आप शिव भक्त हैं तो भोले नाथ का अनादर ना करें। भगवान शिव कहते हैं-karm ke 11 siddhant
कर्म किसी मनुष्य का मोहताज़ नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य कर्मों के मोहताज अवश्य होते हैं|
क्योंकि कर्म सर्वोपरी है सर्वश्रेष्ठ है और यदि कोई मनुष्य यह सोचता है कि वह कोई कर्म नहीं करता तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है| क्योंकि बिना कर्म के कोई भी मनुष्य एक पल के लिए भी जीवित नहीं रह सकता| यह पृथ्वी लोक इसी तरह से बनाया गया है| और इस पृथ्वी लोक में हर एक मनुष्य अपना कर्म अवश्य करता है| वो चाहे या न चाहे लेकिन उसे कर्म तो करने ही पड़ते हैं बल्कि जरूरी तो यह है कि मनुष्य कुछ ऐसा कर्म करें कि जहां पर भी वह जाए लोग उसको प्यार करें|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
भगवान भी पृथ्वी लोक में जन्म लेते हैं तो उन्हें भी इस पृथ्वी लोक के नियमों को पालन करना ही पड़ता है| उन्हें अपने जीवन में कर्मों को करना ही पड़ता है| इससे कोई मुक्त नहीं हो सकता क्योंकि यही इस पृथ्वी लोक का नियम है|
मत सोच इतना जिंदगी के बारे में जिसने जिंदगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा बेवजह ही नहीं होती लोगों से मुलाकात किसी से सबक मिलता है तो किसी से ज्ञान|
किसी को दुख देकर मुझसे अपने सुख की इच्छा मत करना| अगर तुम किसी को एक पल का भी सुख देते हो, तो अपने दुख की चिंता कभी मत करना|
जब दर्द और कड़वी बोली दोनों सहन होने लगे तो समझ लेना जीना आ गया है|
खुद पर ध्यान दें- karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कौन मनुष्य क्या कर रहा है, कोई दूसरा कैसे कर रहा है और क्यूँ कर रहा है? इन चीजों से आप जितनी दूरी बनाकर रखेंगे, उतना ही प्रसन्न रहेंगे|
हंसते रहोगे तो संसार साथ होता है, नहीं तो आंसुओं को भी नैनो में भी स्थान मिलता|
लाइफ में जो होता है वह किसी कारण से होता है, या तो वह आपको कुछ बनाकर जाता है, या फिर कुछ सिखा कर जाता है|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कोई जब दिल दुखाए तो बेहतर है कि हम शान्त हो जाएँ क्योंकि जिन्हें हम उत्तर नहीं देते हैं उन्हें फिर वक्त उत्तर देता है| अंधे, गूंगे और बहरे बनकर कर अपने लक्ष्य पर ध्यान देते रहो| यहां इतने खाली लोग हैं कि न खुद कुछ करेंगे और न करने वालों को कुछ करने देंगे और उनका मनोबल भी तोड़ देंगे|
कर्म दो प्रकार के उपलब्ध
फिर भगवान शिव कहते हैं, यहां पर कर्म भी दो प्रकार के होते हैं अच्छे और बुरे!
यदि कोई अच्छा मनुष्य है जिसकी सोच अच्छी है जो लोगों के प्रति दया का भाव रखता है तो मनुष्य हमेशा अच्छे कर्म करता है| वहीं पर जिस मनुष्य के अंदर द्वेश है तृष्णा है लालच है जो लोग बुरा सोचते हैं वही बुरा कर्म करते हैं और बुरे कर्म मनुष्य के पतन की ओर ले जाते हैं|
मनुष्य को अपनी लाइफ में अच्छे कर्मो को अपनाना चाहिए और बुरे कर्मो को त्याग देना चाहिए| व्यक्ति के अच्छे कर्म उसे खुशहाल बनाते हैं|
कोई भी व्यक्ति हो उसके अच्छे और बुरे दोनों ही कर्म फल उसे इसी पृथ्वी लोक में भोगने पड़ते हैं| परमात्मा कभी हमें कोई सजा नहीं देते बल्कि हमें हमारे कर्मो के फल हमें अवश्य मिलते हैं| व्यक्ति जैसा कर्म करता है वैसा ही फल उसे मिलता है|
अगर कर्म अच्छे होंगे तो उसका फल अवश्य मिलेगा| और अगर कर्म गंदे होने तो उसकी सजा भी कर्म करने वाले को अवश्य भोगनी पड़ेगी |
इसलिए जरूरी यह है कि व्यक्ति अपने विचारों को समझें| उस पर विचार करें और फिर उसी के अनुरूप काम करें| इस तरह से मनुष्य अपने जीवन को बेहतर दिशा दे सकते हैं|
सफलता के पीछे कर्म जिम्मेदार karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
