मात्र 10000 रुपये से एक सामान्य से छोटे व्यापारी ने कपड़े की दुकान खोली| Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
आज उस ब्रांड के 600 इंडियन स्टोर हैं, 12 से अधिक इंटरनेशनल स्टोर हैं और साल के चालीस लाख से अधिक पीस वो बेचता है, लेकिन कैसे?
इस दुकान के मालिक ने अपने पिताजी से बीस हजार रुपए को लेकर छोटी सी बहस के कारण पिताजी की दुकान छोड़कर, खुद की दुकान चालू की और आज इनकी नेटवर्थ 32,000 करोड रु से ज्यादा हो चुकी है|
देश के पचास सबसे अमीर लोगों में इनका नाम शुमार है वो भी बिना किसी लोन के या फिर बिना निवेशक के सपोर्ट के, इतनी बड़ी कंपनी खड़ी की खुद की मेहनत और बिज़नेस सेंस के बलबूते |
Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi ये केस टेडी सुपर स्पेशल है मेरे दिल के करीब है क्योंकि आज आपको सीखने को मिलेगा बिजनेस स्टार्ट कैसे करते हैं?
ब्रांड कैसे बनाते हैं?
मार्केटिंग कैसे करते हैं?
छोटी सी दुकान बड़ी बुलंदियों पर कैसे पहुँचती है बिना लोन के, सिर्फ दिमाग के दम पर! उस ब्रांड का नाम है मान्यवर! और उस बिज़नेसमैन का नाम है रवि मोदी|
Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
इस आर्टिकल में हम आज जानेंगे मान्यवर की चार बिजनेस स्ट्रेटेजी और 7 बिजनेस लेसन जो आपके बिजनेस को अगला मान्यवर बना सकता है|
जितने भी लोग बिज़नेस कर रहे हैं या करना चाहते हैं, इस केस स्टडी को अंत तक पढ़ना ताकि जितने भी आपके बहानें हैं – कि सर मैं छोटा व्यापारी हूं मैं क्या करूँ| मेरे पास तो पैसे ही नहीं है, मुझे तो कोई लोन ही नहीं दे रहा, सर इतने आदमी कैसे संभालूँगा, सर इतने पैसे कैसे लेकर आऊंगा, सर कम्पटीशन बहुत ज्यादा है|
तो ये कहानी आपको बताएगी कि बहाने सिर्फ बहाने है, आपका आलस है| अगर आप करना चाहते हैं तो इस केस स्टडी में सारे रास्ते भी है कि क्या-क्या कठिनाई आ सकती है और कैसे-कैसे दूर होती है|
तो आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ लेना और जाते-जाते एक सूपर स्पेशल रिक्वेस्ट जिन भी भाई का कपड़े से रिलेटेड काम है या शादी के व्यापार से रिलेटेड किसी भी तरह का काम करते हो, यह आर्टिकल हर व्यक्ति के मोबाइल में होना चाहिए| इसे शेयर करना हर उस व्यापारी के साथ जो शादी या कपड़ा इन दोनों चीजों से ज्यादा जड़ा हुआ हो |
Manyavar Founder Ravi Modi Success Story
बिजनेस की शुरुआत होती है बिजनेसमैन से और हमारी कहानी शुरू होती है रवि मोदी से|
रवि मोदी जी के पिताजी की कोलकाता में 140 स्क्वायर फीट की छोटी सी कपड़े की दुकान थी और जैसा कि बिजनेस फैमिली में होता है बच्चों को छोटी उम्र से दुकान पर बुला लिया जाता है, तो 13 साल की उम्र से रवि मोदी जी का दुकान पर आना जाना शुरू हो गया था|
स्कूल के बाद दुकान पर, शनिवार और रविवार संडे दुकान पर| उस दुकान पर उन्होंने नौ साल काम किया और सेल्स के बारे में बारीकी से चीजें सीखीं| उनका एक कहना था कि भईया देखो अगर कोई ग्राहक आया है एक शर्ट लेने है और तुमने एक शर्ट ही बेच दी तो तुम तो postman हो, डाकिया हो तुमने क्या किया?
