First Chief of Defence Staff Bipin Rawat Biography
16 मार्च 1958 को जन्मे भारत के पहले रक्षा प्रमुख CDS ( Chief of Defence Staff) बिपिन रावत जी ने 1 जनवरी 2020 में रक्षा प्रमुख का पद भार ग्रहण किया था |
CDS होता क्या है ?
इससे पहले क्या होता था आर्मी का एक अलग चीफ होता है, नेवी का अलग चीफ होता है, वायुसेना का एक अलग चीफ होता है | CDS आने के बाद, ये तीनो प्रमुख का भी एक चीफ होता है जिसे CDS कहते हैं | वेतन या अन्य सुविधाएं बिलकुल अन्य तीनो प्रमुखों के समान ही रहती है लेकिन CDS पोस्ट बड़ी होती है| इनका काम तीनो सेनाओं को अच्छे से कोआर्डिनेट करना है|
First (CDS) Chief of Defence Staff-General Bipin Rawat Biography
जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के 27वें सेना प्रमुख थे | जिन्होंने 31 दिसम्बर 2016 को थल सेनाध्यक्ष के रूप में अपना पद ग्रहण किया था | थल सेनाध्यक्ष के रूप में वो तीन साल तक ( 31 दिसम्बर 2019 तक) अपनी सेवाएं देश के लिए अर्पित की |
इससे पहले ये सेना के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं | इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक राजपूत वंश परिवार में हुआ था | ये उस परिवार से आते हैं जिसने देश को बहुत सारे सिपाही दिए हैं | इनके परिवार की कई पीढ़िया सेना में रह चुकी है|
इनको इंडियन आर्मी में जाने की प्रेरणा कहीं और से नहीं बल्कि अपने ही परिवार से मिली क्योंकि इनके पिता एल एस रावत( लक्ष्मण सिंह रावत) सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रह चुके थे | इनका पूरा बचपन फौजियों के बीच गुजरा जिस दौरान इन्होने अपनी स्कूली शिक्षा कैंब्रियन हाल स्कूल देहरादून शिमला में स्थित St. Edwards School से प्राप्त की | इसके बाद नेशनल डिफेन्स अकैडमी Khadakasla में भी पढ़े |
IMA देहरादून ने किया था Sword of Honour से समानित
जैसा की हमने आपको बताया जनरल बिपिन रावत एक आर्मी बैकग्राउंड से थे इसलिए अपने पिताजी को देखकर ही इनके अन्दर देशप्रेम की भावना जगी | और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से जनरल बिपिन रावत इंडियन मिलिट्री अकैडमी से कमीशन हुए | जहाँ उन्हें अपनी बेहतरीन परफोर्मेंस के लिए Sword of Honour से सम्मानित किया गया|
Sword of Honour पाना हर किसी के वश की बात नहीं होती है क्योंकि ये सम्मान उस कैडेट को दिया जाता है जो अपने बैच में सबसे बेस्ट होता है और जनरल बिपिन रावत उनमे से एक थे |
फिर वो हायर डिफेन्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए जहाँ उन्होंने डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से स्नातक किया |
इन्होने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेन्स स्टडीज में MPhill की डिग्री और मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा भी हासिल किया |
जनरल बिपिन रावत को साल 2011 में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ द्वारा रिसर्च ऑन मिलिट्री मीडिया स्ट्रेटेजिक स्टडीज के लिए डॉक्टरेट ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री भी दी गई है |
अब बात करते हैं इनके मिलिट्री कैरियर के बारे में –
इनका कैरियर ही बहुत कुछ बोलता है- First (CDS) Chief of Defence Staff-General Bipin Rawat’s Career
सेकंड लेफ्टिनेंट – 16 दिसम्बर 1978
लेफ्टिनेंट – 16दिसम्बर 1980
कैप्टेन – 31 जुलाई 1984
मेजर – 16दिसम्बर 1989
लेफ्टिनेंट कर्नल – 1 जून 1998
कर्नल – 1 अगस्त 2003
ब्रिगेडियर – 1 अक्टूबर 2007
मेजर जनरल – 20 अक्टूबर 2011
लेफ्टिनेंट जनरल – 1 जून 2014
जनरल – 1 जनवरी 2017
रक्षा प्रमुख CDS ( Chief of Defence Staff ) – 1 जनवरी 2020