जिस सफलता के पीछे हम लगातार भागते रहते हैं, उनके पीछे भी हमारे कर्म ही है| यदि हम अच्छे और सही कर्म करेंगे तो हमें सफलता भी निश्चित तौर पर मिलेगी क्योंकि वास्तविक्ता तो यही है| सफलता व्यक्ति के कर्मों में है बल्कि फल में नहीं|
अच्छे कर्म व्यक्ति को खुशी का एहसास दिलातें है| अच्छा कर्म व्यक्ति को यह अनुभव कराता है कि आपने जो कर्म किये हैं वह अच्छे हैं जिस कारण व्यक्ति बहुत अच्छा महसूस कर पाते हैं|
और यदि मनुष्य अपने जीवन में किसी लक्ष्य का पीछा कर रहे हैं, अपने लक्ष्य में वो सफलता पाना चाहते हैं तो अपने कर्मों पर तो ध्यान देना ही होगा| अपने कर्म को समझना होगा क्योंकि यह सारा खेल कर्मों का ही है|
अन्यथा व्यक्ति यह सोचते हैं कि केवल सोचने मात्र से आप उस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे तो ऐसा नामुमकिन है|
बौध भिक्षु की कहानी
फिर भगवान शिव कहते हैं आज की छोटी सी कहानी मनुष्य को यह सिखाएगी कि कर्म, किस तरह से व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते हैं| तो चलिए कहानी प्रारंभ करते हैं-
एक समय की बात है किसी नगरी में एक महान बौध भिक्षु प्रवचन दे रहे थे वहां पर सभी लोग उपस्थित थे| जैसे ही प्रवचन समाप्त हुआ उन प्रवचन सुनने वालों में से एक व्यक्ति बोला गुरुदेव मेरे मन में एक सवाल है|
हे गुरुवर अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आपसे वो सवाल पूछूं| जवाब में बौध भिक्षु बोले – हाँ अवश्य पूछ लीजिये|
इसके बाद वो व्यक्ति बौध भिक्षु से कहता है, हे गुरुदेव! मैं अपने जीवन में सभी कार्य करता हूं| मैं कभी किसी का बुरा नहीं सोचता बुरा नहीं करता| फिर भला मेरे साथ बुरा क्यों होता है?
मैंने तो किसी का बुरा नहीं किया मैं हमेशा अच्छे कर्म करने की तलाश में रहता हूँ| फिर हमेशा मुझे कष्ट क्यों झेलना पड़ता है| जब मैं कुछ बुरा करता ही नहीं हूँ फिर भला मेरे ऊपर दोष क्यों आरोपित कर दिया जाता है|
क्या आप मुझे यह बता सकते हैं कि मेरे कर्म सही है या गलत? क्या आप मुझे कर्मों के बारे में स्पष्ट तौर पर समझा सकते हैं क्या आप मुझे कर्मों के उन सिद्धांतों के बारे में बता सकते हैं?
जिससे मैं अपने कर्मों को और सुधार सकूं| मैं यहां पर यह जानने आया हूं कि मेरे इतने अच्छे कर्म करने के बाद भी मुझे दुख क्यों मिलता है??
मुझे हमेशा तकलीफें क्यों उठानी पड़ती है और मैंने तो यह भी देखा है कि जो मनुष्य दूसरे को तकलीफ देता है दूसरों के प्रति मन में ईर्ष्या रखता है वह हमेशा खुश रहता है| उसके साथ हमेशा अच्छा होता है, ऐसा क्यों होता है?karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
बौध संत बोले karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
उस व्यक्ति की सारी बात उन बौध भिक्षु ने बड़े ही ध्यान से सुना| और उसके बाद उन्होंने उत्तर दिया – इंसान जरा सी बात पर आपको छोड़ देते हैं| और भगवान भोलेनाथ जरा सी प्रार्थना से आपको थाम लेते हैं| कर्मो से डरिये भगवान से नहीं|
भगवान तो माफ़ कर देता है लेकिन कर्म नहीं| यह अटल सत्य है कि जैसे बछड़ा गायों के समुदाय में अपनी मां को ढूंढ लेता है उसी प्रकार कर्म अपने करने वाले को आज नहीं तो कल खोज ही लेता है|
नियत साफ और मकसद सही हो तो यकीनन किसी न किसी रूप में भगवान शिव भी आपकी मदद करते हैं| जिंदगी में जितना शांत रहोगे, अपने आपको उतना ही मजबूत पाओगे क्योंकि लोहा ठंडा होने पर मजबूत होता है|
गरीब रहोगे कोई ध्यान नहीं देता मेहनत करोगे तो सब हसेंगे लेकिन जब कामयाब हो जाओगे तो सब जलेंगे|
जिंदगी वह हिसाब है जिसे पीछे जाकर सही नहीं किया जा सकता| इसलिए आज में सुधार करें और पुरानी बातों को अनुभव की तरह इस्तेमाल करें| जिस जिंदगी में उत्साह, लक्ष्य और अनुशासन न हो, उसे जिंदगी जीना नहीं जिंदगी काटना कहते हैं|