अगर कोई ग्राहक 1 शर्ट लेने आया है तो उसको 3 शर्ट बेचो तभी तो तुम salesman हो| इस concept को technical भाषा में कहते है cross sell या upsell|
कोई शर्ट लेने आया है तो उसको पैंट बेच दो ये cross sell होता है| और कोई एक शर्ट लेने आया उसको दो शर्ट बेच दो तो ये upsell है| ये concept उन्होंने किताब से नहीं MBA किया, जीवन के MBA से सीख लिया|
यही पर आता है आपका business lesson number one-
business की शुरुवात करनी है, business कुछ नहीं है, business common sense है, business practicality है, business बाज़ार को समझना है, तो इसको जितना जल्दी शुरू करोगे उतना बेहतर है|
हल्दीराम 11 साल की उम्र में बिजनेस में आ गए थे और वारन बफेट 12 साल की उमर में| तो अगर आप एक बिजनेस फैमिली हो और आपने सोच रखा है कि बच्चे को आगे-पीछे बिजनेस में डालना है तो मैं यह नहीं कह रहा कि उसको पढ़ाओ लिखाओ मत लेकिन हां बहुत शुरू से उसको दुकान ऑफिस का आदत डाल दो ताकि उस माहौल को बच्चे समझे और अगर आपकी बिजनेस फैमिली नहीं है
आप जॉब में भी है तो भी जल्दी से जल्दी अपनी इंटरन्शिप चालू कर दो| किताबें अपनी जगह है लेकिन जो दुनिया सिखाएगी जो बाजार सिखाएगा कोई नहीं सिखाएगा तो पहला बिज़नेस लेसन है याद रखना|
अब भाईसाब दुकान पर वही हुआ जहां पर बाप बेटे साथ में काम करते हैं या दो भाई साथ में काम करते हैं कोई भी फैमिली बिजनेस होता है तो वहां होता है डिस्प्यूट| पिताजी की अपनी सोच बच्चे की अपनी सोच|
यह कह रहे पिता जी आप पैंट-शर्ट, जीन्स-टीशर्ट तो काम करते ही हो कुर्ते पजामे का भी करो| आजकल तो बहुत चलते हैं| तो पिता जी ने बोला अपने बाप को धंधा सिखाएगा क्या?? ऐसे थोड़ी होता है मैं आज तक बेचता आया हूं| मेरा अनुभव बढ़िया है |
पिताजी की बात रवि मोदी के दिल पर लगीManyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
भाई साहब रवि मोदी ने कह दिया ठीक है आपकी मानेंगे| लेकिन एक दिन पिता जी चले गए 7 दिन बाहर| इन्होंने पीछे से चुपके से मंगवा लिया सौ कुर्ते| पिताजी जब वापस आये तो पता चला की इन्होने 100 कुर्ते मंगवा रखे हैं|
तो उन्हें गुस्सा तो बहुत आया लेकिन पता चला 7 दिन में 80 बेच भी दिए है| तो गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ लेकिन कहा देख मेरे पीछे आज डिसिजन ले लिया लेकिन दुबारा मत ले लेना|
लेकिन रवि मोदी जी बिजनेसमेन आदमी, बिजनेसमेन आदमी कीड़ा होता है वह कहता ही कि आज यह करूं कल वह करूं यह एक्सपेरिमेंट वह एक्सपेरिमेंट तो धीरे धीरे रवि मोदीजी अपने लेवल पर कोई डिसिजन लेने लगे जो पिताजी को नहीं समझ आये|
तो एक दिन पिताजी ने उनको सुना दिया कि यार तू उल्टे सीधे डिसीजन लेता है तू एक दिन हमको सबको बर्बाद करेगा और हो सकता है मुझे एक दिन सुसाइड करना पड़े तेरी वजह से|
यह बात रवि मोदी के दिल पर लग गई कि यार पिताजी ने छोटे से डिसीजन पर, एक 20000 का सौदा मैंने क्या कर लिया ऐसे बोल दिया| रवि बोले पिताजी कल से आपकी दुकान पर नहीं आऊंगा|
