे ठप पड़ने लगे थे |

बेरोज़गारी काफी बढ़ चुके थे और सरकारी कर्मचारी महंगाई बढ़ने के कारण वेतन बृद्धि की मांग कर रहे थे | इन सब समस्याओं के बीच सरकार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप भी लगने चालू हो गए थे |

सरकार इन सब परिस्थितियों से जूझ ही रही थी की इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गाँधी के चुनाव से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए, उनका चुनाव रद्द कर दिया | और उनके ऊपर 6 साल चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया |

इंदिरा गाँधी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका लगाई तो सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए 14 जुलाई का दिन तय किया | पर विपक्ष को 14 जुलाई तक का भी इंतज़ार नहीं था| जय प्रकाश नारायण और विपक्ष ने आन्दोलन का उग्र रूप ले लिया था|

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इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल किया लागू

इन परिस्थितियों का मुकाबला करने किये, 26 जून साल 1975 देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा कर डी गई |

और जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और हजारों छोटे बड़े नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया | सरकार ने टीवी, अखबार और रेडियो पर सेंसर लगा दिया और यहाँ तक की मौलिक अधिकार भी लगभग ख़त्म हो गए थे |

आपातकाल को लेकर, जयप्रकाश नारायण तथा प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डालना, ऑपरेशन ब्लू स्टार सरीखे कुछ निर्णयों की वजह से उनका सामना, काफी आलोचनाओं से भी हुआ।

शायद इंदिरा गाँधी इस स्थिति को अच्छे ढंग से समझ नहीं सकी जिसके कारण 1977 के चुनावों में जनता का समर्थन विपक्षी दल को मिलने लगा|

81 वर्षीय मोरार जी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी ने 23 मार्च 1977 में सरकार बनाई | ये सरकार शुरुवात से ही आंतरिक गतिविधियों से जूझ रही थी और आन्तरिक गतिविधियों के कारण ही यह सरकार गिर गई |

इंदिरा गाँधी को जेल भी जाना पड़ा

जनता पार्टी के शासन काल में इंदिरा गाँधी पर अनेक आरोप लगाये गए और कई कमीशन जाँच के लिए भी नियुक्त किये गए | उन पर देश की कई अदालतों के मुक़दमे भी दायर किये गए थे और सरकारी भ्रष्टाचार के आरोप में श्रीमती गाँधी कुछ समय के लिए जेल में भी रहीं |

इंदिरा के साहस का परिचय

इंदिरा गाँधी बतौर प्रधानमंत्री एक मजबूत और सशक्त नेता साबित हुईं| उनके कार्यकाल में भारत ने कई उंचाईयों को छुवा| इंदिरा गाँधी ने दुनिया को अपनी ताकत दिखाई जब उनके नेतृत्व में भारत ने न केवल 1971 के युद्ध में जीत हासिल की बल्कि बांग्लादेश को आजाद कराया | और पश्चिम पाकिस्तान के भीतर कई प्रमुख क्षेत्रों तक पहुँचने में कामयाब भी रहीं |

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अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की मदद के लिए, अपना सातवां जहाजी बेड़ा भेजने की सूचना मिलने से लेकर, पाकिस्तान द्वारा भारत के सामने हथियारों सहित आत्म समर्पण करने तक| इस आयरन लेडी ऑफ़ इंडिया के संबोधन आज भी याद किये जाते हैं – जैसे की -हिन्दुस्तान किसी से नहीं डरता चाहे वो सातवां बेड़ा हो या सत्तरवां |

उड़ीसा में चुनाव प्रचार के दौरान इंदिरा गांधी पर भीड़ के एक हिस्से ने पत्थर से हमला किया। इस पथराव ने उन्हें नाक पर चोटिल कर दिया और खून निकलने लगा। पर इस हमले ने श्रीमती गाँधी के हौंसलों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा पाया|

वे दिल्ली वापिस लौटीं और अपनी नाक का इलाज करवाया और फ़ौरन तीन चार दिन के भीतर ही, वो नाक पर चोट के साथ, फिर चुनाव प्रचार वास्ते उड़ीसा जा पहुंची। उनके इन्ही कामों की वजह से, कांग्रेस को वहाँ होने वाले चुनावों में काफी फायदा हुआ।

एक तरफ जनता पार्टी के आन्तरिक गतिविधियों के कारण उनकी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही और दूसरी तरफ इंदिरा गाँधी के साथ हो रहे व्यवहार के कारण, जनता जनार्दन की इंदिरा गाँधी के लिए सहानुभूति बढ़ती जा रही थी| जनता पार्टी सरकार चलाने में असफल रही |

देश को एक बार फिर मध्यवर्ती चुनाव का माहौल झेलना पड़ा| जिसके परिणामस्वरूप इंदिरा जी की पार्टी को 592 में से 353 सीटें प्राप्त हुईं |

इंदिरा गाँधी के बॉडीगार्ड ने उन पर चलाई गोलियाँ

इंदिरा गाँधी फिर साल 1980 में, इस देश की प्रधानमंत्री बनी | इसके बाद 31 अक्टूबर साल 1984 में इंदिरा गाँधी के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह ने सात फीट की दूरी दूरी से, इंदिरा गाँधी पर 30 राउंड गोलियाँ चलाकर मार डाला |

निष्कर्ष / Conclusion

इंदिरा गाँधी का जीवन काफी रोचक रहा| उनका इन्दू से लेकर इंदिरा और फिर प्रधानमंत्री बनने तक का सफ़र न केवल प्रेरणादायक है बल्कि भारत में महिला सशक्तिकरण के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय भी है|

वास्तव में एक धर्म निरपेक्ष और साहसी महिला जिन्होंने मौत की साजिश में शामिल होने की सूचना के बावजूद अपने अंगरक्षकों को हटाने से इनकार किया ये कहते हुए की, अगर वो ऐसा करती हैं तो देश की पहले से नाजुक स्थिति और बिगड़ सकती है |

31 अक्टूबर साल 1984 को इंदिरा जी को, इन्ही के घर में गोलियाँ बरसाकर मार दिया गया पर उनके विचार, हिम्मत और जज्बा उनके कहे अनुसार, आज भी हिंदुस्तान में कण कण में मौजूद हैं| बेमिशाल राजनितिक दूरदर्शिता के मामले में, बेहद ही धनी थीं इंदिरा गाँधी जी |

तत्कालीन नेताओं के अनुसार बैंकों का राष्ट्रीयकृत करना , पहले की राजा प्रथा ख़त्म करना, कांग्रेस सिंडिकेट से असंतुष्टि, बांग्लादेश के निर्माण में सहायता करना और अमेरिका के समकालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को राजनीति के दांव-पेंच में मात देना जैसे तमाम शानदार निर्णय, इस भारतीय लौह लेडी के व्यक्तित्व में विधमान, निडरता के सूचक थे।

इंदिरा के लिए 1980 की शुरुवात, खालिस्तानी समर्थकों की मांग, चुनौती लेकर आई। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, इंदिरा गाँधी सिख अलगाववादियों के रडार पर रहने लगी। 31 अक्टूबर 1984 को इस आयरन लेडी को उसके ही, दो सिख अंगरक्षकों ने गोलियों से भून डाला। गरीबी से आजाद हिंदुस्तान इंदिरा का एक सपना था। जो आज भी कहीं दूर ही छिपा बैठा है।

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