कभी-कभी आप बगैर कुछ गलत करे भी बुरे बन जाते हैं| क्यूंकि लोग आपसे जैसा चाहते थे आपने वैसा नहीं किया होता|
जिस व्यक्ति के हृदय में सची मानवता हो उसकी सोच हमेशा यही होगी कि मुझे मिला हुआ दुख किसी को न मिले और मुझे मिला हुआ सुख हर किसी को मिले|
बौध भिक्षु कहते हैं karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
फिर बौध भिक्षु कहते हैं – मैंने हंसकर भी देख लिया और रोकर भी देख लिया| किसी को प्राप्त कर और किसी को खोकर भी देख लिया| यह जान लिया कि जिंदगी वहीं जी सकता है जिसने अकेले जीना सीख लिया| जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है थोड़ा रुलाती थोड़ा हँसाती है खुद से ज्यादा किसी पर भरोसा मत करना क्योंकि अंधेरे में तो अपनी परछाई भी साथ नहीं देती है|
फिर बौध भिक्षुक कहते हैं अच्छा तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम अच्छे कर्म कर रहे हो ? और जो तुमने अच्छे कर्म किए हैं उसका फल भी तुम्हें नहीं मिला? और जैसा कि तुमने कहा तुमने कुछ ऐसे लोगों को भी देखा है जो बुरे कर्म करते हैं लोगों के प्रति ईर्ष्या रखते हैं द्वेष रखते हैं उन्हें उनके कर्मों का फल बुरा नहीं मिल रहा|
इस पर वह व्यक्ति कहता है हे गुरुवर मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा ना ही किसी का बुरा किया है तो यह मैंने अच्छे कर्म ही तो किए हैं|
इस पर वह बौध भिक्षु मुस्कुराने लगे और उस व्यक्ति से कहते हैं आज मैं- तुम्हें कुछ ऐसे सिद्धांत बताने वाला हूं जिनके बारे में तुम्हें जानना आवश्यक है|
सोच अच्छी रखो फल अच्छा ही होगा इतना कमजोर मत बनो कि कोई भी तुमको तोड़ सके| बल्कि इतना मजबूत बनो कि तुमको तोड़ने वाला खुद ही टूट जाए|
दर्द तुमको मजबूत बनाता है| डर तुमको बहादुर बनाता है| अनुभव तुमको सिखा देता है| जिस दिन तुम समझ जाओगे की सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ उसकी सोच आपसे अलग है, उस दिन लाइफ से सारे दुःख दूर हो जायेंगे |karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
नई शुरुआत करो
क्यों रोते हो मन का ना होने पर जो लिखा है वही होकर रहेगा एक रास्ता बंद करने से पहले भगवान भोलेनाथ दस रास्ते खोल देते हैं| गर्मी के मौसम में पत्ते सूखने के बाद भी पंछी घोसला नहीं छोड़ते क्योंकि वह जानते हैं फिर से बरसात आएगी और पेड़ पर नए पत्ते आएंगे| जो हुआ उसे भूलकर नई शुरुआत करो और याद रखो जिसका कोई नहीं होता उसके भगवान भोलेनाथ होते हैं|
मतलब से जुड़े रिश्ते मतलब तक साथ देते हैं| लेकिन दिल से जुड़े रिश्ते आखिरी सांस तक निभाते हैं| कल को तो मैं ठीक नहीं कर सकता लेकिन तुम वर्तमान में अगर अच्छा कर्म करोगे तो आने वाला कल जरूर अच्छा होगा|
जो मनुष्य अपने मन को अपने काबू में कर सकता है वो इस संसार में कुछ भी कर सकता है| मनुष्य की अच्छाई पर सभी चुप रहते हैं लेकिन चर्चा अगर बुराई पर हो तो गूंगे भी बोल पड़ते हैं|
फिर बौध भिक्षुक कहते हैं- कर्म किस तरह से काम करते हैं? और ये हमारी जिन्दगी पर कैसे प्रभाव डालते हैं? ताकि हम अपने जीवन से कुछ सीख सकें अपने जीवन को एक सही दिशा दे सकें और हम अपने इस जीवन को अपनी इच्छा अनुसार जी सकें|
आप में से बहुतों ने यह सुना होगा कि हमारे कर्म ही हमारा भाग्य विधाता हैं| इसीलिए मैं तुमको यह समझाना चाहता हूं कि हमारे कर्म कोई पत्थर की लकीर नहीं जिन्हें बदला नहीं जा सकता| बल्कि हम अपने जीवन को उन विचारों से उन कामों से बदल सकते हैं जिन्हें हम अभी चुनते हैं| क्योंकि इस संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो बिना कर्म किये जीवित रह सके|
कर्म हमारे ऊपर प्रभाव डालते हैं