जै जै राम चल दिये इस स्थिति में गए माता जी के पास और बोले मम्मी 10,000 रुपए चाहिए मैं अपनी खुद की दुकान खोलूंगा और अपने हिसाब से धंधा करूंगा| पिता जी की बात नहीं समझ में आती|
माँ से लिया 10000 रुपये और खोली खुद की दुकान
तो मम्मी से 10,000 रुपए लेकर खुद की दुकान खोली वेदांत फेशन| इनकी 21 साल के ऊपर में शादी हो गई थी 22 में बच्चा बच्चे का नाम था वेदांत तो बच्चे के नाम पर दुकान खोल दी|
ग्रेट बिजनेस लेसन नंबर टू
ग्रेट बिजनेस जब बनते हैं तो इंसाइट पर बनते हैं| इंसाइट का अर्थ है कोई ऐसी चीज जो बाज़ार में रहकर आपको एकदम से क्लिक करती है क्या इस चीज की डिमांड है? लोग पैसा देने को तैयार है, पर इस चीज को तो कोई कर नहीं रहा| मैं कर लूँ क्या? जितने भी बड़े बिजनेस बैठे हैं ना सबके पीछे यही चीज थी|
तो इनको यहाँ पर इनसाइट मिली सब वेस्टर्न के पीछे पड़े हैं, बड़ी कंपनियां वेस्टर्न के पीछे, बेचने वाला सब वेस्टरन की बीचे, कोई इंडियन को ध्यान नहीं दे रहा, एथिनिक को ध्यान नहीं दे रहा, और डिमांड तो इसकी भी आती है|
तो ये गैप है, अगर ये कवर करूँगा तो कुछ होगा, तो पिताजी की इच्छा के विपरीत, उस ट्रेंड पे काम चालू किया, और फिर आगे जाकर कितना बड़ा ब्रांड बना उसको तो हम अभी डिस्कस करने ही वाले हैं, लेकिन शुरुवात कि ऐसा करूँगा यहाँ से बीज डला था|
यहाँ पर आता है बिजनेस लेसन नंबर तीन Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
यह कंट्रोवर्सिअल होने वाला है इसलिए मैं डिस्क्लेमर देता हूं| मेरे कहने का मतलब है कभी कभार क्या होता है जब फैमिली बिजनेस में दो लोग, बाप-बेटा भाई-भाई साथ में काम करते हैं और दोनों की सोच अलग-अलग होती है तो कई बार हम किसी कारण से किसी बहुत अच्छा आइडिया को इंप्लीमेंट नहीं कर पाते|
मैं यह नहीं बोल रहा पिताजी की बात मत मानो| मैं ये नहीं बोल रहा धंधा छोड़कर खुद का धंधा करो| मैं यह कह रहा हूं अगर आप किसी आइडिया को लेकर कन्विंस हो, आपने बाजार में ट्रेंड देखा है उसको डाटा से प्रूव किया है एक्सपेरिमेंट किया है और अंदर से जोरदार आवाज आ रही है ना, तो वेट मत करो दुनिया क्या कहती है|
क्योंकि आज वहीं पिताजी रवि मोदी को कहते है मेरा राजा बेटा तूने इतना कुछ कर दिया तो अगर आप सही हो और आपको लगता है कि मैं सही हूं तो कुछ ट्राइ करने का प्रयास कर सकते हो पर ऐसा नहीं एकदम से कूद पड़े|
यह मत सोचो कि मेरे दिमाग में का आइडिया था फलाने ने इंप्लीमेंट कर दिया यह रोना मत रखना जीवन में|
कंपनी का नाम था वेदांत फैशन लेकिन वेदांत नाम से क्या ब्रैंड बनेगा तो बोले ब्रैंड के लिए अलग नाम चाहिए तो क्या नाम रखें बोले यार मेरे को चाहिए इज्जत, पिताजी ने दी नहीं बाज़ार से चाहिए|
तो क्या नाम रखें मैं चाहता हूँ सब मुझे इजजत से पेश करें तो एक काम करते हैं, नाम रखते हैं – मान्यवर
