Short Motivational Story in Hindi with Moral for Success
सभी सपने हमारे साकार हो सकते हैं, यदि हमारे भीतर हिम्मत है उन्हें साकार करने की| ये कथन उस महान व्यक्ति के हैं, जिसके संघर्ष से सफलता की कहानी Short Motivational Story in Hindi
आज के इस आर्टिकल में मैं आपको बताने वाला हूं यह ऐसा बंदा है जिसकी जीवन यात्रा जानने के बाद आप खुद से बहाने बनाना भूल जाओगे|
आप में से अधिकतर लोग शायद इस व्यक्ति का नाम जरुर सुने होंगे| लेकिन इनकी संघर्ष भरी जीवन यात्रा को बहुत कम जानते हैं| पढ़ते पढ़ते इस कहानी को अगर आपको पता चल जाए की वो बंदा कौन है ? कमेंट में जरुर लिखियेगा|
दोस्तों दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी रचनात्मकता और टैलेंट को अपना धर्म मानते हैं| जिनको अपनी कला और टैलेंट पर पूरा विश्वास होता है|
अपनी उस एक कला को दोहराते वक्त चाहे हजारों असफलताओं का सामना क्यों ना करना पड़ जाएं पर अपनी कला के प्रति सच्चे विश्वास की बदौलत, वो उसी को लेकर आगे बढ़ते रहते हैं|
लाखों प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली, इस विचार के साथ वो कभी भी अपना रास्ता नहीं बदलते| और यही एक कारण उन्हें एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाता है, जहां पहुँचने में किसी साधारण इंसान को दस जन्म भी कम पड़ जाते हैं|
Short Motivational Story in Hindi for Success
आज मैं यहाँ जिस महान पुरुष की प्रेरणादायक जीवन यात्रा लिख रहा हूँ, वो भी एक ऐसी ही शख्सियत है| सच बता रहूँ, जब यह आर्टिकल पूरा होगा, तब आपको अपनी कला, अपनी क्रियेटिविटी और सबसे महत्वपूर्ण, अपने आप पर इतना भरोसा हो जाएगा, कि दर्जनों हार मिलने के बावजूद, आप अपने चुने हुए रास्ते पर डटे रहोगे|
और आखिर उस शिखर पर पहुँच जाओगे, जिसकी आपने कभी कलपना भी नहीं की होगी| दोस्तों यह इंसान कोई बहुत टैलेंटेड या असाधरण व्यक्तित्व वाला इंसान नहीं था, ना ही इनके पास कोई ऐसी यूनिक कला थी| जिसमें ये बहुत ज्यादा माहिर थे|
लेकिन एक बात है भगवान जिस किसी इंसान को पृथ्वी पर भेजता है ना उसके हाथ में कुछ ऐसी चीज जरूर देता है| जिससे वो इंसान इस चुनौती भरे संसार में, उस एक चीज की बदौलत अपना अस्तित्व टिकाए रहे, वो चीज और कुछ नहीं|
आप में छिपा आपका टैलेंट आपकी कला होती है| जो इंसान जितनी जल्दी अपने टैलेंट को पहचानेगा वो उतना ही आगे बढ़ेगा| और अगर पहचान नहीं पाया तो जीवन भर ठोकर खाता रहेगा और खुद को कोसता रहेगा|
Short Motivational Story in Hindi
5 दिसंबर 1901 को अमेरिका में जन्म होता है हमारी आज की कहानी के हीरो का!
