Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng
मैं हूँ वैभव! Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng आधुनिक्ता की रेस में पहले तो हमने जंगल काटे फिर उन्ही जंगलों को बचाने के लिए हम बड़े बड़े मंचो से लंबे चौड़े भाषण देते हैं| लेकिन हमने जंगलों को बचाने के लिए प्रैक्टिकली किया क्या? शायद कुछ भी नहीं|
42 वर्षों मैं से हर दिन पौधे लगाता आ रहा हूं- जादव मोलाई पायेंग
लेकिन एक इंसान ऐसा है जिसने अपने पीछे आने वाले काफिले की ना तो उम्मीद की और ना ही आगे मिलने वाले परिणाम की चिंता की|बल्कि वो अकेला ही चल पड़ा जंगलों और जंगली जानवरों को बचाने के लिए और हम लोग अपने घर के बाहर बगीचे बना लेने से ही संतुष्ट हैं केले और तुलसी को पूज लेने भर से खुश हैं|Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng
हमारा प्रकृति से प्रेम अब हमारी बालकनी के गमलों तक ही ठिटक कर रह गया है| हाँ बहुत ज्यादा हुआ तो हम जंगलों में छुट्टिया मनाने चले जाते हैं|
लेकिन एक शख्सियत ऐसी है जो जंगलों से सिर्फ फोटो खींच कर वापस नहीं लौटा बल्कि वो पागल हो गया पेड़ लगाने के लिए, वो पागल हो गया जंगल बसाने के लिए! और अंत में 35 साल की कड़ी मेहनत के बाद उस शक्स ने एक पूरा जंगल बसा ही दिया|
Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng
इस जादुई शक्स का नाम है जादव मोलाई पायेंग| जादव “मोलाई” पायेंग भारत के असम राज्य के जोरहाट के अरुणा चापोरी गांव के एक चरवाहे हैं। विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है| ये असम के कोकिलामुख के पास स्थित है|
जोरहाट मेहनती लोगों का एक छोटा सा शहर है, जिसके उत्तर में कुछ किलोमीटर की दूरी पर भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक स्थित है| ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली है|
जादव मोलाई असम के जोरहाट के एक गाँव के रहने वाले हैं जिसके समीप विशाल ब्रह्मपुत्र नदी बहती है और जो खुद जंगल की गोद में सोते हैं| जादव को बच्पन से ही प्रकृति से बहुत प्यार था वह जानवरों को भी बहुत चाहतेथे| इनका जन्म 31 अक्टूबर 1963 में हुआ था|Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng
एक बार की बात है जब उन्होंने देखा कि उनके गाँव के आसपास पशु पक्षियों की संख्या घटती जा रही है| जब इसका कारण उन्होंने अपने बड़ों से पूछा तो बड़ों ने बताया कि ऐसा जंगल के कम होने की वजह से हो रहा है|
1979 में, बाढ़ के कारण कई साँप बहकर टापू पर आ गए और उसी वर्ष गर्मियों के दौरान, ज्यादा गर्मी की वजह से कई साँप मृत पाए गए। जादव मोलाई पायेंग की उम्र उस समय 16 वर्ष थी| इस घटना को देख उन्हें एहसास हुआ कि मनुष्य भी नष्ट हो सकते हैं|
वन विभाग वालों ने कहा कि यह बंजर जमीन है
यह देखकर जादव को बहुत दुख हुआ उन्होंने वन विभाग वालों से कहा कि यहाँ आप कुछ पेड़ उगा दीजिए| पेड़ों के ना होने की वजह से जानवर मर रहे हैं लेकिन वन विभाग वालों ने कहा कि यह बंजर जमीन है और यहाँ कुछ नहीं उग सकता|
हाँ लेकिन अगर तुम चाहो तो वहां बाँस के पौधे उगा कर देख सकते हो| फिर जादव ने सोचा कि जब इंसानों के बसने के लिए हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं तो जानवरों के रहने के लिए एक जंगल क्यों नहीं बनाया जा सकता?