इन्होने सबसे पहले टारगेट किया LFS(Large format store like विशाल मेगा मार्ट ) को, tag डालो धंधे का 20-30% माल कम मार्जिन हो पर नगद में माल बेचते थे और बाकी का 70-80% माल retailers को बेचते थे लेकिन थोड़ा margin उसमें heavy रखते थे क्योंकि उस समय ये सामान और कोई दे नहीं रहा था|
सोचो ना सब pants, shirt, jeans, t-shirt में थे ये अकेले कुर्ते पजामे में थे, तो माल फटा-फटा-फटा बिक रहा था| और जिस rate पे बेच रहे थे उसी rate पर बिक रहा था| और ऐसे करते करते कुछ ही सालों में इनका टर्न ओवर पहुँच गया 20 करोड़ रुपये|
अब इन्होंने सोचा का एलएफस या लार्ज फॉरमेट स्टोर को देने में एक समस्या बहुत बड़ी क्या है, साब ये कस्टमर का डेटा ही शेयर नहीं करते कि मेरा प्रोडक्ट कौन-कौन लेकर गया और क्या-क्या चीज पसंद आई क्या-क्या चीज नहीं पसंद आई|
कस्टमर की सोच का पता नहीं चलेगा उसकी इंसाइट पता नहीं चलेगी तब तक मैं मैन्युफैक्चरिंग में क्या करूँ, क्या बनाऊं इसको लेकर बड़ा कंफ्यूजन था|
ग्राहकों के डाटा खातिर पहला स्टोर(COCO) खोला
तो उन्होंने कहा एक काम करते हैं खुद का एक स्टोर डाल देते हैं तो जब खुद का ग्राहक आएगा तो डाटा लेंगे उसकी सोच लेंगे पता पड़ेगा बजार में चल क्या रहा है| तो ऐसे उन्होंने खुद का पहला स्टोर भुवनेश्वर में डाला और वहां से यह चीजें सीखनी शुरू की|
एक बात समझो इनका लार्ज फॉरमेंट स्टोर एलएफस में माल जा रहा है, इनका तो रिटेल में माल जा रहा है, इन्होने खुद का स्टोर खोल दिया फिर उन्हें दूसरा खोल दिया तीसरा खोल दिया लेकिन अब इनको एक टेंशन हुई कि सर जी स्टोर खोलने में पैसा बहुत लगता है|
बहुत ज्यादा पैसा लग रहा है ऊपर से फिर लोग भी संभालने पड़ते हैं कौन कितने एंप्लोई रखने हैं उनकी हाइरिंग उनका मैनेजमेंट| आया नहीं आया बहुत मगझमारी है तो यार अगर ऐसे स्टोर खोलेंगे तो तीन में हालत खराब हो रही है जिस दिन 30 खोलेंगे 300 खोलेंगे मर जाएंगे|
तो इन्होंने कहा यार यह मैथड है Coco मैथड- कंपनी ओन कंपनी ऑपरेटेड यह वाला काम नहीं करेंगे तो फिर क्या करें? बोले शुरू करते हैं फोको मेथड- Foco क्या हुआ फ्रेंचाइजी ऑन कंपनी ऑपरेटेड तो इन्होंने अपने ब्रांड की कहा भइया फ्रेंचाइजी ले लो तुम पैसा लगा दो तुम स्टोर खोलो तुम, संभाल हम लेंगे|
शुरू किया foco बिज़नेस मॉडल Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
इस मॉडल पर भी इन्होंने बाजार में काम करना चालू किया लोगों ने फ्रेंचाइजी ली और संभालने यह लग गए| अब इन्होंने एक चीज देखी कि यार फ्रेंचाइजी देने से पैसे की दिक्कत खत्म हो गई पैसा तो ज्यादा नहीं चाहिए वो तो दुनिया लगा रही है लेकिन संभालने की तमाम माथा फोड़ी आज भी है यार|
यह भी नहीं चाहिए यार फिर क्या करें बोले और तेज़ी से एक्सपेंड करना है तो फिर यार फोको भी नहीं चलेगा| फोफो FOFO मेथड लगा देते है फोफो क्या होता है फोफो मतलब फ्रेंचाइजी ओन फ्रेंचाइजी ऑपरेटेड|
भईया तू ही फ्रेंचाइजी लगा, तू ही तेरा स्टाफ रख, तू ही माल बेच मैं तीन चीज करूंगा क्या?