हम में से हर एक व्यक्ति अपने जीवन में कर्म करता ही है| और हमारे द्वारा सुबह से लेकर रात तक होने वाले शारीरिक और मानसिक कर्म जो हमारे ऊपर प्रभाव डालते हैं वो सब हमारे कर्म ही हैं|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
ये कर्म सिर्फ वो नहीं जो हम बाहरी तौर पर करते हैं या फिर बाहरी तौर पर हमें दिखाई पड़ते हैं| बल्कि हमारे कहे गए शब्द, हमारे विचार, हमारे भाव, ये भी कर्म ही हैं| कोई भी ऐसा कर्म जिसके होने का कारण हम हैं| वो हमारे कर्म ही होते हैं, जैसे हमारा बैठना, उठना, चलना, पीना, खाना, सोचना, विचार करना, हमारे मन में उत्पन्न होने वाले भाव भी ये सारे कर्म ही हैं|
सबसे पहले तो तुम्हें यह समझने की आवश्यक्ता है कि इस ब्रह्मांड में जो भी उर्जा है उसका एक रूप है| जिसमें हमारे विचार और भावनाएं भी शामिल है जो निरंतर चलता रहता है|
और फिर जब हम अपने विचार अपनी भावनाओं को इस ब्रह्मांड की ओर छोड़ते हैं| चाहे वो अच्छे हो या बुरे वह उर्जा कभी नष्ट नहीं होती बल्कि ये तो किसी न किसी रूप में हमारे पास वापस लोट कर आती है| यदि ये उर्जा सकारात्मक होगी तो इसका परिणाम आपको सकारात्मक मिलेगा और वही पर यदि ये उर्जा नकारात्मक होगी तो इसका परिणाम आपको नकारात्मक ही मिलेगा|
आगे वो बौध भिक्षू उस व्यक्ति से कहते हैं कि मैं तुम्हें अब कर्मों के कुछ सिद्धान्त के बारे में बताने वाला हूँ| जिसे जानने के बाद तुम्हें ये स्पष्ट हो जाएगा कि तुमने अच्छे कर्म किये या बुरे|
जैसे झूठीं बातों पर जो लोग आपकी वाहवाही करेंगे वही लोग आपको तबाह करेंगे|
हमेशा अच्छा सोचना भी एक कर्म है
बुरे से बुरा क्या ही होगा हम तो हमेशा ही सोच लेते हैं मगर अच्छे से अच्छा क्या होगा हम ये कभी नहीं सोचते|
जो ईश्वर रात को वृक्ष पर बैठे पक्षियों को कभी गिरने नहीं देता| तो सोचो वह तुम्हे अकेलाऔर बेसहारा कैसे छोड़ सकता है?
आज के जमाने में कोई अपना नहीं होता सिर्फ लोग तब तक साथ देते हैं जब तक उनका स्वार्थ होता है| अगर कोई अकेला है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे कोई पसंद नहीं करता बल्कि वह अकेला इसलिए क्योंकि उसने दुनिया की माया जान ली है|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
Daily 3 time Affirmation Pratigyan Abhivachan
आज का दिन बहुत ही अच्छा था| आज मैंने अपने हर काम को पूरे दिल और दिमाग से किया| आज जो कुछ भी मैंने सीखा जो कुछ भी समझा जो भी अनुभव किया| उससे मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ| मेरा शरीर, मेरा मन, मेरी बुद्धि और मेरी आत्मा पूरी तरह से शांत है| आज जो कुछ भी हुआ वो गुजरे हुए कल से अच्छा था| और मेरा आने वाला कल इससे भी अच्छा होगा मैं बहुत खुश हूँ और बहुत ही अच्छा महसूस कर रहा हूँ|
मुझे किसी भी तरह की कोई चिंता नहीं है| कोई डर नहीं है कोई बंधन नहीं है मेरी कोई सीमा नहीं है| मैं हर तरह की बंदिश से पूरी तरह से आजाद हूँ| ये पूरी सृष्टि मेरी ही मदद में लगी है| मुझे एक बेहतर इंसान बना रही, है मैं हर रोज कुछ नया सीखता हूँ| और आज मैंने जो कुछ भी सीखा उसके लिए मैं अपने पूरे दिल से शुक्र गुजार हूँ और कल कुछ नया सीखने के लिए पूरी तरह से तयार हूँ|
मेरी सोच सबसे अलग है मेरी परिस्थितियां सबसे अलग है मैं सबसे अलग हूँ| इसलिए मेरी तुलना किसी से नहीं की जा सकती मैं सिर्फ ये शरीर नहीं हूँ मैं पूरा का पूरा ब्रह्मांड हूँ| और इस ब्रह्मान्ड की सारी शक्तियां मेरे बाहर नहीं मेरे अंदर है मैं अपने अंदर की हर बुराई से मुक्त हो रहा हूँ| और मेरा मन और भी शांत हो रहा है| आनंद से भर रहा है और मैं अपने अंदर की आवाज को सुन पा रहा हूँ मैं अंदर तक सुकून महसूस कर कर रहा हूं|
Feel what You are
