भारत की पहली इन्टरनेट कम्पनी Naukri.com का फाउंडर कौन है?

Naukri dot com Founder kaun hai Sanjeev Bikhchandani success story

आपने अक्सर देखा होगा कि बहुत सी बड़ी बड़ी कंपनियों की शुरुवात बहुत ही छोटे से हुई है| Naukri dot com Founder kaun hai Sanjeev Bikhchandani success story

शुरू से ही उन सभी को कई सारी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा लेकिन मुश्किलों से डट कर सामना करने के बाद आखिरकार वह सफल हुई|

आज के इस आर्टिकल में हम एक ऐसी ही कमपनी के बारे में बात करने वाले हैं जिसकी शुरुवात भी एक छोटे से कमरे से हुई थी लेकिन आगे चलकर ये हिन्दुस्तान की सबसे जानी मानी कमपनियों में से एक बन गई।

हम बात कर रहे हैं Naukri.com के बारे में, जिसको बनाने का श्रेय जाता है संजीव बिखचंदानी को, जिन्होंने अनगिनत परिशानियों को पार करके, ना केवल अपने उद्यमी बनने के सपने को पूरा किया|

Naukri dot com Founder kaun hai Sanjeev Bikhchandani success story

बल्कि एक ऐसी बना डाली, जिसने लाखों करोड़ो लोगों को नौकरी दिलाने में मदद्दगार बन गई| यहाँ तक कि संजीव बिखचंदानी की स्थिति एक समय पर ऐसी भी हो चुकी थी कि उन्हें अपनी वाइफ की कमाई पर घर चलाना पड़ता था|

लेकिन उन्होंने सभी कठिनाईयों का सामना करते हुए एक छोटे से कमरे से शुरुवात करके एक बहुत बड़ी कम्पनी बनाई| आज के इस प्रेरणादायक पोस्ट में हम उनकी पूरी स्टोरी जान सकेंगे|

naukri dot com founder kaun hai sanjeev bikhchandani

संजीव भिखचंदानी की कहानी शुरु होती है साल 1963 से जब भारत की राजधानी दिल्ली में संजीव का जन्म हुआ था| उनके पिता पेशे से एक डॉक्टर थे और उनकी माताजी एक हाउस वाइफ |

एक पढ़े लिखे परिवार में जन्म लेने के कारण संजीव ने बचपन से ही पढ़ाई लिखाई पर भी पूरा ध्यान लगाया था| संजीव की शुरुवाती शिक्षा st. कोलंबिया स्कूल से पूरी की| पढ़ाई लिखाई में अच्छे होने के कारण संजीव के जानकारों को ये लगता था ये जरूर ही कोई अच्छी नौकरी करेंगे|

बचपन से ही था बिज़नेस मैन बनने का सपना 

लेकिन इनका सपना बिलकुल अलग था क्योंकि जहाँ अधिकतर लोग बचपन से ही डॉक्टर और इंजिनियर बनने की सोचते हैं वहीं संजीव शुरू से ही एक बिजनेसमैन बनना चाहते थे हालांकि आगे का रास्ता उन्हें पता नहीं था कि इसके लिए उन्हें क्या कदम उठाना चाहिए|

sanjeev bikhchandani education आई. आई टी. में चयन होने के बाद भी संजीव ने St. Stephen College दिल्ली से अपने बीए की पढ़ाई पूरी की| अब वह किसी बिजनेस में घुसना तो चाहते थे लेकिन पैसे इकट्ठे करने के लिए उन्होंने साल 1984 में बतौर एकाउंट एक्जिक्यूटिव LINTAS नाम की कंपनी को जॉइन कर लिया| यहां उन्होंने अगले तीन सालों तक नौकरी की|हालाँकि संजीव के अंदर अभी भी बिजनस शुरू करने का कॉंफिडेंस नहीं आ रहा था|

इसके बाद संजीव बिखचंदानी ने MBA की पढाई के लिए IIM भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद में दाखिला ले लिया| और फिर इसी दोरान ही IIM में पढ़ने वाली सुरभि नाम की एक लड़की sanjeev bikhchandani wife से उन्होंने शादी कर ली।

कैंपस से ही हुआ प्लेसमेंट

कॉलेज कैम्पस से Glaxosmithkline नामक कम्पनी में इनका प्लेसमेंट हो गया था| ये इस कंपनी के बहु चर्चित प्रोडक्ट Horlicks की मार्केटिंग देखने लगे थे|

संजीव बिखचंदानी के mba के अंतिम वर्ष में प्लेसमेंट सीजन शुरू हुआ| सीजन के पहले दिन कैंपस में चार कम्पनी पहुँची थी बैंक ऑफ़ अमेरिका, City बैंक, हिंदुस्तान यूनीलीवर और Glaxosmithkline.