डिजाइन बनाना मेरी जिम्मेदारी, मार्केटिंग करना मेरी जिम्मेदारी, और तेरी दुकान में माल पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी क्यूंकि मैं यह तीनों काम तो सेंट्रलाइज तरीके से कर लूंगा| माल बना के कहां कहां भेजना है क्या क्या बनाना है और मार्केटिंग लेकिन ये एक एक foco स्टोर नहीं संभलेगा और जैसे ही इन्होंने इस फोफो मेथड पे आए ना आग लग गई भाई साहब|
ये 600 स्टोर क्यों खिले? फोफो मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया था ना, इसलिए खुले कोको होते फोको होते नहीं खुलते भाई साहब|
तो बिजनेस लेसन नंबर 4
अगर आपको रोकेट की स्पीड से बढ़ना है कि भईया मेरे को तेज़ी से बढ़ना है तो आपके लिए बेस्ट मेथड FOFO मेथड है क्योंकि अगर आपकी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ेगी तो डीमार्ट है| डीमार्ट कहता मैं बनाऊंगा मैं करूंगा उसकी स्पीड धीरे है धीरे-धीरे करते इतने साल लगे|
जब इतने स्टोर इतनी तेज़ी से खुले तो ये फोफो में होता है, ध्यान रखना|
वैभव भाई स्टोर खोलने से क्या होता है? हम दस खोल दें, बीस खोल दें, पचास खोल दें, ग्राहक तो आते ही नहीं है| यही तो असली कलेस है, उसके लिए मान्यवर कहता है मेरे पास दूसरी स्ट्रेटजी है- ग्राहक आजकल आता नहीं है, ग्राहक को बुलाना पड़ता है|ग्राहक को बुलाने के लिए जो एक्टिविटी की जाती है उसे कहते मार्केटिंग|
मार्केटिंग करने से पहले, करनी पड़ती है ब्रांडिंग क्योंकि अगर आप बोलोगे हम सब कुछ बेचते हैं सब कुछ बेचते हैं तो लोग तुम्हें जानेंगे नहीं पहचानेंगे नहीं| भीड़ में गुम जाओगे, भीड़ से अलग हटना है तो ब्रेंड बनाना पड़ेगा| एक अलग पहचान बनानी पड़ेगी|
तो रवि मोदी ने कहा भईया कैसे बनाये पहचान यार ये बताओ?
शादी भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है, जितना सेलिबरेशन, जितनी खुशियाँ, जितना खर्चा, और बिजनसमेन की जितनी कमाई और जितनी सेल, शादी में होती है उतनी कहीं नहीं होती|
ये शादी से जुड़े हुए लोग अच्छी तरह जानते हैं, इंडिया में हर साल एक करोड़ शादी होती है, औसत बजट दस लाख मानो, तो दस लाख करोड़ का मार्केट है। पर इतने बड़े मार्केट में इंडियन ब्रांड अभी है नहीं।
ब्रांड बनाने के लिए अपनी पहचान बनानी पड़ेगी
सारा मार्केट अनआर्गनाइज्ड है। और रवि मोदी ने देखा की भईया, कपड़े की जितनी भी शौपिंग होती है ना, 95% अनआर्गनाइज्डहै। सबने अपने अपने आदमी पकड़े हुए हैं, कोई बड़ा ब्रांड नहीं है। तो अगर इसमें ब्रांड बने, तो अलग पहचान बनेगी |
तो इन्होने कहा भईया मुझे सारे कपड़े नहीं बेचने मान्यवर को तो तुम जब याद करना जब शादी हो और अपनी 100% ब्रांडिंग 100% मार्केटिंग ऐसे की – शादी मतलब मान्यवर शादी है
इसकी शुरुआत कहां से करें मार्केटिंग कहां करें?
बोले ऐसी जगह करो जिनकी जेब में थोड़ा पैसा हो पैसे वाले लोग क्या करते हैं मल्टीप्लेक्स में मूवी देखते हैं तो इन्होंने अपने एड चालू किए मल्टीप्लेक्स में| जब आदमी 500 रुपये का पॉपकॉर्न लेकर बैठा है और दो मिनट कहीं आने जाने की जगह भी नहीं है- मान्यवर का एड आता है बढ़िया सा इमोशिनल सा एक सेलिब्रेटी के साथ|
बंदों को क्या चाहिए ये ब्रांड सही है अब की बार शादी में यह ट्राइ करके आएंगे| बढ़ गई सेल, इसमें एड किया इससे जो सेल बढ़ी उससे और मार्केटिंग की| धीरे-धीरे आईपीएल में पकड़ बनाई और आईपीएल की तीन टीमों को यह स्पॉन्सर करने लगा और जो सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक मान्यवर की जिंदगी में लगा|
विराट और अनुष्का को साईन किया Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