जिसने खुद में छिपे टैलेंट को बड़ी जल्दी पहचान लिया था लेकिन इसके पीछे भी एक वजह थी संघर्ष! जिसके बदौलत उसने आगे जाकर दुनिया में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाया|
उसने असल मायने में संघर्ष क्या होता है? इसे करीब से जाना| इसे महसूस किया, वो भी इतनी कम उम्र में जिस उम्र में हमने संघर्ष नाम का यह शब्द सुना तक नहीं होगा|
उसके घर के हालात इतने नाजुक थे कि घर की बागडोर संभाले रखने के लिए उसे स्कूल के दिनों में अपने पिता के कामो में हाथ बटाना पड़ता था| लेकिन उसने अपने इस हालात को कभी दोष नहीं दिया और प्रसन्नता से काम करता रहा|
लेकिन जब भी उसे वक़्त मिलता वो चित्रकारी करने लगता उसे चित्रकारी करने का बड़ा शौक था| शौक भी इतना बड़ा कि एक बार तो कोयले से पूरे घर की दिवार ही काली कर डाली|
इसके लिए उसे अपने पिता से डाट भी खानी पड़ी थी| लेकिन कहते हैं ना शौक के आगे कोई भी चीज बड़ी नहीं होती| ये अपने पिता की फटकार को एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता|
सिर्फ 7 साल की उम्र में पेंटिंग बनाकर बेच दिया
और फिर से जहां जगह मिल जाये वहीँ चित्रकारी करने लग जाता था| सिर्फ 7 साल की उम्र में उसने अपने पड़ोसी के घोड़े की पेंटिंग बनाई| और ये पेंटिंग उनके पड़ोसी को इतनी पसंद आई कि उसने इस पेंटिंग को पैसे देकर खरीद लिया|
जब भी कभी वक्त मिलता तो वो एक नाई की दुकान में जाता और वहां बैठकर मैगजीन में छपी तस्वीरों को ड्रा करता और नाई को दे देता| नाई उन पेंटिंग्स को अपनी दुकान की दीवारों पर लगा देता था, बदले में नाई उसके बाल मुफ्त में काट देता था| बल्कि उसका मकसद ये बिलकुल नहीं था|
वो नाई के लिए पेंटिंग्स इसलिए बनाता था, ताकि जो भी लोग वहाँ बाल कटवाने के लिए आएं, वो उसकी पेंटिंग्स को नोटिस करें, और उसके टेलेंट को पहचाने|
बचपन में पिता के काम में हाथ बटाना पड़ा
और धीरे धीरे ऐसा होने भी लगा| मगर घर के हालात बिगड़ते जा रहे थे| इसलिए उसे अपने पूरे परिवार के साथ गाँव से शहर में रहने के लिए आना पड़ा| क्योंकि शहर में पेट पालने के लिए छोटा मोटा काम तो मिल ही जाता है|
लेकिन बहुत दिनों तक उसके पिता को कोई काम नहीं मिला| घर में कंगाली इतनी ज़्यादा बढ़ने लगी थी, कि खाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा था| मगर तक़दीर का साथ मिला, और उसके पिता को पेपर बाटने का काम मिल गया| उसके पिता को सुबह सुबह पेपर और मैगजिन्स बाटने के लिए जाना पड़ता था|
काम इतना ज़्यादा था, कि उसके पिता उसे अकेले नहीं कर पाते थे| इसलिए ये और इसका भाई दोनों पिता के काम में हाथ बटाते| इतनी कठिन स्थिति होते हुए भी, इसने इसका असर अपने टैलेंट पर रत्ती भर भी नहीं पड़ने दिया|
स्कूल में सबसे कमजोर छात्र
इसे जब भी वक़्त मिलता, स्टेशन पर जाकर ट्रेन की पेंटिंग्स बनाता| कई दिनों तक काम करने के बाद पिता ने इतने पैसे जमा कर लिये थे, जिससे घर का खर्चा भी चल सके और बच्चों को स्कूल में पढ़ाया भी जा सके| इसलिए दोनों भाईयों का दाखिला स्कूल में करवाया|
मगर सुबह सुबह जल्दी उठकर रोज काम पर जाने से, वो इतना थक जाते थे कि स्कूल में जाकर वो केवल सोने का काम करते| और इसलिए वो स्कूल में सबसे कमजोर स्टूडेंट थे| उनकी रैंक हमेशा टॉप 3 में आती थी, मगर नीचे से|
अब तक उसका शौक, उसका जुनून से भरा टैलेंट बन चुका था| उसे एहसास हो गया था कि वो जो पेंटिंग्स बना रहा है ये ऐसे ही नहीं बना रहा है|
ये उसके लिए एक वरदान है| और इस वरदान को सार्थक बनाना अब उसका अंतिम लक्ष्य होगा|और इसलिए उसने पैसे बचा बचा कर एक आर्ट इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लिया|
जब ये 19 साल का हुआ तब पहला विश्व युद्ध खत्म ही हुआ था| इस बार उसने आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया| वो आर्मी जोइन करने के लिए गया, मगर आर्मी में उसका चयन नहीं हो सका| लेकिन उसने हार नहीं मानी और एम्बुलेंस चलाने की job के लिए apply किया|
पूरी एम्बुलेंस पर चित्रकारी कर डाली
उसको France में जाकर job करनी थी| और इसलिए वो France चला गया| लेकिन उसने drawing करना अभी भी नहीं छोड़ा| उसने अपनी उस ambulance को ही painting से भर दिया|उसके इस कला की कई लोगों ने सराहना की|
अगले ही साल उसने ये job छोड़ दी| और फिर से अपने देश वापस लौट आया| और वापस आकर एक painting studio को join किया| यहां उसे अलग अलग तरह की drawings बनाने का काम करना पड़ता था|
लेकिन यहां उसके साथ कुछ ऐसा हादसा हुआ| जिसे उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोचा| company ने उसे यह कहते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया, कि उसे पेंटिंग बनानी ही नहीं आती, उसमें इमेजिनेशन और नए आइडियाज की कमी है|
अब आप ही सोचो, बचपन से ही जिस जुनून के साथ, उसने अपनी कला को संघर्ष के समय भी संजोये रखा था| उसी का कोई तिरस्कार कर रहा था| उस समय उस पर क्या बीती होगी?