मुझे पूरा विश्वास है कि आज मेरी जिंदगी में जो भी मुश्किलें हैं वह कल मेरी काम्याबी की वजह बनेगी| और यह कर्म हमारे जीवन में किस तरह से असर डालते हैं हमारे जीवन पर इसका किस तरह से प्रभाव पड़ता है|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कर्म का पहला सिद्धांत
आगे वह बौध भिक्षु उस व्यक्ति से कहते हैं कि कर्म का पहला सिद्धांत यह कहता है – हम जो भी विचार या ऊर्जा इस ब्रह्मांड को देते हैं वह हमारे पास अवश्य लौट कर आती है| फिर चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक|
अगर आप नीम का बीज बोते हैं तो आपको आम का फल कभी प्राप्त नहीं हो सकता| ठीक उसी प्रकार जो आप बीज बोयेंगे आपको फल भी वैसे ही मिलेंगे| इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करने के बारे सोचें| अच्छा कर्म करे और अच्छी वाणी बोलें|
यदि तुमने अच्छी ऊर्जा ब्रह्मांड की ओर भेजी होगी तो तुम्हारे पास अच्छी ऊर्जा ही लौट कराएगी| यदि तुमने नकारात्मक उर्जा भेजी होगी तो नकारात्मक उर्जा ही तुम्हारे पास लौट कर आयेगी|
क्योंकि ये ब्रह्माण्ड अच्छे और बुरे का भेद नहीं समझता| अच्छा क्या है बुरा क्या है ये नहीं जानता| अच्छे और बुरे की पहचान करना तो हमें आता है| इसलिए हमें अपने मन में अच्छे विचार रखने चाहिए ताकि आपको अच्छे फल मिल सके| वहीं पर अगर आप बुरे विचार रखते हैं तो उसके होने वाले दुष्परिणामों से भी आपको कोई नहीं बचा सकता| उसे आपको भोगना ही पड़ेगा|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कर्मों का दूसरा सिद्धांत
कर्मों का दूसरा सिद्धांत यह कहता है- हम अपने जीवन में जो कुछ भी पाना चाहते हैं पहले हमें खुद को उस लायक बनाना होगा| जैसे कि अगर हम दूसरे से यह आशा करते हैं कि वह हमारा सम्मान करें हमारा आदर करे तो इसके लिए हमें पहले खुद ही दूसरों का आदर और सम्मान करने आना चाहिए|
क्या फिर इसे यूं भी कह सकते हैं कि पहले आपको उस काबिल बनना होगा ताकि वे लोग आपका सम्मान कर सके आपका आदर कर सके|
जिस प्रकार मुझे स्वयं के साथ समय व्यतीत करना बहुत अच्छा लगता है| अपनी अन्दर की आवाज सुनकर उसके अनुरूप चलना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है| मैं सभी से प्यार करता हो और सही मुझसे प्यार करते हैं| मुझे किसी से भी कोई गिला शिकवा नहीं है| जिसने भी जाने अनजाने मेरे साथ कुछ बुरा किया| उन सभी को मैं अपने पूरे दिल से माफ़ करता हूँ| और अतीत में मेरे से जो भी गलतियाँ हुईं उसके लिए मैं खुद को पूरी तरह से माफ़ करता हूँ|
मेरा ध्यान बीते हुए कल पर नहीं अपितु आने वाले कल पर है| कल मुझे जो कुछ भी करना है उसके बारे में मैंने अच्छे से सोच लिया है| और अपने हर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूँ| आज जो कुछ भी मेरे पास है और जो लोग भी मेरे साथ हैं उस सभी के लिए मैं अपने पूरे दिल से शुक्रगुजार हूँ| मेरी जीवन में जो कुछ भी हो रहा है बहुत अच्छा है| जो कुछ भी होगा बहुत अच्छा होगा| सभी मेरा भला चाहते हैं और मैं सबका भला चाहता हूँ|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कर्मो का तीसरा सिद्धांत
कर्मो का अगला सिद्धांत ये कहता है की हमारे जीवन में अगर कोई घटना घटित हो जाती है तो वह घटना अकस्मात ही हमारे जीवन में नहीं घटित होती बल्कि ये भी हमारे कर्मो का ही फल होता है|
जिस प्रकार आप अपने किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं तो आपको अपने लक्ष्य के प्रति तत्पर होना होगा| अपने लक्ष्य के प्रति जिस काम को करना है उसे करते रहना होगा| जो मेहनत जो लगन उस लक्ष्य को पाने के लिए करनी है वो आपको करते रहना होगा| उस संघर्ष का सामना भी आपको करना होगा| तब जाकर आप कहीं उस लक्ष्य तक पहुँच सकेंगे क्योंकि हमारा ये जीवन संघर्षों से भरा हुआ है|