इन कंपनियों ने कैंडिडेट का चयन करना शुरू कर दिया| सिटी बैंक ने इंटरव्यू के पहले ही चरण में विद्यार्थियों को जॉब ऑफर करते हुए बोला| ये लो ऑफर लैटर sign करो और नौकरी लो और किसी कंपनी में साक्षात्कार के लिए मत जाओ|

संजीव बिखचंदानी ने ऐसा देखकर सोचा की अगर इसी प्रकार से कंपनियां योग्यता को बीट करती हैं तो क्यों न एक ऐसी सैलरी सर्वे रिपोर्ट बनाई जाए जिसमे अलग अलग कंपनियों द्वारा आईआईएम ग्रेजुएट्स को दिए जा रहे सैलरी पैकेज की इनफार्मेशन हो, ये एक अच्छा बिज़नेस हो सकता है| यहीं से info एज की शुरुवात हुई|

वाईफ की सैलरी से घर खर्च चलाया 

MBA करने के बाद Hindustan Milk Food Manufacturer में भी काम किया| और दोस्तों शादी के एक साल के बाद संजीव ने नोकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। और अब वो उद्यम की दुनिया में अपना पहला कदम रखने के लिए तैयार थे।

पत्नी की सैलरी से चला घर खर्च
संजीव बिकचंदानी के सपने को पूर्ण करने में उनकी पत्नी सुरभि ने उनका बड़ा साथ दिया| संजीव बिकचंदानी जी का ये कहना है कि वह स्वयं को परम भाग्यशाली मानते हैं कि जब उन्होंने जॉब छोड़ी और अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला किया उस समय उनकी पत्नी सुरभि नौकरी कर रही थीं|

ऐसे कठिन समय में सुरभि को मिलने वाले वेतन से उन्हें मुश्किल हालात का सामना करने की ताकत मिली| दरअसल बिजनेस की शुरुवात करने के बाद कई सालों तक संजीव बिकचंदानी को कुछ खास इनकम नहीं हो पाई थी|

नौकरी छोड़ने के बाद घर के खर्चों को उनकी पत्मी चलाने लगी थी और सुरुभी भी संजीव के इस कदम में पूरी तरह से उनके साथ खड़ी थी आखिरकार, साल 1990 में संजीव बिकचंदानी ने अपने स्वयं का बिजनेस की शुरूवात करने का निर्णय लिया|

साल 1990 में किया खुद की कम्पनी की शुरुवात 

साल 1990 में संजीव ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर Indmark और Info Edge नाम की दो कमपनिया शुरू की| ये कम्पनी संजीव ने अपने ही घर में नौकर के कमरे से शुरू की थी और काफी प्रोफेशनल होने की वजह से वो अपने पिता को इस कमरे के लिए आठ सो रुपए किराया भी दिया करते थे|

इंफो एज में वो एंट्री लेवल सैलरी सर्वेज किया करते थे तो वहीं दूसरी कम्पनी Indmark ट्रेडमार्क और डेटा बेस के बारे में थी| जिस तरह से संजीव और उनके पार्टनर ने सोचा था कंपनी वैसा प्रदर्शन नहीं कर सकी और इसलिए संजीव वीकेंड्स में कई सारे institutes में पढ़ाने का काम भी करने लगे थे| और इससे उन्हें 2000 रुपए के आसपास हर महीने ही मिल जाया करते थे|

आगे चल कर संजीव और उनके पार्टनर ने अलग होने का फैसला कर लिया और साल 1993 में दोनों ने अपने हिस्से में एक-एक कम्पनी ले ली और इस विभाजन में संजीव को इंफो एज तो वहीं उनके पार्टनर को इंड मार्क मिल गई|

कम्पनी तो अब सिर्फ नाम की ही बची थी क्योंकि इसके जरिये कोई भी फायदा अभी तक नहीं मिल रहा था और इसी वजह से अपने बेसिक खर्चों को चलाने के लिए संजीव ने अगले कुछ साल फिर से एक कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर एक कंपनी में काम किया|