खुद की कम्पनी बनाई
ऐसे हालात में अधिकाँश लोग, खुद को हारा हुआ महसूस करते हैं| उनका अपनी कला और अपने आप पर से विश्वास उठ जाता है| लेकिन ये जाबाज था, अब तक जितनी कहानी मैंने बताई है उसमें आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि इस हीरो ने किस तरह की परिस्थितियां देखी हैं?
और उन परिस्थितियों का किस तरह से सामना किया है?
उसने इस अपमान को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया| उल्टा उसने अपमान का बदला लेने का सोचा और कैसे भी करके खुद की कंपनी खड़ीं की लेकिन कंपनी नहीं चली| कंपनी के शुरुवाती दिनों वॉल्ट डिज्नी ने अनेक परेशानियों का सामना किया| एक वक़्त इनके पास खाने तक के पैसे नहीं हो पाते थे। इनके कार्टून बिक नहीं रहे थे।
उल्टा कंपनी के ऊपर इतना कर्जा बढ़ गया कि उसे कंपनी को बैंकरप्ट घोषित करना पड़ा| उसके पास एक बैग बची थी जिसमें कुछ कपड़े और पेंटिंग्स के सामान थे|
वो बिल्कुल अकेला हो चुका था! लेकिन कहते है ना जिसको खुद के ऊपर पूरा भरोसा होता है| और जिसका साथ कोई नहीं देता उसका साथ स्वयं भगवान देते हैं|
मिक्की माउस की डिजाईन
इस करो या मरो वाली स्थिति में उसके भाई ने उसका साथ दिया| और अपनी बचत के 2000 डोलर उसको दिये| इस जाबाज ने फिर से एक नए स्ट्रैटेजी से कंपनी शुरू की|
और वो कंपनी चलने लगी काम इतना बढ़ने लगा कि लोगों को काम देना पड़ा|
सोच कर देखो कुछ समय पहले जिसे खुद नौकरी की जरूरत थी| वो आज खुद लोगों को नौकरी दे रहा था| उसके लिए यह कितने गर्व की बात रही होगी|
सब कुछ अच्छे से चल रहा था| एक दिन वो ट्रेन से सफर कर रहा था| और कागज पर ऐसे ही कुछ रेंडम चीजों को ड्रो कर रहा था| इसी दौरान उसने एक बड़े कान वाले चूहे की तस्वीर बनाई| वो जब घर आया तो उसने अपनी वाइफ के कहने पर इस चूहे का नाम मिक्की रखा|
उसने इस चूहे की एक एनिमेशन फिल्म भी बनाई| और उसे आवाज भी दी| उस वक्त किसी एनीमेशन को आवाज देना किसी अजूबे से कम नहीं था|
अमरीकी इतिहास के बन गए सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माता
जब मिक्की माउस का पहला शो दिखाया गया तो यह ऐसा तूफान लेकर आया| जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी|
दोस्तों यह कार्टून इतना ज्यादा पॉपुलर हुआ कि आज भी अमेरिकन इतिहास की सबसे बेहतरीन कल्ट क्लासिक मूवीज में गिना जाता है|
साल 1928 में इनके द्वारा बनाये गए कार्टून मिकी माउस ने इन्हें पूरे विश्व में प्रसिद्द कर दिया| आज भी इनकी रचना मिकी माउस लोगों की पसंदीदा है|
जब भी हम इनकी सफलता को देखते हैं लगता है कि सफलता मिलने के बाद उन्होंने काफी जबरदस्त जिन्दगी बिताई होगी| लेकिन नहीं, उन्होंने मरते दम तक अपने काम को एक नई शुरुवात की तरह ही देखा|
इस दौरान कई लोगों ने उनको धोखा दिया| लेकिन जिसने जिन्दगी भर ठोकर खाई हो उसको इन छोटे मोटे झटकों से क्या ही फर्क पड़ने वाला था?
