जीने की कला बस हिम्मत न हारिये Sumit Antil ki kahani
हम सब कुछ हार जाए लेकिन हिम्मत ना हारे तो एक दिन पुनः सब कुछ जीत सकते हैं। जीवन के हादसों में इंसान अपनी हिम्मत हार जाता है। Sumit Antil ki kahani
हम सब कुछ हार जाए लेकिन हिम्मत ना हारे तो एक दिन पुनः सब कुछ जीत सकते हैं। जीवन के हादसों में इंसान अपनी हिम्मत हार जाता है। Sumit Antil ki kahani
एक बड़ी प्रेरक कहानी है इसे पढ़िए| पहले तीन बेटियों और इकलौते बेटे को पालना मां के लिए आसान नहीं था। 2015 की एक शाम जब ये बच्चा 17 साल का हो चुका था, अपनी कोचिंग से घर लौट रहा था।
जिंदगी ने इसके साथ फिर एक हादसा किया और उस शाम इसकी बाइक को किसी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में वो हमेशा-हमेशा के लिए एक पैर गंवा बैठा।
जरा सोचिए अगर 17 साल की उम्र में आपका एक पैर आपसे जिंदगी छीन ले तो आप कैसा महसूस करेंगे। अधिकतर लोग अंदर से टूट जायेंगे। शायद अवसाद में तक चले जाएं। लेकिन इस हरियाणवी लड़के की बात अलग ही थी।
जब मां रोती थीं तो ये लड़का बोलता था, मां तू रो मत, मैं तुझे जिंदगी की हर खुशी लाकर दूंगा. ऐसे हादसे से भी जिसका हौसला न हिले समझ लीजिएगा उसे ईश्वर कोई इतिहास बनाने के लिए तैयार कर रहा है।
कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद साल 2016 में इस लड़के को नकली पैर लगाया गया। खेलों के प्रति तो शुरू से ही रुझान था । कोच वीरेंद्र धनखड़ ने इसका मार्गदर्शन किया। दिल्ली में कोचनवल सिंह ने इसे जैवलिन थ्रो के गुर सिखाए और साल 2018 में एशियन चैंपियनशिप में 5वीं रैंक मिली।
लेकिन ये कोई बड़ी कामयाबी नहीं थी। फिर अगले साल 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता फिर इसी साल हुए नेशनल गेम्स में अपनी परेशानियों को उपबब्धियों के आगे बौना साबित करके दिखाने वाले इस जाबाज का नाम सुमित अंतिल है ।
सुमित यहीं नहीं रुके, 2020 के टोक्यों पैरालंपिक में सुमित ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया। सुमित ने फाइनल में तीन वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया। सुमित सड़क हादसे में अपना पैर गंवाने से पहले कुश्ती में देश को मेडल दिलाने का सपना देखते थे और हौसला देखिए कि हादसे सपने देखने की शक्ति नहीं छीन पाए और सोनीपत के इस लाल ने पैरालिंपिक में गोल्डन भाला फेंक कर अपनी मां से किया हुआ वादा निभाया।
हमारी परेशानियाँ बहुत छोटी होती हैं लेकिन हम अपने हौसले को हार कर उन्हें बहुत बड़ा बना देते हैं। हादसों को इतना अधिकार न दें कि वो आपसे जीने की आकांक्षा ही छीन ले|
बुरे हादसों से ऊपर उठ कर, कठिनाईयों से ऊपर उठकर हमें इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा कि हमारे पास अभी भी बहुत कुछ शेष है जहाँ से हम एक नई यात्रा की शुरूवात कर सकते हैं|
और अपनी कहानी ऐसे लिख सकते हैं जिसे एक दिन लाखों लोग पढ़ें और प्रेरित हों। चलिए उठिए, परेशानियों को उनकी औकात दिखाने का वक्त आ गया है। आप हार मान जाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं। हादसे कितने भी बड़े क्यों न हों, जिंदगी की विराटता के आगे छोटे ही हैं।
आपके अंदर जो जीवन है वो अद्भुत है, अकल्पनीय है, अपार है, विराट है, इसकी शक्ति का इस्तेमाल कीजिए। जीवन अपने आप में एक शक्ति है, सबसे बड़ी शक्ति। इस शक्ति से हम सब कुछ ठीक कर सकते हैं। हां सब कुछ ! जब तक जीवन है और जीवन में हिम्मत है तब तक सब कुछ संभव है।
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