वह लगा जब 2017 में इन्होने विराट कोली का साइन किया और उसी साल में वह बने भारतीय टीम के कैप्टन तो भाईसाब और वैल्यू बढ़ गई और विराट कोली आने के बाद इन्होंने कहा, सुनो एक काम करते हैं अभी तो शादी मतलब मान्यवर है|
अब बोलते हैं शादी नहीं सेलिब्रेशन किसी भी तरह का हो, हर त्योहार में भी मान्यवर होना चाहिए| तो विराटकोली के साथ एक एड शुरू किया था – हर त्यौहार india का त्यौहार
और इसमें मान्यवर ने दिखाया ने किया कि हम वेडिंग वियर नहीं है हम सेलिब्रेशन वियर है| और उसी समय भाई साहब विराट कोहली जी का अनुष्का से अफेर चल रहा और शादी की बातें चल रही तो इन्होंने कहा इससे बढ़िया कपल तो इस समय इंडिया में नहीं है एक काम करें अनुष्का को भी साइन कर लेते हैं और अनुष्का को साइन किया और उनके साथ नया ब्रांड लॉन्च किया Mohey |
दुल्हनों के लिए लांच किया अलग ब्रांड – Mohey
मान्यवर तो आदमियों के लिए आ जाएगा मोहे महिलाओं के लिए आ जाएगा – ब्रांड लॉन्च|
अब यहां पर मार्केटिंग और ब्रांडिंग का ब्रिलियंट लेसन सीखो|
वह चाहते हैं तो जो गर्ल्स के वियर थे वह मान्यवर ब्रांड में निकाल देते क्या फर्क पड़ता| पर उन्होंने कहा नहीं हर सेग्मेंट के लिए अलग ब्रांड होगा हर कैटेग्री के लिए अलग ब्रांड होगा तो मान्यवर किसके लिए है? आदमियों के लिए तो महिलाओं के लिए क्या निकालेंगे Mohey
फिर उन्होंने कहा मान्यवर में तो मान लो 15-20 हज़ार की रेंज में जा रहे हैं कपड़े अगर और महंगे कपड़े बेचने हो तो अपर मिडल क्लास को टारगेट करना हो तो एक और ब्रेंड लॉन्च कर दिया तो twamev
अच्छा चलो मिडल क्लास वाले तो यह ले रहे हैं और और छोटा आदमी लेना चाहे तो बोले एक और ब्रेंड लॉन्च कर देते हैं Manthan
तो इनके पास लोअर केटेगरी के लिए, मिड केटेगरी लिए, ऊपर केटेगरी के लिए सबके लिए अलग ब्रांड है| और सबको इंप्रेस करने के लिए अलग-अलग ऐड है जैसे कपल को attract करना हो तो विराट और अनुष्का आ जाते हैं|
यह ऐसा कपल भाई यूथ को आकर्षित करना हो तो कार्तिक आर्यन आ जाता है, रणवीर सिंह आ जाते हैं और अगर महिला को अकेले attract करना हो तो आलिया भट्ट आजकल मान्यवर में दिख रही है|
तो बिजनस लेसन नंबर 5 Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
सारी मार्केटिंग है एक अम्ब्रेला में नहीं होगी हर प्रोडक्ट की ओडियन्स अलग है| हर आदमी का पॉकेट अलग है| पहले एक सेगमेंट पकड़ो उसको मार्केट करो, कवर करो फिर दूसरा फिर तीसरा फिर चौथा फिर पांचवा|
अब हम चलते हैं case study में आगे, अरे वैभव जी इतनी marketing कौन करेगा multiplex में ऐड करने के पैसे कहां से लाए,आलिया भट के पैसे थोड़ी हैं हमारे पास, विराट को लेके पैसे थोड़ी हैं हमारे पास, इसके पास तो धन गड़ा हुआ है|
नहीं भाई साहब इनके पास एक strategy है strategy number 3
इसको कहते है re-investment in business देखो| सन 2003 की बात है नए नए पैसे कमाने लगे और नए पैसे कमाने वाले को इच्छा होती मैं पैसा शो ऑफ करूं तो इन्होने कहा मैं लेकर आऊंगा मर्सडीज| तो इनके पिताजी थे वही जो इनको 20,000 के लिए भगा दिए थे, वह बोले सुन बेटा क्या कर रहा है?
पापा मैं मर्सडीज लेकर आ रहा हूं| पापा बोले लेकिन इसे किसको दिखाएगा, कुछ नहीं धंधे में लगाओ पैसा| मर्सडीज दिखाने की है दो दिन बाद भूल जाएंगे| इन मर्जडीज का पैसा धंधे में जाएगा, तो आगे बहुत मर्सडीज आएगी|
पिताजी की बात को गाँठ बाँध लिया, जितना मुनाफा कमाते, पर्सनल में नहीं लगाते| सर जी 2003 में धंधा इतना चल निकला था, कि मर्सडीज खरीदने की कैपेसिटी थी, लेकिन भाई साब, इन्होंने मर्जडीज नहीं खरीदी, हॉंडा सिटी चलाई, 2017 तक, 15 साल|
जब विराट कोली को हायर कर रहे हैं, तब भी होंडा सिटी चला रहे हैं, तो 2017 में किसी फैमिले में किसी का एक्सिडेंट हो गया, तो घर वालों ने कहा, भाईया, एक्सिडेंट हो गया, मरवाओगे क्या ?