वो इन सब चुनौतियों को पार कर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता रहा| और साल 1966 में दुनिया को अलविदा कह दिया| दोस्तों ये कहानी थी दा वॉल्ट डिजनी के फाउंडर वॉल्ट डिजनी की!
डिज्नी ने किया hotstar का अधिग्रहण
डिज्नी कम्पनी को डिज्नी वॉल्ट और इनके भाई रॉय ओ डिज्नी ने स्थापित किया था। कैलिफोर्निया से शुरू हुई इस कम्पनी का प्रारम्भिक “डिज्नी ब्रदर्स कार्टून स्टूडियो” था।
वर्ष 2015 में जब हॉटस्टार की शुरुवात हुई, इसके सिर्फ 2 वर्ष बाद ही वर्ष 2017 में डिज्नी कम्पनी ने इसे खरीद लिया था| डिज्नी प्लस हॉटस्टार आज हिंदुस्तान का सबसे कामयाब OTT प्लेटफॉर्म बन चुका है| भारतीय OTT बाज़ार में हॉट स्टार की 29 प्रतिशत भागीदारी है|
वाल्ट डिज्नी की महान उपलब्धियाँ
अम्रेरिका में वाल्ट डिज्नी के सम्मान में 5 दिसम्बर को वाल्ट डिज्नी दिवस के रूप में मनाया जाता है|
आज उनके स्थापित की गई इस कंपनी की गिनती दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म निर्माता कंपनियों में की जाती है| आज उनके कंपनी की नेट वर्थ 176 बिलियन डॉलर है|
वर्ष 2018 तक पूरे विश्व भर से तक़रीबन 15 करोड़ 73 लाख लोग वाल्ट डिज्नी के Theme park के दीदार को पहुँच चुके हैं|
वर्तमान समय में डिज्नी की इनकम का प्रमुख स्रोत थीम पार्क तथा मर्चेंडाइज का व्यापार है| आपको बता दें डिज्नी की इनकम वर्ष 2019 में ये रुपये में 91,000 करोड़ थी| कुल रेवन्यू डिज्नी कंपनी का रुपये 500000 करोड़ रुपये पहुँच चुका था|
साल 2020 में 38.7 बिलियन डॉलर का ग्लोबल रेवेन्यू वॉल्ट डिज्नी कम्पनी का रहा। फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार इनकी ब्रांड वैल्यू 61.3 बिलियन डॉलर है|Short Motivational Story in Hindi
वॉल्ट डिज्नी कंपनी आज अपनी सब्सिडरी कम्पनियों के संग पार्क-एक्सपीरियंस एंड प्रोडक्ट, मीडिया नेटवर्क, Studio entertainment और Direct to Consumer and international (DTCI) के क्षेत्र में कार्य कर रही है|
आज Disney Media Business Network के पास डिज्नी चैनल साथ साथ History,ESPN, aur Lifetime जैसे कई महत्वपूर्ण चैनल का स्वामित्व है|
अपनी लाइफ में वाल्ट डिज्नी ने रिकॉर्ड 59 नामांकन अकादमी अवार्ड्स के लिए हासिल किए और 22 अवार्ड्स जीते।
निष्कर्ष : Short Motivational Story in Hindi for Success with Moral
किसी वक्त अपने पिता के साथ अखबार बेचने वाले उस लड़के ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया कि 22 ऑस्कर अवार्ड्स के साथ सैकड़ो और अवार्ड्स जीत कर इस दुनिया को अलविदा कह गया|
दोस्तो दुनिया में कोई भी इंसान हो फर्क नहीं पड़ता वो गरीब है या अमीर है| हर किसी को अपने स्तर पर संघर्ष करना करना पड़ता है| संघर्षों को पार कर अगर कुछ बड़ा करना है तो अपनी कला और अपने आप पर विश्वास रखो| देखना सफलता अपने आप आकर आपकी दहलीज पर खड़ीं होगी|
दोस्तो आज की कहानी Short Motivational Story in Hindi ने अगर आपको थोड़ा भी इंस्पायर किया, तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा|
ताकि वो भी जिन्दगी को सही ढंग से जीना सीख सके| और आगे बढ़ सके! फिर मिलते हैं अगली कहानी में एक नई प्रेरणा के साथ! जय हिंद ! वन्दे मातरम!