और हमें अगर कोई अच्छी चीज हासिल करनी है तो हमें संघर्ष तो करना ही पड़ेगा|
इसलिए यदि आप अपने जीवन में किसी लक्ष्य को पाने की इच्छा रखते हैं तो अपने जीवन में चमत्कार पर भरोसा करना छोड़ दें| और अपनी मेहनत और अपनी काबिलियत पर यकीन करना सीखें|
कर्मों का चौथा सिद्धांत
कर्मों का अगला सिद्धांत ये कहता है – आपको सच को स्वीकार करना आना चाहिए| अगर आप उस सच से भागते रहेंगे तो आप कभी उस सच को बदलने का प्रयास नहीं करेंगे और न ही आप उसे कभी बदल पाएंगे|
मान लीजिये आपको सुबह देरी से उठने की आदत है| और यदि आप इस सच को स्वीकार नहीं कर सकते तो आप कभी भी इसे बदल नहीं सकते|
वहीँ पर यदि आप इसे स्वीकार करते हैं और इसे बदलने की मन में ठान लेते हैं| तो इसे आप अवश्य ही बदलकर रहेंगे| इसलिए अपने जीवन में अपने आप से कभी झूठ नहीं कहिये| आपके जीवन में जो भी कड़वी सच्चाईयां हैं उसे स्वीकार कीजिये| तभी आप उनका सामना कर सकेंगे उन्हें बदल सकेंगे| इसलिए हमें सच को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए| इसके अलावा हमारे पास और कोई उपाय नहीं है|
अगर आगे बढ़ते हुए आपसे कोई गलती हो जाये तो उसे स्वीकार कीजिये और उसे सुधारने की कोशिश करिए | क्योंकि ऐसे लोग ही अपने जीवन में हर उस ऊँचाई को प्राप्त कर पाते हैं| जिनकी वो कामना रखते हैं|
कर्मो का पांचवा सिद्धांत karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
karm ke 11 siddhant 11 principles of karma कर्मो का अगला सिद्धांत ये कहता है – अपने जीवन में लगातार प्रयास करते रहिये क्योंकि निरंतर प्रयास करते रहना ही वह मार्ग है जिससे हम सफलता को हासिल कर सकते हैं| और यह तभी संभव है जब समय के साथ खुद को बदलने के लिए आप तैयार हों|
क्योंकि बदलाव ही इस सृष्टि का नियम है| और यह बदलाव किसी और से नहीं बल्कि आपसे शुरू होता है| यदि आप अन्य लोगों को बाहर की परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करते हैं तो यह करना व्यर्थ होगा| क्योंकि आप अपना समय इस पर नष्ट कर रहे हैं| उसकी जगह पर यदि आप अपने ऊपर ध्यान दें अपने अंदर ध्यान दें तो आप उसे अवश्य बदल सकते हैं| और अपने समय का सही इस्तेमाल करके आप अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुंच सकते हैं|
मान लीजिए कि आप कोई ऐसा कार्य करने जा रहे हैं जिसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी| लेकिन आप यह सोच रहे हैं कि कोई आएगा और आपकी इस मेहनत में मदद करेगा तो ऐसा करना व्यर्थ होगा|
बल्कि इसके लिए तो आपको यह करना चाहिए कि यदि आपको उस काम के बारे में कोई भी खास जानकारी नहीं है तो पहले आप उसके लिए जानकारी प्राप्त क|रें उसके बारे में सीखें समझें और फिर उस कार्य को शुरू कर दें| यदि आप समय के साथ अपने अंदर बदलाव करते जाएंगे और निरंतर अपने कार्य पर काम करते जाएंगे तो आप अवश्य ही सफलता को हासिल कर सकेंगे|
कर्मो का छठां सिद्धांत
वह बौध भिक्षु अगला सिद्धांत बताते हुए कहते हैं- आज आपके जीवन में जो कुछ भी आपके पास है| आप चाहे जहां कहीं भी हो आपके जीवन में जो भी मुसीबतें हैं जो भी सफलताएं आपने प्राप्त की हैं यह सब आप ही के कर्मों का फल हैं| karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
इन सबके के लिए आप ही जिम्मेदार हैं क्योंकि आपने ही अपने भूतकाल में ऐसे फैसले लिए थे| जिसका परिणाम आपको या तो बहुत अच्छा मिल रहा है या तो बहुत बुरा है| लेकिन हमें इनसे मुंह नहीं मोड़ना चाहिए बल्कि हमें इन्हें स्वीकार करना चाहिए इनकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए|