सेफटी के हिसाब से, तब जाकर मर्सडीज लिये हैं, 2017 में| तो इस कहानी से क्या सीख मिलती है, कि जो भी सेल करते हैं, उसकी मार्केटिंग का एक निश्चित परसेंटेज लगाते हैं, उससे जो revenue आता है, वापस मार्केटिंग में लगा देते हैं|
मान्यवर की सेल यात्रा Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
इनकी सेल को समझते हैं 2019 में सेल थी 800 करोड़ रुपए 20 में हो गई 915 करोड़ रुपए फिर आगे पैंडेमिक में कम होकर रह गई 514 करोड़ रुपए| अब पैंडेमिक से निकले तो वापस 1040 करोड़ सेल हो गई|
यह अपने रेवेन्यू का बहुत बड़ा हिस्सा मार्केटिंग में नहीं लगाते हैं| मार्केटिंग में 7.6% परसेंट हिस्सा मार्केटिंग में लगाते हैं यानि 1000 करोड़ की सेल है तो मात्र 75 करोड़ खर्च करेंगे ब्रैंडिंग पर| और इनका जो प्रॉफिट मल्टीपल है मार्केटिंग पर, वह 6.6 मतलब हर एक रुपया मार्केटिंग पर खर्च करने से इनका 6.50 रुपए प्रॉफिट बढ़ता है रेवेन्यू की बात नहीं प्रॉफिट|
तो भईया क्यों नहीं करें मार्केटिंग?
मार्केटिंग के लिए शुरुआत सब छोटी करते हैं पर उस पैसे को Reinvest Reinvest किये जाओ तो बजट बढ़ता जाता है प्रॉफिट बढ़ता जाता है सेल बढ़ती जाती है बशर्ते प्रोडक्ट में तुम्हारे दम हो |
इनका प्रॉफिट मार्जिन इंडस्ट्री में हाईएस्ट है, इनका return ऑन investment हर साल है 75 परसेंट, जितना पैसा ये लगाते हैं, 100 रुपये लगाते हैं साल में, 75 रुपये तो उसी साल आ जाते हैं|
तो अगले साल देखो क्या आता होगा, क्योंकि इनकी मैन्युफैक्चरिंग जो है, खुद नहीं करते, आउटसोर्स करवा रखी है, डिजाइन देते हैं, आउटसोर्स करवाते हैं, भेज देते हैं, तो खुद मैन्युफैक्चरिंग का ज़्यादा पंगा नहीं पाल रखा, पूरे हिंदुस्तान में इनके 450 से ज्यादा वेंडर है जिनसे माल बनवाते हैं एक जगह रखते हैं और पहुंचवा देते हैं|
माल बचता नहीं सब बेच देते हैं
दूसरा इनका जो माल है भाई जितना बनाते हैं इतना बिक जाता है इनकाटोटल Unsold माल कितना रहता है मात्र तीन परसेंट|
आपका सवाल कि इतना सारा माल बनाते हैं सारा थोड़ी बिक जाता होगा और अगर बिक जाता है तो कैसे, ऐसा क्या जादू है?
