Mulayam Singh Yadav Biography Samajvadi Party Founder
सांसद मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ सीट (उत्तर प्रदेश), लगभग 55 साल का राजनितिक सफ़र| Mulayam Singh Yadav Biography
वो राजनेता जो उत्तर प्रदेश का तीन बार मुख्यमंत्री बना| इनको चुनाव जितवाने के लिए लोगों ने व्रत तक रखा था| इन्होने अपने पहले चुनाव में साईकिल के कैरियर के पीछे बैठकर खुद का चुनाव प्रचार किया था| हम बात कर रहें हैं समाजवादी पार्टी के फाउंडर, समाजवादी विचारधारा के प्रणेता मुलायम सिंह यादव|
एक राजनैतिक वट वृक्ष जो अपने आगे की राजनैतिक नस्लों को तैयार करके विदा हुए|
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव जी का देहांत 10 अक्टूबर 2022 को हो गया| इनकी तवियत काफी दिनों से ठीक नहीं चल रही थी| गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में नेता जी आखिरी साँस ली|
मुलायम सिंह यादव की पहचान एक जमीन से खड़े हुए नेता के तौर पर होती है| उनके बारे में ये बात बड़ी प्रचलित थीं की किसी भी सभा में मौजूद अधिकतर लोगों को नाम से बुलाया करते थे|
Mulayam Singh Yadav Biography
साल 1939, 22 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गाँव में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था| इनके पिताजी का नाम सुघड़ सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी था| इनकी दो शादियाँ हुई है| एक शादी तो इनकी बचपन के दिनों में ही कर दी गई थी |
इनके पिताजी एक किसान थे| पिता के 5 बेटों में मुलायम सिंह यादव पहलवानी कसरत किया करते थे | इस वजह इनके पिताजी का ध्यान इनके ऊपर काफी रहता था | इनके पिता जी अपने बेटे मुलायम को पहलवान बनाने की चाह रखते थे| पंद्रह साल से कम उम्र में ही ये अपने से बड़े कद के पहलवानो को पटखनी दिखा दिया करते थे| लेकिन किसी की तकदीर कोई कहाँ जानता है |
मुलायम पढ़ाई पूरी करके एक अध्यापक बन गए| हिंदी की वकालत करने वाले मुलायम सिंह जी अंग्रेजी भाषा के अध्यापक बनकर बच्चों को पढ़ाने लगे|
राजनीति शास्त्र के विषय से एम ए और बी टी सी की शिक्षा रखने वाले मुलायम सिंह जी बहुत ही कम उम्र में राजनीति में कूद पड़े थे|
लोहिया जी के आन्दोलन में इन्होने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था| 15 साल की उम्र में ही इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था | गिरफ्तारी के बाद जब ये जेल से छूटे तो इनका गाँव वालों ने जोरदार स्वागत किया था |
मुलायम सिंह यादव सिर्फ 15 साल की उम्र में राजनितिक अखाड़े में उतर गए थे| और अट्ठाईस साल की सबसे कम उम्र के जशवंत नगर विधानसभा सीट से विजय हासिल करके, उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहली बार सदस्य चुने गए|
विरोधियों ने मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास किया
चुनावी अखाड़े में शिकस्त देने के लिए विरोधियों ने ऐसा तरीका निकाला था की इनकी चिंता की लकीरें बढ़ गईं थीं|
इनको चुनाव में पराजित करने के लिए विरोधियों ने तीन बार इनके खिलाफ इनके ही हमनाम को मैदान में उतारकर मतदाताओं को भ्रमित करने का भरपूर प्रयास किया| लेकिन तीनो बार ये धरती पुत्र चुनाव में फतह हासिल किया |