जादव ने माजुली द्वीप की रक्षा करने की पहल की| उन्होंने सूखी रेत में बांस के 20 पौधे रोपने का फैसला किया। इसे उगाने में उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन पेड़ उगेंगे। कि वे लम्बे हो जायें, फल लगायें और पक्षियों को आकर्षित करें। इसी भावना से उन्होंने तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाना शुरू किया।
एक इंसान ने 1360 एकड़ बंजर जमीन को बना दिया दिया घना जंगल
उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के बीच एक वीरान टापू पर बास के पौधे लगाना शुरू कर दिया| जादव ने पेड़ लगाने का काम माजूली आईलेंड पर 1979 में शुरू किया था| यह माजूली आईलेंड दुनिया का सबसे बड़ा रिवर आईलेंड है|
आज इस बात को 35 साल से ज्यादा गुजर गए हैं| और इतने सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने आखिरकार बंजर जमीन को जंगल बना ही दिया| आज भी वह हर रोज सुबह जाग कर उस टापू पर पौधे लगा कर आते हैं|
पहले कुछ सालों में बीजों की दिक्कत होती थी पर कुछ सालों में पेड़ तैयार हो गए तो उनके बीज लेकर जादव पेड़ लगाने लगे| इस तरह उन्होंने हमेशा पेड़ लगाना जारी रखा| इतने सारे पौधों को पानी देना ही अकेले जादव के बस की बात नहीं थी पर उन्होंने इसके लिए भी एक आइडिया निकाल लिया|
उन्होंने हर पौधे के ऊपर एक बांस की तख्ती लटका कर उस पर एक मिट्टी का घड़ा लगा दिया| जिसमें महीन सुराख थे इस तरकीब से नए पौधों को एक हफ्ते तक बूंद-बूंद पानी मिलता रहता था| अब यह जंगल भरा पूरा है और जादव के ही नाम पर इस जंगल का नाम मोलाई फॉरेस्ट रखा गया है|
मोलाई फॉरेस्ट बना वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास
यह जंगल करीब 1360 एकड़ में फैला हुआ है| आज भी जादव तीन बजे उठते हैं| पाँच बजे तक माजुली पहुँचते हैं और पौधे लगाते हैं|
अब इस जंगल में बंगाल टाइगर्स भारतीय गेंडे और सौ से भी ज्यादा हिरन कई प्रजाति के बंदर और तमाम तरह के पक्षियों ने अपना घर बना लिया है| हाथियों का झुण्ड भी इस जंगल में आता जाता रहता है|
जादव अब तक कई अवार्ड भी जीत चुके हैं लेकिन उनका कहना है कि वह इतने सारे अवार्ड लेकर क्या करेंगे वैसे जादव की बात में सच्चाई है पर्यावरण को बचाने की बात हम सबको समझनी ही पड़ेगी|
वैसे जिसे कुछ महान करना होता है वह दूसरों की सहायता का इंतजार नहीं करता| वह तो अपने दम पर सब कुछ कर गुजरता है| जादव मोलाई पायेंग ने भी सरकारी मदद ना मिलने के बावजूद, किसी का साथ ना होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और वह कर दिखाया जो ज्यादातर लोगों के लिए सोचना भी मुश्किल जाता है वाकई|
न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क से भी बड़ा, जादव का जंगल वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है। यह शाही बंगाली बाघों, गैंडों, हिरणों, गिद्धों का घर है और 100 से अधिक हाथियों के प्रवास मार्ग में है।
भारत सरकार द्वारा Forest Man of India की मिली उपाधि
लोग बड़ी बड़ी मूर्तियाँ बनाते हैं या कोई स्मारक बनाते हैं जिससे कि वह हमेशा याद किए जाते रहें मगर जादव ने तो एक जंगल ही बना दिया जो आपकी और हमारी कल्पना से बिल्कुल परे है|
जादव अब एक पर्यावरण कार्यकर्ता और वानिकी कार्यकर्ता हैं। साल 2007 में, एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब एक फोटो जर्नलिस्ट की नजर पायेंग के घनी कोशिश पर पड़ी। उनके लेख के उपरान्त न सिर्फ भारत सरकार बल्कि पूरे देश का ध्यान खींच लिया।
Forest Man of India “भारत के वन पुरुष” की उपाधि से जादव आज सुशोभित हैं| पेयेंग को उनके प्रयास को पहचान मिलने में 30 साल लग गए।
कई आसाधरण उपलब्धियों से नवाजा गया है जादव मोलाई पायेंग को
2015 में उन्हें प्रतिष्ठित “पद्म श्री” राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दुनिया भर से लोग अब जंगल में आते हैं और साधारण पृष्ठभूमि के एक असाधारण व्यक्ति के काम के परिणामों से आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