16 दिसम्बर इन्हें 1978 को इनको सेकंड लेफ्टिनेंट बनाया गया और सेना के ऐतिहासिक 11 गोरखा रायफल में शामिल कर लिया गया था ये वही बटालियन थी जिसमे इनके पिता भी रह चुके थे | इस बटालियन में रहते हुए कई बड़ी लड़ाईयों के साथ काउंटर इनसरजेंसी ऑपरेशन में इन्होने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| ये चौथे गोरखा हैं जो भारतीय आर्मी के चीफ बने |
नार्थ ईस्ट में भी काफी जबरदस्त अनुभव लिया है इन्होने, राष्ट्रीय रायफल के भी अध्यक्ष रह चुके हैं
जिससे उन्हें युद्ध की डिफेन्स और आक्रामक नीतियाँ बनाने में एक लम्बा अनुभव मिला| इंडियन आर्मी में काम करते हुए इन्होने कई बटालियन के लिए काम किया जिससे इन्हें अलग अलग स्थानों की सुरक्षा और युद्ध निति का अनुभव मिला |
जैसे की इन्फेंटरी बटालियन में काम करते हुए इन्हें लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल का अनुभव मिला और इसी तरह कश्मीर घाटी में ऑपरेशन्स को अंजाम देने वाली 19 इन्फेंट्री डिवीज़न के साथ काम करते हुए कश्मीर की सुरक्षा नीति को समझने का मौका मिला |
बिपिन रावत के करियर में हुए ढेरों प्रमोशन
इसके अलावा उन्होंने आर्मी के 3rd कोर, साउथर्न कमान, IMA देहरादून और अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में काम किया और अलग अलग ऑपरेशन्स को परफेक्टली सँभालने के कारण, इनका वक़्त के साथ साथ पदोन्नति भी होती रही|
इसी दौरान इन्होने जनरल स्टाफ ऑफिसर के रूप में, मिलिट्री ऑपरेशन डायरेक्टरेट में लोजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर के पद पर रैपिड में, और डिप्टी मिलिट्री सेक्रेट्री के रूप में मिलिट्री सेक्रेट्री में काम किया |
अपनी बेहतरीन लीडरशिप स्किल्स और हाई लेवल वार पालिसी में परफेक्ट होने के कारण यू एस मिशन के तहत उन्हें पहली बार अपनी इंटरनेशनल मिलिट्री सर्विस देने का मौका मिला | जहाँ उन्होंने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो के ब्रिगेड में काम करते हुए सात हज़ार लोगों की जान ओ बचाया | और शांति स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया |
बिपिन रावत को 1 जनवरी साल 2016 में, C-southern command में GOC बनाया गया| 1 सितम्बर 2016 को इन्हें वाईस चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ बनाया गया जो दूसरी सबसे उच्च पोजीशन होती है इंडियन आर्मी में |
साल 2017 में बने बिपिन रावत थल सेना प्रमुख
उन्हें अपनी बेहतरीन युद्ध रणनीति और अदम्य साहस के लिए उत्तम युद्ध सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल, सेना मैडल और विशिष्ट सेना मैडल से सम्मानित किया गया है और 1 जनवरी 2017 को इन्हें आर्मी चीफ दलवीर सिंह के स्थान पर, भारतीय सेना का नया प्रमुख बना दिया गया | 30 साल की सर्विस अवधि पूरी के बाद ही, आर्मी प्रमुख बनाया जाता है|
थल सेना प्रमुख के पद से, बिपिन रावत ने 31 दिसम्बर 2019 को इस्तीफा दे दिया|
चाणक्य निति की बहुत ज्यादा बात करते थे जनरल रावत| ये बताते थे की चाणक्य निति में न सिर्फ इकोनॉमिक्स और पॉलिटिक्स के बारे में बात है बल्कि सैन्य अनुशासन के बारे में वहाँ अच्छे से बताया गया है की सैन्य कार्रवाई कैसे करनी चाहिए |
8 दिसम्बर साल 2021 को तमिलनाडु राज्य में इनका हेलीकाप्टर क्रेश होने की वजह पत्नी समेत इनका निधन हो गया | श्री रावत जी भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टर MI-17 में सवार थे जो तमिलनाडु के निलगिरी शहर के कुन्नूर स्थान पर दुर्घटना की जद में आ गया|
जनरल रावत वेलिंगटन स्थित डिफेन्स सेवा स्टाफ कॉलेज के दौरे के लिए, अपनी पत्नी और 12 अन्य लोगों के साथ उस वायुसेना के चॉपर MI-17 में सवार होकर जा रहे थे| 14 लोगों में से रक्षाप्रमुख रावत समेत तेरह लोगों की इस दुर्घटना में मौत हो गई |