IT Asia Exhibition से इन्टरनेट कम्पनी बनाने का आईडिया मिला 

लेकिन दोस्तों कहते हैं ना कि मेहनत का फल देर से ही सही लेकिन मिलता जरूर है और फिर यही हुआ संजीव के साथ भी| साल 1996 में जब दिल्ली में IT Asia Exhibition आयोजित किया गया था तब इस इवेंट में संजीव भी पहुंचे थे और यह वो दौर था जब भारत में इंटरनेट की अभी शुरुआत ही हुई थी| 

इस Exhibition में उन्होंने एक स्टॉल देखा जिस पर डब्लू डब्लू डब्लू लिखा हुआ था और फिर इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए जब वह info edge founder स्टॉल के पास पहुंचे तब उन्हें इंटरनेट के बारे में पूरी जानकारी दी गई और फिर यहीं से नौकरी डॉट कॉम के लिए उन्हें पहली बार आईडिया आया था|

उस समय कॉलेज में पढ़ने वाले लोग हों या फिर नौकरी करने वाले सभी लोग डेली newspaper में नौकरी के लिए विज्ञापन देखा करते थे| और नौकरी के बारे में जानकारी पाने का उस समय तक यही एक मात्र साधन हुआ करता था और फिर यही से संजीव ने इंटरनेट के फ्यूचर को देखते हुए नौकरी.com को बनाने का फैसला किया जहाँ पर फालतू news के स्थान पर सिर्फ जॉब वैकेंसीज पर ही फोकस हुआ |

उस समय भारत में वेबसाइट बनाना और इसे हॉस्ट करना इतना आसान नहीं था क्योंकि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बहुत ही गिने चुने लोगों को ही पता हुआ करती थी और इसी कारण से उन्होंने वेबसाइट मैनेज करने और बनाने के लिए कंपनी का कुछ शेयर ही दे दिया और फिर आखिरकार काफी सालों तक संघर्ष करने के बाद से संजीव ने शुरुआत की नौकरी.com की |

7 साल बाद मिली बड़ी सफलता 

और 1997 में 1000 एड्स के साथ यह वेबसाइट लॉन्च किया गया था और दोस्तों उस समय इंटरनेट भारत में काफी नई होने की वजह से लोग इसके बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक रहते थे। साथ ही जर्नलिस्ट और न्यूज एंकर ने भी naukri.com को खुब कवरेज दिया।

फलस्वरूप बहुत ही जल्द संजीव के इस जॉब पोर्टल पर ट्रैफिक काफी तेजी से बढ़ गया था| कम्पनी को पहले साल जहाँ पर ढाई लाख का फायदा हुआ और दूसरी साल ये फायदा 18 लाख को भी पार कर गया था और फंडिंग मिलने के बाद से तो संजीव के इस कंपनी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा |

2004 आते आते तो नौकरी डॉट कॉम ने 45 करोड़ की कमाई की थी और दोस्तों 2006 में नौकरी डॉट कॉम बम्बई स्टॉक एक्सेंज में लिस्ट होने वाली भारत की पहली इंटरनेट कंपनी बन गई और दोस्तों इस तरह से अगर देखा जाए तो भारत में आज भी तक़रीबन 70% market share नौकरी.com के ही पास मौजूद हैं।

एक इंसान से शुरू होने वाली इस कंपनी में आज हजारों की संख्या में लोग काम भी करते हैं। और दोस्तों संजीव की InfoAge कंपनी जो की नौकरी.com की पैरेंट कंपनी हैं वह कई और भी वेबसाइट जैसे की जीवनसाथी.com, 99acres.com और shiksha.com के मालिक हैं| जोमैटो और पॉलिसीबाजार जैसी कंपनियों में मेजर हिस्सेदारी अपने पास ही रखी हुई है|

निष्कर्ष: Naukri dot com Founder kaun hai Sanjeev Bikhchandani success story

फिलहाल संजीव बिकचंदानी आज उस मुकाम पर खड़े हैं जहाँ पर पहुँचना किसी भी बिज़नेसमैन का सपना होता है| आशा करते हैं कि संजीव भिखचंदानी की यह कहानी आपको जरूर ही पसंद आई होगी|

पुरस्कार

1. संजीव “Earnest and Young – Entrepreneur of the year” अवार्ड से सुशोभित हो चुके हैं साल 2008 में 

2. उन्हें जनवरी 2020 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया है|

sanjeev bikhchandani networth फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार, संजीव बिकचंदानी jeevansath founder net worth की कुल संपत्ति 360 करोड़ USD है (99acres owner net worth)
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