जादव मोलाई पायेंग को पर्यावरण साइंस के स्कूल, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के द्वारा आयोजित एक समारोह में साल 2012, 22 अप्रैल को सम्मानित किया किया गया था|
उनके प्रयास के परिणामस्वरूप 1360 एकड़ का जंगल बना जिसे “मोलाई Sanctuary” कहा गया।
अब तक कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मे भी बन चुकी हैं जादव के काम पर
जादव मोलाई के जीवन पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बन चुकी है| निर्देशक आरती श्रीवास्तव ने साल 2013 में ने जादव मोलाई के साहसिक काम पर “फॉरेस्टिंग लाइफ” नाम की डॉक्यूमेंटरी बनाई|
इसी साल यानि २०१३ में ही विलियम डगलस मैकमास्टर ने भी ” फॉरेस्ट मैन ” नाम की डॉक्यूमेंटरी बना चुके हैं। ऐसे तो जादव के पास अनमोल उपलब्धिया हैं, जो उनके अभूतपूर्व और अकल्पनीय काम के लिए मिल चुकी हैं।
जादव मोलाई प्रकृति के सच्चे भक्त हैं
जादव प्रकृति के सच्चे भक्त हैं और अपनी आखिरी सांस तक पौधे लगाते रहने का वादा करते हैं। वह हमेशा मुस्कुराते और प्रसन्न पाए जाते हैं और खुद को सबसे खुश इंसान बताते हैं।
उनका मानना है कि शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक छात्र को दो पेड़ लगाना अनिवार्य होना चाहिए| उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से अपनी ऑक्सीजन का उत्पादन करना सिखाना चाहिए| उनकी इच्छा है कि हर कोई इस ग्रह को रहने के लिए हरा-भरा और अधिक सुंदर बनाना शुरू करे|
बढ़ते औद्योगीकरण ने हमें प्रदूषण में वृद्धि की ओर अग्रसर किया है, जिससे विश्व के इकोसिस्टम नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
प्रकृति की रक्षा का संकल्प बैठकों और दस्तावेजों तक ही सीमित है। जबकि व्यक्ति और संगठन – जो प्रकृति की रक्षा के लिए बहुत कम प्रयास करते हैं – वैश्वीकरण की चमक हासिल करने में व्यस्त रहे, जादव ने अकेले ही प्रकृति की रक्षा के लिए कार्रवाई की।
प्रकृति को स्वयं से बचाने के लिए हमें स्थिरता की आवश्यकता है। दुनिया को हरे रंग में रंगने के लिए जादव प्रेरणा का काम कर सकते हैं।
संघर्ष : Forest Man of India story Inspirational Jadav Molai Payeng
यदि एक व्यक्ति के कार्यों का परिणाम इतना सुंदर हो सकता है, तो यदि हम सभी पायेंग के नक्शेकदम पर चलें तो दुनिया क्या बन सकती है? वृक्षारोपण से मिट्टी के कटाव और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाली अन्य आपदाओं जैसी कठिनाइयों को रोका जा सकता है।
जादव मोलाई का कहना बस इतना है कि एक अकेला व्यक्ति कुछ भी कर सकता ? पायेंग कहते हैं कि यदि स्कूल में हर एक छात्र को अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान सिर्फ एक पौधे की हिफाज़त करने की शिक्षा दी जाए, तो भी पर्यावरण में बहुत कुछ बदला जा सकता है।
मोलाई पायेंग का मानना था कि वर्ष 2020 तक विश्व में भारत की जनसंख्या सबसे ज्यादा होगी| इसका प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ेगा। इसलिए इसके प्रभाव अल्प करने के लिए अगर राष्ट्र का हर नागरिक एक पौधा लगाए और उसकी हिफाजत करे तो जल्द हिंदुस्तान हरा-भरा राष्ट्र बन सकेगा|
अगर पेड़ नहीं होंगे तो पृथ्वी का सर्वनाश सुनिश्चित है। जादव मोलाई पायेंग ने अब 2000 हेक्टेयर और भूमि को जंगल के रूप में बदलने का बीड़ा उठा लिया है|
उनका कहना है कि ख़त्म हो रहे जंगलों के कारण ही जंगली जानवर आबादी वाली जगहों तक पहुँच रहे हैं। इसलिए जंगली जानवरों को प्राकृतिक घर देने के लिए गमाड़ी, सिमोलू, शीशम और बांस के पौधे लगाने में जुटे गए हैं।
एक आदमी एक जंगल बसा दिया है वाकई सुनने में बहुत अजीब लगता है| आपको हमारा आर्टिकल कैसा लगा?
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