इसके पीछे की कहानी ये हैं साल 1989 में जशवंतनगर विधानसभा सीट से नेता जी जनता दल पार्टी के उम्मीदवार थे| इनके खिलाफ इनके नाम का ही एक निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव में उतर गया| लोग किसी भ्रम के शिकार न हो जाएँ इसलिए मुलायम सिंह जी ने अपने नाम में अपने पिता का नाम जोड़ दिया| बैलेट पेपर पर उनका नाम अंकित हुआ – मुलायम सुघड़ सिंह यादव|
इस इलेक्शन में नेता जी बड़े अंतराल से अपने विरोधी को परास्त किया | मुलायम सिंह यादव जी ने 64,500 वोटों से विजय प्राप्त की | और उस निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में सिर्फ 1032 वोट ही मिले थे |
मुलायम सिंह यादव के साथ इस तरह की घटना दोबारा साल 1991 में उसी सीट पर घटी | इस बार मुलायम सिंह यादव जनता पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे | नाम में समानता के चलते चुनाव में वोट का विभाजन हो सकता है | ये डर नेता जी को पूरे चुनाव तक सताता रहता था | हालांकि जीत मुलायम सिंह यादव की ही हुई |
इस बार उनके विरोध में जो मुलायम सिंह खड़े थे वो मात्र 328 मत ही पा सके थे|
तीनो सीटों पर हमनाम से मुकाबला
साल 1993 में मुलायम जी के साथ चुनावी हमनाम की घटना तीसरी बार घटी| इस साल मुलायम सिंह यादव जी तीन विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनावी रण के योद्धा बने थे| ये तीनो सीटें जशवंत नगर, निधौली कलां और शिकोहाबाद थी| तीनो की तीनो सीटों से मुलायम के हमनाम ही चुनाव मैदान में थे|
मुलायम सिंह यादव की जमीनी राजनीति में पकड़ इतनी मजबूत थी की कुछ भी करके विरोधी उनके वोट बैंक में सेंध नहीं लगा सके| इन्होने तीनो बार हर सीट से शानदार विजय हासिल की|
प्रधानमंत्री बनने से चुके मुलायम सिंह यादव
एक भारतीय कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव देश के प्राइम मिनिस्टर भी बन सकते थे| लेकिन वो कहते हैं न सब कुछ सियासत में भी मर्जी से नहीं होता | लोगों का ऐसा मानना है की लालू प्रसाद यादव और शरद यादव की खिलाफत की वजह से ही मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री नहीं बन पाए |
नेता जी एक बार इस मुद्दे पर बात करते हुए अपनी नाराजगी भी जताई थी | इन्होने एक बार कहा था – जिन चार लोगों ने मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया वो लालू प्रसाद यादव शरद यादव, वी पी सिंह और चन्द्र बाबू नायडू हैं |
प्रधानमंत्री की दौड़ में पीछे छूटने के बाद साल 1996 से 1998 तक इन्होने भारत के रक्षामंत्री का कार्यभाल संभाला|
Mulayam Singh Yadav Biography
मुलायम सिंह यादव जी ने पहलवानी भी की है| ये जब कॉलेज में पढ़ते थे तभी से इनके दोस्त इन्हें एम.एल.ए कहकर पुकारा करते थे| कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही मुलायम सिंह राजनितिक अखाड़े में भी कूद पड़े| इन्होने कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में प्रत्याशी बने और चुनाव में विजय हासिल करके अध्यक्ष बन गए|
अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठते ही मुलायम सिंह यादव छात्रों की समस्याओं का निवारण करने लगे थे| छात्रों के हित लिए मुलायम सिंह यादव किसी भी आन्दोलन से पीछे नहीं हटे| अपने दोस्तों के किसी भी काम को मुलायम अपने राजनैतिक संपर्क से करवा दिया करते थे| उनके इसी मददगार स्वाभाव के चलते दोस्त उन्हें एम एल ए नाम से संबोधित करने लगे थे|
इस बात का जिक्र देशबन्धु वशिष्ठ ने अपनी किताब मुलायम सिंह यादव और समाजवाद में बखूभी करा है|
