Adhyatmik guru amritanandmayi amma ke anmol vachan
1- मधुमक्खी के जैसे बनिए, मधु मक्खी कहीं भी जाए, सिर्फ अमृत का संग्रह करती है| हर किसी की अच्छाइयों को देखिये| सबमें जो अच्छाई होती है, उसी की खोज करिए| ध्यान से देखिए की क्या मूल्य है दूसरों में, और उसका आदर करिए|
2- जीवन में हमें कृतज्ञता रखनी चाहिये| जगत और उसके सभी प्राणियों के कर्जदार हैं हम|
3- विनम्रता, आभार व्यक्त करना है| प्रार्थनापूर्ण और खुला रवैया आपको प्रभु की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है|
4- दृढ़-निश्चय करिए चाहे कुछ भी हो जाये, मैं प्रसन्न रहूँगा| मैं मजबूत हो जाउंगी| परमात्मा सदैव मेरे साथ है|विश्वास को अपने दृढ़ रखिये कि, ईश्वर एकमात्र आपके सच्चे मित्र और रिश्तेदार हैं|
5- खबरदार ! वर्तमान में आपके द्वारा किये गये काम, आपके भविष्य को तय करते हैं| आपको अपने भविष्य को आनन्दित और खुशनुमा बनाने के लिए, वर्तमान में अच्छे कार्य करने चाहिये|
6- आपके भीतर यदि धीरज है, तो आपको प्रेम भी होगा| धैर्य से प्रेम होता है| अगर आप किसी कली की पंखुड़ियों को, जबरदस्ती खोलते हैं, तो आप इसकी ख़ूबसूरती और खुशबू का आनन्द नहीं ले सकेंगे| सिर्फ जब ये अपने प्राकृतिक-पाठ्यक्रम का पालन करके खिलता है, तभी एक फूल की खुशबू और सुन्दरता सामने आती है|
7- गैर जरूरी विचारों की मात्रा को कम करें और प्यार की ऊर्जा को अपने अन्दर प्रवाहित करने के लिए ज्यादा जगह दें|
8- वास्तव में एक आध्यात्मिक इंसान सच्चाई के लिए जीवन जीता है, और प्रेम के लिए साँस लेता है|
9- गुरु-कृपा की रौशनी हमें अपने रास्ते की रुकावटों को देखने और उन्हें दूर करने में मददगार बनती है|
10- कोई भी रातों-रात निस्वार्थ और पवित्र नहीं हो सकता है, इसमें वक़्त और ध्यान-केंद्रित कोशिश शामिल है, जो जबरदस्त धैर्य और प्रेम के साथ जुड़ा है| ध्यान, बचत का सिद्धान्त है, ये आपको अमर और शाश्वत बना देता है|
11- आपके मन को पवित्र, गुरु करता है, और इस तरह पवित्र मन से ईश्वर के साथ, एक होने का रास्ता प्रशस्त होता है|
12- आध्यात्मिक-ज्ञान एक बोझ है अगर उसे सिर पर ढोया जाता है, परन्तु अगर दिल में उतारा जाए तो बहुत सुन्दर है|
13- खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि, आप परिस्थितियों को कैसे स्वीकार करते हैं, समझते हैं और समर्पण करते हैं|
14-जिम्मेदारियाँ निभाते हुए, मुस्कुराना कभी न भूलें “
15- महात्मा, अपनी जिन्दगी के माध्यम से हमें सिखाते हैं|
16- अधिकतर लोग सिर्फ इस बात से चिंताग्रस्त हैं कि, वे संसार से क्या प्राप्त कर सकते हैं, परन्तु हम, जो दूसरोँ को देने में सक्षम हैं, वही हमारे जीवन की गुणवत्ता को तय करता है|
17- जिस प्रकार दाहिने हाथ को, बाएँ हाथ पर लगने वाली चोट का पता चलता है, उसी प्रकार हमें दूसरे लोगों के दुखों को अपने रूप में देखना चाहिये और उनकी मदद के लिए, आगे आना चाहिए|
18- जिन्दगी के दूसरे आनंदमय पलों के समान, मृत्यु भी एक आनन्दपूर्ण अनुभव हो सकता है|
19- भगवान को कोई निर्दोष जब दिल से पुकारता है, तो वो शान्त और अविचलित नहीं बैठ सकते| दुःख और आनंद दोनों वक़्त ईश्वर से प्रार्थना करें, फिर आपको दुःख नहीं होगा| भगवान हमारे अन्दर बहुत गहरा है| वह वहाँ निर्दोष और पवित्र प्रेम के रूप में बसता है|
20- बाहर के संसार की समझ के संग ही ये भी आवश्यक है कि, हम अपने आन्तरिक जगत को भी जानें|
21- हम में से कई लोगों ने समंदर में लहरों को देखा होगा| वो उठती हैं फिर गिरती हैं … वो उठती हैं फिर गिरती हैं और यह सिलसिला चलता रहता है। हम सभी के साथ भी ऐसा ही होता है| हमें खुशी मिल सकती है, लेकिन यह खुशी जल्द ही दुख में बदल जाती है| दुःख जो हम महसूस करते हैं, वह बाद में खुशी में बदल जाता लेकिन यह दुःख अंतहीन रूप से जारी रहता है| संतुलन बनाए रखने के लिए, हमें बाहरी दुनिया पर निर्भर रहने के बजाय आंतरिक शांति खोजने की जरूरत है|