Ganesh Bhagwan Ji ki Kahani Lord Ganpati Story
किसी भी पूजा पाठ, व्रत त्यौहार शुभ कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है|
किसी में व्रत को रखते समय, ganesh ji ki kahani
किसी भी पूजा पाठ, व्रत त्यौहार शुभ कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है|
किसी में व्रत को रखते समय, ganesh ji ki kahani
तो आईये जानते हैं Ganesh Bhagwan ji ki Kahani
बहुत समय की बात है एक बार नारद जी विचरण करते हुए, कैलाश पर्वत पर पहुँचे | वहाँ उन्होंने Ganesh Bhagwan ji को चूहे के साथ खेलते हुए देखा | उन्होंने गणेश Bhagwan जी से कहा की महाराज आप यहाँ चूहे के साथ खेल रहें हैं और वहाँ पृथ्वीलोक पर, लोगों के पास खाने तक को कुछ नहीं है |
कुछ कीजिये महाराज अन्यथा मनुष्य आपकी भक्ति क्यों करेंगे ?
तब Ganesh Ji ने कहा की अगर कोई मनुष्य मेरी भक्ति पूरी श्रद्धा से करेगा तो उसके कष्ट तो अवश्य ही मिट जायेंगे|
इस पर नारद जी ने कहा की प्रभु अगर ऐसा है तो पृथ्वीलोक पर एक बुढिया है जिसके पास खुद के खाने के लिए नहीं है फिर भी वो प्रतिदिन आपको भोग लगाने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करती है | क्या आपको उसका कष्ट दिखाई नहीं देता या फिर उसकी भक्ति में कोई कमी रह गई है |
तब गणेश जी मुस्कुराये और बोले, ऐसा नहीं है महर्षि नारद जी की मुझे अपने भक्तों का कष्ट दिखाई नहीं देता|
पर मैं अपनी इस भक्त से मिलने, स्वयं भूमंडल पर जाउँगा | इतना कहकर Ganesh Ji ने छोटे बालक का रूप धारण किया और पृथ्वी पर पहुँचकर उस गाँव में गए, जिस गाँव में वो बुढ़िया रहा करती थी |
गणेश जी सबको आवाज लगाकर बोलने लगे की कोई मेरी खीर बना दो, कोई मेरा खीर बना दो, पर कोई उनकी खीर बनाने के लिए सहमत नहीं हुआ | आखिरकार वो बुढ़िया के घर के पास से गुजरे तो बुढ़िया माईं ने कहा की आओ बेटा मैं तुम्हारी खीर बनाये देती हूँ |
अब तुम ही बताओ में ये खीर किसमें चढ़ाऊँ?
बूढ़ी माँ से Ganesh ji ने कहा माईं एक बड़े से पतीले के अन्दर ये चाल डाल दो तो माईं पड़ोस से एक बड़ा सा पतीला लेकर आई और उसे चूल्हे पर चढ़ा दिया और उसमे वो एक चम्मच दूध और चुटकी भर चावल डाल दिया| पतीला दूध और चावल से भर गया और खीर की सुगंध आने लगी |
तो गणेश जी ने कहा की बूढ़ी माईं मैं गाँव वालों को निमंत्रण देकर आता हूँ, आप तब तक खीर तैयार करो | खीर बनकर तैयार हो गई लेकिन Ganpati Maharaj नहीं आये| इधर बूढ़ी माईं को खीर की खुशबु पाने से बहुत तेज़ी से भूख लग चुकी थी |
अत्यधिक भूखी होने के कारण, बूढ़ी माईं ने दरवाजे के पीछे थोड़ा सा खीर ganpati जी को भोग लगाया और फिर पेट भरकर खीर खा ली | इतने में ही गणेश जी आ गए तो बूढ़ी माईं ने कहा – आओ बेटा तुम भी खीर जल्दी से खा लो |
तो गणेश जी ने कहा, माँ आपने दरवाजे के पीछे जिन्हें भोग लगाया था वो मैं ही था| गणेश भगवान उस बूढ़ी माँ से बहुत ही प्रसन्न हुए और कहा की मैं तो बस इसी आस्था का भूखा हूँ और उन्होंने उस बूढ़ी माँ को धन धान्य प्रदान किया | और उनकी झोली धन दौलत से भर दी | वो बूढ़ी माँ बहुत खुश हुई |
पूरा गाँव कहने लगा की आज तक तो बूढ़ी माईं के पास खुद के लिए खाने को नहीं था और आज देखो पूरे गाँव को खीर खिला रही है |
हे गणेश भगवान् जैसे आपने बूढ़ी माईं को सब कुछ प्रदान कर दिया, वैसे ही सभी को खुशियों की सौगात दें, सभी कहानी पढ़ने वालों को धन धान्य से परिपूर्ण कर दें, उनके परिवार वालों की झोलियाँ भी भर दें |
प्रेम से बोलिए गणेश जी भगवान की जय |
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