मुलायम सिंह यादव डॉ लोहिया से प्रेरणा लेकर गरीबों, किसानो और वंचित वर्ग के हित के लिए अपनी आवाज उठाते रहे थे| जशवंत नगर के विधायक नत्थू सिंह ने ही मुलायम सिंह यादव को राजनीति में प्रवेश कराये थे|
जशवंत नगर में आयोजित एक कुश्ती दंगल में विधायक नत्थू सिंह की नजर मुलायम सिंह पर पड़ी| उन्होंने देखा की युवा मुलायम सिंह ने एक पहलवान को पलक झपकते ही चित्त कर दिया| और तभी से नत्थू सिंह मुलायम सिंह के मुरीद बन गए|
जशवंतनगर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे
साल 1967 विधानसभा चुनाव होने वाले थे| मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थू सिंह उन्हें अपनी सीट से चुनाव में उतारने के लिए डॉ लोहिया से सिफारिश की और मुलायम सिंह यादव के नाम पर मुहर पक्की हो गई|
जशवंतनगर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बन गए थे| इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव अपने मित्र दर्शन सिंह के साथ चुनाव प्रचार में पूरी मेहनत से लग गए|
आपको बताते चलें की उस समय मुलायम सिंह यादव के पास संसाधनों की बहुत कमी थी| उनके दोस्त दर्शन सिंह जी साईकिल चलाते और मुलायम सिंह जी साईकिल के पीछे कैरियर पर बैठकर घर घर वोट मांगने जाते|
एक वोट, एक नोट का दिया नारा
इस तरह इन दोनों ने मिलकर एक वोट एक नोट का नारा दे डाला| दोनों आम जनता से चंदे में एक रुपया मांगते और उसे व्याज सहित चुकाने का भी वादा करते थे| पैसों का कुछ संग्रह हुआ तो चुनाव प्रचार करने के लिए एक पुरानी अम्बेसडर कार खरीद लिए|
कार तो आ चुकी थी लेकिन अब सामने समस्या उसके तेल की व्यवस्था के लिए थी| इसके लिए मुलायम सिंह यादव के घर पर एक मीटिंग हुई| जिसमे गाँव ने कहा की हमारे गाँव से कोई पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है हमें इस काम के लिए पैसे की कमी नहीं होने देना है|
चुनाव में जितवाने के लिए पूरे गाँव ने उपवास रखा
गाँव वालों ने निर्णय लिया की हम सप्ताह में एक दिन एक वक़्त ही भोजन करेंगे| ऐसा करने में जो अनाज बचेगा उसे बेचकर मिले पैसों से हम अम्बेसडर में तेल भराएंगे| और इस तरह कार के चलने के लिए तेल की भी व्यवस्था हो गई |
साल 1968 में जब डॉ लोहिया की मृत्यु के बाद ये चौधरी चरण सिंह के संपर्क में आये| और समय के साथ ये चौधरी चरण सिंह के काफी करीबियों में शुमार होने लगे|
सपा संस्थापक की याददाश्त आज भी राजनैतिक गलियारों की चर्चा का विषय बनते देखी जा सकती है| कहा जाता है की मुलायम सिंह यादव एक मुलाकात के तीस साल बाद मिलने पर भी इंसान को पहचान लेते थे|
अपने गाँव के सभी वोटर्स के नाम इनको अच्छी तरह से याद रहते थे| मुलायम सिंह हेलीकाप्टर की सवारी करते समय ऊपर आसमां से ही पहचान लेते थे की ये कौन सा गाँव हैं|
1975 में जेल भी गए
साल 1975 में आपातकाल में इनकी ही गिरफ्तारी हुई और इन्हें डेढ़साल कारागार में बिताना पड़ा| जेल में ही इनकी मुलाकात कई बड़े बड़े नेताओं से हुई| आपातकाल के हटने के बाद जब जनता पार्टी की सरकार आई तो उसमे ये पशुपालन मंत्री बने | अपने पूरे परिवार को ये राजनीति में लाये |
मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक कैरियर की महत्वपूर्ण बातें
साल 1977 में वो पहली बार उत्तर प्रदेश के राजमंत्री का पदभार संभाला |
सन 1980 में उन्हें लोक दल का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है |
साल 1982 से 1985 तक मुलायम सिंह यादव जी उत्तर प्रदेश विधान परिषद् में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया |
साल 1987 में चौधरी चरण सिंह के देहांत के बाद लोकदल टूट गया| और सात दलों को मिलकर एक दल बनाया और नाम रखा क्रांति दल |
1989 में मुलायम सिंह यादव जी पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कुर्सी पर आसीन हुए | साल 1990 में वो चन्द्र शेखर की पार्टी जनता दल में शामिल हो गए |
साल 1992 में मुलायम सिंह यादव जी ने समाजवादी पार्टी की स्थापना करी | और बेगम हजरत महल पार्क से घोषणा कर दी की हमारी पार्टी का नाम है समाजवादी पार्टी | तो साल 1992 में साईकिल चिन्ह का जन्म होता है |
1993 में जब चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी जीतकर आई हालाँकि बहुमत में नहीं थी | समाजवादी पार्टी को 109 सीटों पर जीत हासिल और बसपा को 67 सीटों पर विजय प्राप्त हुई | ये दोनों और कुछ अन्य दलों के सहयोग से उत्तर प्रदेश में सरकार बनी | महज एक साल के भीतर एक नई पार्टी को 109 सीटों पर विजय प्राप्त करना काबिलेतारीफ था |
साल 1995 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मायावती ने सरकार गिरा दी | इसी के बाद गेस्ट काण्ड हुआ था |
और अगले ही साल यानि साल 1993 में वो दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए|
भारत के रक्षा मंत्री भी बने
साल 1996 में वो ग्यारहवीं लोकसभा के मैनपुरी सीट से पहली बार सांसद चुन लिए गए| 1999 में वो संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार में भारत के रक्षा मंत्री बना दिए गए |
इसी साल मुलायम सिंह यादव दो लोकसभा सीटों संभल और कन्नौज से चुनाव मैदान में उतरे| और दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज हुई |
2003 में मुलायम सिंह जी तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने|
2004 में गन्नौर विधान सभा सीट से रिकार्ड मतों एक लाख तिरासी हज़ार से भी अधिक की जीत हासिल करी |
साल 2004 में ही इन्होने उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोक सभा सीट पर जीत हासिल की|
2014 के 16वीं लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर दो सीटों से चुनाव मैदान में उतरे और दोनों सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी पर जीत दर्ज करी |
निष्कर्ष Mulayam Singh Yadav Biography
कई सारे विवाद भी मुलायम सिंह के साथ जुड़े रहे लेकिन उन सबको पीछे छोड़कर अंत समय तक राजनीति में उनके कदम डगमगाए नहीं| एक सधे हुए सांसद की तरह सदन में अपनी बात रखते आये थे |
उनकी बनाई पार्टी समाजवादी पार्टी का कार्यभाल अब उनके बड़े बेटे अखिलेश यादव के कन्धों पर है| वही दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव के जिम्मे में बिज़नेस है| मुलायम सिंह यादव अपने अंत समय तक राजनीति में सक्रीय भूमिका में रहे|
इनका साईकिल से संसद तक की जीवन यात्रा काफी प्रेरणादायक है आज सभी के लिए|
समाजवादी पार्टी के फाउंडर मुलायम सिंह यादव का ये अनोखा जीवन सफ़र हमें उम्मीद है की आपको जरूर पसंद आया होगा| मुलायम सिंह यादव की कहानी Mulayam Singh Yadav Biography आप अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें| सच्चे मायने में ये उनके लिए आपकी सच्ची श्रद्धांजली होगी|
आपका बहुत धन्यवाद अपना कीमती समय देने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए| आप सभी अपने जीवन में अनंत ऊंचाईयों तक पहुँचे यही हमारी दिली कामना है|