अगर हम ऐसा नहीं करते और किसी अन्य व्यक्ति या फिर किसी और को हम इसका दोष देते हैं| जिम्मेदार मानते हैं तो यह करना बिल्कुल सही नहीं होगा| क्योंकि यह हमें आने वाली और भी बड़ी मुसीबतों में फंसा सकता है| और फिर हम कभी भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे|
क्योंकि हम में से अधिकांश लोगों की यह आदत होती है कि जब हम कोई अच्छा कार्य करते हैं और जब उस कार्य के लिए हमें शाबाशी मिलती है तो हम वहां पहुंच जाते हैं| लेकिन वहीं पर जब हमने कोई बुरा कार्य किया होता है तो हम इसका दोष किसी और के सर पर दे देते है|
जबकि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए हम इसकी जिम्मेदारी खुद उठानी चाहिए हमारे इस काम से जो भी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं उसका समाधान हमें खुद ही करना चाहिए|
कर्मो का सातवाँ सिद्धांत karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
बौध भिक्षु अगला सिद्धांत बताते हुए कहते हैं की आज हमारा जीवन है| इससे जुड़ा हुआ हमारा वर्तमान हमारा भविष्य और हमारा भूतकाल है| और यह सब कुछ हम से जुड़ा हुआ है|
जैसे कि यदि आपने अपने अतीत में कोई ऐसी चीज सीखी थी| जो आज आपके काम आ रही है तो हो सकता है कि आप आज भी कुछ ऐसा सीख रहे हो जो आपका आने वाला भविष्य बना सकती है|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
इसलिए हमें सीखने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए| हमें अपने जीवन में लगातार सीखते रहना चाहिए| क्योंकि यह हमारे जीवन में कभी भी काम आ सकता है| इसलिए कभी भी इससे पीछे नहीं हटना चाहिए की सब हमसे जुड़ा हुआ है| हमारा वर्तमान अतीत और भविष्य सब एक साथ जुड़े हुए हैं|
कर्मो का आठवां सिद्धांत
कर्मों का अगला सिद्धांत यह कहता है कि हमें यदि किसी लक्ष्य को पाना है हमें केवल एक चीज पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए ना कि कई सारी चीजों पर| जब हम एक साथ बहुत सारी चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करने लग जाते हैं तो हमारे सीखने की गति धीमी हो जाती है| और हम फिर किसी भी चीज को सीख नहीं पाते जो हमारे जीवन में निराशा और नकारात्मकता का कारण बन जाता है|
यदि मान लीजिए कि आप एक अध्यापक बनना चाहते हैं तो अध्यापक बनने के लिए आपको अपना पूरा ध्यान केवल अध्यापक की पढ़ाई पर लगाना चाहिए ना कि बहुत सारी अन्य चीजों पर|
यदि आप पूर्ण रूप से केवल अध्यापक की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं| तो आप अवश्य ही अध्यापक बन जाएंगे| और यदि आप अन्य सारी चीजों पर ध्यान देते हैं तो आपका ध्यान भटक जायेगा| न तो आप अच्छी तरह से पढ़ाई कर सकेंगे और न ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे| जिस कारण आपके जीवन में केवल निराशा और नकारात्मकता ही शेष बचेग और फिर आप कभी ही अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकोगे |
कर्मो का नौंवा सिद्धांत
कर्मो का अगला सिद्धांत ये कहता है कि जीवन में खुश रहो| अतीत के लिए पछताना बंद कर दो| भविष्य के लिए सोचना बंद कर दो और आज से और अभी से आप अपने वर्तमान पर ध्यान दो| क्योंकि अतीत तो बीच चुका है उसे बदला नहीं जा सकता| और भविष्य की चिंता में रहने से हमारा आज ख़राब हो आता है| हम अपने आज पर ध्यान नहीं दे पाते |
और यदि आपको अपने भविष्य में कुछ हासिल करना है तो उसके लिए आपको आज से ही मेहनत करनी होगी| इसलिए अपने वर्तमान पर ध्यान दीजिए| यदि आप आज मेहनत नहीं करते हैं आज वह चीजें नहीं सीखते हैं तो आप अपने भविष्य में उन चीजों तक कभी नहीं पहुंच सकेंगे जिसकी आप कामना करते हैं जिसके लिए आपने दिन-रात मेहनत करने की सोची है| हमें अपने अतीत में की हुई गलतियों से सीखना चाहिए ना कि उन्हें लेकर रोते रहना चाहिए|