इन में आती हैं कि strategy number 3, use of data analytics-
इनको समझ में आ गया भी है, customer के दिमाग को समझो, और customer के behavior को समझ जाओगे न, क्या चाहता है, क्या नहीं चाहता, तो सब काम हो जाएगा. तो जब से इन्होंने पहला store खुला था, और दूसरा store, तब से software में data देखते हैं, कि किस शहर में, कौन सा color, कौन सी design,किस price range की माल चलता है|
तो उस शहर में उसी तरह का color, उसी तरह की design, उसी तरह की चीज़ें, कि सर्दी में क्या चलता है, गर्मी में कौन सा कलर कौन सी डिजाइन किस प्राइस रेंज की माल चलता है तो उस शहर में उसी तरह का कलर उसी तरह के डिजाइन उसी तरह की चीज है कि सर्दी में क्या चलता है गर्मी में क्या चलता है दिवाली में हैदराबाद में तो यह चलता है पर मुंबई में चलता है ईद अगर आ जाती है तो इस एरिया में यह बिकता है इस एरिया में नहीं बिकता|
यह सारा डाटा है इनके पास तो उस हिसाब से चीजें मैनेज करते हैं| बचा माल मात्र 3 % रहता है, और इसलिए मान्यवर में, बड़े से बड़े ब्रैंड में आती है| मान्यवर कभी भी season end sale नहीं लाता, बचे 3% माल को वो या तो इसको जला देते हैं, या दान दे देते हैं, बेचते नहीं हैं|
बिजनस लेसन नंबर 6
इनको समझ में आ चुका था, डाटा इस किंग, देखो छोटे बिजनस में तुक्का चलता है, मेरे हिसाब से, मेरे को लगता है, ऐसे कर लेंगे वैसे कर लेंगे|
अगर बिज़नेस करना है बड़े लेवल पर करना है तो बिना डाटा पार नहीं लगेगी| तुम्हारी समझ तुम्हारे तुक्के से 1-2-5 करोड़ की सेल होती है| दो पांच सो करोड़ की सेल करने के लिए डाटा लगेगा तो डाटा की आदत अभी से डालो|
इन लास्ट सबसे इंपोर्टेंट बिजनेस स्ट्रेटेजी
जिसका जिक्र शायद सबसे पहले होना चाहिए था लेकिन मैं सबसे लास्ट में कर रहा हूं आर्टिकल के अंत में ताकि जो सीरियस आदमी हों उस तक यह बात पहुंचे|
चूज द फील्ड विद लो कंपटीशन एंड इमर्जिंग ट्रेंड – यह क्या हुआ वैभव जी, ऐसे बिजनेस को चूज करो जहां पर अभी लोगों की नजर नहीं है कंपटीशन कम है पर आगे जाकर उसकी चीज बुलंद है|
कोई चीज तुम ऐसी देख रहे जो आज बाजार में इन है कि आजकल यार बाजार में यह चल रहा है तुम वहाँ कूदोगे तुमको लग रहा है यह चल रहा है तो तुम्हारे जैसे 1000 और कूदेंगे फिर कम्पटीशन| वह opportunity खत्म हो जाएगी|
तो जहां लोगों को opportunity ना दिखे वहीं पर गेम खेलना है| पर ऐसी जगह तुम खेल रहे हो जहाँ कुछ है ही नहीं और आगे भी कुछ नहीं है तो मर जाओगे|
तो जहां आज कुछ नहीं है आगे कुछ है ऐसी जगह पर ध्यान देना |है शेयर मार्केट में क्या होता है? कंपनी को ऐसे टाइम पर पकड़ो जब किसी और का ध्यान नहीं हो, तब खरीद लो| सस्ती मिलेगी पर जब सबका ध्यान आएगा तो चीज बढ़ जाएगी यह गेम खेलना है|
एंड लास्ट सबसे इंपोर्टेंट सबसे इंपोर्टेंट सबसे इंपोर्टेंट बिजनेस लेसन-7
यू कैन डू इट वे बदमाश कंपनी का डायलोग है बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं एक आईडिया से बड़ा होता है|
निष्कर्ष : Manyavar Founder Ravi Modi Business Case Study in Hindi
बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से बड़ा नहीं होता एक आईडिया से बड़ा होता है| आपने आज देख लिया उस बंदे के पास कोई डिग्री नहीं थी, कोई उसके पास मोटा पैसा नहीं था| कोई उसके पास सपोर्ट नहीं था बस खाली मार्केट देखा आईडिया देखा जिगरा लगाया कुछ चीज़ें समझी|
और आज बड़े-बड़े बिजनस्मेन, उसकी केस स्टडी पढ़ रहे हैं, आज मैं भी आपको कुछ बता रहा हूँ, और आप इसे पढ़ रहे हैं और सीख रहे हैं, एक सामान्य से व्यापारी से, जिसने किताबों से नहीं, बाज़ार से सीखा, तो इसी के साथ ये इंटरस्टिंग केस स्टडी खतम होती है, और भी बहुत सारी केस स्टडी आने वाली है| पोर्टल को अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया है तो कर लो|
और हाँ ये स्टोरी हर किसी तक पहुँचनी चाहिए | शेयर एंड थैंक