कर्मो का दसवां सिद्धांत karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कर्मों का अगला सिद्धांत यह कहता है कि हमारा इतिहास तब तक दोहराता रहता है जब तक हम कुछ सीखकर आगे बढ़ने का रास्ता नहीं ढूंढ लेते| किसी भी काम को बार-बार एक ही तरीके से करने पर अलग-अलग परिणाम की उम्मीद करना मूर्खता है| इसलिए हमें अपने जीवन में सीखते रहना आवश्यक है| फिर वह चाहे अपनी गलतियों से ही क्यों ना हो फिर वह चाहे किसी और की गलतियों से ही क्यों ना हो लेकिन सीखना आवश्यक है|
अपने जीवन में बदलाव लाना आवश्यक है अन्य रास्तों की खोज करना आवश्यक है| मान लीजिए कि आप किसी ऐसे रास्ते चलना चाहते हैं जहां पर कई सारे कांटे हैं| और आपके पास जो ज्ञान है वह यही कहता है कि आपको इसी रास्ते से आगे बढ़कर जाना होगा| तब जब भी उस रास्ते से आगे बढ़ेंगे तो आपके पैरों में कांटे तो अवश्य चुभेंगे जिससे आपको तकलीफ भी होगी और आप उस रास्ते पर चलने से डरेंगे भी और इसका परिणाम भी आपको कुछ खास नहीं मिलेगा लेकिन यहीं पर आप यदि अपनी इस गलती से सीख लें तो आप यह समझ सकते हैं कि आप कोई और रास्ता ढूंढ सकते हैं|
अपनी उस मंजिल तक पहुँचने के लिए जहां पर कांटे ना हो और वो रास्ता भी आपके लिए सही हो| क्योंकि एक ही गलती बार-बार दोहराना आपको कभी भी अपने लक्ष्य तक पहुँचने नहीं देगा| इसलिए अपने रास्तों को बदल कर देखना भी जरूरी है| अपनी गलतियों से सीखना और सुधारना भी बहुत जरूरी है|karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
कर्मो का ग्यारहवां सिद्धांत
उनका आखिरी सिद्धान्त यह कहता है हमारे जीवन में होने वाले बड़े बदलाव इनके लिए थोड़ा समय लगता है| इससे जीवन में बड़ी सफलता लगातार प्रयास करते रहने और लंबे समय तक धैरे रखने से मिलती है| इसलिए यदि हम अपने जीवन में लंबे समय तक चलने वाले परिणाम चाहते हैं तो हमें धैर्य रखना भी आवश्यक है|
यदि हम जल्दी बाजी में ये सारे कार्य करें तो आगे चलकर हमें इसके परिणाम उतने अच्छे नहीं मिल पाते| और अगर हम धैर्य से कोई सही फैसला लेते हैं तो उसके परिणाम भी हमें लंबे समय तक और अच्छे मिलते हैं| जिस प्रकार यदि आप किसी आम का पेड़ लगाते हैं तो पेड़ लगाने के कुछ दिनों बाद ही वह बड़ा नहीं हो जाता है और ना हीं उसमें कोई फल मिलते हैं|
यदि आपको आम की यानि की उस फल की प्राप्ती करनी है तो उस पेड़ को बड़ा होने तक का समय आपको देना पड़ेगा| यानि कि धैर्य तो आपको रखना ही पड़ेगा| और यदि आपके पास धैर्य नहीं है तो आप उस पेड़ को नष्ट कर देंगे| जिससे आपको ना तो वो फल मिलेगा और ना ही वो परिणाम|
निष्कर्ष karm ke 11 siddhant 11 principles of karma
पर हम अपने जीवन में भी तो कुछ ऐसा ही करते हैं जब हम किसी कार्य को शुरू करते हैं तो हम यह सोचते हैं कि हमें जल्दी जल्दी वो परिणाम मिल जाए ताकि हम अपने लोगों को बता सकें|
अपने परिवार के साथ वो खुशियां बांट सकें लेकिन आप ये भूल जाते हैं कि जब हम किसी कार्य को शुरू करते हैं तो उसमें हम बिल्कुल जीरो होते हैं| और जीरो से एक तक पहुँचने में हमें थोड़ा समय लगता है| और एक से दस तक पहुँचने में हमें थोड़ा और समय लगता है|
लेकिन ये जो समय है, ये जो अनुभव है, यही आपको सिखाता है कि आपके जीवन में जो बड़े बदलाव आने वाले हैं| उसके लिए आपको समय देना होगा| आपको धैर्य रखना होगा| तभी आप जीरो से लेकर के दस तक पहुँचने की क्षमता जुटा पाएंगे\ और जब हम अपने अन्दर धैर्य रखते हैं तो एक न एक दिन हमें सफलता जरूर मिलती है|
ये karm ke 11 siddhant 11 principles of karma ज्ञान की बातें सुनने के बाद वह व्यक्ति वहाँ से चला जाता है| इस आर्टिकल को लिखते समय कोई गलती हुई हो तो हम क्षमा चाहते हैं| उम्मीद है आर्टिकल पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा| इस पवित्र लेख को शेयर जरूर करियेगा |